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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

संपूर्णतः स्वच्छ


   कहते हैं कि २० सेकेंड तक साबुन-पानी से हाथ धोने से हाथों पर से सभी कीटाणु धुल जाते हैं। किंतु यह स्वच्छता सदा बनी नहीं रहती; थोड़ी देर में इधर-उधर छूने और कार्य करने से फिर से हाथ गन्दे हो जाते हैं, कीटाणु हाथों पर आ जाते हैं और फिर उन्हें हटाने और हाथों को पुनः स्वच्छ करने के लिए पहले के समान ही फिर से हाथ धोने पड़ते हैं।

   बाइबल के पुराने नियम के काल में, अपने पापों के प्रायश्चित के लिए लोगों को बार बार और प्रति वर्ष कुछ भेंट तथा बलिदान चढ़ाने होते थे। किंतु बलिदान का लहु उनके पापों को सदा के लिए दूर नहीं करता था (इब्रानियों १०:११)। केवल प्रभु यीशु के अमूल्य बलिदान और लहू में ही यह क्षमता है। अब इस नए नियम और अनुग्रह के काल में इन बलिदानों की कोई आवश्यक्ता नहीं रह गई है क्योंकि प्रभु यीशु के एक बलिदान और बहाए गए पवित्र लहू के द्वारा पापों की क्षमा का कार्य सबके लिए और सदा के लिए पूर्णतः संपन्न हो गया है। प्रभु यीशु का यह बलिदान और क्षमा का कार्य:

  • एक ही बार के लिए था -  वह पशुओं के बलिदान के समान नहीं है जिनका बार बार प्रति वर्ष बलिदान चढ़ाना पड़ता था (इब्रानियों १०:१-३, १०)।
  • वह हमें सभी पापों से पुरी तरह से शुद्ध और पवित्र करता है - जबकि पशुओं का बलिदान यह स्मरण मात्र कराता था कि एक निर्दोष पशु किसी दोशी मनुष्य के स्थान पर मारा जा रहा है, किंतु वह पशु उस मनुष्य के पापों को धो नहीं सकता था, उन्हें मिटा नहीं सकता था (इब्रानियों १०:३-६, ११)।


   किंतु अब "उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्‍हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है" (इब्रानियों १०:१४)। केवल प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा ही हम पापों से संपूर्णतः स्वच्छ और पवित्र हो सकते हैं। अब हमें पापों की क्षमा के लिए अपने किसी प्रकार के प्रयासों या बलिदानों की आवश्यक्ता नहीं है। अब केवल पश्चाताप के साथ प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांगने और उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने ही की आवश्यक्ता है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रभु यीशु के लहु की सामर्थ प्रत्येक पाप के हर दाग़ को धो डालने में सक्षम है।

क्‍योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे। - इब्रानियों १०:४

बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:१-१८
Heb 10:1  क्‍योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्‍छी वस्‍तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्‍वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं। 
Heb 10:2  नहीं तो उन का चढ़ाना बन्‍द क्‍यों न हो जाता? इसलिये कि जब सेवा करने वाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उन का विवेक उन्‍हें पापी न ठहराता। 
Heb 10:3  परन्‍तु उन के द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। 
Heb 10:4  क्‍योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे। 
Heb 10:5   इसी कारण वह जगत में आने समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया। 
Heb 10:6   होम-बलियों और पाप-बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ। 
Heb 10:7  तब मैं ने कहा, देख, मैं आ गया हूं, (पवित्र शस्‍त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्‍छा पूरी करूं। 
Heb 10:8   ऊपर तो वह कहता है, कि न तू ने बलिदान और भेंट और होम-बलियों और पाप-बलियों को चाहा, और न उन से प्रसन्न हुआ; यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं। 
Heb 10:9  फिर यह भी कहता है, कि देख, मैं आ गया हूं, ताकि तेरी इच्‍छा पूरी करूं; निदान वह पहिले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे। 
Heb 10:10 उसी इच्‍छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं। 
Heb 10:11  और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार बार चढ़ाता है। 
Heb 10:12  पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ा कर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Heb 10:13  और उसी समय से इस की बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें। 
Heb 10:14  क्‍योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्‍हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है। 
Heb 10:15  और पवित्र आ्त्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्‍योंकि उस ने पहिले कहा था। 
Heb 10:16  कि प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उन से बान्‍धूंगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उन के विवेक में डालूंगा। 
Heb 10:17   (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा। 
Heb 10:18  और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २२-२३ 
  • तीतुस १

बचाए गए


   लौरेन घबरा भी रही थी और साथ ही उत्तेजित भी थी; वह आज एक ही व्यक्ति द्वारा चलाई जाने वाली नौका में बैठकर तेज़ बहने वाली पहाड़ी नदी के उछलते उफनते पानी में एक दल के साथ नौकाविहार के लिए जा रही थी। उसने अपने आप को नौका में सुरक्षित किया और अपने दल के साथ दल के मार्गदर्शक के पीछे पानी के तेज़ प्रवाह में चल निकली।

   थोड़ी दूर जाने पर जब सामने एक जलप्रपात दिखाई दिया तो लौरेन की घबराहट और बढ़ गई। उस तेज़ बहते और उछलते पानी में अचानक ही नौका डगमगाई और पलट गई। उन्हें अच्छे से सिखाया गया था कि यदि ऐसा हो तो नौका से निकल कर तुरंत पानी की सतह पर कैसे पहुँचना है, लेकिन पानी में अपने आप को पलटी हुई पड़ी देख उसके होश उड़ गए और उसे कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करे और कैसे करे। उसे बस इतना ध्यान था कि कुछ ही पलों में उसकी सांस टूट जाएगी और फिर वह इस संसार से कूच करके अपने आप को अपने प्रभु परमेश्वर के सामने खड़ा पाएगी। इन कुछ पलों ही में कोई उसकी सहायता को आया और उसे डूबने से बचा लिया। लौरेन शारीरिक मृत्यु से बचाए जाने के लिए अपने रक्षक के प्रति बहुत धन्यवादी और कृतज्ञ हुई।

   शारीरिक मृत्यु तो देर-सवेर सब को आनी है; जो आज किसी दुर्घटना या बिमारी या अन्य किसी जान के जोखिम से बचा है, वह कल किसी अन्य बात के कारण संसार से कूच करेगा - महत्व मृत्यु का नहीं वरन इस बात का है कि फिर उसके बाद क्या होगा? हर किसी को अपने जीवन का हिसाब देने परमेश्वर के सामने खड़ा होना होगा, और जो पापों की क्षमा पाए बिना संसार से जाएंगे वे अपने आप को एक दुसरी मृत्यु - आत्मिक मृत्यु के भागी पाएंगे, अर्थात अनन्तकाल के लिए परमेश्वर से दूर नरक में अपने पापों का दण्ड भोगे जाने के लिए पड़ा हुआ पाएंगे।

   पाप में पड़े और डूबते इस संसार के प्रत्येक जन के लिए परमेश्वर ने बचाए जाने का मार्ग दिया है, मार्गदर्शक दिया है - प्रभु यीशु। उसके मिलने वाली सहायता और रक्षा का हाथ संसार के सभी लोगों की ओर बढ़ा हुआ है। जो कोई भी उसके हाथ को थामता है, उसपर विश्वास लाता है वह पापों से क्षमा और अनन्त जीवन पाता है - केवल सच्चे मन से उसे किए गए समर्पण और उसपर लाए गए साधारण विश्वास द्वारा ही; और कुछ भी करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है। अपने क्रूस पर दिए गए बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा उसने सब के लिए अनन्त जीवन सुनिश्चित कर लिया है; आवश्यक्ता है तो केवल उस अनन्त जीवन को स्वेच्छा से और व्यक्तिगत रीति से ग्रहण कर लेने की।

   जिन्होंने पापों की क्षमा और अनन्त जीवन प्राप्त कर लिया है उन का कर्तव्य है कि वे अपने रक्षक और उद्धारकर्ता के प्रति अपना धन्यवाद और कृतज्ञता दिखाने के लिए पाप में डूबते अन्य लोगों को भी उसके बारे में बताते रहें। - ऐने सेटास


जो बचाए गए हैं उन्हें अन्य लोगों को भी बचाने में योगदान देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

परन्‍तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया; जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है)। - इफिसीयों २:४-५

बाइबल पाठ: इफिसीयों २:१-१०
Eph 2:1  और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Eph 2:2  जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Eph 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्‍तान थे। 
Eph 2:4 परन्‍तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया; 
Eph 2:5  जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है)। 
Eph 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Eph 2:7  कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Eph 2:8  क्‍योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Eph 2:9  और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Eph 2:10  क्‍योंकि हम उसके बनाए हुए हैं, और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १३२-१३४ 
  • १ कुरिन्थियों ११

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

सामान्य विषय


   अमेरिका के एक हाई स्कूल के कुछ विद्यार्थी छुट्टियों में सेवाकाई के लिए जैमैका गए। वहां वे एक ऐसी संस्था में गए जो उपद्रवी किशोरों की देख-रेख के लिए थी - ऐसे किशोर जो नियम-कानून का उल्लंघन करते रहते थे और अपने माता-पिता के नियंत्रण से बाहर हो चुके थे।

   मुलाकात की यह परिस्थिति दोनो ही संसकृति के किशोरों के लिए अपारंपरिक और असुविधाजनक थी - एक दूसरे के साथ क्या बात करें? एक दूसरे से कैसे संपर्क बढ़ाएं?

