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रविवार, 31 अक्टूबर 2010

पवित्रता के लिये पृथक

अमेरिका में अक्तूबर महीने का यह अन्तिम दिन "हैलोवीन दिवस" कहकर मनाया जाता है, जिसमें बच्चे भेस बदल कर और थैले लिये घर घर जाते हैं और घर वाले उन्हें उनके थैलों में मिठाइयां देते हैं। "हैलोवीन" अंग्रज़ी के hallow [हैलो] शब्द से आया है, जिसका अर्थ होता है पवित्र। आज कल यह शब्द बहुत कम प्रयोग होता है, और जब होता है तो इसके विभिन्न अर्थ हो जाते हैं।

मसीही विश्वास में हैलो का अर्थ पवित्र ही है। जब किसी चीज़ या जन को हैलो किया जाता है, तो उसका तातपर्य होता है कि वह पवित्रता के लिये पृथक किया गया है, जैसा प्रभु की प्रार्थना में परमेश्वर के संदर्भ में इसके प्रयोग से प्रकट है "Hallowed be thy name" - तेरा नाम पवित्र माना जाए। केवल परमेश्वर का नाम ही पवित्र नहीं ठहराया गया है, वरन प्रत्येक मसीही विश्वासी को अपने आप को भी पवित्रता में रखना है, जैसा पौलुस ने तिमुथियुस को सिखाया, कि वह ऐसा पात्र बने जो परमेश्वर के उपयोग के लिये पवित्र हो "तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे। बड़े घर में न केवल सोने-चान्‍दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये। यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा, और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर। पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह क्‍योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं" (२ तिमुथियुस २:१९-२३)।

अक्तूबर के इस अन्तिम दिन अमेरिका में बच्चे तो मिठाईयों के थैले लिये घूमते हैं, परन्तु हमें विचार करना है कि हम अपने मन में क्या लिये घूम रहे हैं? हमारे जीवन के पात्र में क्या भरा है? क्या हमारे जीवन द्वेश और कलह की कड़ुवाहट से भरे हैं जिनसे मूर्खता और अविद्या के विवाद उत्पन्न होते हैं, या वे परमेश्वर की आत्मा की मिठास से भरे हैं जिनसे समाज में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शांति फैलती है?

हम न सिर्फ आज के दिन को, वरन हर दिन अपने आप को परमेश्वर के लिये पवित्र और उपयोगी होने के लिये पृथक और समर्पित कर के, हर दिन को "हैलो" कर सकते हैं। - जूली ऐकरमैन लिंक


मसीही विश्वासी के लिये सबसे बड़े आनन्द की बात है उसका परमेश्वर के लिये उपयोगी होना।

यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा, और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। - २ तिमुथियुस २:२१


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१९-२६

तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।
बड़े घर में न केवल सोने-चान्‍दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये।
यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा, और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।
जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह क्‍योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं
और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्‍या जाने परमेश्वर उन्‍हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
और इस के द्वारा उस की इच्‍छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह २२, २३
  • तीतुस १

शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

साथी और भगौड़े

उपन्यासकार स्टीफन ब्लाइ का मानना है कि मित्र और घोड़े दो प्रकार के होते हैं - एक वे जो हर परिस्थिति में साथ खड़े रहते हैं और दूसरे वे जो परेशानी की भनक पड़ते ही साथ छोड़कर भाग निकलते हैं और आपको अकेले ही खतरों का सामना करने के लिये छोड़ देते हैं। दुर्भाग्यवश, मित्रों और घोड़ों का यह भेद तब तक नहीं मालूम नहीं पड़ता जब तक आप मुसीबत में नहीं पड़ जाते, और तब बहुत देर हो चुकती है, यदि आपका मित्र साथ खड़े रहने वाला न हो!

परेशानियों के समय में प्रत्येक को ऐसे मित्रों की आवश्यक्ता होती है जिन पर वह भरोसा कर सके। किंतु बजाए इसके कि हम यह चिंता करें कि हमारे मित्र किस श्रेणी के हैं, हमें यह जांचने की आवश्यक्ता है कि स्वयं हम किस श्रेणी के हैं - साथी या भगौड़े? नीतिवचन का लेखक बताता है कि "मित्रों के बढ़ाने से तो नाश होता है, परन्तु ऐसा मित्र होता है, जो भाई से भी अधिक मिला रहता है" (नीतिवचन १८:२४); तथा "मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है" (नीतिवचन १७:१७)।

अपनी सेवकाई के अन्तिम दिनों में, जब वह अपने मृत्युदण्ड की आज्ञा के पूरे होने का इंतिज़ार कर रहा था, पौलुस के साथ के कई लोग उसका साथ छोड़ कर चले गए। अपनी अन्तिम पत्री में पौलुस ने अपने साथियों और भगौड़ों में से कुछ के नाम लिखे, उनमें से एक भगौड़ा था देमास; और साथी था लूका ( २ तिमुथियुस ४:१०, ११)। यद्यपि अपने भगौड़े मित्रों के कारण पौलुस अवश्य बहुत निराश हुआ होगा किंतु अपने साथीयों के कारण उसका ढ़ाढ़स भी बन्धा होगा।

जब वे जिन्हें हम मित्र कहते हैं किसी परेशानी में पड़ेंगे तो उनके लिये हम किस श्रेणी के मित्र ठहरेंगे - साथी या भगौड़े, यह तो वक्त और परिस्थितियां ही बता सकेंगी; परन्तु एक है - प्रभु यीशु, जिसका अपने लोगों से अटूट वायदा है "मैं न तुझे कभी छोड़ुंगा और कभी तुझे त्यागुंगा" (इब्रानियों १३:५), और यह वायदा आज तक कभी भी, किसी भी परिस्थिति में, किसी के लिये झूठा साबित नहीं हुआ है। उसने आपके पाप और अविश्वास की दशा में भी, आपके लिये अपनी जान देकर अपने इस वायदे को स्थापित तथा प्रमाणित किया है।

प्रभु यीशु को अपना मित्र बना लीजिए, वह कभी भगौड़ा नहीं होगा, सदा साथी ही रहेगा; एक ऐसा मित्र जो भाई से अधिक मिला रहता है। - बिल क्राउडर


एक सच्चा मित्र हर परीक्षा में साथ खड़ा मिलेगा।

मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है। - नीतिवचन १७:१७


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ४:६-१८

क्‍योंकि अब मैं अर्घ की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, बरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्‍न कर।
क्‍योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जानकर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्‍सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
केवल लूका मेरे साथ है: मरकुस को लेकर चला आ, क्‍योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है।
तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्‍तकें विशेष करके चर्म पत्रों को लेते आना।
सिकन्‍दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
तू भी उस से सावधान रह, क्‍योंकि उस ने हमारी बातों का बहुत ही विरोध किया।
मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, बरन सब ने मुझे छोड़ दिया था: भला हो, कि इस का उनको लेखा देना न पड़े।
परन्‍तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्‍वर्गीय राज्य में उद्धार करके पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह २०, २१
  • २ तिमुथियुस ४

शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

अन्मोल लोग

अमेरिका के एक प्रसिद्ध अखबार में एक लेख छपा, जिसमें कुछ अधेड़ अमेरिकी नागरिकों द्वारा उनकी खोई हुई प्रिय कार को ढूंढ निकालने के प्रयासों का वर्णन था। ये लोग विज्ञापनों द्वारा खोज कर, रद्दी सामान के स्थानों में ढूंढकर और ढूंढने में माहिर विशेषज्ञों का सहारा लेकर, जो एक घंटे के लिये $४०० तक का मेहनताना लेते हैं, अपनी जवानी के प्रतीक को खोज निकालना चाहते हैं। उन्हें अपनी कार जैसी कोई दूसरी कार नहीं चाहिये, उन्हें केवल वही खोई हुई कार चाहिये जो कभी उनकी हुआ करती थी!

