एक कविता रूप में परमेश्वर से की गई प्रार्थना है, जो The Valley of Vision के नाम से जानी जाती है। इस प्रार्थना-कविता का विषय पापी मनुष्य और उसके पवित्र परमेश्वर के मध्य की दूरी है। मनुष्य परमेश्वर से कहता है, "आप मुझे दर्शन की तराई में लेकर आए हैं...; चारों ओर पाप के पहाड़ों से घिरा होकर भी मैं ऊपर आपकी महिमा को देखता हूँ।" मनुष्य को अपनी गलतियों का बोध है, परन्तु फिर भी वह आशावादी है। वह आगे कहता है, "गहरे कूओं से भी सितारे दिखाई देते हैं; और कूआँ जितना गहरा होगा, सितारे उतने अधिक चमकीले दिखेंगे।" इस प्रार्थना-कविता का अन्त निवेदन के साथ होता है: "होने दें कि मैं अपने अन्धकार में आपकी ज्योति को...अपनी तराई में आपकी महिमा को पा सकूँ।"
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि योना ने परमेश्वर की महिमा को सागर की गहराई में पाया। वह परमेश्वर से बलवा कर के भाग रहा था, और अपने पाप से अभिभूत, वह एक बड़ी मछली के पेट में पहुँच गया। वहाँ से योना ने परमेश्वर को पुकारा: "तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया...मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे" (योना 2:3, 5)। अपनी विकट परिस्थिति के बावजूद योना ने कहा, "जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई" (योना 2:7)। परमेश्वर ने योना की प्रार्थना सुनी और उसे मछली के पेट से स्वतंत्र किया।
यद्यपि हमारे पाप, हमारे तथा परमेश्वर के मध्य दूरी लाते हैं, तो भी अपने जीवन के न्यूनतम स्तर से भी हम परमेश्वर की ओर देख सकते हैं - उसकी पवित्रता, भलाई, और अनुग्रह को, और प्रार्थना में उसे पुकार सकते हैं, और वह सच्चे हृदय से की गई हमारी प्रार्थना को सुनता है। यदि हम सच्चे पश्चाताप के साथ अपने पापों से मन फिराएं, परमेश्वर के समक्ष पापों का अंगीकार कर लें, तो वह हमें क्षमा कर देगा (1 यूहन्ना 1:9)। परमेश्वर तराई से की गई प्रार्थना को भी सुनता है, उसका उत्तर देता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
पाप का अन्धकार परमेश्वर के अनुग्रह की ज्योति को
और अधिक चमकदार बना देता है।
यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9
बाइबल पाठ: योना 2:1-10
Jonah 2:1 तब योना ने उसके पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कहा,
Jonah 2:2 मैं ने संकट में पड़े हुए यहोवा की दोहाई दी, और उसने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्ला उठा, और तू ने मेरी सुन ली।
Jonah 2:3 तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया; और मैं धाराओं के बीच में पड़ा था, तेरी भड़काई हुई सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं।
Jonah 2:4 तब मैं ने कहा, मैं तेरे साम्हने से निकाल दिया गया हूं; तौभी तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूंगा।
Jonah 2:5 मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे; गहिरा सागर मेरे चारों ओर था, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था।
Jonah 2:6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।
Jonah 2:7 जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई।
Jonah 2:8 जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, वे अपने करूणानिधान को छोड़ देते हैं।
Jonah 2:9 परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है।
Jonah 2:10 और यहोवा ने मच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 9-10
- इफिसियों 3