   इस समस्या का उत्तर मिलने में देर नहीं लगी; उनके वहां पहुँचने के कुछ ही देर में दोनो में फुटबॉल मैच आरंभ हो गया जिसमें अमरीकी और जैमैकाई किशोरों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। इस मैच से आपसी झिझक दूर हो गई और संबंध बनाने में बहुत सुविधा हुई, तथा किशोरों की आपस में बातचीत आरंभ हो गई। एक सामान्य रुचि के विषय के माध्यम से आपसी संबंध स्थापित होना और बातचीत आरंभ होना सहज हो गया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरितों १७ में पौलुस ने सुसमाचार के प्रचार के लिए आपसी बातचीत आरंभ करने और विभाजन की दीवारें तोड़ने का नमूना दिखाया। उसने अथेनियों से, वहां की परिस्थिति के अनुसार, एक सामान्य विषय - आराधना पर बातचीत आरंभ करी। इसी प्रकार हम भी किसी सहकर्मी या पड़ौसी के साथ बातचीत आरंभ करने के लिए कोई सामान्य विषय, जैसे खेल-कूद या अन्य कोई विषय चुन सकते हैं। संपर्क के आरंभ के लिए सामान्य विषय खोज पाने की अनेक संभावनाएं हैं।

   परमेश्वर के प्रेम को लोगों तक पहुँचाने के लिए पहले उनके साथ बात-चीत के लिए एक सामान्य विषय खोज लें, और फिर देखिए कि कैसे परस्पर संकोच कि दीवारें गिरती और बातचीत आरंभ होती तथा बढ़ती है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर का प्रेम सब रुकावटें दूर कर सकता है।

क्‍योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं। 
- प्रेरितों १७:२३

बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:२२-३१
Act 17:22  तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा होकर कहा, हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो। 
Act 17:23  क्‍योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं। 
Act 17:24  जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्‍वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। 
Act 17:25  न किसी वस्‍तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्‍योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। 
Act 17:26  उस ने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है। 
Act 17:27   कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोलकर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं! 
Act 17:28  क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं। 
Act 17:29  सो परमेश्वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। 
Act 17:30   इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। 
Act 17:31  क्‍योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १२६-१२८ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१९-३३

बुधवार, 29 अगस्त 2012

शांति और स्तुति


   रॉबर्ट लौरे सोचा करते थे कि उनके द्वारा किया गया प्रचार उनके जीवन का सबसे बड़ा योगदान होगा। किंतु १९वीं शताब्दी के इस पास्टर को आज उनके द्वार लिखे गए स्तुति गीतों और उनके द्वारा बनाई गई स्तुति गीतों की धुनों के लिए स्मरण लिया जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में ५०० से भी अधिक परमेश्वर की स्तुति के गीत लिखे या गीतों की धुनें बनाईं; इन में कुछ जाने माने गीत हैं "Christ Arose", "I Need Thee Every Hour", "Shall We Gather" इत्यादि।

   सन १८६० में जब अमेरिका ग्रह युद्ध के कगार पर खड़ा था, लौरे ने एक गीत लिखा जो आस-पास की विनाशकारी परिस्थितियों पर नहीं वरन अविनाशी, अपरिवर्तनीय और अनन्त प्रभु यीशु और उसमें मिलने वाली शांति पर आधारित है। गीत के भाव कुछ इस प्रकार से हैं: "क्या हुआ यदि मेरे आराम और आनन्द के साधन जाते रहे? मेरा प्रभु और उद्धारकर्ता तो जीवित है; क्या हुआ यदि अन्धकार चारों ओर से घेर रहा है? वह अन्धकार में भी स्तुति के गीत देता है: कोई तूफान मेरे अन्दर की शांति को भंग नहीं कर सकता, जब तक मैं उस शरणस्थान में हूँ; क्योंकि मसीह स्वर्ग और पृथ्वी का प्रभु है, मैं उसकी स्तुति गाने से कैसे रुक सकता हूँ?"

   कठिनाईयों के दौर में भी परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखने वाला लौरे का विश्वास परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार द्वारा लिखे गए शब्दों का स्मरण दिलाता है: "तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं। उसका भी प्राण निकलेगा, वही भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी। क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है" (भजन १४६:३-५)।

   हमारा दृष्टिकोण निर्धारित करता है कि कठिन और विषम परिस्थितियों में हमारी प्रतिक्रिया कैसी होगी - शांति की या भय की। यदि हम भजनकार के समान इस बात पर विश्वास रखते हैं कि हमारा प्रभु सदा के लिए और पीढ़ी पीढ़ी तक राज्य करेगा (पद १०) तो लौरे के समान हम भी कह सकते हैं कि "मैं उसकी स्तुति गाने से कैसे रुक सकता हूँ?" - डेविड मैक्कैसलैंड


यदि आप मसीह के साथ तालमेल बना कर रखते हैं तो अन्धकार में भी उसका स्तुति गान कर सकते हैं।

मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा। - भजन १४६:२

बाइबल पाठ: भजन १४६
Psa 146:1  याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! 
Psa 146:2  मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।
Psa 146:3  तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं। 
Psa 146:4  उसका भी प्राण निकलेगा, वही भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।
Psa 146:5  क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। 
Psa 146:6  वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा। 
Psa 146:7  वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्धुओं को छुड़ाता है; 
Psa 146:8  यहोवा अन्धों को आंखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है। 
Psa 146:9  यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है, परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा मेढ़ा करता है।
Psa 146:10  हे सिरयोन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा। याह की स्तुति करो!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १२६-१२८ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१९-३३

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

बुद्धिमानी के उत्तर


   जब धार्मिक अगुवे व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आए और उससे पुछने लगे कि उस स्त्री के साथ क्या किया जाना चाहिए, तो प्रभु यीशु ने उन्हें तुरन्त उत्तर नहीं दिया; वरन वे नीचे झुककर भूमि पर कुछ लिखने लगे (यूहन्ना ८:६-११)। उन्होंने क्या लिखा यह तो हम नहीं जानते, परन्तु जब भीड़ उनसे पूछती ही रही तो एक छोटे वाक्य में प्रभु यीशु ने अपना उत्तर दे दिया: "...तुममें जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे" (यूहन्ना ८:७)। इस छोटे से वाक्य के थोड़े से शब्द उन धार्मिक अगुवों को उनके अपने पाप दिखाने के लिए काफी थे, और वे सब एक एक करके वहां से चले गए। प्रभु यीशु के ये शब्द आज भी संसार भर में गूंज रहे हैं और लोगों को दूसरों पर दोष देने की बजाए स्वयं अपने पापों के प्रति सचेत रहने को प्रेरित कर रहे हैं।

   इन थोड़े शब्दों के बड़े प्रभावी होने का कारण था प्रभु यीशु की अपने स्वर्गीय पिता पर सदा बने रहने वाली निर्भरता; उन्होंने अपने विषय में कहा, "...उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं" (यूहन्ना १२:५०)। काश हम सब भी प्रभु यीशु के समान सदा अपने परमेश्वर पिता पर निर्भर रहते और उसकी बुद्धिमता पर निर्भर हो कर ही हर बात का उत्तर देने वाले होते।

   यह बुद्धिमानी आरंभ होती है याकूब की पत्री में लिखे उपदेश के पालन के साथ: "...इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)। जिस धीमेपन की बात यहां करी जा रहा है वह अज्ञानता, भीतरी खोखलेपन, कायरता, लज्जा या दोषी होने के कारण होने वाली मूँह और बुद्धि की खामोशी नहीं है। यह वह खामोशी है जो परमेश्वर पर विचारमग्न रहने और उस पर ध्यान लगाए रखने से आई बुद्धिमानी द्वारा उत्पन्न होती है।

   हम से कई बार कहा जाता है कि बोलने से पहले ज़रा सा थम कर, विचार कर के, फिर बोलें। लेकिन मेरा मानना है कि उत्तर देने की प्रवृत्ति को इस स्तर से भी आगे ले जाकर, सदा परमेश्वर की सुनते रहें और उस पर निर्भर होकर उसके निर्देषों के अनुसार उत्तर देने को अपनी आदत बना लें। जब यह निर्भरता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन जाएगी, तब हमारे सभी उत्तर भी बुद्धिमानी के उत्तर होंगे। - डेविड रोपर


परमेश्वर के लिए बोलने से पहले परमेश्वर की सुनने वाले बनें।

और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं। - यूहन्ना १२:५०

बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:१-११
Joh 8:1  परन्‍तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया। 
Joh 8:2  और भोर को फिर मन्‍दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्‍हें उपदेश देने लगा। 
Joh 8:3   तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उस को बीच में खड़ी करके यीशु से कहा। 
Joh 8:4   हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है। 
Joh 8:5  व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्‍या कहता है? 
Joh 8:6  उन्‍होंने उस को परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्‍तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा। 
Joh 8:7  जब वे उस से पूछते रहे, तो उस ने सीधे होकर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे। 
Joh 8:8   और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा। 
Joh 8:9  परन्‍तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। 
Joh 8:10 यीशु ने सीधे होकर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्‍या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी। 
Joh 8:11  उस ने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १२३-१२५ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१-१८