बहुत से लोगों के लिये उनके ये प्रयास व्यर्थ तथा समय और पैसे की बरबादी हैं, लेकिन उन लोगों के लिये उनकी वह खोई हुई कार अन्मोल है और उसकी कीमत वे ही समझते हैं।

बाइबल के लूका १५ में कुछ ऐसे लोगों के बारे में लिखा है जो समाज की दृष्टि में निन्दित और तिरिस्किरित थे, पर वे प्रभु यीशु के पास उसके प्रवचन सुनने आते थे। कुछ धार्मिक अगुवों को यह नागवार गुज़रा और उन्होंने प्रभु के लिये लांछन दिया "...कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है" (लूका १५:२)। यह सुन कर प्रभु यीशु ने तीन नीतिकथाएं सुनाईं जिनके द्वारा उसने सिखाया कि ये पापी भी परमेश्वर की दृष्टि में कितने बहुमूल्य हैं। ये तीन नीतिकथाएं थीं खोयी हुए भेड़ (लूका १५:४-७), खोये हुए सिक्के (लूका १५:८-१०) और खोए हुए पुत्र (लूका १५:११-३२) के विषय में। हर एक नीतिकथा कुछ खोने के दर्द, खोजने के प्रयास और पाने के आनन्द को दर्शाती है। हर एक नीतिकथा में हम परमेश्वर के चित्रण को देखते हैं, उस प्रेमी परमेश्वर पिता के रूप में जो पाप में खोई हुई प्रत्येक आत्मा के वापस लौट आने से अति आनन्दित होता है।

चाहे आज आप अपने आप को परमेश्वर से कितना भी दूर महसूस करते हों या उससे कितना भी दूर क्यों न चले गए हों, आप आज भी उसकी दृष्टि में अनमोल हैं। वह आपको ढूंढ रहा है और आपके लौट आने का इन्तिज़ार कर रहा है। - डेविड मैककैसलैंड


जो खोए हुओं में से वापस लौट आए हैं, अब उनका कर्तव्य खोए हुओं को ढूंढना और लौटने का मार्ग दिखाना है।

क्‍योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्‍द करने लगे। - लूका १५:२४


बाइबल पाठ: लूका १५:१-२४

सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।
और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
तब उस ने उन से यह दृष्टान्त कहा।
तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?
और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।
और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।
मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धमिर्यों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।
मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।
फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं।
मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है।
अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; झट अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें।
क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह १८, १९
  • २ तिमुथियुस ३

गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010

शैतान से धोखा

राडोवान कराडज़िक, एक समय बोसनिया में रहने वाले सर्ब लोगों का अगुवा था। उस देश में चले गृह युद्ध के दौरान, उसके ऊपर अपनी जाति से भिन्न साधारण नागरिकों के भारी नरसंहार का इल्ज़ाम था और वह ऐसा अपराधी था जिसे संसार में सबसे अधिक खोजा जा रहा था। लम्बी सफेद दाढ़ी बढ़ाए हुए और नकली पहचान पत्र रखकर वह एक चिकित्सक के रूप में काम करता रहा और लोगों को धोखा देता रहा। ऐसे १३ साल तक छुपे रहने के बाद अन्ततः उसकी असलियत पता लगी और वह पकड़ा गया।

बाइबल बताती है कि शैतान भी लोगों को भेष बदल कर धोखा देते रहने में माहिर है, और सृष्टि के आरंभ से ऐसा करता आ रहा है। मनुष्य के इतिहास के आरंभ में, अदन की वाटिका में वह ज्ञानी सलाहकार बन कर हव्वा के पास आया, और उसे यह समझा कर बहकाया कि परमेश्वर उसके और आदम के साथ पूरी तरह से ईमानदार नहीं है (उत्पति ३:१-५)। पौलुस सचेत रहने को कहता है "क्‍योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्‍वर्गदूत का रूप धारण करता है" (२ कुरिन्थियों ११:१४)।

प्रभु यीशु ने शैतान की वास्तविकता प्रगट करी - " तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्‍योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है, क्‍योंकि वह झूठा है, बरन झूठ का पिता है" (यूहन्ना ८:४)। हर एक झूठ और धोखा शैतान की ओर से है, चाहे वह झूठ कितना भी आकर्षक, तर्कसंगत या परिस्थितियों के संदर्भ में कितना भी उचित क्यों न लगे। तर्क और ज्ञान के ऐसे जाल में फंसा कर शैतान लोगों को बहकाता और फंसाता रहता है।

शैतान के विषय में लोग दो तरह की गलत धारणा रखने के कारण धोखा खा जाते हैं। कुछ तो उसे कालपनिक मान कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं और कुछ अन्य उसे वास्तविकता से अधिक सामर्थशाली मानकर उसके आगे घुटने टेक देते हैं। हम धोखा न खाएं, शैतान सामर्थी अवश्य है, बाइबल भी उसे "इस संसार[युग] का ईश्वर" कहकर संबोधित करती है (२ कुरिन्थियों ४:४); लेकिन प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों को उसके सामने डरने और घबराने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि विश्वासियों के लिये बाइबल यह भी बताती है कि " हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है, क्‍योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (१ युहन्ना ४:४)। वह दिन आने को है जब शैतान सदा काल के लिये आग की झील में डाल दिया जाएगा (प्रकशितवाक्य २०:१०)।

शैतान के उसके अंजाम तक पहुंचने के दिन तक हम चौकस रहें कि वह हमें धोखा न देने पाए और हम ऐसे धर्मी जीवन जीते रहें जो मसीह के चरित्र को प्रदर्शित करते हों क्योंकि "...वही सच्‍चा है, और उस में अधर्म नहीं" (यूहना ७:१८)। - सी. पी. हिया


शैतान के पास सिवाय धोखे और कपट के और कुछ देने को नहीं है।

फिर मैं ने स्‍वर्ग पर से यह बड़ा शब्‍द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है, क्‍योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया। - प्रकशितवाक्य १२:१०


बाइबल पाठ: प्रकशितवाक्य १२:७-१२

फिर स्‍वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्‍वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर और उनके दूत उस से लड़े।
परन्‍तु प्रबल न हुए, और स्‍वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही।
और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो इब्‍लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।
फिर मैं ने स्‍वर्ग पर से यह बड़ा शब्‍द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है, क्‍योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया।
और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्‍त हुए, और उन्‍होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।
इस कारण, हे स्‍वर्गों, और उन में के रहने वालों मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्‍योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है, क्‍योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह १५-१७
  • २ तिमुथियुस २

बुधवार, 27 अक्टूबर 2010

अद्भुत सृष्टि का अद्भुत परमेश्वर

जमैका, वेस्ट इंडीज़ का एक अचरज भरा खाड़ी स्थल है "Luminous Lagoon" - यह जमैका के उत्तरी तट पर स्थित, दिन में साधारण सा दिखने वाला समुद्र का मुहाना है, जो रात आने पर विस्मित कर देने वाला बन जाता है। यदि आप यहां रात में आएं, तो पाएंगे कि समुद्र का जल अनगिनित ज्योतिर्मान जीवाश्मों से भरा पड़ा है, जो पानी के हिलने पर चमकने लगते हैं। यदि कोई मछली आपकी नाव के पास से निकले तो वह जुगुनु की तरहा चमकती दिखती है, नाव चलने से उसके पीछे पानी की चमकती हुई लकीर दिखाई देती है।

