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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

स्वीकार


   एक स्थानीय अखबार में एक पास्टर ने अपने जीवन से संबंधित एक घटना बताई। उस पास्टर का परिचय एक बुज़ुर्ग व्यक्ति से करवाया गया और वे दोनों बातचीत कर रहे थे; पास्टर ने एक कंपनी का नाम लेते हुए कहा, "तो आप दैनिक जीवन की वस्तुओं से संबम्धित कंपनी में कार्य करते थे।" बुज़ुर्ग व्यक्ति ने सहमति जताते हुए कहा, "जी हाँ, अवश्य।" पास्टर ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब यह बालक था तो उसके माता-पिता की भूमि से होकर उस कंपनी द्वारा बिछाए गए केबल जाया करते थे। बुज़ुर्ग ने पूछा, "आप कहाँ रहा करते थे?" जब पास्टर ने अपने बचपन के घर का पता बताया, तो बुज़ुर्ग ने उत्तर दिया, "मुझे वह स्थान अच्छे से याद है; उस जगह केबल संबंधित चेतावनी के चिन्ह लगाए रखना मेरे लिए बड़ी कठिनाई का कार्य हुआ करता था क्योंकि वहाँ के बच्चे अवसर मिलते ही उन चिन्हों को तोड़ डालते थे।" यह सुनकर जब बुज़ुर्ग ने पास्टर के चेहरे को शर्म से लाल होते देखा, तो पूछा, "तो क्या आप भी उन दंगा करते रहने वाले बच्चों में से एक थे?" पास्टर को स्वीकार करना पड़ा कि उन बच्चों में वह भी हुआ करता था।

   पास्टर ने अपनी इस कहानी का शीर्षक रखा था, "आपके चिन्ह आपको ढूँढ़ लेंगे" जो परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर द्वारा मूसा को कही गई बात तुम्हारे पाप तुम्हें ढूँढ़ लेंगे (गिनती 32:23) पर आधारित था।

   हमारी पुरानी गलतियों और पापों में हमें ढूँढ़ निकालने और पिछला हिसाब चुकता करने की क्षमता रहती है; और वे पाप जिनका निवारण नहीं किया गया है हमारे जीवनों में बड़े गंभीर परिणाम ला सकते हैं। इस बात को अनुभव करते हुए दाऊद ने भजन 32 में लिखा, "जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं" (भजन 32:3); फिर उसने आगे पापों को स्वीकार कर लेने से मिलने वाली क्षमा के विषय लिखा, "जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया" (भजन 32:5)। परमेश्वर के आगे गलतियों, बुराईयों और पापों को स्वीकार करके उनके लिए उससे क्षमा माँग लेना हमारे लिए परमेश्वर से आशीषों का मार्ग खोल देता है। - डेव ब्रैनन


जो पाप परमेश्वर हमारे लेखे से मिटा देता है, 
हम मसीही विश्वासियों को उसे अपने स्मरण से भी मिटा देना चाहिए।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: भजन 32
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। 
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। 
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 20-22
  • मरकुस 7:1-13


सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

समर्पित जीवन


   परमेश्वर के वचन बाइबल के अपने अध्ययन में दानिय्येल की पुस्तक का अध्ययन करते समय मेरा ध्यान इस बात पर गया कि दानिय्येल के लिए शेरों की माँद में फेंके जाने से बचना कितना सरल हो सकता था। दानिय्येल बेबिलौन के राजा के नीचे कार्य करने वाले मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों में से एक था, और उसके साथ के अन्य अधिकारी उससे ईर्ष्या करते थे। परमेश्वर के प्रति समर्पित और परमेश्वर से प्रार्थना करने की दैनिक दिनचर्या के आधार पर उन ईर्ष्या करने वाले अधिकारियों ने दानिय्येल के विरुद्ध षड़यंत्र रचा, कि एक महीने तक राजा को छोड़ किसी और की आराधना ना की जाए (दानिय्येल 6:1-9)। दानिय्येल उनके इस षड़यंत्र से भलि-भांति परिचित था, और वह एक महीने तक, जब तक कि हालात फिर से सामान्य ना हो जाएं, छुप कर परमेश्वर से प्रार्थना, उसकी आराधना कर सकता था। परन्तु दानिय्येल ऐसे समझौते के समर्पण वाला व्यक्ति नहीं था।

   बाइबल बताती है कि, "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल 6:10)। विपरीत परिस्थिति को आया देख कर दानिय्येल घबराया नहीं, सताव की लगभग निश्चित संभावना से वह अभिभूत नहीं हुआ, उसने परमेश्वर के साथ सौदा करने या परिस्थितियों के साथ समझौता करने का विचार भी नहीं किया, वरन जैसे वह पहले परमेश्वर के साथ समय बिताता था, इस षड़यंत्र के समय में भी वह परमेश्वर के साथ वैसे ही समय बिताता रहा।

   मेरे लिए सीखने के बात थी दानिय्येल के जीवन में परमेश्वर के प्रति दृढ़ समर्पण और प्रतिदिन उस समर्पण को निभाने का जीवन। दानिय्येल जानता था कि उसकी सामर्थ और सुरक्षा परमेश्वर ही से है, और वह प्रतिदिन परमेश्वर को ही प्रसन्न करने का जीवन व्यतीत करने में लगा रहा। जब परिस्थितियाँ विपरीत हो गईं, दानिय्येल ने अपनी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं किया; वह परमेश्वर के प्रति अपने समर्पित जीवन को पहले ही के समान व्यतीत करता रहा और परमेश्वर ने उसे बचाया भी तथा शिरोमणि भी कर दिया। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब हम प्रार्थना और आराधना में परमेश्वर के सामने झुक जाते हैं, 
तो परमेश्वर हमें अपनी महिमा के लिए खड़े होने वाला बना देता है।

तब दारा राजा ने सारी पृथ्वी के रहने वाले देश-देश और जाति-जाति के सब लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों के पास यह लिखा, तुम्हारा बहुत कुशल हो। मैं यह आज्ञा देता हूं कि जहां जहां मेरे राज्य का अधिकार है, वहां के लोग दानिय्येल के परमेश्वर के सम्मुख कांपते और थरथराते रहें, क्योंकि जीवता और युगानयुग तक रहने वाला परमेश्वर वही है; उसका राज्य अविनाशी और उसकी प्रभुता सदा स्थिर रहेगी। जिसने दानिय्येल को सिंहों से बचाया है, वही बचाने और छुड़ाने वाला है; और स्वर्ग में और पृथ्वी पर चिन्हों और चमत्कारों का प्रगट करने वाला है। और दानिय्येल, दारा और कुस्रू फारसी, दोनों के राज्य के दिनों में भाग्यवान्‌ रहा। - दानिय्येल 6:25-28

बाइबल पाठ: दानिय्येल 6:1-16
Daniel 6:1 दारा को यह अच्छा लगा कि अपने राज्य के ऊपर एक सौ बीस ऐसे अधिपति ठहराए, जो पूरे राज्य में अधिकार रखें। 
Daniel 6:2 और उनके ऊपर उसने तीन अध्यक्ष, जिन में से दानिय्येल एक था, इसलिये ठहराए, कि वे उन अधिपतियों से लेखा लिया करें, और इस रीति राजा की कुछ हानि न होने पाए। 
Daniel 6:3 जब यह देखा गया कि दानिय्येल में उत्तम आत्मा रहती है, तब उसको उन अध्यक्षों और अधिपतियों से अधिक प्रतिष्ठा मिली; वरन राजा यह भी सोचता था कि उसको सारे राज्य के ऊपर ठहराए। 
Daniel 6:4 तब अध्यक्ष और अधिपति राजकार्य के विषय में दानिय्येल के विरुद्ध दोष ढूंढ़ने लगे; परन्तु वह विश्वासयोग्य था, और उसके काम में कोई भूल वा दोष न निकला, और वे ऐसा कोई अपराध वा दोष न पा सके। 
Daniel 6:5 तब वे लोग कहने लगे, हम उस दानिय्येल के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ और किसी विषय में उसके विरुद्ध कोई दोष न पा सकेंगे।
Daniel 6:6 तब वे अध्यक्ष और अधिपति राजा के पास उतावली से आए, और उस से कहा, हे राजा दारा, तू युगयुग जीवित रहे। 
Daniel 6:7 राज्य के सारे अध्यक्षों ने, और हाकिमों, अधिपतियों, न्यायियों, और गवर्नरों ने भी आपास में सम्मति की है, कि राजा ऐसी आज्ञा दे और ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई, हे राजा, तुझे छोड़ किसी और मनुष्य वा देवता से बिनती करे, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाए। 
Daniel 6:8 इसलिये अब हे राजा, ऐसी आज्ञा दे, और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर, जिस से यह बात मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार अदल-बदल न हो सके। 
Daniel 6:9 तब दारा राजा ने उस आज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
Daniel 6:10 जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा। 
Daniel 6:11 तब उन पुरूषों ने उतावली से आकर दानिय्येल को अपने परमेश्वर के सामने बिनती करते और गिड़गिड़ाते हुए पाया। 
Daniel 6:12 सो वे राजा के पास जा कर, उसकी राजआज्ञा के विषय में उस से कहने लगे, हे राजा, क्या तू ने ऐसे आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया कि तीस दिन तक जो कोई तुझे छोड़ किसी मनुष्य वा देवता से बिनती करेगा, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाएगा? राजा ने उत्तर दिया, हां, मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार यह बात स्थिर है। 
Daniel 6:13 तब उन्होंने राजा से कहा, यहूदी बंधुओं में से जो दानिय्येल है, उसने, हे राजा, न तो तेरी ओर कुछ ध्यान दिया, और न तेरे हस्ताक्षर किए हुए आज्ञापत्र की ओर; वह दिन में तीन बार बिनती किया करता है।
Daniel 6:14 यह वचन सुनकर, राजा बहुत उदास हुआ, और दानिय्येल के बचाने के उपाय सोचने लगा; और सूर्य के अस्त होने तक उसके बचाने का यत्न करता रहा। 
Daniel 6:15 तब वे पुरूष राजा के पास उतावली से आकर कहने लगे, हे राजा, यह जान रख, कि मादियों और फारसियों में यह व्यवस्था है कि जो जो मनाही वा आज्ञा राजा ठहराए, वह नहीं बदल सकती।
Daniel 6:16 तब राजा ने आज्ञा दी, और दानिय्येल लाकर सिंहों की मान्द में डाल दिया गया। उस समय राजा ने दानिय्येल से कहा, तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, वही तुझे बचाए!