सोमवार, 27 अगस्त 2012

निकट एवं दूर


   हमारे आंगन में सब शांत था। मैं आंगन में रखी मेज़ पर बैठी काम कर रही थी, मेरा पालतू कुत्ता मेरे निकट घास में लेट हुआ था। अचानक सूखे पत्तों में हुई सरसराहट की आवाज़ ने सब कुछ बदल डाला। कुत्ता लपक कर आवाज़ की ओर दौड़ा और शीघ्र ही एक पेड़ के चारों ओर चक्कर लगाने लगा जहां एक छोटा जीव अपनी जान बचाने के लिए थोड़ी ऊंचाई पर पेड़ से चिपका हुआ था। मैंने कुत्ते को पुकारा और वह मेरे पास आ तो गया, लेकिन उसकी आंखें उस पेड़ ही की ओर लगी हुई थीं। मेरे भरसक प्रयत्न के बावजूद वह मेरी ओर नहीं देख रहा था, उस पेड़ पर चिपके उस छोटे से जीव ने मेरे कुत्ते का पूरा ध्यान अपनी ओर खींच रखा था, और अब उसका सारा ध्यान मेरी ओर नहीं वरन उस जीव को पकड़ लेने पर ही था। शारीरिक रूप से वह मेरे निकट था परन्तु वास्तव में वह मुझ से दूर था क्योंकि उसका मन और चाह उस पेड़ पर चिपके जीव के साथ थीं, मेरे साथ नहीं।

   इस घटना ने मेरे विचार मेरे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के साथ मेरे संबंधों की ओर मोड़े; कितनी सरलता से मैं अन्य बातों में उलझकर अपना ध्यान अपने प्रभु से हटा लेती हूँ। चाहे वे प्रलोभन हों या ज़िम्मेदारियां, या फिर किसी चीज़ को पाने की लालसा हो या किसी आनन्द का मोह - ये सब उससे, जो मुझ से प्रेम करता है और सदा मेरा भला तथा मेरे लिए सर्वोत्तम ही चाहता है, मेरा ध्यान हटा सकने में सक्षम हैं। अपनी प्राथमिकताओं को सही और अपने ध्यान को अपने प्रभ यीशु की ओर लगाए रखने के लिए मुझे सदैव प्रयत्नशील रहना पड़ता है।

   एक ऐसे ही बंटे हुए ध्यान के रोग से प्रभु यीशु के समय के धार्मिक अगुवे भी ग्रसित थे (मत्ती १५:८-९)। वे परमेश्वर के मन्दिर में बने रहते थे, वहां सेवकाई करते थे और लोगों को परमेश्वर और उसके वचन की शिक्षाएं देते थे, उन्हें परमेश्वर के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियां सिखाते थे, किंतु स्वयं उनके मन परमेश्वर से कोसों दूर थे।

   यही दशा आज हम मसीही विश्वासियों की भी हो सकती है। हम भी चर्च जाने, लोगों को सिखाने, परमेश्वर के नाम से कई कार्यों में अपने आप को लगाए रखने वाले तो हो सकते हैं, और यह मानते हुए चल सकते हैं कि हम परमेश्वर के निकट हैं; किंतु हमारे मनों की अशांति और जीवन में रहने वाली बेचैनी दिखाती है कि वास्तव में हम उससे दूर हैं। यदि हमारा ध्यान हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु पर लगातार बना हुआ नहीं है तो यह सब हमारे लिए व्यर्थ कार्य हैं जिनसे ना हमें और ना दूसरों को कोई शांति या लाभ मिलेगा। जब हम अपने ध्यान व्यर्थ बातों और लालसाओं से हटा कर अपने प्रभु की ओर देखना आरंभ करेंगे और उस ही पर केंद्रित करेंगे, तब ही प्रभु यीशु हमारे मनों को एक नए उत्साह से भर कर परमेश्वर से हूई हमारी दूरी को वास्तविक निकटता में बदल सकेगा।

   यदि आज आप परमेश्वर के निकट होने के अपने प्रयासों के बावजूद भी परमेश्वर से दूर हैं, तो प्रभु यीशु की ओर देखना आरंभ कीजिए। इस दूरी को पाटने का वो ही एकमात्र रास्ता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब प्रभु यीशु हमारे जीवनों का केंद्र बिंदु होता है, अन्य सब कुछ स्वतः ही सही परिपेक्ष में आ जाता है।

मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला। - भजन ११९:३७

बाइबल पाठ: मत्ती १५:७-२०
Mat 15:7  हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की। 
Mat 15:8  कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है। 
Mat 15:9  और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्‍योंकि मनुष्य की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं। 
Mat 15:10   और उस ने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो और समझो। 
Mat 15:11   जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 
Mat 15:12  तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्‍या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई? 
Mat 15:13  उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्‍वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा। 
Mat 15:14  उन को जाने दो; वे अन्‍धे मार्ग दिखाने वाले हैं: और अन्‍धा यदि अन्‍धे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड़हे में गिर पड़ेंगे। 
Mat 15:15  यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्‍टान्‍त हमें समझा दे। 
Mat 15:16  उस ने कहा, क्‍या तुम भी अब तक ना समझ हो? 
Mat 15:17  क्‍या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्‍डास में निकल जाता है; 
Mat 15:18   पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 
Mat 15:19  क्‍योंकि कुचिन्‍ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्‍दा मन ही से निकलती है। 
Mat 15:20  यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्‍तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १२०-१२२ 
  • १ कुरिन्थियों ९

रविवार, 26 अगस्त 2012

बुज़ुर्ग या बेहतर?


   हम जानने लगते हैं कि हम उम्र में बढ़ रहे हैं जब हम कहना आरंभ कर देते हैं कि, "क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि ये व्यावासायिक खिलाड़ी कितनी कम उम्र के हैं?" और बुज़ुर्ग होने का यह निश्चित चिन्ह है जब आप अपने किसी हम-उम्र मित्र से मिलने पर उससे यह नहीं पूछते, "कैसे हो?" परन्तु, जैसे उसे देखकर अचरज हुआ हो, उस से कहते हैं, "अरे तुम तो बड़े अच्छे और स्वस्थ दिख रहे हो!"

   उम्र में बढ़ना अवश्यंभावी है, इसे टाला या रोका नहीं जा सकता। दुर्भाग्यवश हमारा समाज हमें इसे छुपाना और इससे भयभीत रहना सिखाता है। परन्तु उम्र में बढ़ना मसीही विश्वासियों के लिए अद्भुत बात है और और उनके बेहतर होते जाने का समय भी। जैसे प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा : "इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है" (२ कुरिन्थियों ४:१६)।

   जैसे कि शारीरिक चिन्ह प्रगट करते हैं कि हम उम्र में बढ़ रहे हैं, वैसे ही कुछ बातें प्रगट करती हैं कि हम बेहतर हो रहे हैं। बजाए इसके कि उम्र के साथ साथ वे अधिक चिड़चिड़ाने और खिसियाने वाले बनें, या असहनशील होते जाएं, या लोगों से प्रेमपूर्ण व्यवाहार छोड़ दें, एक प्रौढ़ मसीही विश्वासी क्षमा करने, दूसरों की चिंता और देखभाल करने तथा प्रेमपूर्ण व्यवाहार प्रदर्शित करने में और बेहतर होता जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके लिए बढ़ती उम्र अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में बढ़ते जाने की जीवन यात्रा का एक भाग ही है। इसका तात्पर्य है कि मसीही विश्वासियों के लिए समय के साथ साथ मसीह की समानता में अपने मन और अपनी प्रवृत्तियों को ढालते जाना एक स्वाभाविक बात है और उनके जीवन मसीह के चरित्र और दिल जीत लेने वाले स्वभाव को अधिकाधिक प्रतिबिंबित करते रहते हैं।

   इसलिए आइये, उम्र बढ़ने के साथ मसीह की समानता में और अधिक ढलने के अवसर का और भी अधिक लाभ उठाएं। तब हमारे मित्र तथा आस-पास वाले पहचानेंगे कि हम बुज़ुर्ग नहीं बेहतर होते जा रहे हैं। - जो स्टोवैल


मसीह के अनुयायी होने के कारण केवल बुज़ुर्ग ही ना हों, वरन साथ ही बेहतर भी होते जाएं।

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। - २ कुरिन्थियों ४:१६

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:१६-१८
2Co 4:16  इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। 
2Co 4:17  क्‍योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्‍त जीवन महिमा उत्‍पन्न करता जाता है। 
2Co 4:18  और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्‍योंकि देखी हुई वस्‍तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुएं सदा बनी रहती हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११९:८९-१७६ 
  • १ कुरिन्थियों ८

शनिवार, 25 अगस्त 2012

अभिलाषाएं


   डायना और डेव को, जब दिन गर्म हो और सूर्य चमक रहा हो तो अपनी स्की पर झील में पानी के ऊपर इधर से उधर विचरण करना अच्छा लगता है। एक सुबह जब मौसम थोड़ा ठंडा था और बादल भी थे तो डायना डेव को स्कीइंग के लिए मना नहीं सकी, इसलिए उसने अकेले ही स्कीइंग करने की ठान ली। स्कीइंग करना आरंभ करने पर उसे पता चला कि वहां झील के पानी के ऊपर बहुत ठंडा था और वह कुछ गर्मी पाने के लिए बादलों की छाया के बीच यहां-वहां चमकते सूर्य के स्थानों के पीछे स्की लेकर भागती रही, किंतु जब तक वह उस स्थान पर पहुँचती, बादल वहां भी छाया कर देते और उसे फिर से कोई ऐसा स्थान ढूंढना पड़ता जहां सूर्य चमक रहा हो। कुछ देर के बाद उसे अपने इन प्रयासों की व्यर्थता का एहसास हुआ और वह पानी से बाहर आ गई, क्योंकि जिस आनन्द की उसे अभिलाषा थी वह उसे नहीं मिला।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं राजा सुलेमान ने एक अन्य प्रकार से संतुष्टि पाने के लिए अभिलाषाओं का पीछा किया (सभोपदेशक २:१)। सभोपदेशक पुस्तक के दूसरे अध्याय के पहले ११ पदों में ही सुलेमान बताता है कि उसने संतुष्टि पाने के लिए जिन अभिलाषाओं का पीछा किया वे थीं आनन्द, विनोद, मदिरा, बुद्धि, मकान, बाग़-बग़ीचे, धन, संपत्ति, संगीत, वासना और हर प्रकार की इच्छापूर्ति। इन सब का पीछा करने और भोगने के बाद उसका निष्कर्ष था, "तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं" (सभोपदेशक २:११)। सुलेमान अपनी इस पुस्तक का आरंभ करता है सांसारिक अभिलाषाओं की व्यर्थता को बताने से, "उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है" (सभोपदेशक १:२) और इस पुस्तक के अन्त में उसका बुद्धिमतापूर्ण निष्कर्ष था, "सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा" (सभोपदेशक १२:१३, १४)।