परमेश्वर की इस अद्भुत सृष्टि का नज़ारा देखने वाला अवाक और मंत्रमुग्ध सा रह जाता है; लेकिन परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि की कुल छटा का यह अंशमात्र ही है। इस अद्भुत सृष्टि के बारे में हम अय्युब ३७, ३८ में पढ़ते हैं, परमेश्वर वहां सृष्टि से संबंधित कुछ प्रश्न अय्युब से पूछता है - " क्या तू जानता है, कि ईश्वर क्योंकर अपने बादलों को आज्ञा देता, और अपने बादल की बिजली को चमकाता है? - अय्युब ३७:१५" ; " उजियाले के निवास का मार्ग कहां है, और अन्धियारे का स्थान कहां है? - अय्युब ३८:१९"

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि, चाहे वह चकाचौंध कर देने वाला बिजली का चमकना हो, या पानी में रौशनी बिखरते जीवाश्म हों, हमारे लिये बहुत रहस्यमय हैं, किंतु जैसा उसने अय्युब को स्मरण दिलाया, वे सब उसके हाथों की कलकृतियां हैं जो उसके ज्ञान, योग्यता और सामर्थ का एक छोटा सा नमूना हैं। इन विस्मित कर देने वाली बातों को देखकर हम अय्युब के समान इतना ही कह पाते हैं कि यह बातें मेरी समझ से बाहर हैं (अय्युब ४२:३)।

भजनकार कहता है "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है" (भजन १९:१-३); और पौलुस ने कहा "इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं" (रोमियों १:१९, २०)।

इस अद्भुत सृष्टि का सृष्टिकर्ता अद्भुत परमेश्वर आज आपको अपनी बाहों में भर लेने के लिये आपकी ओर अपने हाथ फैलाये हुए है। क्या आप उसे निराश करेंगे? क्या आज आप उससे कहेंगे "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा कर और मुझे स्वीकार कर?" - डेव ब्रैनन


जब हम सृष्टि से विस्मित होना छोड़ देते हैं, तब सृष्टिकर्ता की उपासना करना भी छोड़ देते हैं।

परन्तु मैं तो ईश्वर ही को खोजता रहूंगा और अपना मुक़द्दमा परमेश्वर पर छोड़ दूंगा। वह तो एसे बड़े काम करता है जिनकी थाह नहीं लगती, और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जाते। - अय्युब ५:८, ९


बाइबल पाठ: अय्युब ३७:१-१८

फिर इस बात पर भी मेरा ह्रृदय कांपता है, और अपने स्थान से उछल पड़ता है।
उसके बोलने का शब्द तो सुनो, और उस शब्द को जो उसके मुंह से निकलता है सुनो।
वह उसको सारे आकाश के तले, और अपनी बिजली को पृथ्वी की छोर तक भेजता है।
उसके पीछे गरजने का शब्द होता है, वह अपने प्रतापी शब्द से गरजता है, और जब उसका शब्द सुनाई देता है तब बिजली लगातार चमकने लगती है।
ईश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भूत रीति से सुनाता है, और बड़े बड़े काम करता है जिनको हम नहीं समझते।
वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, और इसी प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है।
वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, जिस से उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचानें।
तब वनपशु गुफाओं में घुस जाते, और अपनी अपनी मांदों में रहते हैं।
दक्खिन दिशा से बवणडर और उतरहिया से जाड़ा आता है।
ईश्वर की श्वास की फूंक से बरफ पड़ता है, तब जलाशयों का पाट जम जाता है।
फिर वह घटाओं को भाप से लादता, और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है।
वे उसकी बुद्धि की युक्ति से इधर उधर फिराए जाते हैं, इसलिये कि जो आज्ञा वह उनको दे, उसी को वे बसाई हुई पृथ्वी के ऊपर पूरी करें।
चाहे ताड़ना देने के लिये, चाहे अपनी पृथ्वी की भलाई के लिये वा मनुष्यों पर करुणा करने के लिये वह उसे भेजे।
हे अय्यूब ! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर।
क्या तू जानता है, कि ईश्वर क्योंकर अपने बादलों को आज्ञा देता, और अपने बादल की बिजली को चमकाता है?
क्या तू घटाओं का तौलना, वा सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्म जानता है?
जब पृथ्वी पर दक्खिनी हवा ही के कारण से सन्नाटा रहता है तब तेरे वस्त्र गर्म हो जाते हैं;
फिर क्या तू उसके साथ आकाशमणडल को तान सकता है, जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है?

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह १२-१४
  • २ तिमुथियुस १

मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010

प्रभु के अनुरूप

एक इतवार प्रातः जब मैं चर्च में प्रवेश कर रहा था तो मुझे देखकर एक छोटे बच्चे ने अपनी माँ से पूछा "माँ, क्या यही यीशु है?" यह कहने की आवश्यक्ता नहीं है कि मैं उस माँ के उत्तर को सुनने को उत्सुक्त था। माँ ने कहा, "नहीं, यह तो हमारे पास्टर हैं।" मैं जानता था कि वो ऐसा ही कुछ कहेगी, लेकिन मन में चाह थी कि वह इसके साथ कुछ इस तात्पर्य की पंक्तियां भी जोड़ दे कि " ...लेकिन उन्हें देखकर हमें यीशु स्मरण आता है।"

प्रभु यीशु के अनुरूप होना उनके जीवन का उद्देश्य है जो उसका अनुसरण करने को बुलाए गए हैं। वास्तव में, जैसा प्रचारक जौन स्टौट का कहना है, यह अनुरूपता हमारे जीवन के अतीत, वर्तमान और भविष्य का एकमात्र लक्ष्य है। रोमियों ८:२९ बताता है कि अतीत में "क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों", वर्तमान में "...हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (२ कुरिन्थियों ३:१८) और भविष्य में "इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है" (१ यूहन्ना ३:२)।

यीशु के अनुरूप होने का तात्पर्य कुछ नियमों का पालन करना, चर्च जाना, दशमांश देना आदि नहीं है। इसका तात्पर्य है उसकी क्षमा के एहसास को अपने जीवन में बनाए रखना, और दूसरों के प्रति सदा दयालुता और अनुग्रह का व्यवहार बनाए रखना। इसका तात्पर्य है ऐसा जीवन जीना जो यीशु के समान, हर एक जन को बहुमूल्य जानता हो और वैसे ही उनकी कद्र भी करता हो। इसका तात्पर्य है परमेश्वर पिता की आज्ञाकारिता को पूर्णरूप से समर्पित जीवन जीना। उद्धार पाए प्रत्येक जन के लिये यह अनुरूपता अनिवार्य है।

यीशु के समान बनिये, आप को मिले उद्धार का यही उद्देश्य है। - जो स्टोवैल


ऐसे जीओ कि लोग आप में यीशु को देख सकें।

क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों ८:२९


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-२९

इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ९-११
  • १ तिमुथियुस ६

सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

एक लेखक, मिच अल्बौम, को विचार आया कि यदि कुछ ऐसे व्यक्ति, जिनके पार्थिव जीवन पर आपने इस पृथ्वी पर कोई प्रभाव डाला हो, वे आपसे स्वर्ग में मिलें, और स्वर्ग में आपके पार्थिव जीवन की व्याख्या करें, तो स्वर्ग आपके लिये कैसा स्थान होगा? इस विचार के आधार पर करी गई अपनी कल्पना को उसने पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक है "The Five People You Meet in Heaven"।

मिच अल्बौम की यह पुस्तक इस बात पर अवश्य अन्तःदृष्टि देती है कि जाने-अन्जाने हम कैसे दूसरों के जीवन को कैसे प्रभावित करते रहते हैं, परन्तु एक मसीही विश्वासी के लिये स्वर्ग में अनन्त आनन्द का आधार किसी अन्य व्यक्ति की राय नहीं है। उसके इस अनन्त आनन्द का आधार है प्रभु यीशु मसीह से उसका संबंध। स्वर्ग एक वास्तविक स्थान है, जहां प्रभु यीशु अपने लोगों के लिये तैयारी कर रहा है (यूहन्ना १४:२, ३) और वहां हम प्रभु यीशु से मिल कर सदा आनंदित रहेंगे।