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 17-19
  • मरकुस 6:30-56


रविवार, 26 फ़रवरी 2017

दृष्टिकोण


   मेरी पत्नि परिवार से पहले तड़के ही उठ जाती है। वह परिवर के अन्य जनों के उठने से पहले के इस शान्त समय को प्रार्थना करने तथा परमेश्वर का वचन बाइबल पढ़ने में लगाती है। हाल ही में वह अपनी कुर्सी पर बैठकर ऐसा करना आरंभ ही कर रही थी कि उसका ध्यान वहाँ रखे सोफा की अस्त-व्यस्त स्थिति तथा वहाँ फैली हुई गन्दगी पर गया, जहाँ मैंने पिछली रात्रि बैठकर अपनी पसन्द का फुटबॉल का खेल देखा था और फिर बिना उसे ठीक किए ऐसे ही उठ गया था। उस अव्यवस्थित सोफा और वहाँ की गन्दगी को देखकर पहले तो वह विचलित हुई और उसका ध्यान विच्छेदित हुआ, और मुझे लेकर हुई उसकी निराशा ने परमेश्वर से बातचीत करने के उसके समय के उत्साह को भंग किया। फिर उसे कुछ ध्यान आया और उसने अपनी कुर्सी का रुख बदलकर खिड़की की ओर कर लिया जहाँ से वह एटलांटिक महासागर पर होते हुए सूर्योदय के सुन्दर दृश्य को देख सकी। उस प्रातः परमेश्वर द्वारा रचे गए उस दृश्य की सुन्दरता ने मेरे कारण बने उसके कुँठित कर देने वाले दृष्टिकोण को बदल दिया।

   बाद में जब उसने यह बात मुझे बताई, तो हम दोनों ने उस प्रातः के सीखे गए उस पाठ के महत्व को समझा। हम चाहे हमारे दिन पर प्रभाव डालने वाली हर बात को नियंत्रित ना कर सकें, फिर भी हर बात के प्रति एक चुनाव हमारे पास सदैव होता है - हम उस अस्त-व्यस्त परिस्थिति और "गन्दगी" पर ध्यान करते रह सकते हैं और कुँठित बने रह सकते हैं, या फिर अपना दृष्टिकोण बदल कर कुछ अच्छा देख सकते हैं उस से आनन्दित हो सकते हैं।

   जब प्रेरित पौलुस एथेन्स में था तो "... नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया" (प्रेरितों 17:16)। लेकिन उसने अपनी जलन में फंसे रहने की बजाए, धर्म के प्रति एथेन्स के लोगों की रुचि को अवसर बना कर उन्हें सच्चे परमेश्वर तथा सारे जगत के सभी लोगों के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के बारे में बताने के लिए प्रयोग किया।

   उस प्रातः मेरी पत्नि के काम पर जाने के बाद मेरे लिए अवसर था कि मैं प्रातः के पाठ के संदर्भ में अपना दृष्टिकोण बदलता, और परमेश्वर की सहायता से घर में मेरे द्वारा उत्पन्न की जाने अव्यवस्था को अपनी पत्नि की नज़रों से देखना और समझना सीखता। - रैंडी किलगोर


परमेश्वर के दृष्टिकोण से अपने जीवन का अवलोकन करने में ही बुद्धिमानी है।

यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता। - यिर्मयाह 20:9

बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:16-31
Acts 17:16 जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया। 
Acts 17:17 सो वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उन से हर दिन वाद-विवाद किया करता था। 
Acts 17:18 तब इपिकूरी और स्‍तोईकी पण्‍डितों में से कितने उस से तर्क करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बकवादी क्या कहना चाहता है परन्तु औरों ने कहा; वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है, क्योंकि वह यीशु का, और पुनरुत्थान का सुसमाचार सुनाता था। 
Acts 17:19 तब वे उसे अपने साथ अरियुपगुस पर ले गए और पूछा, क्या हम जान सकते हैं, कि यह नया मत जो तू सुनाता है, क्या है? 
Acts 17:20 क्योंकि तू अनोखी बातें हमें सुनाता है, इसलिये हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्या है? 
Acts 17:21 (इसलिये कि सब अथेनवी और परदेशी जो वहां रहते थे नई नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे)। 
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो। 
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं। 
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। 
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। 
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है। 
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं! 
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं। 
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। 
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। 
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-16
  • मरकुस 6:1-29


शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

प्रेम


   जब हमारे बच्चे छोटे थे तो रात को उन्हें सोने के लिए बिस्तर में लेटा कर हम उनके साथ प्रार्थना करते थे। अकसर मैं उनके बिस्तर के किनारे बैठ कर उन से बात भी करता था। मुझे स्मरण आता है कि मैं अपनी बेटी लिब्बी से कहा करता था, "यदि मैं सारे संसार की चार वर्षीय बालिकाओं को एक पंक्ति में खड़ा कर पाता, तो उस पंक्ति में खड़ी बालिकाओं में मैं तुम्हें ढूँढ़ता; और पंक्ति में खड़ी सारी बालिकाओं को देखने के बाद भी मैं तुम्हें ही अपनी बेटी होने लिए चुनता।" यह सुनकर लिब्बी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती, क्योंकि उसे एहसास होता था कि वह विशेष है।

   यदि मेरा ऐसा कहना लिब्बी के लिए खुशी और मुस्कुराहट का कारण था, तो उस अनुग्रह से भरे तथ्य के बारे में सोचिए जो सृष्टिकर्ता परमेश्वर हम से कहता है: "...परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति कर के उद्धार पाओ" (2 थिस्सलुनीकियों 2:13)। समय के आरंभ से पहले ही उसने चाहा कि हम उसके बन जाएँ। इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में बहुधा गोद लेने या लेपालक पुत्र होने के उदाहरण के द्वारा इस अद्भुत तथ्य को प्रस्तुत किया जाता है, जहाँ हम में ऐसी कोई योग्यता या किसी गुण के ना होने पर भी परमेश्वर ने हमें अपने प्रेम का पात्र होने के लिए चुन लिया, और हमें पाप से छुड़ा कर अपने परिवार का अंग बना लेने के लिए प्रभु यीशु को दे दिया।

   यह चौंका देने वाला समाचार है - परमेश्वर हम से, हम जैसे भी हैं, प्रेम करता है, हमारे साथ संगति रखने की लालसा करता है, हमें अपने परिवार में सम्मिलित कर के अपनी आशीषों से भर देना चाहता है; और उसने यह सब संभव करने का उपाय भी बना कर दे दिया है - प्रभु यीशु में लाया गया विश्वास। उसके महान प्रेम के इस अद्भुत सत्य के द्वारा हमारे जीवन नम्रता और उसके प्रति कृतज्ञता से भर जाने चाहिएं। - जो स्टोवैल


आप से प्रेम करना और आप को अपने परिवार का अंग बनाना परमेश्वर का चुनाव है।

तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। - यूहन्ना 15:16

बाइबल पाठ: 2 थिस्सलुनीकियों 2:13-17
2 Thessalonians 2:13 पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति कर के उद्धार पाओ। 
2 Thessalonians 2:14 जिस के लिये उसने तुम्हें हमारे सुसमाचार के द्वारा बुलाया, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह की महिमा को प्राप्त करो। 
2 Thessalonians 2:15 इसलिये, हे भाइयों, स्थिर रहो; और जो जो बातें तुम ने क्या वचन, क्या पत्री के द्वारा हम से सीखी है, उन्हें थामे रहो।
2 Thessalonians 2:16 हमारा प्रभु यीशु मसीह आप ही, और हमारा पिता परमेश्वर जिसने हम से प्रेम रखा, और अनुग्रह से अनन्त शान्‍ति और उत्तम आशा दी है। 
2 Thessalonians 2:17 तुम्हारे मनों में शान्‍ति दे, और तुम्हें हर एक अच्‍छे काम, और वचन में दृढ़ करे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 12-14
  • मरकुस 5:21-43


शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

बचाना


   फिल्म Man of Steel सन 2013 में प्रदर्श्न के लिए आई; यह फिल्म अलौकिक सामर्थ रखने वाले काल्पनिक पात्र सूपरमैन पर आधारित है, जिसकी कहानी पर बनी कई फिल्में पहले भी आ चुकी हैं। इस नई फिल्म में असाधारण स्पेशल-इफ़ेक्ट हैं और इसकी कहानी का एक्शन अविरल चलता रहता है। इसलिए यह फिल्म संसार भर में बहुत लोकप्रीय हुई और संसार भर में लोग इसे देखने के लिए सिनेमा घरों की ओर आकर्षित हुए। कुछ का कहना था कि इस फिल्म का आकर्षण उसमें प्रयुक्त अनूठी टेक्नौलोजी था; जबकि कुछ अन्य यह मानते थे कि सूपरमैन की कहानी के आकर्षण ने इसे इतना लोकप्रीय बनाया।

   इस फिल्म की नायिका, लोइस लेन की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री एमी एडम्स का सूपरमैन के प्रति आकर्षण के बारे में मानना है कि यह आकर्षण एक मूलभूत मानवीय आकांक्षा के कारण है - बचाए जाने की आकांक्षा। एमी ने कहा: "कौन यह नहीं मानना चाहेगा कि ऐसा एक व्यक्ति है जो हमें हर परिस्थिति में बचा सकता है, हमें हम से भी बचा सकता है?"

   यह बड़ा अद्भुत प्रश्न है; और इसका उत्तर है कि इस संसार में हमें हर परिस्थिति तथा हमें हमसे भी बचाने वाला व्यक्ति पहले ही आ चुका है, और उसका नाम है प्रभु यीशु मसीह। प्रभु यीशु के जन्म, जीवन, सेवकाई, मृत्यु और पुनरुत्थान तथा उसके जगत का उद्धारकर्ता होने के बारे में परमेश्वर के वचन बाइबल में प्राचीन काल से अनेकों भविष्यवाणियाँ दर्ज की गईं। उनके जन्म से संबंधित एक भविष्यवाणी में जिब्राइल नामक स्वर्गदूत द्वारा प्रभु यीशु के सांसारिक पिता यूसुफ से कही गई बात थी: "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21)।

   बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार प्रभु यीशु संसार में आए और अपने बलिदान तथा पुनरुत्थान द्वारा समस्त संसार के सभी मनुष्यों के लिए पापों की क्षमा तथा उद्धार का मार्ग बना कर उपलब्ध कर दिया। बचाए जाने की आकांक्षा जो सभी मनुष्यों के हृदयों में बनी रहती है, उसकी पूर्ति अन्ततः केवल प्रभु यीशु मसीह में ही होती है; क्योंकि यीशु नाम का अर्थ है "प्रभु बचाने वाला", और हमें बचाना उसके संसार में आने का उद्देश्य था। - बिल क्राउडर


यीशु का नाम और काम एक ही हैं - हमें बचाना।

क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्‌भुत, युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। - यशायाह 9:6

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 9-11
  • मरकुस 5:1-20


गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

अदृश्य संसार


   क्या आप जानते हैं कि आपके एक ही हाथ पर विद्यमान सूक्षम जीवाणुओं की संख्या संसार की कुल जनसंख्या से अधिक है? क्या आप यह भी जानते हैं कि ये जीवाणु इतने सूक्ष्म होते हैं कि सुई के छेद में ही लाखों समा सकते हैं? क्योंकि ये इतने सूक्षम होते हैं इसलिए हमें आँखों से दिखाई नहीं देते हैं; एक ही कोशिका वाले इन जीवों को देखने के लिए सूक्षमदर्शी यंत्र का उपयोग करना पड़ता है। परन्तु ये हवा, मिट्टी, पानी, हमारे तथा अन्य सभी जीव जन्तुओं के शरीर पर और शरीर के अन्दर विद्यमान होते हैं, वहाँ बढ़ते हैं, वहाँ से फैलते हैं और इनके साथ हमारा संपर्क लगातार बना रहता है। यद्यपि उनका संसार हमारी इन्द्रियों की क्षमताओं से बिलकुल परे है, वे सरलता से हमें दिखाई नहीं देते हैं, हम उनके बारे में सब कुछ पूर्ण रूप से नहीं जान पाए हैं, लेकिन उनका होना एक ऐसा यथार्थ है जिसका इन्कार नहीं किया जा सकता है।

   इसी प्रकार आत्मिक संसार की बातें भी हम मनुष्यों को दिखाई नहीं देती हैं, परन्तु उनके होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र, बिलाम नबी को भी यह बात समझनी पड़ी। सांसारिक धन-संपत्ति के लालच में आकर वह अपने दो सेवकों के साथ मार्ग पर जा रहा था; जिस गदही पर सवार होकर वह जा रहा था, "उस गदही को यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब गदही मार्ग छोड़कर खेत में चली गई; तब बिलाम ने गदही को मारा, कि वह मार्ग पर फिर आ जाए" (गिनती 22:23)। उस स्वर्गदूत से बचने के लिए वह गदही मार्ग के साथ के खेत में चली गई, और आगे संकरा मार्ग देखकर मार्ग के किनारे की दीवार के साथ बिलाम का पाँव दबा कर बैठ गई। उसकी इस बात से बिलाम क्रोधित हुआ और उसने अपनी गदही को और मारा; क्योंकि वह यह नहीं समझ पा रहा था कि कुछ अलौकिक घट रहा है - जब तक कि परमेश्वर ने उस अलौकिक को देख पाने के लिए उसकी आँखें नहीं खोल दीं (पद 31)।

   बाइबल हमें बताती है कि आत्मिक संसार विद्यमान है, और उसकी सच्चाईयों का, चाहे वे अच्छी हों या बुरी, सामना हमें यदा-कदा करना ही पड़ता है (इब्रानियों 13:2; इफिसियों 6:12)। इस कारण परमेश्वर का वचन हमें सचेत करता है कि हम इस बात का ध्यान रखें, इसके विषय प्रार्थना में रहें और उसका सामना करने के लिए तैयार रहें। जैसे परमेश्वर इस संसार पर, जिसे हम अपनी इन्द्रियों से देख और अनुभव कर सकते हैं, राज करता है; वैसे ही परमेश्वर उस अदृश्य संसार पर भी राज करता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


दृश्य या अदृश्य, सारी सृष्टि परमेश्वर के प्रभुत्व के आधीन है।

निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो। परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। - इफिसियों 6:10-12

बाइबल पाठ: गिनती 22:21-31
Numbers 22:21 तब बिलाम भोर को उठा, और अपनी गदही पर काठी बान्धकर मोआबी हाकिमों के संग चल पड़ा। 
Numbers 22:22 और उसके जाने के कारण परमेश्वर का कोप भड़क उठा, और यहोवा का दूत उसका विरोध करने के लिये मार्ग रोककर खड़ा हो गया। वह तो अपनी गदही पर सवार हो कर जा रहा था, और उसके संग उसके दो सेवक भी थे। 
Numbers 22:23 और उस गदही को यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब गदही मार्ग छोड़कर खेत में चली गई; तब बिलाम ने गदही को मारा, कि वह मार्ग पर फिर आ जाए। 
Numbers 22:24 तब यहोवा का दूत दाख की बारियों के बीच की गली में, जिसके दोनों ओर बारी की दीवार थी, खड़ा हुआ। 
Numbers 22:25 यहोवा के दूत को देखकर गदही दीवार से ऐसी सट गई, कि बिलाम का पांव दीवार से दब गया; तब उसने उसको फिर मारा। 
Numbers 22:26 तब यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक सकेत स्थान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी और न बाईं ओर। 
Numbers 22:27 वहां यहोवा के दूत को देखकर गदही बिलाम को लिये दिये बैठ गई; फिर तो बिलाम का कोप भड़क उठा, और उसने गदही को लाठी से मारा। 
Numbers 22:28 तब यहोवा ने गदही का मुंह खोल दिया, और वह बिलाम से कहने लगी, मैं ने तेरा क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार मारा? 
Numbers 22:29 बिलाम ने गदही से कहा, यह कि तू ने मुझ से नटखटी की। यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता। 
Numbers 22:30 गदही ने बिलाम से कहा क्या मैं तेरी वही गदही नहीं जिस पर तू जन्म से आज तक चढ़ता आया है? क्या मैं तुझ से कभी ऐसा करती थी? वह बोला, नहीं। 
Numbers 22:31 तब यहोवा ने बिलाम की आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब वह झुक गया, और मुंह के बल गिरके दण्डवत की।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 7-8
  • मरकुस 4:21-41


बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

लेखक


   पिछले वर्षों में मैं पुस्तकों को पढ़ने और उन पर चर्चा करने वाले कई समूहों में सम्मिलित रही हूँ। इन समूहों में कुछ मित्र मिलकर एक पुस्तक का चुनाव करते हैं और उसे पढ़ते हैं, और फिर हम सब एक साथ जमा होकर उसके बारे में चर्चा करते हैं, उन विचारों को समझने का प्रयास करते हैं जो लेखक ने उस पुस्तक में रखे हैं। इन चर्चाओं में एक बात भी अवश्य होती है - कोई ना कोई व्यक्ति एक ऐसा प्रशन भी उठा देता है जिसका उत्तर हम में से किसी के पास नहीं होता है; और फिर कोई अन्य कह उठता है, "काश कि हम लेखक से पूछ पाते!" न्यू यॉर्क शहर में प्रचलित हो रही एक प्रवृत्ति इसे संभव कर रही है। कुछ लेखक, एक मोटी रकम लेकर, ऐसे पुस्तक समूहों के लिए अपने आप को उपलब्ध कराते हैं, और उनके साथ चर्चा करते हैं, लोगों के प्रश्नों का निवारण करते हैं।