   कहीं आप भी उन ही अभिलाषाओं के पीछे तो नहीं भाग रहे हैं जिनके पीछे राजा सुलेमान था? यदि हां, तो जान लीजिए कि यह एक व्यर्थ प्रयास है। सच्ची संतुष्टि अभिलाषाओं के पीछे भागने से नहीं केवल एकमात्र सच्चे परमेश्वर प्रभु यीशु को जानने और उसकी आज्ञाकरिता में रहने से मिलती है। व्यर्थ अभिलाषाओं के पीछे अपना जीवन व्यर्थ मत कीजिए; परमेश्वर के वचन बाइबल और उन के अनुभवों से सीखिए जो इस मार्ग पर चलकर देख चुके हैं। - ऐने सेटास


केवल परमेश्वर ही एक खाली हृदय को भर सकता है।

तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं। - सभोपदेशक २:११

बाइबल पाठ: सभोपदेशक २:१-११
Ecc 2:1  मैं ने अपने मन से कहा, चल, मैं तुझ को आनन्द के द्वारा जांचूंगा; इसलिये आनन्दित और मगन हो। परन्तु देखो, यह भी व्यर्थ है। 
Ecc 2:2  मैं ने हंसी के विषय में कहा, यह तो बावलापन है, और आनन्द के विषय में, उस से क्या प्राप्त होता है? 
Ecc 2:3  मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे। 
Ecc 2:4  मैं ने बड़े बड़े काम किए; मैं ने अपने लिये घर बनवा लिए और अपने लिये दाख की बारियां लगवाईं; 
Ecc 2:5  मैं ने अपने लिये बारियां और बाग लगावा लिए, और उन में भांति भांति के फलदाई वृक्ष लगाए। 
Ecc 2:6  मैं ने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिए कि उन से वह वन सींचा जाए जिस में पौधे लगाए जाते थे। 
Ecc 2:7  मैं ने दास और दासियां मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए; और जितने मुझ से पहिले यरूशलेम में थे उन से कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़-बकरियों का मैं स्वामी था। 
Ecc 2:8  मैं ने चान्दी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैं ने अपने लिये गवैयों और गाने वालियों को रखा, और बहुत सी कामिनियां भी, जिन से मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं।
Ecc 2:9  इस प्रकार मैं अपने से पहिले के सब यरूशलेमवासियों से अधिक महान और धनाढय हो गया; तौभी मेरी बुद्धि ठिकाने रही। 
Ecc 2:10  और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला। 
Ecc 2:11  तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्र्म को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ११९:१-८८ 
  • १ कुरिन्थियों ७:२०-४०

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

संतुष्टि


   एक कवि ने लिखा था: "मनुष्य स्वभाव ही से मूर्ख है। जब गर्म होता है तो उसे ठंडा चाहिए; जब ठंड होती है तो उसे गर्मी चाहिए। जो नहीं है, सदा ही बस वही चाहिए।" यह बात मानवीय स्वभाव का कितना सटीक चित्रण है।

   इसलिए जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पियों ४:११ में लिखी गई बात "यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्‍योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं" पढ़ते हैं तो अचरज के साथ यह कह उठना कि, "क्या यह संभव है?" स्वाभाविक ही है।

   पौलुस के लिए यह संभव था; फिलिप्पियों ४:१२-१३ जीवन के प्रति पौलुस के रवैये को बताता है: "मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।" परमेश्वर के साथ पौलुस का संबंध उसके पास सांसारिक बातों के होने या ना होने पर निर्भर नहीं था; उसकी संतुष्टि परिस्थितियों पर नहीं वरन उसके उद्धारकर्ता और प्रभु यीशु के साथ संबंध पर आधारित थी।

   पौलुस स्मरण दिलाता है कि संतुष्टि रातों-रात नहीं आ जाती; यह एक ऐसी बात है जो व्यक्तिगत अनुभव से समझी-सीखी जाती है। समय और अनुभवों के साथ जैसे जैसे परमेश्वर के साथ हमारा संबंध प्रगाढ़ और स्थिर होता जाता है, हम अपने आप पर कम और परमेश्वर पर अधिक भरोसा करना सीखते जाते हैं और फिर हमारी निर्भरता अपनी नहीं वरन उसकी सामर्थ पर हो जाती है। पौलुस यह बात जान चुका था, और इसीलिए वह अपनी हर परिस्थिति और आवश्यक्ता के लिए अपने प्रभु और उद्धारकर्ता पर निर्भर रहता था, उससे सामर्थ प्राप्त करता था।

   आज आपकी कोई भी परिस्थिति या आवश्यक्ता क्यों ना हो उद्धाकर्ता प्रभु यीशु पर विश्वास करने और प्रार्थना के द्वारा हर बात के लिए सामर्थ और संतुष्टि आपके लिए उपलब्ध है। - एल्बर्ट ली


हमें संतुष्टि भी वहीं से मिलती है जहां से उद्धार मिलता है - प्रभु यीशु से।

हर बात में धन्यवाद करो: क्‍योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्‍छा है। - १ थिस्सुलुनिकीयों

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:४-१३
Php 4:4  प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Php 4:5   तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Php 4:6  किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Php 4:7  तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षित रखेगी।
Php 4:8   निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Php 4:9   जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
Php 4:10  मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Php 4:11  यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्‍योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Php 4:12  मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Php 4:13   जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११६-११८
  • १ कुरिन्थियों ७:१-१९

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

बचपन से आरंभ


   हम लोग रात्रि के भोजन के लिए एकत्रित होकर बैठे ही थे, कि हमारी ३ वर्षीय पोती चिंतित स्वर में बोल उठी - "हमने अभी भोजन के लिए ध्न्यवाद की प्रार्थना नहीं करी है!" हमने देखा कि एक व्यक्ति ने बैठते ही कुछ खाना आरंभ कर दिया था, जो हमारी पोती के लिए अनहोना और परेशानी का कारण था; क्योंकि वह जानती थी कि परमेश्वर को धन्यवाद दिए बिना हम भोजन आरंभ नहीं करते।

   उसकी यह चिंता एक अच्छा संकेत था; इससे यह पता चल रहा था कि हमारी पोती में एक अच्छी आदत, जो उसने अपने जीवन के आरंभ से अपने परिवार में देखी और सीखी थी, घर करना आरंभ कर चुकी थी और यह उसके जीवन भर उसके साथ रहेगी। यह छोटी सी बात उसे अभी उसकी छोटी उम्र से ही प्रार्थना और परमेश्वर के धन्यवादी होने के महत्व को सीखने में सहायक है, जो आगे चलकर उसे जीवन कि कई जटिल परिस्थितियों में सहायता और शांति पाने का मार्ग होगा।

   आज के इस समय में जब हर बात में मसीही विश्वास का कड़ा विरोध संसार भर में हो रहा है, बच्चों को मसीही विश्वास की शिक्षाओं के साथ बड़ा करना सरल नहीं है। कई माता-पिता चिंतित रहते हैं कि कैसे बच्चों को अपने प्रभु पर विश्वास करना और उसके भय में जीना सिखाएं, कैसे परमेश्वर के प्रति सही रवैया उनके मनों में डालें। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक इस में सहायक है। नीतिवचन की शिक्षाएं सिखातीं हैं माता-पिता द्वारा दिए गए श्रेष्ठ निर्देश इस बात की कुंजी हैं (नीतिवचन १:८)। वैसे तो ये बातें किसी भी उम्र में सीखी-सिखाई जा सकती हैं किंतु बचपन ही से माता-पिता द्वारा बच्चों को बुद्धि कि बात सुनने (नीतिवचन २:२), यत्न से समझ-बूझ प्राप्त करने (नीतिवचन २:३), परमेश्वर के भय को मानने (नीतिवचन २:५), माता-पिता की शिक्षाओं को स्मरण रखने (नीतिवचन ३:१), भले-बुरे को समझने की शिक्षाएं दी जानीं चाहिएं (नीतिवचन ४:१-४) जिससे आती उम्र में वे परमेश्वर की निकटता और उसके वचन कि आज्ञाकारिता में स्थिर खड़े रह सकें।

   यदि आपके पास बच्चे या नाती-पोते हैं उन्हें इन भली शिक्षाओं को सिखाना बचपन ही से आरंभ कर दीजिए। आज का बोया-सींचा हुआ अच्छा बीज कल उनके जीवन में भले फल लाएगा। - डेव ब्रैनन


आपके बच्चों के कल का चरित्र, उनके जीवनों में आज बोई गई बातों पर निर्भर करता है।

हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,...तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। नीतिवचन २:१,५