परन्तु प्रभु यीशु से यह स्वर्गीय मुलाकात पृथ्वी पर व्यतीत किये गये हमारे जीवन में प्रभु के प्रति हमारे उतरदायित्व को निभाने का लेखा-जोखा लिये जाने का भी समय होगा। प्रभु द्वारा बुद्धिमानी और न्याय से किया गया हमारे पार्थिव जीवन का मूल्यांकन प्रगट करेगा कि हम उसके प्रति कितने आज्ञाकारी रहे और हमने उससे कैसा प्रेम किया; और स्वर्ग में मिलने वाले हमारे कर्मों के प्रतिफल भी निर्धारित करेगा "क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए" (२ कुरिन्थियों ५:१०)।

हम यह तो नहीं जानते कि स्वर्ग में सबसे पहले हम किन पाँच लोगों से मिलेंगे, लेकिन यह अवश्य जानते हैं कि सर्वप्रथम हम किससे मिलेंगे - प्रभु यीशु से। क्या आप उससे मिलने और उसके मूल्यांकन के लिये तैयार हैं? - डेनिस फिशर


प्रभु यीशु के साथ अनन्त काल तक रहना अनन्त आनन्द का आधार है।

क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए। - २ कुरिन्थियों ५:१०


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:६-११

और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
क्‍योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।
क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।
सो प्रभु का भय मान कर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ६-८
  • १ तिमुथियुस ५

रविवार, 24 अक्टूबर 2010

छिपी बातों के खुले प्रभाव

फ्लोरिडा प्रांत की ओकीचोबी झील बहुत सालों से अपने गहरे जल और गाढ़े कीचड़ में बहुत से राज़ छुपाए हुए थी, परन्तु सन २००७ के सूखे ने उसके जल स्तर को बहुत ही कम कर दिया, जितना कि कभी नहीं हुआ था। पानी हटने से, झील के तले में सालों से छिपी बातें प्रगट हो गईं। झील के उघाड़े तले से झील का पुराना इतिहास उजागर हो गया, वहां पुरातत्व शास्त्रियों को कई प्राचीन कला कृतियां, टूटे बर्तन के टुकड़े, मानव हड्डियों के टुकड़े और पुरानी नावें मिलीं।

बतशीबा के साथ व्यभिचार करने और फिर उसके पति उरियाह को मरवा देने के ष्ड़यंत्र को रचने के बाद राजा दाऊद ने अपने इन पापों को छिपा लिया, उनका अंगीकार नहीं किया। वह कई महीनों तक ऐसे कार्य करता रहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं और अपनी धार्मिक ज़िम्मेदारियां भी निभाता रहा। लेकिन जब तक दाऊद अपने पाप को ढांपे रहा, परमेश्वर की दोषी ठहराने वाली उंगली उस पर उठी रही और वह उसके बोझ तले दबा कराहता रहा, उसकी सामर्थ ऐसे सूख गई जैसे गरमी से पानी सूख जाता है (भजन ३२:३, ४)।

जब नातान नबी ने दाऊद का सामना उसके पाप से कराया, तब दाऊद अपने पाप के दोष से ऐसा दबा हुआ था कि उसने तुरंत परमेश्वर के सामने अपने पाप को मान लिया और उनसे पश्चाताप किया। जैसे ही दाऊद ने अपने पाप को माना और पश्चाताप किया, परमेश्वर ने उसके पाप को क्षमा कर दिया और दाऊद ने परमेश्वर की दया और अनुग्रह को, पापों की क्षमा की शांति को महसूस किया (२ सैमुएल १२:१३; भजन ३२:५; भजन ५१)।

छिपे पापों के खुले परिणाम बहुत कष्टदायक होते हैं और पाप सदा छिपे भी नहीं रहते; कभी न कभी, किसी न किसी रूप में वे उजागर हो ही जाते हैं और तब उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है।

सावधान रहें, अपने पापों को न नज़रांदाज़ करें और न ही छुपाएं। जब हम अपने पापों को परमेश्वर के आगे खोल देते हैं तब वह अपनी क्षमा और दया से हमें ढांप देता है। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर को वह अर्पित करें जो वह सबसे अधिक चाहता है - एक टूटा और पश्चातापी मन।

जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपके अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। - भजन ३२:५


बाइबल पाठ:

क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ांपा गया हो।
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं।
क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा, और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
तू मेरे छिपने का स्थान है, तू संकट से मेरी रक्षा करेगा, तू मुझे चारों,ओर से छुटकारे के गीतों,से घेर लेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३-५
  • १ तिमुथियुस ४

शनिवार, 23 अक्टूबर 2010

प्रभु के निकट

स्टैन और जैनिफर अपनी सुसमाचार सेवकाई के प्रथम चरण के पूरा होने पर एक सम्मेलन में अपने अनुभवों के बारे में बता रहे थे। जैनिफर ने एक महिला के साथ मती ४:१९ पर हुई चर्चा के बारे में बताया; उस महिला ने जैनिफर को उनकी भाषा में "पीछे चलने" के लिये प्रयोग होने वाले एक शब्द के बारे में बताया जिसका अर्थ होता है "दूरी बनाकर नहीं वरन बहुत निकट से पीछे चलना।"

इस बात को समझाने के लिये, जैनिफर ने एक चप्पल ली और उस चप्पल की एड़ी से सटाकर दूसरी चप्पल के सिरे को रख दिया, उस शब्द का अर्थ ऐसे ही बिलकुल सामने वाले की एड़ी से अपना पांव मिलाकर चलना होता है। हमें भी ऐसी ही नज़दीकी से प्रभु का अनुसरण करना चाहिये।

बाद में जब जैनिफर अपनी प्रतिदिन की डायरी का पुनरावलोकन करने लगी तो उसने पाया कि कई बार उसने यह प्रश्न किया "क्या यीशु काफी है?" अपनी उन सेवकाई के दिनों में उसने कई परेशानियों का सामना किया था, जैसे अन्जान संसकृति में समायोजित होना, अकेलापन, बिमारी, बांझपन आदि। कभी कभी उसने अपने आप को प्रभु यीशु मसीह से दूर भी अनुभव किया। परन्तु जब भी प्रार्थना और विश्वास से वह प्रभु की एड़ी से अपना पांव मिलाकर चलने वाली - प्रभु के निकट रहने वाली बनी, प्रभु ने उसके मन की बेचैनी दूर करी, उसके बल को पुनःस्थापित किया और उसे अपनी शांति से परिपूर्ण किया।

क्या आप अपने आप को प्रभु से दूर महसूस करते हैं; क्या आपके जीवन में खोखलापन है, पस्त हौंसले और डरी हुई आत्मा है? यही समय है प्रभु के निकट आने का और उसकी शांति की सामर्थ को अनुभव करने का। - डेव एगनर


हम जितना परमेश्वर के निकट होकर चलेंगे, उतनी ही स्पष्टता से उसके मार्गदर्शन को देख सकेंगे।

मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा। - मती ४:१९


बाइबल पाठ: मती ४:१८-२५

और उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा।
वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया
वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बल्ता को दूर करता रहा।
और सारे सूरिया में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थे, और जिन में दुष्टात्माएं थीं और मिर्गी वालों और झोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और उस ने उन्हें चंगा किया।
और गलील और दिकापुलिस और यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह १, २
  • १ तिमुथियुस ३

शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

स्मर्णशक्ति का सदुपयोग

न्यू यॉर्क टाईम्स में प्रकाशित एक लेख में बताया गया कि कंप्यूटर में आंकड़ों को संग्रहण करने की क्षमता की बढ़ोतरी से मनुष्य द्वारा अपनी स्मर्णशक्ति का उपयोग कम होता जा रहा है। हमारे इलैक्ट्रौनिक उपकरण अब हमारे लिये फोन नम्बर, विभिन्न स्थानों और लोगों के पते-ठिकाने तथा वहां तक पहुंचने के साधन और रास्ते इत्यादि याद रखते हैं। यह सब और ऐसी ही अन्य जानकारियां कुछ समय पहले हम बार बार उपयोग के द्वारा याद करते थे। विद्यालयों में अब पाठ को कंठस्त करने और स्मरण करके बताने की प्रथा लोप होती जा रही है। टाईम्स के इस लेख के अनुसार हम अब ऐसी संसकृति को बढ़ावा दे रहे हैं जो स्मरणशक्ति के विकास को महत्व नहीं देती।

इस बदलते संसार में अब मसीही विश्वासियों के लिये यह और भी अधिक आवश्यक हो गया है कि वे परमेश्वर के वचन को अपने मन में बसा लें "जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं, मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं" (भजन ११९:९-११)। परमेश्वर के वचन को स्मरण करना केवल स्वस्थ मानसिक अभ्यास ही नहीं है, वरन इसका उद्देश्य है कि हम अपने मन को परमेश्वर के वचन से ऐसा भर लें कि हमारे जीवनों का निर्वाह उसके निर्देशों के अनुसार हो जाएं। भजनकार ने लिखा " हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा। मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे, तू अपने मार्ग में मुझे जिला" (भजन ११९:३३, ३७)।

क्यों न आज से ही परमेश्वर के वचन को स्मरण करना आरंभ कर दें? इस स्मरण अभ्यास प्रक्रिया में सफल्ता की कुंजी है इसके प्रतिदिन का नियमित अनुशासन और याद किये गये को बार बार दोहराते रहना। और जैसे शारीरिक व्यायाम के लिये, वैसे ही आत्मिक अभ्यास के लिये भी किसी मित्र या छोटे समूह में किया जाना, और भी अधिक उपयोगी होता है।

परमेश्वर के वचन के जीवनदायी ज्ञान और शिक्षाओं का पालन करना कभी न भूलें। - डेविड मैककैसलैंड


बाइबल की बातों से अपने मन को भर लो, उसे अपने हृदय पर राज्य और जीवन को निर्देशित करने दो।

मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे, तू अपने मार्ग में मुझे जिला। - भजन ११९:३७


बाइबल पाठ: भजन ११९:३३-४०

हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा।
मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा।
अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं।
मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
तेरा वचन जो तेरे भय मानने वालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ६५-६६
  • १ तिमुथियुस २

गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

विरोध निवारण

आज के दिन को बहुत से देशों में विरोध निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने मतभेद अपसी बातचीत या किसी की मध्यस्तता द्वारा सुलझा लें न कि कानूनी तरीकों का सहारा लें।

यह कहा जाता है कि "चर्च में होने वाले झगड़े सबसे बुरे झगड़े होते हैं" क्योंकि ये झगड़े उन लोगों में होते हैं जो एकता और प्रेम में विश्वास करते हैं और उनका प्रचार करते हैं। कई मसीही किसी दूसरे मसीही द्वारा ऐसे दुखी हुए हैं कि वे फिर कभी लौटकर चर्च में नहीं आये।

बाइबल में यूआदिया और सुन्‍तुखे को नाम द्वारा संबोधित करके उनसे अनुरोध किया गया कि अपने मतभेद भुलाकर "वे प्रभु में एक मन रहें" (फिलिप्पियों ४:२)"। इस कार्य में उन्हें अकेला छोड़ देने के स्थान पर पौलुस ने एक सहविश्वासी से अनुरोध किया कि "हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों ४:३)। इसी संदर्भ में पौलुस ने फिलिप्पियों के अन्य विश्वासियों से आग्रह किया कि वे अपने निवेदन परमेश्वर के सन्मुख लाएं क्योंकि प्रार्थना परमेश्वर की शान्ति को लाती है और उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति का एहसास दिलाती है (फिलिप्पियों ४:७, ९)। मसीही मण्डली में टूटे हुए रिशते, समस्त मण्डली की सामूहिक ज़िम्मेवारी हैं।

जब मतभेद और दुखी मन हों तो धैर्य से उनकी सुनकर, उन्हें प्रोत्साहित करके और उनके साथ प्रार्थना करके इन बातों का निवारण किया जा सकता है। - डेविड मैककैसलैंड


क्षमा ही वह उपाय है जो टूटे रिशते जोड़ देता है।

मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। - फिलिप्पियों ४:२

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१-९

इसलि्ये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्‍द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
और हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो, मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।
निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ६२-६४
  • १ तिमुथियुस १

बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

दुखी लोगों की सहायता

जब भी मैंने किसी दुखी व्यक्ति से पूछा है कि "आपकी सहायता किसने की?" तो किसी ने भी कभी किसी ऐसे जन का नाम नहीं लिया जो कोई प्रसिद्ध दार्शनिक हो या धर्म के अध्ययन में जिसने कोई उँची उपलब्धी प्राप्त करी हो। उनकी सहायता करने वाले साधारण लोग ही थे। हममें से प्रत्येक के पास दुखियारों की सहायता करने की समान क्षमता है।

हर एक के दुख के निवारण के लिये सब पर एक समान काम करना वाला कोई उपाय नहीं है। यदि आप दुख भोगने वालों से पूछें तो कोई किसी ऐसे मित्र को याद करेगा जिसने खुश-मिज़ाजी से उन्हें दुख से ध्यान हटाने में उनकी सहायता करी; तो कुछ ऐसे भी हैं जो दुख में इस तरह की खुश-मिज़ाजी को अपमानजनक मानते हैं। कुछ ऐसे हैं जो सीधी, स्पष्ट बात द्वारा सांत्वना पाते हैं तो दूसरे ऐसी स्पष्ट और सीधी बातों को अत्यधिक निराशाजनक मानते हैं।

दुखी जन के लिये कोई जादूई इलाज नहीं है, परन्तु फिर भी एक बात है जिसकी सब को आवश्यक्ता होती है, वह है उनस्के प्रति प्रेम दिखाने की; सच्चा प्रेम सहजबोध से स्वतः ही समझ जाता है कि दुखी जन को क्या चाहिये। जौं वानियर, जिसने जन्म से अपंग लोगों के लिये "L'Arche" आन्दोलन चलाया, का कहना है कि: "दुखी और आहत लोग जो कष्ट और बिमारियों द्वारा टूट चुके हैं, बस एक ही बात चाहते हैं - एक प्रेम करने वाला हृदय जो उनको समर्पित हो, एक हृदय जो उनमें आशा जगाने की लालसा से भरा हो।"

ऐसा प्रेम दिखाना हमारे लिये बहुत कठिन हो सकता है। लेकिन पौलुस प्रेरित सच्चे प्रेम की परिभाषा में याद दिलाता है कि "वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है" (१ कुरिन्थियों १३:७)।

जैसा परमेश्वर के काम करने की रीति है, वह बहुत साधारण को लोगों को अपनी चंगाई पहुंचाने का माध्यम बनाता है। जो दुखी हैं उन्हें हमारा ज्ञान और सूझ-बूझ नहीं चाहिये, उन्हें हमसे केवल सच्चा प्रेम चाहिये। - फिलिप यैन्सी


जो अपना प्रेम प्रकट नहीं करते, वे सच्चा प्रेम भी नहीं करते। - शेक्स्पीयर

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - १ कुरिन्थियों १३:१३


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३

यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है।
वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी।
अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५९-६१
  • २ थिसुलिनीकियों ३

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

सेवा-निवृति या सेवाकाई का आरंभ?