   लेकिन हम जब परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन करने के लिए एकत्रित होते हैं तो कितना भिन्न होता है। जब भी हम जमा होते हैं, अपने वायदे के अनुसार, प्रभु यीशु हमारे मध्य में विद्यमान होता है; इसके लिए वह हमसे कोई फीस नहीं लेता है; उसके हमारे साथ मिलने का समय निर्धारण करने में भी कोई समस्या नहीं होती - हमें अपना समय तय करना होता है, वह तो सदैव साथ होता है। साथ ही उसका पवित्र-आत्मा हम मसीही विश्वासियों के अन्दर निवास करता है, और परमेश्वर का वचन समझने में हमारी सहायता करता है, जैसा प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से कुछ समय पहले अपने चेलों से वायदा किया था (यूहन्ना 14:26)।

   बाइबल का लेखक समय और स्थान की सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है; वह हम से कभी भी और कहीं भी मिल सकता है। इसलिए जब भी हमारे पास कोई प्रश्न हो तो हम बिना किसी शंका के उस से पूछ सकते हैं, और वह हमें उत्तर देता है - लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका यह उत्तर हमारी इच्छा, धारणा, विचारधारा के अनुसार हो, या फिर हमारी किसी समय-सारणी के अनुसार आए।

   बाइबल का लेखक परमेश्वर चाहता है कि हम में उस का मन हो (1 कुरिन्थियों 2:16) जिससे कि पवित्र-आत्मा से शिक्षा प्राप्त कर के हम उसके द्वारा हमें सेंत-मेंत दी गई भेंट की महानता और कीमत को, परमेश्वर की बातों को समझ सकें (पद 12)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब भी आप अपनी बाइबल को खोलें, तो उसके लेखक से प्रार्थना करें
 कि वह आपके मन और मस्तिष्क को उसे समझने के लिए खोले।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 2:1-16
1 Corinthians 2:1 और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1 Corinthians 2:2 क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1 Corinthians 2:3 और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1 Corinthians 2:4 और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1 Corinthians 2:5 इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1 Corinthians 2:6 फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। 
1 Corinthians 2:7 परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। 
1 Corinthians 2:8 जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 
1 Corinthians 2:9 परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। 
1 Corinthians 2:10 परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है। 
1 Corinthians 2:11 मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा। 
1 Corinthians 2:12 परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। 
1 Corinthians 2:13 जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिला कर सुनाते हैं। 
1 Corinthians 2:14 परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है। 
1 Corinthians 2:15 आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता। 
1 Corinthians 2:16 क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए? परन्तु हम में मसीह का मन है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20


मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

निकट


   मुझे यह परेशान करता था कि मैं अपने आचरण तथा जीवन में जितना परमेश्वर के निकट बढ़ता, उतना ही अधिक पापी महसूस करता। फिर एक दिन मेरे कमरे हुई एक घटना ने मुझे इसे समझा दिया। मेरे कमरे की खिड़की पर परदे खिंचें हुए थे, कोई बत्ती नहीं जल रही थी, और दो परदों के बीच की पतली सी झिर्री से सूरज की ज्योति की किरण कमरे में आ रही थी। जब मैंने ज्योति की उस किरण की ओर देखा तो उसकी रौशनी में हवा में इधर-उधर हिलते हुए धूल के कण दिखाई दिए। बिना ज्योति के ये कण दिखाई नहीं देते हैं, और अन्धेरे में कमरा साफ-सुथरा प्रतीत होता है, परन्तु ज्योति के कारण गन्दगी दिखाई देने लगती है।

   इस घटना ने मेरे आत्मिक जीवन पर भी प्रकाश डाला - संसार की बातों और अपने दृष्टिकोण तथा आँकलन के अन्धकार में मुझे अपने अन्दर कुछ बुरा दिखाई नहीं देता है; परन्तु जब मैं ज्योतिर्मय प्रभु परमेश्वर के निकट आता हूँ, तो उसकी ज्योति मुझे मेरे अन्दर की गन्दगी दिखा देती है। जब प्रभु यीशु मसीह की ज्योति हमारे जीवनों के अन्धकार में चमकती है, तो वह हमारे पाप प्रगट कर देती है - हमें निराश करने के लिए नहीं वरन हमें नम्र करने के लिए कि हम उस पर विश्वास रख सकें। क्योंकि हम सब पापी हैं और परमेश्वर की धार्मिकता के मानकों पर पूरे नहीं उतरते (रोमियों 3:23), इसलिए हम अपनी किसी धार्मिकता पर अपने उद्धार के लिए भरोसा नहीं रख सकते हैं। जब हम में कोई पाप होता है, तो हमारे प्रभु के निकट आने पर प्रभु की ज्योति उस पाप को प्रगट कर देती है, और हम यशायाह के समान पुकार उठते हैं, "हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है" (यशायाह 6:5)।

   परमेश्वर हर बात में परम-सिद्ध है। उसके निकट आने के लिए हमारे अन्दर नम्रता और बच्चों के समान विश्वास रखने वाला मन चाहिए ना कि कोई घमण्ड या अपनी ही किसी बात पर भरोसा करना। जब हम पश्चतापी मन के साथ, दीन और नम्र होकर प्रभु परमेश्वर के निकट आते हैं, तो अपने अनुग्रह में होकर वह हमें स्वीकार करता है, अपने परिवार का भाग बना लेता है। यह भला है कि परमेश्वर के निकट आने में हम अपने आप को उसकी निकटता के लिए अयोग्य महसूस करते हैं, क्योंकि इससे हमारे अन्दर कोई घमण्ड उत्पन्न नहीं होने पाता, वरन नम्रता आती है, और उसके सामने धर्मी बनने के लिए केवल उस ही पर निर्भर होने की भावना आती है। - लॉरेंस दरमानी


जब हम प्रभु परमेश्वर के साथ चलते हैं तो घमण्ड के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता है।

इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। - रोमियों 3:23-24

बाइबल पाठ: यशायाह 6:1-8
Isaiah 6:1 जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। 
Isaiah 6:2 उस से ऊंचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छ: छ: पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुंह को ढांपे थे और दो से अपने पांवों को, और दो से उड़ रहे थे। 
Isaiah 6:3 और वे एक दूसरे से पुकार पुकारकर कह रहे थे: सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। 
Isaiah 6:4 और पुकारने वाले के शब्द से डेवढिय़ों की नेवें डोल उठीं, और भवन धूंए से भर गया। 
Isaiah 6:5 तब मैं ने कहा, हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है! 
Isaiah 6:6 तब एक साराप हाथ में अंगारा लिये हुए, जिसे उसने चिमटे से वेदी पर से उठा लिया था, मेरे पास उड़ कर आया। 
Isaiah 6:7 और उसने उस से मेरे मुंह को छूकर कहा, देख, इस ने तेरे होंठों को छू लिया है, इसलिये तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए। 
Isaiah 6:8 तब मैं ने प्रभु का यह वचन सुना, मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा? तब मैं ने कहा, मैं यहां हूं! मुझे भेज

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3


सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

बोझिल


   स्वीडेन की नौसेना के इतिहास में 10 अगस्त 1628 एक काला दिवस है। उस दिन स्वीडेन की शाही नौसेना का युद्धपोत ’वासा’ अपनी प्रथम जलयात्रा पर निकला था। इस युद्धपोत को बनाने में दो वर्ष का समय लगा था, उसे बहुत खर्च करके अनेकों प्रकार से सजाया गया था, आकर्षक बनाया गया था और उसमें 64 तोपें लगाई गईं थीं। स्वीडेन की नौसेना के स्वाभिमान का यह प्रतीक, यात्रा आरंभ करने के कुछ ही देर बाद, समुद्र में केवल एक मील जाकर ही डूब गया! ऐसा क्यों हुआ? वासा अपनी सजावट और उसके अन्दर विद्यमान वस्तुओं के कारण इतना बोझिल हो गया था कि वह समुद्र में तैरते रहने के लायक नहीं रह गया था; उसके अन्दर के बोझ ने ही उसे डुबो दिया।

   मसीही विश्वास का जीवन भी इसी प्रकार अनेकों व्यर्थ बातों से बोझिल होकर अपने उद्देश्य के लिए अयोग्य हो जाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का लेखक, आत्मिक जीवन यात्रा को भली-भांति पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लिखता है: "इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों 12:1-2)।