बाइबल पाठ: नीतिवचन २
Pro 2:1  हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, 
Pro 2:2  और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; 
Pro 2:3  और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, 
Pro 2:4  ओर उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे; 
Pro 2:5  तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। 
Pro 2:6  क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। 
Pro 2:7  वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है। 
Pro 2:8  वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है। 
Pro 2:9  तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा; 
Pro 2:10  क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तुझे मनभाऊ लगेगा; 
Pro 2:11  विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा, और समझ तेरी रक्षक होगी; 
Pro 2:12  ताकि तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहने वालों से बचाए, 
Pro 2:13  जो सीधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें; 
Pro 2:14  जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं; 
Pro 2:15  जिनकी चालचलन टेढ़ी मेढ़ी और जिनके मार्ग बिगड़े हुए हैं।
Pro 2:16  तब तू पराई स्त्री से भी बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है, 
Pro 2:17  और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती, और जो अपने परमेश्वर की वाचा को भूल जाती है।
Pro 2:18  उसका घर मृत्यु की ढलान पर है, और उसी डगरें मरे हुओं के बीच पहुंचाती हैं? 
Pro 2:19  जो उसके पास जाते हैं, उन में से कोई भी लौट कर नहीं आता, और न वे जीवन का मार्ग पाते हैं।
Pro 2:20  तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल, और धमिर्यों की बाट को पकड़े रह। 
Pro 2:21  क्योंकि धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे। 
Pro 2:22  दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे, और विश्वासघाती उस में से उखाड़े जाएंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११३-११५ 
  • १ कुरिन्थियों ६

बुधवार, 22 अगस्त 2012

विश्वासयोग्य


   लेखक सी. एस. ल्युइस द्वारा एक काल्पनिक मायावी देश ’नारनिया’ पर आधारित लिखे गए बच्चों के उपन्यास मसीही विश्वास के सत्य को चित्रित करते हैं। इस श्रंखला में ’प्रिंस कैस्पियन’ कहानी है एक अत्याचारी और क्रूर राजा की जिसने नारनिया की गद्दी हथिया ली। राजा के भतीजे छोटे राजकुमार कैस्पियन ने नारनिया के एक महान सम्राट के बारे में सुना है जो बुराई की सामर्थ को तोड़ने के लिए मरकर फिर से जी उठा। क्रूर राजा इस महान सम्राट की बातों को काल्पनिक कहानी कहकर उसकी उपेक्षा करता है, किंतु राजकुमार कैस्पियन उसकी सत्यता को जता देता है।

   इस कहानी में लेखक ल्युइस का उद्देश्य था यह दिखाना कि कैसे प्रभु यीशु को लोग प्राचीन किंवदन्ति कहकर उपेक्षा करते हैं, किंतु वह सत्य है। बाइबल संबंधी आधुनिक पुरतत्व-विशेषज्ञों की खोजों ने ऐतिहासिक प्रमाणों द्वारा यह प्रमाणित कर दिया है कि प्रभु यीशु का आलौकिक जीवन कोई कल्पना नहीं वरन ऐतिहासिक सत्य है। ब्रिटिश म्युज़ियम के भूतपूर्व निर्देशक सर फ्रेडरिक केन्यन भी परमेश्वर के वचन बाइबल की विश्वासयोग्यता के संबंध में यही विश्वास रखते थे; उन्होंने लिखा, "नए नियम कि पुस्तकों की वास्तविकता और खराई अब प्रमाणित मानी जा सकती है।"

   प्रेरितों ने भी प्रभु यीशु के जीवन के बारे में यही कहा था; प्रेरित पतरस ने लिखा, "क्‍योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था वरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था" (२ पतरस १:१६)। प्रेरित युहन्ना ने भी लिखा, "उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा और हाथों से छूआ" (१ युहन्ना १:१)।

   इसमें किसी सन्देह या अविश्वास की गुंजाइश नहीं है कि प्रभु यीशु के जीवन, मरण और पुनरुत्थान का वृतांत एक सच्ची और प्रमाणित घटना है और वही पापों से क्षमा देने वाला उद्धारकर्ता परमेश्वर है। - डेनिस फिशर


इस परिवर्तनशील संसार में आप परमेश्वर के अपरिवर्तनीय वचन बाइबल पर भरोसा रख सकते हैं।

यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ। - १ युहन्ना १:२

बाइबल पाठ: २ पतरस १:१२-१९; १ युहन्ना १:१-७
2Pe 1:12   इसलिये यद्यपि तुम ये बातें जानते हो, और जो सत्य वचन तुम्हें मिला है, उस में बने रहते हो, तौभी मैं तुम्हें इन बातों की सुधि दिलाने को सर्वदा तैयार रहूंगा। 
2Pe 1:13   और मैं यह अपने लिये उचित समझता हूं, कि जब तक मैं इस डेरे में हूं, तब तक तुम्हें सुधि दिला कर उभारता रहूं। 
2Pe 1:14  क्‍योंकि यह जानता हूं, कि मसीह के वचन के अनुसार मेरे डेरे के गिराए जाने का समय शीघ्र आने वाला है। 
2Pe 1:15  इसलिये मैं ऐसा यत्‍न करूंगा, कि मेरे कूच करने के बाद तुम इन सब बातों को सर्वदा स्मरण कर सको। 
2Pe 1:16  क्‍योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था वरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था। 
2Pe 1:17   कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिस से मैं प्रसन्न हूं। 
2Pe 1:18  और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्‍वर्ग से यही वाणी आते सुना। 
2Pe 1:19  और हमारे पास जो भविष्यद्वक्ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा है और तुम यह अच्‍छा करते हो, कि जो यह समझ कर उस पर ध्यान करते हो, कि वह एक दीया है, जो अन्‍धियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे, और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे। 

1Jn 1:1  उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा, और हाथों से छूआ। 
1Jn 1:2 (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)। 
1Jn 1:3  जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो, और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। 
1Jn 1:4 और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्‍द पूरा हो जाए।। 
1Jn 1:5 जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है कि परमेश्वर ज्योति हैं: और उस में कुछ भी अन्‍धकार नहीं। 
1Jn 1:6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्‍धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते। 
1Jn 1:7  पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु मसीह का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११०-११२ 
  • १ कुरिन्थियों ५

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

वायदे


   जब कोई लंबी सांस भर कर दुखी आवाज़ में कहता है, ’वायदे-वायदे’ तो अधिकांशतः यह किसी के द्वारा उससे किया गया वायदा पूरा ना करने के कारण होता है। यह जितना अधिक गंभीर या जितनी अधिक बार होता है, उतनी ही गहरी आह उस टूटे वायदे के लिए भरी जाती है।

   क्या आपको कभी ऐसा लगा कि परमेश्वर ने अपने वायदे पूरे नहीं किए? यह एक विचार बनकर आरंभ होता है और धीरे धीरे बढ़कर प्रवृत्ति का रूप ले लेता है। परमेश्वर के वचन बाइबल का महान नायक ईब्राहिम, जिसे बाइबल में ’विश्वासियों का पिता’ और जिसके परमेश्वर मे दृढ़ विश्वास को उसकी धार्मिकता माना गया, भी इससे अछूता नहीं था।

   परमेश्वर ने इब्राहिम से वायदा किया, "और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा" (उत्पत्ति १२:२), और इसके २५ वर्ष के बाद उसका उत्तराधिकारी पुत्र इसहाक पैदा हुआ (उत्पत्ति २१:५)। इस २५ वर्ष के समय में इब्राहिम ने सन्तान ना होने के लिए अपनी निराशा व्यक्त करी और परमेश्वर से प्रश्न किया (उत्पत्ति १५:२); अपनी पत्नि सारा के कहने पर सारा की दासी के द्वारा एक पुत्र भी पाया (उत्पत्ति १६:१५)।

   इन सभी उतार-चढ़ावों में परमेश्वर अपने वायदे के बारे में इब्राहिम को स्मरण दिलाता रहा और उससे कहता रहा कि वह परमेश्वर के साथ विश्वासयोग्यता से चलता रहे, अपने विश्वास को डगमगाने ना दे (उत्पत्ति १७:२)।

   जब कभी हम बाइबल में दिए गए परमेश्वर के किसी वायदे पर विश्वास करके उसे अपने जीवन में मांग लेते हैं, चाहे वह मन की शांति के लिए हो, साहस के लिए हो, अथवा हमारी किसी आवश्यक्ता की पूर्ति के लिए हो, तब हम अपने आप को परमेश्वर के हाथों में और उसके समयानुसार वायदे की पूर्ति के लिए समर्पित कर देते हैं। परमेश्वर के समय की प्रतीक्षा करते हुए हमें प्रतीत हो सकता है कि वह हमें भूल गया है, किंतु वह अपनी प्रतिज्ञाओं में विश्वासयोग्य और कभी ना भूलने वाला परमेश्वर है। अपने समय और अपने तरीके से वह अपना वायदा अवश्य पूरा करेगा, और जिस रीति से पूरा करेगा वह हमारे लिए सर्वोत्तम और सबसे अधिक लाभकारी होगी।

   वायदे का निश्चय हमारे मनों में और पूर्ति का समय परमेश्वर के हाथों में रहता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर का प्रत्येक वायदा उसके ज्ञान, सामर्थ और प्रेम पर आधारित रहता है।

सो सारा को इब्राहीम से गर्भवती हो कर उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्त समय पर जो परमेश्वर ने उस से ठहराया था एक पुत्र उत्पन्न हुआ। - उत्पत्ति २१:२