४० वर्ष तक अध्यापिका का कार्य करके जेन हैन्सन सेवा-निवृत हुईं। उस समय वे और उनके पति अपने पहिले पोते या पोती के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

सेवा-निवृति वह समय होता है जब लोग बस आराम करने या घूमने फिरने या अपनी किसी मन पसन्द बात के लिये समय बिताना चाहते हैं। किंतु जेन ने अपने घर के पास के एक नगर में कुछ जोखिम में पड़े हुए यवकों के मध्य सेवाकाई के विष्य में सुना, और उसने ठान लिया कि वह इसमें सम्मिलित होगी। उन्होंने कहा "मैंने जाना कि वहां ऐसे युवक हैं जिन्हें सहायता की प्रतीक्षा है और मैं यह सहायता कर सकती थी और उनके जीवनों में फर्क ला सकती थी।" जेने ने एक जवान लाईबीरियाई युवक को अंग्रेज़ी भाषा सिखानी आरंभ करी, जो अपने देश में चल रहे गृह युद्ध के कारण जान बचा कर भागने को मजबूर हुआ था, और अब वह सुरक्षित तो था लेकिन भाषा ना आने के कारण अपने शरणस्थान में परेशान था। अपनी इस नयी सेवाकाई के विषय में जेन ने कहा, "मैं अपना समय व्यतीत करने के लिये दुकानों में घूमना और खरीददारी करना भी कर सकती थी, पर उससे मुझे क्या खुशी मिलती?"

आज जेन किसी की ज़िन्दगी में एक फर्क ला रही है। शायद उसने कुछ हद तक प्रभु यीशु की इस बात को समझा "क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती १६:२५)। दूसरों की सहायता करने और अपने आप को प्रभु को समर्पित करने में अपने आप का और अपनी लालसाओं का इन्कार करना पड़ता है, किंतु एक दिन प्रभु इस खुद-इन्कारी का प्रतिफल देगा (मती १६:२७)।

आज हम जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, जेन का उदाहरण हमें प्रेरित करता है कि उसकी तरह हम भी परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम के कारण अपने आप को किसी के जीवन में भला करने के लिये उपयोगी बनाएं। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के लिये काम करें, उसकी सेवा-निवृति योजना इस संसार से परे की है।

जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। - मत्ती १६:२५


बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८

तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्‍कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा, और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्‍या लाभ होगा या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्‍या देगा?
मनुष्य का पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्‍वाद कभी न चखेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५६-५८
  • २ थिसुलिनीकियों २

सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

बच्चों के भले भविष्य के लिये

मेरे माता पिता चाहते थे कि उनके भी बच्चे उनके जैसे अच्छे संगीत के चहने वाले हों। इसके लिये उन्होंने बच्चों की कहानियों के संगीतमय रूपकों का सहारा लिया। वे लोकप्रीय कहानियां संगीतबद्ध होकर और भी आकर्ष्क हो जाती थीं और उनका गहरा प्रभाव हमारे जीवनों पर हुआ और साथ साथ हम संगीत और वाद्ययंत्रों के बारे में भी सीख सके।

यदि किसी व्यसक को बच्चों कोई बात सिखानी या समाझानी हो तो इसका सबसे अच्छा तरीका होता है उसे किसी कहानी के रूप में बताना, तब वह आसानी से समझाई भी जा सकती है और याद भी हो जाती है। बाइबल की महान सच्चाईयां चरित्र संवारती भी हैं और गलत निर्ण्यों के दुष्परिणाम भी दिखाती हैं (१ कुरिन्थियों १०:११), इसलिये बच्चों को इन सच्चाईयों को सिखाना आवश्यक है, जो कहानियों के रूप में किया जा सकता है। उनके मन की नम्र भूमि में विश्वास के ये बीज बो देने से वे देख पाते हैं कि संसार के इतिहास में परमेश्वर किस प्रकार से अपने प्रेम करने वालों के जीवन में कार्य करता रहा है। साथ ही वे यह भी सीख पाते हैं कि कैसे परमेश्वर सदा अपने लोगों के जीवन में सम्मिलित रहता है।

जो हमने परमेश्वर को अपने जीवन में करते देखा है और जो वह संसार के इतिहास में अपने लोगों के जीवन में करता आया है, उसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाना न सिर्फ हमारा कर्तव्य है वरन परमेश्वर द्वारा हमें दी गई ज़िम्मेवारी भी है (व्यवस्थाविवरण ११:१-२१)। बच्चों के भले भविष्य के लिये यह अनिवार्य है कि वे बचपन से ही परमेश्वर और विश्वास के भले प्रतिफलों को जान सकें। - सिंडी हैस कैसपर


आपके बच्चों का कल का चरित्र इस पर निर्भर करता है कि आज आप उनके हृदय में क्या बोते हैं!

और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी [परमेश्वर के वचन की] चर्चा करके अपने लड़के-बालों को सिखाया करना। - व्यवस्थाविवरण ११:१९


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ११:१३-२१

और यदि तुम मेरी आज्ञाओं को जो आज मैं तुम्हें सुनाता हूं ध्यान से सुनकर, अपके सम्पूर्ण मन और सारे प्राण के साथ, अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो और उसकी सेवा करते रहो,
तो मैं तुम्हारे देश में बरसात के आदि और अन्त दोनों समयों की वर्षा को अपने अपने समय पर बरसाऊंगा, जिस से तू अपना अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल संचय कर सकेगा।
और मै तेरे पशुओं के लिये तेरे मैदान में घास उपजाऊंगा, और तू पेट भर खाएगा और सन्तुष्ट रहेगा।
इसलिये अपने विषय में सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन धोखा खाएं, और तुम बहक कर दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उनको दण्डवत करने लगो,
और यहोवा का कोप तुम पर भड़के, और वह आकाश की वर्षा बन्द कर दे, और भूमि अपनी उपज न दे, और तुम उस उत्तम देश में से जो यहोवा तुम्हें देता है शीघ्र नष्ट हो जाओ।
इसलिये तुम मेरे ये वचन अपने अपने मन और प्राण में धारण किए रहना, और चिन्हानी के लिये अपके हाथों पर बान्धना, और वे तुम्हारी आंखों के मध्य में टीके का काम दें।
और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा करके अपने लड़के-बालों को सिखाया करना।
और इन्हें अपने अपनेके घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना;
इसलिये कि जिस देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे तुम्हें दूंगा, उस में तुम्हारे और तुम्हारे लड़के-बालों की दीर्घायु हो, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५३-५५
  • २ थिसुलिनीकियों १

रविवार, 17 अक्टूबर 2010

महान कन्धों पर

हमारी कथा-कहानियों में, ऐतिहासिक एवं कालपनिक दोनो रूपों में, विशलकाय मानवों का विशेष स्थान रहा है। ऐतिहासिक भीमकाय गोलियत से लेकर कालपनिक कहानी "Jack and the Beanstalk" के राक्षस तक, इन विशल देह वाले मानवों से हम रोमांचित होते रहे हैं।

कभी कभी हम किसी सामन्य शरीर वाले मनुष्य को भी महामानव के रूप में देखते हैं क्योंकि उसने कुछ असाधारण काम किये होते हैं, इसलिये हम उन्हें महान मानते हैं। ऐसे ही एक महान व्यक्ति थे १७वीं शताब्दी के मशहूर भौतिकशास्त्री सर आइज़क न्यूटन। वे एक मसीही विश्वासी थे और उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने से पहले आए महान लोगों को दिया, उन्होंने कहा "यदि मैं कुछ आगे देख सका हूं तो यह संभव हुआ मेरा महान लोगों के कंधों पर चढ़ पाने के द्वारा।" न्यूटन भी ऐसे ही महान व्यक्तितव बन गए जिनके कंधों पर उनके बाद के वैज्ञानिक चढ़ सके और उनके अविष्कारों के सहारे अन्तरिक्ष की यात्रा संभव हो सकी।