   उस युद्धपोत के समान ही हम बाहर से बहुत आकर्षक हो सकते हैं, अनेकों दिखाई देने वाली बातों के कारण लोगों को बहुत अच्छे प्रतीत हो सकते हैं। परन्तु यदि हमारे अन्दर उन पापों का बोझ बना हुआ है जिन्हें हमने प्रभु परमेश्वर के सामने स्वीकार करके उनके लिए पश्चताप नहीं किया है, उससे क्षमा नहीं माँगी है या जिन्हें अभी तक छोड़ा नहीं है; या फिर किसी ऐसी आदत अथवा लालसा के बोझ से दबे हुए हैं जो हम जानते हैं कि हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं है, तो इन बातों से हमारा मसीही विश्वास का जीवन अशान्त एवं परमेश्वर के लिए अनुपयोगी हो जाएगा। परन्तु इन बातों का समाधान है - परमेश्वर के मार्गदर्शन तथा उसके पवित्र-आत्मा की सामर्थ से, हमारे ये बोझ हलके किए जा सकते हैं, और हमारे जीवन परमेश्वर की शान्ति, आनन्द और आशीषों के साथ हलके और उपयोगी बनाए जा सकते हैं।

   क्या आप अभी भी बोझिल जीवन जी रहे हैं? अपने बोझों को प्रभु यीशु को सौंप दें; क्योंकि प्रभु यीशु मसीह में सबके लिए क्षमा और अनुग्रह सदा उपलब्ध रहता है: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है" (मत्ती 11:28-30)। - डेनिस फिशर


दृढ़ निर्णय में दृढ़ "नहीं" का भी उतना ही योगदान है जितना दृढ़ "हाँ" का।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: इब्रानियों 12:1-5
Hebrews 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। 
Hebrews 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Hebrews 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिसने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो। 
Hebrews 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो। 
Hebrews 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाईं दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2


रविवार, 19 फ़रवरी 2017

ध्यान


   प्रतिदिन अपने दफ्तर जाने के लिए मैं एक ही राजमार्ग से होकर निकलता हूँ, और प्रतिदिन मैं अपने मार्ग में अनेकों वाहन चालकों को देखता हूँ, जिनका ध्यान मार्ग से बँटा हुआ होता है; उनकी संख्या घबारा देने वाली है। मुख्यतः यह बँटा हुआ ध्यान फोन पर बात करने या सन्देश पढ़ने अथवा भेजने के कारण होता है, परन्तु मैंने ऐसे चालकों को 70 मील प्रति घंटा या अधिक की रफतार से गाड़ी चलाने के साथ साथ अखबार पढ़ते हुए, मेकअप करते हुए, और नाशता करते हुए भी देखा है! कुछ परिस्थितियों में ध्यान बँटना क्षणिक और हानि रहित होता है; परन्तु ऐसे चलती हुई गाड़ी में, यह अत्यंत हानिकारक एवं जानलेवा भी हो सकता है - अपने लिए भी और अन्य लोगों के लिए भी।

   परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में भी ध्यान बँटना परस्पर संपर्क तथा संबंध के लिए हानिकारक होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 10 अध्याय के अन्त में जो वृतान्त दिया है, उसमें हम देखते हैं कि मार्था के साथ प्रभु यीशु मसीह की समस्या यही थी; प्रभु यीशु के स्वागत तथा मेहमानवाज़ी में वह इतनी व्यस्त थी कि उसके पास प्रभु ही के लिए समय नहीं था। अपनी इस व्यस्तता से स्वयं मार्था भी इतनी घबरा गई कि अपनी बहन मरियम के बारे में प्रभु से ही शिकायत करने लगी, क्योंकि मरियम काम में उसका हाथ बंटाने की बजाए प्रभु के चरणों पर बैठकर उससे सीख रही थी। प्रभु यीशु ने मार्था को समझाया, "मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)।

   प्रभु यीशु की संगति में बैठने तथा उसकी शिक्षाओं को सुनने से मार्था का ध्यान भंग करने वाली बातें ना तो गलत थी और ना ही प्रभु के लिए मार्था उद्देश्य गलत था। लेकिन उन बातों के कारण वह शान्त मन से प्रभु के साथ बैठकर उसकी संगति का आनन्द तथा उसकी शिक्षाओं को सुन नहीं पा रही थी। प्रभु की उपस्थिति में होते हुए भी, प्रभु की उत्तम पहुनाई की इच्छा और प्रयास रखते हुए भी, वह प्रभु से दूर थी, उसके संपर्क में नहीं थी; और उसके ये प्रयास ही उसकी अशान्ति के कारण बन गए थे।

   प्रभु हमारी गहरी भक्ति और पूरे ध्यान के योग्य है; और वही हमें हर उस ध्यान बँटाने वाली बात पर जय पाने का मार्गदर्शन एवं सामर्थ दे सकता है जो उसके साथ हमारे गहरे और अर्थपूर्ण तथा आनन्दपूर्ण संपर्क में बाधा बनती है। - बिल क्राउडर


यदि आप कुंठित होना चाहते हैं तो अपने अन्दर देखते रहिए; 
यदि अशान्त और परेशान तो अपने आस-पास देखिए; 
यदि आनन्दित एवं शान्त तो प्रभु यीशु की ओर देखिए।

मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार हो कर जीवन में प्रवेश कर चुका है। - यूहन्ना 5:24

बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे। 
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। 
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45


शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

दर्पण


   हम अपने आप को दर्पण में कितनी बार देखते हैं? कुछ अध्ययनों के अनुसार, एक व्यक्ति दिन भर में औसतन 8 से 10 बर दर्पण में अपने आप को दर्पण में देखता है; जबकि कुछ अन्य सर्वेक्षण कहते हैं कि यदि दुकानों के शीशों में दिखने वाले अपने प्रतिबिंब तथा स्मार्ट-फोन के स्क्रीन पर अपने देखने आदि को भी सम्मिलित कर लें तो यह संख्या बढ़कर 60 से 70 बार प्रतिदिन हो जाती है। हम क्यों अपने आप को इतनी बार देखते हैं? अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि हम ऐसा यह जाँचने के लिए करते हैं कि हम दूसरों को कैसे दिखाई दे रहे हैं जिससे अपने आप को ठीक और व्यवस्थित कर सकें, रख सकें; विशेषकर तब जब हमें किसी सभा या सामजिक समारोह में सम्मिलित होना होता है। यदि हम में कुछ बुरा या भद्दा दिखाई दे और हम उसे ठीक करने की इच्छा ना रखें तो फिर हमारे अपने आप को दर्पण में देखने से क्या लाभ?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित याकूब ने अपनी पत्री में लिखा है कि परमेश्वर के वचन को पढ़ने या सुनने के पश्चात उसके अनुसार कार्य ना करना अपने आप को दर्पण में देखकर जो देखा है फिर उसे भूल जाना है (याकूब 1:22-24)। लेकिन बेहतर विकल्प है कि परमेश्वर के वचन के दर्पण में अपने आप को ध्यान से देखें, और जो दिखाई दे उसके अनुसार योग्य प्रतिक्रिया करें: "पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है" (पद 25)।

   यदि हम परमेश्वर के वचन के सुनने वाले हैं, परन्तु उसके अनुसार अपने जीवन में कार्य नहीं करते हैं, तो हम स्वयं अपने आप को ही धोखा देते हैं (पद 22)। परन्तु जब हम परमेश्वर के वचन की रौशनी में अपना आँकलन करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करते हैं, तो परमेश्वर हमारी सहायता करता है और हमें दिन प्रति दिन अपनी समानता में बढ़ाता जाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बाइबल वह दर्पण है जो हमें वैसा दिखाती है, जैसे हम परमेश्वर को देखाई देते हैं।

इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। - मत्ती 5:19

बाइबल पाठ: याकूब 1:19-27
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। 
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। 
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मत्ती 1:1-22


शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

पुल


   लेखक जेम्स मिचनर का उपन्यास Centennial अमेरिका के पश्चिमी इलाके के बसाए जाने के इतिहास पर आधारित एक काल्पनिक कहानी है, जिसका नायक फ्रेन्च-कैनेडियन मूल का पास्किनेल नामक व्यक्ति है, जिसमें होकर मिचनर उस इलाके के एरापाहो जाति के मूल निवासियों और यूरोप से आकर बसने वाले लोगों की कहानी को एक बनाते हैं। जैसे जैसे यह नायक शहर के बढ़ते हुए कोलाहल और भीड़ तथा बाहर के खुले मैदानों के मध्य विचरण करता है, वह उन दोनों अत्यन्त भिन्न लोगों के मध्य संपर्क का एक माध्यम, एक पुल बन जाता है।

   मसीह यीशु के अनुयायियों के पास भी यह सुअवसर है कि वे दो बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों के मध्य संपर्क का माध्यम, एक पुल बन सकें - जो प्रभु यीशु मसीह और उसमें मिलने वाले उद्धार तथा पापों की क्षमा के विषय में नहीं जानते और प्रभु यीशु के बीच। मसीही विश्वासियों की आरंभिक मण्डलियों के समय में, थिस्सलुनीके के मसीही विश्वासी अपनी मूर्ति-पूजक संस्कृति के लोगों के लिए इसी प्रकार का पुल बने; और उनके लिए प्रेरित पुलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा, "क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है" (1 थिस्सलुनीकियों 1:8)। जिस पुल को उन्होंने बनाया उसके दो घटक थे, "प्रभु यीशु का सन्देश" और उन लोगों के अपने मसीही विश्वास के जीवन का उदाहरण। उन्हें देखकर सब लोगों को स्पष्ट था कि "...तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो" (पद 9)।