बाइबल पाठ: उत्पत्ति १२:१-४; २१:१-७
Gen 12:1  यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा। 
Gen 12:2  और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा। 
Gen 12:3  और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा, और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे। 
Gen 12:4  यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था। 
Gen 21:1  सो यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही सारा की सुधि लेके उसके साथ अपने वचन के अनुसार किया। 
Gen 21:2  सो सारा को इब्राहीम से गर्भवती होकर उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्त समय पर जो परमेश्वर ने उस से ठहराया था एक पुत्र उत्पन्न हुआ। 
Gen 21:3  और इब्राहीम ने अपने पुत्र का नाम जो सारा से उत्पन्न हुआ या इसहाक रखा। 
Gen 21:4  और जब उसका पुत्र इसहाक आठ दिन का हुआ, तब उस ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उसका खतना किया। 
Gen 21:5  और जब इब्राहीम का पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ तब वह एक सौ वर्ष का था। 
Gen 21:6  और सारा ने कहा, परमेश्वर ने मुझे प्रफुल्लित कर दिया है; इसलिये सब सुनने वाले भी मेरे साथ प्रफुल्लित होंगे। 
Gen 21:7  फिर उस ने यह भी कहा, कि क्या कोई कभी इब्राहीम से कह सकता था, कि सारा लड़कों को दूध पिलाएगी? पर देखो, मुझ से उसके बुढ़ापे में एक पुत्र उत्पन्न हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०७-१०९ 
  • १ कुरिन्थियों ४

सोमवार, 20 अगस्त 2012

परिपक्व


   एक दिन एक दुकान पर जन्मदिन की बधाई सन्देश के कार्ड देखते समय मुझे एक कार्ड दिखाई दिया जिसपर लिखा था, "बचपन सब के लिए एक ही बार आता है किंतु कुछ लोगों के लिए बचपना सारी उम्र बना रहता है।" इस कार्ड का सन्देश मुझे बड़ा रोचक लगा; बचपन की बातों में बने रहने और कभी बड़े ना होने में कुछ आकर्षक लगता है। लेकिन हम सभी जानते हैं कि सदा अपरिपक्व रहना भी ठीक नहीं है, और उम्र के साथ यदि परिपक्वता ना हो तो यह चिंता का विषय बन जाता है।

   मसीही विश्वासियों को भी अपने विश्वास में परिपक्व होना अनिवार्य है। पापों के पश्चाताप और क्षमा तथा नए जन्म के बाद जब हम प्रभु यीशु के अनुयायी बनते हैं तो अत्मिक बचपने से परिपक्वता और प्रौढ़ होना भी हम में दिखना चाहिए। परमेश्वर का वचन हम विश्वासियों को चुनौती देता है कि प्रभु की समानता में बढ़ने और परिपक्व होने में प्रयत्नशील रहें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में समस्याओं से भरी कुरिन्थुस की मण्डली को प्रेरित पौलुस ने लिखा कि उनकी समस्याओं की जड़ उनकी आत्मिक अपरिपक्वता में है: "हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं" (१ कुरिन्थियों ३:१)।

   हम कैसे आत्मिक बचपन से मसीही परिपक्वता में आ सकते हैं? प्रेरित पतरस ने लिखा, "पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ" (२ पतरस ३:१८)। यह बढ़ना परमेश्वर के वचन पर मनन करने और प्रार्थना करने में समय बिताने के द्वारा होता है (भजन ११९:९७-१०४; प्रेरितों १:१४)।

   समस्याओं से भरी कुरिन्थुस की उस अपरिपक्व मण्डली के समान, क्या हमारे जीवनों की समस्याओं का कारण हमारी आत्मिक अपरिपक्वता तो नहीं? कहीं यह हमारे अपरिपक्वता से परिपक्वता की ओर बढ़ने का समय तो नहीं? - बिल क्राउडर


जब विश्वास को सींचा जाता है तो आत्मिक वृद्धि होती है।

हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं। - १ कुरिन्थियों ३:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:१-१७
1Co 3:1  हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं। 
1Co 3:2  में ने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न न खिलाया; क्‍योंकि तुम उस को न खा सकते थे; वरन अब तक भी नहीं खा सकते हो। 
1Co 3:3  क्‍योंकि अब तक शारीरिक हो, इसलिये, कि जब तुम में डाह और झगड़ा है, तो क्‍या तुम शारीरिक नहीं और मनुष्य की रीति पर नहीं चलते? 
1Co 3:4  इसलिये कि जब एक कहता है, कि मैं पौलुस का हूं, और दूसरा कि मैं अपुल्लोस का हूं, तो क्‍या तुम मनुष्य नहीं? 
1Co 3:5  अपुल्लोस क्‍या है? और पौलुस क्‍या? केवल सेवक, जिन के द्वारा तुम ने विश्वास किया, जैसा हर एक को प्रभु ने दिया। 
1Co 3:6  मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्‍तु परमेश्वर ने बढ़ाया। 
1Co 3:7  इसलिये न तो लगाने वाला कुछ है, और न सींचने वाला, परन्‍तु परमेश्वर जो बढ़ाने वाला है। 
1Co 3:8  लगाने वाला और सींचने वाला दानों एक हैं; परन्‍तु हर एक व्यक्ति अपने ही परिश्रम के अनुसार अपनी ही मजदूरी पाएगा। 
1Co 3:9  क्‍योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो। 
1Co 3:10  परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार, जो मुझे दिया गया, मैं ने बुद्धिमान राजमिस्त्री की नाईं नेव डाली, और दूसरा उस पर रद्दा रखता है; परन्‍तु हर एक मनुष्य चौकस रहे, कि वह उस पर कैसा रद्दा रखता है। 
1Co 3:11  क्‍योंकि उस नेव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता। 
1Co 3:12  और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्‍दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है। 
1Co 3:13  तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा, क्‍योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है? 
1Co 3:14   जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा। 
1Co 3:15  और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्‍तु जलते जलते।
1Co 3:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? 
1Co 3:17  यदि कोई परमेश्वर के मन्‍दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्‍योंकि परमेश्वर का मन्‍दिर पवित्र है, और वह तुम हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०५-१०६ 
  • १ कुरिन्थियों ३


रविवार, 19 अगस्त 2012

प्रेर्णा स्त्रोत


   पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में मोज़ार्ट का नाम उनकी संगीत की अद्भुत प्रतिभा के लिए विख्यात है। अपनी एक संगीत रचना के लिए उन्हें प्रेर्णा एक पक्षी के चहचहाने से मिली। उनके पास एक पाला हुआ पक्षी था, जिसके चहचहाने की धुन से वे इतना प्रभावित हुए कि उस चहचहाने की आवाज़ में जो धुन उन्हें सुनाई दी, उसपर आधारित करके उन्होंने एक संगीत खण्ड की रचना कर डाली।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि भजनकार भी पक्षियों और प्रकृति से प्रभावित हुए, और उनके गुणों से प्रेर्णा पाकर परमेश्वर की आराधना के भजन लिखे। भजन १०४ का लेखक परमेश्वर की स्तुति करता है संसार के जीवित प्राणियों के लिए और उसके द्वारा उनकी देखभाल के लिए। आकाश में उड़ते और पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर गाते पक्षी तथा प्रकृति ने भजनकार के मन को परमेश्वर की आराधना से भर दिया। पूरा भजन १०४ सृष्टि में विदित परमेश्वर के कार्यों पर लिखा गया है और उसकी आराधना के लिए प्रेरित करता है।

   सृष्टि में जो अद्भुत बातें हम देखते हैं, वे हमें सृष्टिकर्ता के अद्भुत व्यक्तित्व और सामर्थ को स्मरण कराती हैं। यह विष्य-वस्तु परमेश्वर के वचन में बार बार दोहराई गई है। भजन १९ के लेखक ने लिखा "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन १९:१)। सृष्टि से सृष्टिकर्ता की आराधना की प्रेर्णा केवल दिखाई देने वाली वस्तुओं से ही नहीं मिलती, सृष्टि में फैले संगीत से भी उसकी आराधना की प्रेर्णा मिलती है। अपने प्रतिदिन के कार्यों में हम अपने आस-पास परमेश्वर द्वारा विभिन्न जीव-जन्तुओं और प्रकृति में डाले गए संगीत को सुन सकते हैं, जो फिर हमारे लिए सृष्टिकर्ता की आराधना करने की प्रेर्णा का स्त्रोत बन जाता है। - डेनिस फिशर


समस्त सृष्टि एक महान संगीत मण्डली है जिसका संचालक परमेश्वर है।

उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। - भजन १०४:१२

बाइबल पाठ: भजन १०४:१-१३
Psa 104:1  हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है, 
Psa 104:2  जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है, 
Psa 104:3  जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है, 
Psa 104:4  जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।
Psa 104:5  तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए। 
Psa 104:6  तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया। 
Psa 104:7  तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया। 
Psa 104:8  वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था। 
Psa 104:9  तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिर कर स्थल को ढांप सकता है।
Psa 104:10  तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं, 
Psa 104:11  उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं। 
Psa 104:12  उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। 
Psa 104:13  तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०३-१०४ 
  • १ कुरिन्थियों २

शनिवार, 18 अगस्त 2012

लीक और नित्यक्रम


   ग्रीष्म ऋतु मेरी सबसे चहेती ऋतु है क्योंकि इस ऋतु में मैं फुरसत के साथ कार्य कर सकती हूँ। मुझे पहले से निर्धारित नित्यक्रम का सिलसिला तोड़कर आराम से काम करने में कोई परेशानी नहीं होती। यह वह समय भी होता है जब मैं कुछ नए कार्य कर सकती हूँ, कुछ नई जगह देख और घूम सकती हूँ और मन्द गति से नज़ारों और बातों का आनन्द लेते हुए अपनी आत्मा और जीवन के प्रति उत्साह को पुनः ताज़ा कर सकती हूँ।