जब परमेश्वर ने यहोशु को इस्त्राएलियों को वाचा की भूमि में ले जाने की आज्ञा दी, तब भी यहोशु के पास सहारे के लिये महान कन्धे थे - वह ४० साल तक परमेश्वर के सेवक मूसा द्वारा इस्त्राएलियों की अगुवाई को देखता रहा था और उससे सीखता रहा था, अब समय था कि जो उसने सीखा उसे कार्यान्वित करे। यहोशु के पास एक लाभ की बात और थी - परमेश्वर के साथ उसकी संगति। अर्थात अब उसके पास मूसा का उदाहरण और परमेश्वर की संगति दोनो थे जो इस्त्राएलियों को वाचा की भूमि में लेजाकर बसाने में उसकी सहायता करते।

भविष्य की अनिश्चितता का सामना करने के लिये क्या आप किसी सहारे की तलाशा में हैं? किसी ऐसे महान व्यक्तित्व का अनुसरण कीजीए जो इस राह चला हो, और इस अनुसरण में परमेश्वर की संगति को भी अपने साथ ले लीजिए। पौलुस ने कहा "तुम मेरी सी चाल चलो जैसे मैं मसीह की सी चाल चलता हूँ" (१ कुरिन्थियों ११:१); प्रभु यीशु मसीह और बाइबल के विश्वासियों के उदाहरण आपको सही राह पर लेकर चलेंगे। - डेनिस फिशर


अच्छा उदाहरण वह है जो मार्ग जानता हो, मार्ग पर चलता हो और मार्ग दिखाता हो।

यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना १४:६


तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा, जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। - यहोशू १:५


बाइबल पाठ: यहोशु १:१-९

यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र था कहा,
मेरा दास मूसा मर गया है, सो अब तू उठ, कमर बान्ध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार होकर उस देश को जा जिसे मैं उनको अर्थात इस्राएलियों को देता हूं।
उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्थात जिस जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हे दे देता हूं।
जंगल और उस लबानोन से लेकर परात महानद तक, और सूर्यास्त की ओर महासमुद्र तक हित्तियों का सारा देश तुम्हारा भाग ठहरेगा।
तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा, जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा।
इसलिये हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा, क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा।
इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ होकर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना, और उस से न तो दहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा।
व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा।
क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो, क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५०-५२
  • १ थिसुलिनीकियों ५

शनिवार, 16 अक्टूबर 2010

मृत्यु पर जय

मसीही विश्वास द्वारा हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन को जीने की शैली में परिवर्तन आता है, परन्तु इस विश्वास की अन्तिम परीक्षा होती है मृत्यु के समक्ष हमारी प्रतिक्रीया से।

जब हम अपने किसी सह-विश्वासी की मृत्यु उप्रांत, उसकी याद में आयोजित प्रार्थना सभा में भाग लेने जाते हैं, तो हम एकत्रित होते हैं एक विश्वास के योद्धा को आदर देने जिसके जीवन ने बहुत से जीवनों को आशीशित किया। इन सभाओं मे जो कहा जाता है वह अकसर परमेश्वर के प्रति धन्यवाद और परमेश्वर की प्रशंसा होता है न कि किसी व्यक्ति की बड़ाई। ये सभाएं हमारे प्रभु द्वारा मृत्यु और कब्र पर प्राप्त जय की गवाही और परमेश्वर को महिमा देने का अवसर होतीं हैं (१ कुरिन्थियों १५:५४-५७)।

लेखक आर्थर पोरिट, इंग्लैण्ड के एक कट्टर नास्तिक चार्ल्स ब्रैड्लॉफ के अन्तिम संसकार में शामिल हुए। वहां से लौटकर उन्होंने अपने अनुभव का बयान किया: "वहां, कब्र पर न कोई प्रार्थना करी गई, न किसी ने कुछ कहा। उसके मृत शरीर को एक हलके से कफन में डाल कर, उसे जल्दी से कब्र में उतार दिया गया, मानो सड़े-गले मांस को नज़रों से दूर करने की जल्दी हो। मैं वहां से बहुत आहत और स्तब्ध होकर लौटा। तब मुझे एहसास हुआ कि मृत्यु के साथ इन्सानी व्यक्तित्व के समाप्त हो जाने पर विश्वास करने और मृत्यु के बाद के जीवन का इंकार करने से मृत्यु को कैसी भयानक विजय मिलती है।"

लेकिन मसीही विश्वासीयों के लिये ऐसा नहीं है क्योंकि वे मृत्यु के पश्चात अपने प्रभु से आमने-सामने मिलने और फिर उसकी संगति में रहने, तथा अन्ततः शरीरों के पुनरुत्थान पर विश्वास करते हैं (१ कुरिन्थियों १५:४२-५५, १ थिसुलिनीकियों ४:१५-१८)। मृत्यु उनके लिये अन्त नहीं है वरन एक अनन्त स्वर्गीय आनन्द का आरंभ है।

क्या आपका विश्वास आपको मृत्यु पर जय में आनन्दित होने का कारण देता है? - वेर्नन ग्राउंडस


क्योंकि मसीह जीवित है, इसलिये उसके विश्वासी भी जीवित रहेंगे।

बाइबल पाठ: १ थिसुलिनीकियों ४:१३-१८

हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो, ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाई शोक करो जिन्‍हें आशा नहीं।
क्‍योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्‍हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।
क्‍योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।
क्‍योंकि प्रभु आप ही स्‍वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्‍द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।
सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो।
एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ४७-४९
  • १ थिसुलिनीकियों ४

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

हमारे मार्ग का रक्षक

पिछले पतझड़, मैं और मेरी पत्नी अपने घर के निकट एक घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर कार से जा रहे थे। रास्ते में, हमारे सामने भेड़ों का एक बड़ा झुंड हमारी ओर आता दिखाई दिया, एक अकेला चरवाहा उनके आगे आगे चल रहा था और उसके साथ भेड़ों की रखवाली करने वाले कुते भी थे। वह उन्हें ग्रीष्म काल की चरागाहों से निकालकर, आने वाली शीत ॠतु के लिये सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा था। हमने कार सड़क के किनारे खड़ी कर ली और जब तक वह झुंड हमारे इर्द-गिर्द होकर निकलता हुआ आंखों से ओझल नहीं हो गया हम उसे देखते रहे। फिर मेरे मन में प्रश्न आया - "क्या भेड़ें भी बदलाव से, नई जगहों पर जाने से डरती हैं?"