   जब हम अपने मसीही विश्वास के जीवन के उदाहरण तथा परमेश्वर के वचन बाइबल के सन्देश के द्वारा प्रभु परमेश्वर के बारे में लोगों को बताते हैं, तो जो प्रभु यीशु को अभी तक नहीं जानते हैं, उनके और प्रभु यीशु के मध्य में हम संपर्क बनाने वाले पुल का कार्य करते हैं। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु के सुसमाचार को अपने जीवन में जी कर दिखाईये
 और लोग आपसे प्रभु के सन्देश को भी सुनने लगेंगे।

क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं। - रोमियों 10:13-15

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 1:1-10
1 Thessalonians 1:1 पौलुस और सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से थिस्‍सलुनिकियों की कलीसिया के नाम जो परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह में है। अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे। 
1 Thessalonians 1:2 हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। 
1 Thessalonians 1:3 और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं। 
1 Thessalonians 1:4 और हे भाइयो, परमेश्वर के प्रिय लोगों हम जानतें हैं, कि तुम चुने हुए हो। 
1 Thessalonians 1:5 क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है; जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे। 
1 Thessalonians 1:6 और तुम बड़े क्‍लेश में पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे। 
1 Thessalonians 1:7 यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने। 
1 Thessalonians 1:8 क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। 
1 Thessalonians 1:9 क्योंकि वे आप ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ; और तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो। 
1 Thessalonians 1:10 और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 21-22
  • मत्ती 28


गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

नियंत्रित


   वियतनाम में पाए जाने वाले मोटे पेट वाले सूअरों से लेकर साईबीरिया में पाई जाने वाली लोमड़ी तक, मनुष्यों ने सभी प्रकार के जंगली जानवरों को नियंत्रित कर रखा है। लोगों को बन्दरों से करतब करवाना, और उनसे तथा अन्य जानवरों से विज्ञापनों एवं फिल्मों में अभिनय करवाना, हिरनों को अपने हाथों में से खाना लेना आदि अच्छा लगता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने लिखा है, "क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं" (याकूब 3:7)।

   परन्तु कुछ ऐसा भी है जिसे नियंत्रित करना मनुष्य के लिए संभव नहीं है; और इस छोटी सी चीज़ के कारण हम सभी, कभी ना कभी किसी ना किसी परेशानी में अवश्य ही पड़े हैं - हमारी जीभ। इसके विषय में याकूब आगे लिखता है, "पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (याकूब 3:8)। ऐसा क्यों? क्योंकि हमारे शब्दों का उच्चारण चाहे हमारी जीभ के द्वारा होता है, परन्तु उनका उदगम स्थल हमारा मन है और प्रभु यीशु ने कहा, "...क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है" (मत्ती 12:34)। और इसीलिए जीभ भली और बुरी दोनों ही प्रकार की बातों के लिए प्रयुक्त होती है (याकूब 3:9)। इस बात के लिए विद्वान, पीटर डेविड्स, ने कहा है, "एक ओर तो [जीभ] बहुत धर्मी और सदाचारी हो सकती है, परन्तु दूसरी ओर वही जीभ बहुत अशुद्ध और बुराई से भरी भी हो सकती है।"

   यदि हम अपने इस छोटे से अंग को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो क्या यह हमारे जीवन भर हमें प्रतिदिन समस्या में डालने वाली परेशानी बनकर रहेगी, हमेशा बुराई करने को तैयार (पद 10)? परमेश्वर के अनुग्रह से ऐसा नहीं है। परमेश्वर ने हमें मजबूर और असहाय नहीं छोड़ा है। यदि हम परमेश्वर को करने दें तो, जैसा भजनकार कहता है, वह हमारे मुँह पर "पहरा बैठा" कर हमारे होंठों की रखवाली कर सकता है (भजन 141:3)। परमेश्वर के लिए कुछ असंभव नहीं है; वह अनियंत्रित को नियंत्रित कर सकता है। - डेव ब्रैनन


अपनी जीभ को नियंत्रित करने के लिए अपने मन को प्रभु यीशु के नियंत्रण में समर्पित कर दें।

हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर! मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं! - भजन 141:3-4

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 19-20
  • मत्ती 27:51-66

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

सौंप दिया


   मार्क ने दृढ़ता से कहा, "मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता हूँ और मैं नहीं जाऊँगा।" उसकी माँ एमी का गला एक बार फिर रुँध गया, और वह अपने आँसुओं को रोकने के प्रयास करने लगी। उसका बेटा एक प्रसन्न रहने वाले लड़के से खिसिया हुआ, बदमिज़ाज और असहयोगी युवक बन गया था। जीवन एक युद्ध भूमि थी और इतवार का दिन भयावह बन गया था क्योंकि मार्क अपने परिवार के साथ चर्च जाने से इन्कार करता था। अन्ततः उसके निराश माता-पिता ने एक सलाहकार की सहायता ली जिसने उन्हें समझाया: "मार्क को अपने विश्वास की यात्रा का आरंभ स्वयं ही करना होगा। आप उसे परमेश्वर के राज्य में जबरन नहीं धकेल सकते हैं। परमेश्वर को अपना काम करने के लिए समय और स्थान दीजिए। आप बस प्रार्थना और प्रतीक्षा करते रहें।"

   एमी ने प्रार्थना और प्रतीक्षा करना आरंभ कर दिया। एक दिन परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के जो शब्द उसने पढ़े थे, वे उसके मन में गूँजने लगे। उस खण्ड में प्रभु यीशु के चेले दुष्टात्मा से ग्रसित एक लड़के की सहायता करने में असमर्थ रहे थे, परन्तु प्रभु यीशु के पास उस समस्या का समाधान था। प्रभु यीशु ने कहा: "... उसे मेरे पास लाओ" (मरकुस 9:19)। एमी के मन में आया कि यदि प्रभु यीशु उस चरम स्थिति में भी उस लड़के की सहायाता कर सकते थे और उसे चँगा कर सकते थे, तो अवश्य ही वे उसके बेटे मार्क की भी सहायता कर सकते हैं। जब एमी को यह विचार आ रहे थे उस समय कमरे की खिड़की से सूरज की रौशनी फर्श के एक भाग पर पड़ रही थी, उसे चमकदार बना रही थी। एमी ने कल्पना की कि उस रौशनी में वह और मार्क प्रभु यीशु के साथ खड़े हैं। अपने मन में ही एमी ने अपने बेटे को उस प्रभु के हाथों में सौंप दिया, जो उसके बेटे से उससे भी अधिक प्रेम करता था, और उन दोनों को वहाँ पर छोड़ कर वह स्वयं उस रौश्नी के दायरे से पीछे हट गई। एमी की ओर से अब मार्क प्रभु यीशु के हवाले था।

   प्रतिदिन एमी खामोशी से मार्क को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप देती है, उसके लिए प्रार्थना करती है, क्योंकि उसे विश्वास है कि प्रभु यीशु मार्क के बारे में, उसकी आवश्यकताओं के बारे में और मार्क की सहायता के लिए कब, क्या, कहाँ और कैसे करना है, यह प्रभु ही सबसे बेहतर जानता है। एमी जानती है कि अपने समय में, अपने तरीके से प्रभु उसके बेटे के लिए सर्वोत्त्म करेगा। - मेरियन स्ट्राउड


प्रार्थना विश्वास की आवाज़ है कि परमेश्वर जानता है और ध्यान रखता है।

इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12

बाइबल पाठ: मरकुस 9:14-27
Mark 9:14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं। 
Mark 9:15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उस की ओर दौड़कर उसे नमस्‍कार किया। 
Mark 9:16 उसने उन से पूछा; तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो? 
Mark 9:17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, कि हे गुरू, मैं अपने पुत्र को, जिस में गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। 
Mark 9:18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाता, और दांत पीसता, और सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके। 
Mark 9:19 यह सुनकर उसने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे मेरे पास लाओ। 
Mark 9:20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 
Mark 9:21 उसने उसके पिता से पूछा; इस की यह दशा कब से है? 
Mark 9:22 उसने कहा, बचपन से: उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर। 
Mark 9:23 यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है; यह क्या बात है, विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है। 
Mark 9:24 बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर। 
Mark 9:25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटा, कि हे गूंगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूं, उस में से निकल आ, और उस में फिर कभी प्रवेश न कर। 
Mark 9:26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहां तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया। 
Mark 9:27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 17-18
  • मत्ती 27:27-50


मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

प्रेम


   पुस्तक A General Theory of Love के लेखक लिखते हैं कि "जब भी ज्ञान और भावनाएं टकराते हैं, तो बहुधा हृदय की बात ही अधिक समझदारी वाली होती है।" उनका कहना है कि पहले माना जाता था कि मस्तिष्क को मन पर राज्य करना चाहिए, परन्तु विज्ञान अब पहचान रही है कि इसका विपरीत ही सही है; "जो हम हैं, और जो हम बन जाएंगे, कुछ सीमा तक इस बात पर निर्भर करता है कि हम किससे प्रेम रखते हैं।"