   किंतु यह समय खतरनाक भी हो सकता है, जिसमें पहले से बनी हुई कुछ अच्छी आदतें टूट सकती हैं। कुछ आदतें अच्छी होती हैं, वे हमारी कार्यकुशलता बढ़ाती हैं, और तय करतीं हैं कि आवश्यक कार्य समय पर किए जाएं। आखिरकर कुछ बातों के लिए निर्धारित लीक के अनुसार कार्य होने आवश्यक हैं नहीं तो संसार बहुत अव्यवस्थित हो जाएगा। यह सृष्टि एक निर्धारित लीक के अनुसार कार्य करने के लिए बनाई गई है और इस सृष्टि का भाग होने के कारण हमें भी कुछ बातों में निर्धारित लीक के अनुसार कार्य करना होता है, जैसे हमें समय पर सोना और भोजन लेना आवश्यक है।

   कभी कभी हम नित्यक्रम को लीक बना लेने के बारे में वैध चेतावनियाँ सुनते हैं, परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि कुछ बातों के लिए निर्धारित समय होना भला है। दाऊद ने लिखा कि उसके लिए परमेश्वर की उपासना करने और उससे मार्गदर्शन पाने के लिए प्रातः का समय ही सही समय है (भजन ५:३; १४३:८)। बाइबल के एक और नायक दानिय्येल ने दिन में तीन बार प्रार्थना करना ठान रखा था और मृत्यु दण्ड का भय भी उसे इस नित्यक्रम से डिगा नहीं सका (दानिय्येल ६:१०)।

   जब हम अवकाश के समय में हों तो हमें परमेश्वर के साथ समय बिताने में लापरवाह नहीं हो जाना चाहिए। यह एक ऐसा नित्यक्रम है जिसकी लीक से हटना ठीक नहीं है। आत्मिक भोजन को नियमित रूप से ग्रहण करते रहना प्रत्येक ऋतु में एक समान ही आवश्यक रहता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह ४०:३१

अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं। - भजन १४३:८

बाइबल पाठ: दानिय्येल ६:१-१०
Dan 6:1  दारा को यह अच्छा लगा कि अपने राज्य के ऊपर एक सौ बीस ऐसे अधिपति ठहराए, जो पूरे राज्य में अधिकार रखें। 
Dan 6:2  और उनके ऊपर उस ने तीन अध्यक्ष, जिन में से दानिय्येल एक था, इसलिये ठहराए, कि वे उन अधिपतियों से लेखा लिया करें, और इस रीति राजा की कुछ हानि न होने पाए। 
Dan 6:3  जब यह देखा गया कि दानिय्येल में उत्तम आत्मा रहती है, तब उसको उन अध्यक्षों और अधिपतियों से अधिक प्रतिष्ठा मिली; वरन राजा यह भी सोचता था कि उसको सारे राज्य के ऊपर ठहराए। 
Dan 6:4  तब अध्यक्ष और अधिपति राजकार्य के विषय में दानिय्येल के विरूद्ध दोष ढूंढ़ने लगे; परन्तु वह विश्वासयोग्य था, और उसके काम में कोई भूल वा दोष न निकला, और वे ऐसा कोई अपराध वा दोष न पा सके। 
Dan 6:5  तब वे लोग कहने लगे, हम उस दानिय्येल के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ और किसी विषय में उसके विरूद्ध कोई दोष न पा सकेंगे।
Dan 6:6  तब वे अध्यक्ष और अधिपति राजा के पास उतावली से आए, और उस से कहा, हे राजा दारा, तू युगयुग जीवित रहे। 
Dan 6:7  राज्य के सारे अध्यक्षों ने, और हाकिमों, अधिपतियों, न्यायियों, और गवर्नरों ने भी आपास में सम्मति की है, कि राजा ऐसी आज्ञा दे और ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई, हे राजा, तुझे छोड़ किसी और मनुष्य वा देवता से बिनती करे, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाए। 
Dan 6:8  इसलिये अब हे राजा, ऐसी आज्ञा दे, और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर, जिस से यह बात मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार अदल-बदल न हो सके। 
Dan 6:9  तब दारा राजा ने उस आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
Dan 6:10  जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १००-१०२ 
  • १ कुरिन्थियों १

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

सच्ची समृद्धि


   कुछ वर्ष पहले सिटीकोर्प नामक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की बैंक संस्था ने धन और जीवन से संबंधित विज्ञापनों की एक श्रंखला चलाई। उनके विज्ञापनों में जो लिखा था उसके उदाहरण हैं: "धन एक से दूसरा हाथ बदलता रहता है - ध्यान रखिए, यह कहीं आपको ही ना बदल दे"; "यदि लोग कहने लगें कि आप पैसे से बने हैं, तो आपको अपने व्यक्तित्व पर ध्यान देने और उसे सुधारने की आवश्यकता है।" ऐसे विज्ञापन धन और समृद्धि के बारे में समाज को सोचने पर बाध्य करते हैं और एक नया दृष्टिकोण देते हैं।

   धन और सांसारिक समृद्धि को लेकर परमेश्वर का भी एक दृष्टिकोण है। उसके दृष्टिकोण से, सांसारिक संपदा में आप भरपूरी से हो सकते हैं किंतु आत्मिक रीति से बिलकुल कंगाल। या, आप सांसारिक रीति से कंगाल किंतु परमेश्वर के मापदण्डों पर अति संपन्न हो सकते हैं।

   चरित्र और व्यक्तित्व को बिगाड़ सकने की धन की इस सामर्थ से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई धनी युवक की घटना स्मरण हो आती है: एक धनी और ’धार्मिक’ प्रवृति का किंतु जीवन से असंतुष्ट नवयुवक प्रभु यीशु के पास आया कि जान सके उसे अनन्त जीवन पाने के लिए लिए क्या करना चाहिए। उसकी बात सुनने और उससे बातचीत के बाद प्रभु यीशु ने उस से कहा कि उसे अपना सारा धन निर्धनों में दान करके प्रभु के पीछे हो लेना चाहिए। लेकिन यह उस धनी व्यक्ति को स्वीकार्य नहीं था और वह निराश होकर मुँह लटकाए हुए चला गया। इसपर, "यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!" (मरकुस १०:२३)

   ऐसा नहीं है कि परमेश्वर और प्रभु यीशु धन-दौलत के विरोधी हैं; किंतु वे धन को मनुष्य के जीवन में परमेश्वर से अधिक महत्वपूर्ण स्थान देने के विरुद्ध हैं। हम मेहनत करके धन कमा सकते हैं, किंतु यदि यह धन कमाने की लालसा हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य बन जाती है और परमेश्वर का स्थान हमारे जीवनों में महत्वहीन हो जाता है तो बात चिंताजनक है क्योंकि तब हम सांसारिक समृद्धि किंतु आत्मिक कंगाली में आ जाते हैं। बेहतर हो कि आत्मिक समृद्धि किंतु सांसारिक कंगाली में रहें जिससे हमारा अनन्त काल कंगाली का ना हो।

   सच्ची समृद्धि पानी है तो प्रभु यीशु को जीवन में प्रथम स्थान दीजिए, तब सांसारिक और आत्मिक दोनो संपन्नता आपके साथ रहेंगीं। - जो स्टोवैल


सावधान, धन या धन की लालसा कहीं आपको परमेश्वर के मार्ग से भटका न दे।

यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! - मरकुस १०:२३

बाइबल पाठ: मरकुस १०:१७-३०
Mar 10:17  और जब वह निकल कर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्‍त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्‍या करूं?
Mar 10:18  यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्‍यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर। 
Mar 10:19  तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। 
Mar 10:20  उस ने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं। 
Mar 10:21  यीशु ने उस पर दृष्‍टि कर के उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्‍वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले। 
Mar 10:22  इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्‍योंकि वह बहुत धनी था। 
Mar 10:23  यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mar 10:24  चेले उस की बातों से अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बालको, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिये परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mar 10:25  परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!
Mar 10:26  वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे तो फिर किस का उद्धार हो सकता है? 
Mar 10:27 यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्‍तु परमेश्वर से हो सकता है; क्‍योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है। 
Mar 10:28  पतरस उस से कहने लगा, कि देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं। 
Mar 10:29  यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या लड़के-बालों या खेतों को छोड़ दिया हो। 
Mar 10:30 और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहिनों और माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर, उपद्रव के साथ और परलोक में अनन्‍त जीवन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९७-९९
  •  रोमियों १६

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

प्रेम से पहचान


   "आपको उन्हें अप्रसन्न करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। स्वभाव ही से वे बहुत क्षमाशील, विचारशील और समझ-बूझ वाले होते हैं। वे कभी हताश नहीं होते और भिन्न लोगों के भिन्न दृष्टिकोण होने की संभावनाओं को समझते हैं। वे क्रोध करने में धीमे, क्षमा करने में तत्पर और उतावली में निर्णय करने से बचने वाले होते हैं और सदा ही प्रेम के साथ व्यवहार करते हैं।"

   काश यह बातें सभी मनुष्यों, विशेषतः मसीही विश्वासियों के संबंध में कही गई होतीं और उनके लिए सदा सत्य होतीं! ये बातें सत्य तो हैं, किंतु कुत्ते की एक प्रजाति गोल्डन रिट्रीवर के लिए! 

   बहुत से मसीही विश्वासियों और कुछ गोल्डन रिट्रीवरों के साथ संपर्क में आने के बाद मैं यह कह सकती हूँ कि कई विश्वासी बहुत छोटी छोटी बातों पर बड़ी आसानी से अप्रसन्न हो जाते हैं - "चर्च का समूहगान संचालक एक विशेष लड़की को ही सदा एकल गाने का अवसर देता है, मुझे कभी नहीं"; "आज जब चर्च के बाद पास्टर सबसे हाथ मिला रहा था तो हाथ मिलाते समय उसने मेरी ओर देखा भी नहीं"; "मैं यहां बहुत कुछ करता हूँ, लोगों को मेरे योगदान को पहचानना चाहिए और मेरी सराहना करनी चाहिए" आदि कई बातें हैं जो आम तौर से चर्च में भी जलन, मनमुटाव और मतभेदों का कारण बन जाती हैं।

   क्रोध, घमंड, विरोध, बैर - हां मसीही विश्वासियों में भी ऐसी समस्याएं होती हैं और उनका निवारण भी आवश्यक है; किंतु क्या दूसरे ही को अपने आप को ठीक करना होता है हमें स्वयं नहीं? ज़रा विचार कीजिए कि यदि दूसरों से बदलने की आशा रखने की बजाए हम स्वयं अपने आप में बदलाव लाएं - यदि हम स्वयं लोगों के साथ वही व्यवहार करें जिसकी आशा हम उन से अपने प्रति रखते हैं (मत्ती ७:१२), यदि हम दूसरों को दोषी ठहराने और उनके दोषों का बखान करने की बजाए उन्हें क्षमा करने वाले बन जाएं (लूका ६:३७), और यदि हम थोड़ी नम्रता दिखाने वाले (फिलिप्पियों २:३) हो जाएं तो कैसा रहेगा? तब हमारा समाज और संबंध कैसे हो जाएंगे? तब हमारे अपने जीवन और हम्से होकर दूसरों के जीवन में कैसा प्रभाव होगा?

   कैसा हो यदि संसार के सामने हमारी पहचान उस प्रेम से हो जो हम एक दूसरे से रखते हैं और हमारे प्रेम से जाने कि हम प्रभु यीशु के अनुयायी हैं (यूहन्ना १३:३५)? क्या आज यह हमारे बारे में कहा जा सकता है? क्या हमारी पहचान हमारे प्रेम से है? - सिंडी हैस कैस्पर


सबसे अच्छी गवाही प्रेम की गवाही है।

यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - युहन्ना १३:३५

बाइबल पाठ: युहन्ना १३:३३-३५; १ युहन्ना २:१-११
Joh 13:33  हे बालको, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं। 
Joh 13:34  मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। 
Joh 13:35  यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।
1Jn 2:1  हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह। 
1Jn 2:2 और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। 
1Jn 2:3  यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो उस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 
1Jn 2:4  जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है, और उस में सत्य नहीं। 
1Jn 2:5  पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 
1Jn 2:6  सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। 
1Jn 2:7  हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 
1Jn 2:8 फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं, और यह तो उस में और तुम में सच्‍ची ठहरती है, कयोंकि अन्‍धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 
1Jn 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं, और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्‍धकार ही में है। 
1Jn 2:10  जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1Jn 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्‍धकार में है, और अन्‍धकार में चलता है, और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्‍योंकि अन्‍धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९४-९६ 
  • रोमियों १५:१४-३


बुधवार, 15 अगस्त 2012

सबसे सामर्थी


   ब्राज़ील और आर्जेंटीना की सीमा पर स्थित इगाज़ू जलप्रपात एक बहुत ही अद्भुत और मनोहर जलप्रपात समूह है। यह प्रपात समूह इगाज़ू नदी पर २.७ कि०मी० की दूरी में स्थित २७५ जलप्रपातों से मिलकर बना है। इस प्रपात समूह के ब्राज़ील वाले किनारे की एक दीवार पर परमेश्वर के वचन बाइबल से लिए गए भजन ९३:४ के शब्द खोद कर लिखे गए हैं : "महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है" और उनके नीचे लिखा है "परमेश्वर हमारी सब समस्याओं से अधिक सामर्थी है।"

   भजन ९३ का लेखक, जिसने राजाओं के समय में यह भजन लिखा था, जानता था कि परमेश्वर ही सब राजाओं के ऊपर राजाधिराज है। उसने लिखा, "यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है" (पद १-२)। चाहे बाढ़ का जल या पानी की लहरें कितनी भी ऊँची क्यों ना हों परमेश्वर उन सबसे ऊपर है।

   जलप्रपात का गर्जन वास्तव में प्रभावशाली होता है; किंतु जल में अनियंत्रित बहते हुए गिरने को किसी प्रपात की ओर जाना प्रभावशाली नहीं अति भयावह होता है। हो सकता है कि यही आज आपकी स्थिति भी हो। हो सकता है कि आर्थिक परिस्थितियां, शारिरिक असमर्थता, रोग और दुर्बलता, तथा पारिवार या संबंधों से जुड़ी समस्याएं आज आपको परेशान कर रही हों और आपको लग रहा हो कि आप अनियंत्रित बहते जा रहे हैं और किसी भी समय किसी विनाश में गिर सकते हैं। ऐसे में प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास सहायता के लिए एक आसरा है - उसका उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, जो "...कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है" (इफीसियों३:२०), क्योंकि वह हर समस्या से ऊपर है, सबसे सामर्थी है। - सी. पी. हीया


परमेश्वर की असीम सामर्थ को कभी अपनी सीमित संभावनाओं के आधार पर ना आंकें।

यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। - भजन ९३:१

बाइबल पाठ: भजन ९३
Psa 93:1  यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। 
Psa 93:2  हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है।
Psa 93:3  हे यहोवा, महानदों का कोलाहल हो रहा है, महानदों का बड़ा शब्द हो रहा है, महानद गरजते हैं। 
Psa 93:4  महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है।
Psa 93:5  तेरी चितौनियां अति विश्वासयोग्य हैं; हे यहोवा तेरे भवन को युग युग पवित्रता ही शोभा देती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९१-९३ 
  • रोमियों १५:१-१३

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

रहस्यमय परमेश्वर


   मैं और मेरी पत्नि एक दूसरे की कई बातों को बिलकुल समझ नहीं पाते हैं, लेकिन इससे हमारे संबंधों में कोई समस्या नहीं होती। जैसे कि, वह यह समझ नहीं पाती कि मैं कैसे घंटों बैठकर बेसबॉल की दो टीमों का मैच देखता रह सकता हूँ, जबकि मैं जानता हूँ कि उन दोनों में से कोई भी टीम प्रतियोगिता में आगे बढ़ने लायक नहीं है और ना ही बढ़ेगी; और मैं उसके बाज़ार जाने और खरीद्दारी करने के शौक को कदापि नहीं समझ पाता हूँ। लेकिन इन बातों के कारण हमारे आपसी प्रेम और ताल-मेल में कोई कमी नहीं होती।

   किसी से बेहद प्रेम करने के लिए आवश्यक नहीं है कि हम उसे पूरी तरह से समझें। यह बात को समझ लेना हमारे लिए एक लाभकारी बात होगी, क्योंकि हम परमेश्वर की सभी बातों को कभी पूर्णतः समझ नहीं सकते, यद्यपि हम उससे प्रेम करते हैं और वह हम से।

   अपनी सीमित बुद्धि और स्वार्थी दृष्टिकोण से हमें यह समझना कठिन होता है कि परमेश्वर ने जो किया वह क्यों किया या क्यों होने दिया। अपनी इन सीमाओं का बोध होते हुए भी कई लोग परमेश्वर की ओर से मुँह फेर लेते हैं क्योंकि वे किसी दुख या त्रासदी से आहत होते हैं और उस के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराते हैं। वे समझते हैं कि किसी भी परिस्थिति के लिए उनकी सीमित बुद्धि और समझ परमेश्वर की असीमित बुद्धि, भविष्य ज्ञान और समझ से बेहतर है और जैसा वे लोग चाहते या सोचते हैं परमेश्वर को भी वैसा ही करना चाहिए।

   ज़रा विचार कीजिए, यदि हम परमेश्वर को पूर्णतः समझ पाते, यदि वह हमारे लिए एक महिमित मनुष्य से अधिक और कुछ ना होता, जिसका ज्ञान और समझ एक चतुर मनुष्य के ज्ञान और समझ से अधिक नहीं है तो उसका गौरव, पराक्रम और उसका भय मानना कहां रहता? परमेश्वर को इतना महान मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि हम उसे और उसके ज्ञान को समझ नहीं पाते हैं और उसे अपने ज्ञान और बुद्धि की सीमाओं में नहीं बांध पाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों से पूछा, "क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए?" (१ कुरिन्थियों २:१६)। उत्तर स्पष्ट है कि परमेश्वर के मन को किसी ने नहीं जाना है। किंतु यह परमेश्वर की हमारे प्रति भलाई और प्रेम में कोई अंतर नहीं लाता है और ना ही यह हमारे उस में किए गए विश्वास में कोई कमी लाने का कारण होना चाहिए क्योंकि वह जो करता है हमारे भले ही के लिए करता है : "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं" (रोमियों ८:२८)। 

   चाहे परमेश्वर की विधियां और कार्य हमारे लिए रहस्यमय ही रहें, लेकिन प्रभु यीशु में होकर प्रगट हुआ हमारे प्रति उसका प्रेम और हमारे प्रति उस की विश्वासयोग्यता अटल और अनन्त काल की हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर को पूरी तरह से समझ पाना हमारे लिए असंभव हो परन्तु उस की आराधना करना हमारे लिए अनिवार्य है।

प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। - यशायाह ४६:९

बाइबल पाठ: यशायाह ४६:८-११
Isa 46:8  हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ। 
Isa 46:9  प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। 
Isa 46:10  मै तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा। 
Isa 46:11  मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करने वाले पुरूष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सफल भी करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ८९-९० 
  • रोमियों १४