   जो परमेश्वर के वचन बाइबल से परिचित हैं वे जानते हैं कि इन लेखकों की यह बात कोई नई खोज नहीं है, वरन एक पुराना सत्य है। परमेश्वर ने जो सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा अपने लोगों को दी उसमें मन का प्रमुख स्थान है: "तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना" (व्यवस्थाविवरण 6:5)। बाद में पुराने नियम में दी गई इस आज्ञा को उध्दत करते समय प्रभु यीशु ने इसमें ’बुद्धि’ को भी जोड़ दिया (मरकुस 12:30; लूका 10:27। जो वैज्ञनिक आज पता लगा रहे हैं उसे बाइबल सदा से ही सिखाती आई है।

   हम में से जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं वे इसके महत्व को पहचानते हैं कि वे किस से प्रेम रखते हैं। जब हम परमेश्वर की सबसे महान आज्ञा का पालन करते हैं और परमेश्वर को अपने प्रेम का विषय बना लेते हैं, तो हम इस बात के भी आश्वस्त हो जाते हैं कि अब हमारा उद्देश्य हमारी कल्पना तथा कुछ करने की हमारी अपनी क्षमता से भी कहीं अधिक बढ़कर है। जब परमेश्वर के प्रति लालसा हमारे मन पर राज्य करती है, तब हमारा मस्तिष्क उसकी सेवा करने के तरीकों पर केंद्रित रहता है, और हमारे कार्य पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी तथा स्वर्ग में उसकी महिमा के लिए होते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हर उस दिन को व्यर्थ गिनें जिसे आपने परमेश्वर से प्रेम करने में व्यतीत नहीं किया है। - ब्रदर लॉरेंस

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12 

बाइबल पाठ: मरकुस 12:28-34
Mark 12:28 और शास्‍त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया; उस से पूछा, सब से मुख्य आज्ञा कौन सी है? 
Mark 12:29 यीशु ने उसे उत्तर दिया, सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। 
Mark 12:30 और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। 
Mark 12:31 और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं। 
Mark 12:32 शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। 
Mark 12:33 और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है। 
Mark 12:34 जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 15-16
  • मत्ती 27:1-26


सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

वचन


   परमेश्वर का वचन हमारे पास अनेकों रुप में आता है, जैसे कि परमेश्वर के वचन बाइबल पर आधारित उपदेश, परमेश्वर की आराधना और स्तुति के लिए लिखे गए गीत, बाइबल अध्ययन समूहों में मिलने वाली शिक्षाओं और व्याख्याओं द्वारा, आध्यात्म और भक्ति लेखों द्वारा, इत्यादि; ये सभी माध्यम पवित्र-शास्त्र से हमारे लिए परमेश्वर की सच्चाईयों को लेकर आते हैं। लेकिन हम अपने व्यक्तिगत बाइबल पठन एवं अध्ययन की अवहेलना नहीं कर सकते हैं।

   हाल ही में मैंने बाइबल में पुराने नियम की पुस्तक व्यवस्थाविवरण तथा नए नियम की पुस्तक मत्ती 5-7 अध्याय में दिए प्रभु यीशु के पहाड़ी सन्देश का समानान्तर परिच्छेद-दर-परिच्छेद अध्ययन किया और इस ने मेरा हृदय छू लिया। बाइबल के इन दोनों ही खण्डों में हमारे विश्वास से संबंधित नियम भी पाए जाते हैं; व्यवस्थाविवरण 5:6-21 में दस आज्ञाएं दी गईं हैं तथा मत्ती 5:3-12 में प्रभु यीशु मसीह के धन्य वचन। व्यवस्थाविवरण हमें परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल के साथ बाँधी गई उस पुरानी वाचा को दिखाता है जिसका पालन परमेश्वर अपने लोगों के जीवन में देखना चाहता था। मत्ती में प्रभु यीशु दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने उस व्यवस्था को पूरा करके हमारे लिए नई वाचा के सिद्धांत स्थापित किए जो हमें व्यवस्था के बन्धन से मुक्त कर देते हैं।

   अपने सभी विश्वासियों को परमेश्वर ने ना केवल अपना वचन वरन अपना पवित्र आत्मा भी दिया है, जो उनके अन्दर निवास करता है, उन्हें उस वचन को सिखाता है, जीवन व्यतीत करने की सामर्थ और शिक्षा देता है, सदाचारिता एवं पवित्रता के लिए कायल करता है। पवित्र आत्मा के इस कार्य का परिणाम होता है हमारे जीवनों में समझदारी, पश्चाताप, नवीनिकरण और प्रभु यीशु में उन्नति। मसीही धर्मशास्त्री फिलिप स्पेनर ने लिखा: " परमेश्वर का वचन हमारे जितना अधिक निकट होगा, हम विश्वास में उतने ही अधिक दृढ़ और फलदायी होंगे।" आईए हम भजनकार के साथ प्रार्थना करें: "मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं" (भजन 119:18)। - डेव एग्नर


जब परमेश्वर का वचन हमारे अन्दर बसेगा तो वह हमारे जीवनों से प्रवाहित भी होगा।

परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13-14

बाइबल पाठ: भजन 119:17-24
Psalms 119:17 अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं। 
Psalms 119:18 मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। 
Psalms 119:19 मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख! 
Psalms 119:20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है। 
Psalms 119:21 तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं। 
Psalms 119:22 मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं। 
Psalms 119:23 हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा। 
Psalms 119:24 तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 14
  • मत्ती 26:51-75


रविवार, 12 फ़रवरी 2017

फलदायी


   मेरा एक मित्र मोन्टाना प्रांत के मैदानों में स्थित एक फार्म में रहता है। उसके घर जाने वाला लंबा मार्ग सूखी और बंजर भूमि से होकर निकलता है। उसके घर के निकट आते समय अनेकों प्रकार की हरियाली और वनस्पति के भू-भागों को देखा जा सकता है जो आस-पास के उस सूखे और बंजर इलाके के सम्मुख एक तुलना प्रस्तुत करते हैं। इसका कारण है उसके घर के पास से बहने वाली एक नदी; उस नदी के किनारे उगने वाली वनस्पति सदा हरी-भरी बनी रहती है जबकि उस नदी से दूरी पर स्थित भूमि सूखी और बंजर रहती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इसी बात को यिर्मयाह भविष्यद्वकता परमेश्वर पर विश्वास करने वालों पर लागू करके समझाता है कि विश्वास करने वाले जल के सोतों के पास उगने वाले वृक्ष के समान हैं जो सदा सींचा जाता है और  हरा रहता है। संसार के बहुत से लोग परमेश्वर से दूर रहने की कुम्हला देने वाली तपन और बंजर करने वाले अकाल के साथ जीवन जीना चुन लेते हैं, परन्तु जो परमेश्वर में विश्वास करते एवं विश्वास को बनाए रखते हैं वे सदा लहलहाते और फलदायी रहेंगे; अपने तथा दूसरों के लिए शांति एवं आशीष का कारण रहेंगे। परमेश्वर पर भरोसा रखने का अर्थ है उसकी जीवनदायक भलाई में अपने जड़ें जमा लेना, जहाँ से उसके प्रेम, देख-भाल और आशीष सदा हमारे जीवनों में प्रवाहित होती रहती है, हमें तर-ओ-ताज़ा करती रहती है, किसी भी विपरीत परिस्थिति में मुर्झाने या सूखने नहीं देती।

   आज पाप के कारण संसार का हाल चाहे जैसा भी हो, अन्ततः परमेश्वर सब कुछ ठीक एवं भला कर देगा। हम उस पर, उसकी योजनाओं, उसके तरीकों और उसके समय पर विश्वास बनाए रखें क्योंकि वह हमारी प्रत्येक हानि को हमारे लाभ के लिए प्रयोग करता है और हमारे हर दुःख द्वारा हमें परिपक्व बनाता है जिससे हम उसकी सामर्थ के द्वारा पाप के कारण सूखे और बंजर संसार में उसके लिए फलदायी हो सकें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर की भलाई के सोते, प्रभु यीशु में अपनी जड़ें जमा लीजिए; 
और आपका जीवन सदा लहलहाता और फलदायी रहेगा।

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है। - भजन 1:1-3

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 17:1-8
Jeremiah 17:1 यहूदा का पाप लोहे की टांकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है। 
Jeremiah 17:2 उनकी वेदियां और अशेरा नाम देवियां जो हरे पेड़ों के पास और ऊंचे टीलों के ऊपर हैं, वे उनके लड़कों को भी स्मरण रहती हैं। 
Jeremiah 17:3 हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन-सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूंगा, और तेरे पूजा के ऊंचे स्थान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं। 
Jeremiah 17:4 तू अपने ही दोष के कारण अपने उस भाग का अधिकारी न रहने पाएगा जो मैं ने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूंगा कि तू अनजाने देश में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तू ने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई जो सर्वदा जलती रहेगी। 
Jeremiah 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। 
Jeremiah 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा। 
Jeremiah 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। 
Jeremiah 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 13
  • मत्ती 26:26-50


शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

जीवित


   क्या कोई मनुष्य वैधानिक रूप से मृत घोषित होने के पश्चात अधिकारिक रूप से जीवित हो सकता है? यह प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय समाचार बन गया जब 25 वर्ष से लापता रहने वाला एक व्यक्ति सब के सामने आ गया। अपने लापता होने के समय वह बेरोज़गार था, नशे का आदि था और अपने बच्चों की देख-रेख के लिए जो पैसे उसे देने थे उसे बहुत लंबे समय से चुका नहीं पा रहा था; इसलिए उसने कहीं छुप जाने की सोची। लेकिन छुपने से बाहर आने के पश्चात उसे पता चला कि मृतकों में से लौट आना कितना कठिन है। जब वह व्यक्ति न्यायलय में गया कि उसे मृतक घोषित करने वाले फैसले को पलटवा ले, तो न्यायाधीश ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया क्योंकि वैधानिक रूप से ऐसे फैसले को तीन वर्ष के अन्दर ही चुनौती दी जा सकती थी, उसके बाद नहीं।

   लेकिन संसार के न्यायालय के लिए जो असाधारण निवेदन था, परमेश्वर के लिए वह सामान्य प्रतिदिन का काम है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पौलुस प्रेरित द्वारा इफसुस की मसीही मण्डली को लिखी गई पत्री में पाते हैं कि जब हम अपने पाप की दशा में आत्मिक रूप से मरे हुए थे, परमेश्वर ने हमें मसीह यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा अपने अनुग्रह से जिलाया (इफिसियों 2:1, 5)। हमारा इस प्रकार मसीह यीशु में विश्वास द्वारा जिलाया जाना हमारे लिए तो आनन्द की बात है, परन्तु परमेश्वर के लिए बहुत दुःख की तथा एक बहुत बड़ी कीमत चुकाने की बात थी, क्योंकि पापों से हमें छुटकारा दिलाने के लिए परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह को शरीर में आकर दुःख उठाने, मारे जाने, गाड़े जाने और फिर मृतकों में से जी उठने से होकर निकलना पड़ा।

   शारीरिक जीवन का प्रमाण दिखाना एक बात है, परन्तु हम मसीही विश्वासियों के सामने सदा चुनौती रहती है कि हम अपने आत्मिक जीवन के प्रमाण को संसार के लोगों के सामने रखें। मसीह यीशु में जीवित घोषित होने के पश्चात, हमें जीवित करने के इस असीम अनुग्रह और करुणा के लिए प्रभु परमेश्वर के प्रति सदा कृतज्ञ रहने चाहिए। - मार्ट डी हॉन


मसीह यीशु इसलिए मरा ताकि हम जीवित रह सकें।

और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। - 2 कुरिन्थियों 5:15

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। 
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। 
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 11-12
  • मत्ती 26:1-25


शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

मुलाकात


   हाल ही में अपने कार्य से सेवानिवृत हुए एक व्यक्ति से मेरे एक मित्र ने पूछा कि अब जब उसके पास सारा दिन करने के लिए कार्य नहीं है तो उसकी दिनचर्या क्या होती है? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "अब मैं अपने आप को एक मिलने वाला कहता हूँ। मैं अपने चर्च और समाज के लोगों के पास, जो अस्पताल में या सेवा-गृहों में हैं, या अकेले रहते हैं, या जिन्हें किसी ऐसे जन की आवश्यकता होती है जिसके साथ वे बात करके दिल हल्का कर सकें, उनसे मिलने जाता हूँ, उनके साथ प्रार्थना करता हूँ। और मुझे इससे आनन्द मिलता है।" मेरा मित्र उस व्यक्ति के स्पष्ट उद्देश्य और दूसरों की देखभाल करने की भावना से बहुत प्रभावित हुआ।

   अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ दिन पहले प्रभु यीशु ने अपने चेलों को ज़रूरतमन्दों से मिलने जाने के महत्व को समझाने के लिए एक वृतांत सुनाया, जो परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती २25:31-46 में दर्ज है। प्रभु यीशु ने जगत के अन्त में सभी मनुष्यों के होने वाले न्याय के संदर्भ में बताया कि कैसे प्रभु परमेश्वर लोगों के जीवनों तथा कार्यों का आँकलन करेगा, और जिन्होंने उसके नाम में लोगों का ध्यान रखा, उनसे मिलने गए, उनकी सहायता की, उसे वह अपने साथ की गई भलाई गिनेगा और उन्हें पुरुस्कृत करेगा; इसकी तुलना में जिन्होंने लोगों की उनकी विपरीत परिस्थितियों में अवहेलना करी, उनकी सुधि लेने से, देखरेख करने से मूँह मोड़ा उसे प्रभु अपनी अवहेलना और अपने से मूँह मोड़ना मानेगा तथा उन्हें दण्ड देगा।

   प्रभु के नाम में लोगों से मिलने जाने और उनकी सुधि लेने तथा सहायता करने के दो लाभार्थी हैं - वह व्यक्ति जिससे हम मुलाकात के लिए जाते हैं, और प्रभु यीशु। किसी व्यक्ति के पास सहायता और प्रोत्साहन के लिए जाना, सीधे-सीधे प्रभु परमेश्वर की सेवा करना है। क्या कोई ऐसा है जिससे आपकी मुलाकात उसके लिए प्रोत्साहन और सहायता हो सकती है? - डेविड मैक्कैसलैंड


करुणा का अर्थ है दूसरों की समस्याओं को समझना 
और लालसा के साथ उनकी सहायता करते रहना

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: मत्ती 25:31-46
Matthew 25:31 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा। 
Matthew 25:32 और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। 
Matthew 25:33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाईं और खड़ी करेगा। 
Matthew 25:34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है। 
Matthew 25:35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया। 
Matthew 25:36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए। 
Matthew 25:37 तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया? 
Matthew 25:38 हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए? 
Matthew 25:39 हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए? 
Matthew 25:40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। 
Matthew 25:41 तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे श्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। 
Matthew 25:42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया। 
Matthew 25:43 मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; बीमार और बन्‍दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली। 
Matthew 25:44 तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्‍दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की? 
Matthew 25:45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया। 
Matthew 25:46 और यह अनन्त दण्‍ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46


गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

विवाह


   कॉलेज में उसकी ओर मेरा ध्यान सबसे पहले उसके पीले रेनकोट ने खींचा; और शीघ्र ही मैं सू नाम की उस लंबे भूरे बालों वाली आकर्षक नई विद्यार्थी में अधिकाधिक रुचि लेने लग गया। कुछ ही समय में मैंने साहस जुटा कर सू को रोका और हिचकिचाते हुए उससे पूछा कि क्या वह मेरे साथ मिलना और बातचीत करना चाहेगी। मुझे आशचर्य हुआ जब उसने तुरंत ही मेरे इस प्रस्ताव के लिए हाँ कह दिया।

   अब चार दशक से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी, मैं और सू कॉलेज में हमारी उस प्रथम अटपटी सी मुलाकात को स्मरण कर के हँसते हैं, और अचरज करते हैं कि कैसे परमेश्वर ने ओहायो प्रांत से आए एक शर्मीले लड़के, अर्थात मुझे, मिशिगन प्रांत से आई एक शर्मीली लड़की सू से मिलाया। इतने वर्षों में हम दोनों ने अपने परिवार को बनाने और उसकी परवरिश करने के लिए एक साथ अनेकों परिस्थितियों एवं कठिनाईयों का सामना किया है। हमने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण भी एक साथ मिलकर किया और उनमें से एक के असमय आक्स्मिक देहांत के हृदय विदारक दुःख का सामना भी एक साथ मिलकर किया है। बड़ी और छोटी समस्याओं ने हमारे विश्वास को परखा है, परन्तु हम एक दूसरे के साथ बने रहे हैं। इन सब बातों का सामना करते हुए साथ बने रहने के लिए हम दोनों के एक दूसरे के प्रति स्थिर विश्वास एवं परस्पर समर्पण के दृढ़ निश्चय तथा हमारे प्रति परमेश्वर के अनुग्रह का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

   आज हम परमेश्वर की योजना में एक साथ होने और रहने के लिए आनन्दित हैं। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल के आरंभ में ही परिवार के लिए, उत्पत्ति 2:24 में अपनी योजना दे दी थी - कि मनुष्य अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नि के साथ मिलकर रहे, वे एक तन होकर रहें। हम विवाह में परमेश्वर की इस अद्भुत योजना का आदर करते हैं और बाइबल में दिए परमेश्वर के निर्देशों के अनुसार उसे संभाल कर रखते तथा निभाते हैं, जिससे एक साथ एक अद्भुत आनन्द का जीवन व्यतीत कर सकें।

   विवाह को लेकर परमेश्वर की योजना सुन्दर है; इसलिए हम सभी विवाहित जोड़ों के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे यह समझ तथा जान सकें कि परमेश्वर की आशीषों तथा मार्गदर्शन के साथ एक साथ मिलकर जीवन का आनन्द लेना कितना विलक्षण होता है। - डेव ब्रैनन


विवाहित जीवन परस्पर प्रेम, आदर और विश्वास के वातवरण में पनपता है।

विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्‍कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। - इब्रानियों 13:4

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 2:18-25
Genesis 2:18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए। 
Genesis 2:19 और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया। 
Genesis 2:20 सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके। 
Genesis 2:21 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया। 
Genesis 2:22 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। 
Genesis 2:23 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है। 
Genesis 2:24 इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे। 
Genesis 2:25 और आदम और उसकी पत्नी दोनो नंगे थे, पर लजाते न थे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 6-7
  • मत्ती 25:1-30