जैसा अधिकतर बुज़ुर्ग लोग करते हैं, मुझे अपने ’बाड़े’ में ही रहना पसन्द है जहां मुझे जाने पहचाने लोग और स्थान दिखते रहें। परन्तु आजकल सब कुछ बदल रहा है, मुझे नए और अन्जान स्थानों पर जाना पड़ता है। मन में प्रश्न उठते हैं कि आते दिनों में कौन सी नई सीमाएं मुझे लांघनी पड़ेंगी? कौन से नए और बेनाम डरों का सामना करना पड़ेगा? ऐसे में यूहन्ना १०:४ में प्रभु यीशु द्वारा कहे गए शब्द तसल्ली देते हैं "जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है"

आते वर्ष में या उसके बाद हमारे लिये जो कुछ भी रखा हो, हमारा चरवाहा जानता है कि हमें किस मार्ग से जाना है और वह हमारे आगे आगे चलता है, इसलिये हमें भविष्य के लिये चिंतित होने की आवश्यक्ता नहीं है। वह हमारी सीमाएं और क्षमताएं जानता है, इसलिये हमें कभी ऐसे मार्गों पर नहीं लेकर चलेगा जो हमारे लिये खतरनाक या कठिन हों या जिनमें उसकी सहयाता हमारे साथ न हो।

वह हमारे लिये हरियाली चारगाहों और स्वच्छ जल के मार्ग को जानता है, बस हमें उसके पीछे पीछे चलना है। - डेविड रोपर


जो भविष्य हमारे लिये अन्जान है वह हमारे सर्वज्ञाता परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित है।

जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं क्‍योंकि वे उसका शब्‍द पहचानती हैं। - यूहन्ना १०:४


बाइबल पाठ: यूहन्ना १०:१-६

मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्‍तु और किसी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है।
परन्‍तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है।
उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेंड़ें उसका शब्‍द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है।
और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं क्‍योंकि वे उसका शब्‍द पहचानती हैं।
परन्‍तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्‍तु उस से भागेंगी, क्‍योंकि वे परायों का शब्‍द नहीं पहचानतीं।
यीशु ने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा, परन्‍तु वे न समझे कि ये क्‍या बातें हैं जो वह हम से कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ४५, ४६
  • १ थिसुलिनीकियों २

गुरुवार, 14 अक्टूबर 2010

शांत हो जाओ

मैं अपने दांतों के इलाज के लिये दन्त चिकित्सक के पास गया। मुझे इलाज के लिये उसकी विशेष कुर्सी पर बैठना था, और मैं घबरा रहा था। मेरे चेहरे और मेरे हाव-भाव से मेरी घबराहट साफ झलक रही थी। मुझे देख कर द्न्त चिकित्सक ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल, सब ठीक है; ज़रा शान्त रहने की कोशिश करो।"

ऐसा करना आसान नहीं है, वास्तव में यह बहुत कठिन है - कोशिश करना, जिसमें प्रयास और मेहनत लगती है; शांत रहना, जहां प्रयास और मेहनत अनुपस्थित होते हैं। शांत रहना और कोशिश करना आपस में ताल मेल नहीं खाते - केवल दन्त चिकित्सक की कुर्सी पर ही नहीं, आत्मिक जीवन में भी।

अकसर होता है कि मेरा प्रतिरोध केवल दन्त चिकित्सक के यहां जाने तक ही सीमित नहीं होता, मसीह के साथ अपने संबंध में भी कई दफा अपने उदेश्यों को पूरा करने के लिये मैं परमेश्वर पर नहीं वरन अपने प्रयासों पर अधिक निर्भर रहता हूँ। ऐसे में मेरे लिये यह सबसे कठिन होता है कि मैं "शांत रहने की कोशिश करूँ" और पूर्ण रूप से परमेश्वर पर भरोसा रखूं कि वह मुझे जीवन की कठिन परीक्षाओं में से सही सलामती से निकाल लेगा।

भजन ४६:१० में हम पढ़ते हैं कि "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!" जब मैं चिंतित और बेचैन होता हूँ तब यह पद मुझे स्मरण दिलाता है कि मैं शांत हो जाऊं और विश्वास रखूं।

यह जान लेने के बाद बस अब मुझे केवल इसका पालन करने की आवश्यक्ता है, और फिर मैं परमेश्वर की देखभाल में शान्ति से रहने पाऊँगा। - बिल क्राउडर


परमेश्वर हमारा भविष्य जानता है और हम उसके हाथों मे सुरक्षित हैं।

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन ४६:१०


बाइबल पाठ: भजन ४६

परमेश्वर हमारा शरण स्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं,
चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठे।।
एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं, पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे, वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
सेनाओं का यहोवा हमारे संगे है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों,को आग में झोंक देता है!
चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों,में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ४३, ४४
  • १ थिसुलिनीकियों २

बुधवार, 13 अक्टूबर 2010

प्रभावी जीवन

चीन की राजधानी बीजिंग में अगस्त ८, २००८ को ओलम्पिक्स खेलों का उद्‍घाटन समारोह था। उद्‍घाटन स्थल पर ९०,००० दर्शक बैठे थे, और समस्त विश्व में उस समारोह का टी.वी. पर प्रसारण हो रहा था। मैंने भी उसे टेलीविज़न पर देखा। चीन के ५००० साल के इतिहास, उप्लबधियों और चीन द्वारा संसार को दीये गए अविश्कारों जैसे कागज़ बनाना, कुतुबनुमा, आतिशबाज़ी आदि का विवरण सुनना बहुत उत्साहवर्धक और प्रभावशाली था।

राजा सुलेमान के वैभव की चर्चा सुनकर, शीबा की रानी मिलने उससे आई (१ राजा १०:४, ५)। सुलेमान की राजधानी यरुशलेम की चकाचौंध और सुलेमान की बुद्धिमता को देखकर वह कह उठी कि मैंने जो सुना था वह इसका आधा भी नहीं था (पद ७)। शीबा की रानी इस बात के लिये कायल हुई कि सुलेमान राजा की प्रजा इसलिये सुखी थी क्योंकि वे राजा से बुद्धिमानी की बातें सीखते थे (पद ८)। इन सब बातों का प्रभाव यह हुआ कि रानी ने सुलेमान के परमेश्वर को माना और उसे सुलेमान को राजा बनाने और उसके न्याय और धार्मिकता से राज्य करने के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया (पद ९)।

सुलेमान का अपने लोगों पर हुए प्रभाव को पढ़कर मैं संसार पर अपने प्रभाव के बारे में सोचने लगा। बात अपनी सम्पदा और योग्यता से दूसरों को प्रभावित करने की नहीं है, बात है कि दूसरों के जीवन पर हम कैसा प्रभाव डालते हैं? प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा "तुम पृथ्वी के नमक हो" (मती ५:१३) ज़रा सा नमक भोजन का स्वाद बना देता है। क्या प्रभु यीशु के चेले होने के नाते हम अपने आस पास के लोगों के जीवन पर भला प्रभाव डालते हैं?

आईये आज हम में से प्रत्येक कुछ ऐसा करे जो लोगों को प्रभु की प्रशंसा करने के लिये उत्साहित करे। - सी.पी. हिया


मसीही विश्वासी वे खिड़कियां हैं जिनमें हो कर लोग मसीह को देखते हैं।

तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्‍वर्ग में हैं, बड़ाई करें। - मती ५:१६


बाइबल पाठ: १ राजा १०:४-१०

जब शीबा की रानी ने सुलैमान की सब बुद्धिमानी और उसका बनाया हुआ भवन, और उसकी मेज पर का भोजन देखा,
और उसके कर्मचारी किस रीति बैठते, और उसके टहलुए किस रीति खड़े रहते, और कैसे कैसे कपड़े पहिने रहते हैं, और उसके पिलाने वाले कैसे हैं, और वह कैसी चढ़ाई है, जिस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है, यह सब जब उस ने देखा, तब वह चकित हो गई।
तब उस ने राजा से कहा, तेरे कामों और बुद्धिमानी की जो कीर्ति मैं ने अपने देश में सुनी थी वह सच ही है।
परन्तु जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उन बातों की प्रतीत न की, परन्तु इसका आधा भी मुझे न बताया गया था। तेरी बुद्धिमानी और कल्याण उस कीर्ति से भी बढ़कर हैं, जो मैं ने सुनी थी।
धन्य हैं तेरे जन, धन्य हैं तेरे ये सेवक जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।
धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझ से ऐसा प्रसन्न हुआ कि तुझे इस्राएल की राजगद्दी पर विराजमान किया : यहोवा इस्राएल से सदा प्रेम रखता है, इस कारण उस ने तुझे न्याय और धर्म करने को राजा बना दिया है।
और उस ने राजा को एक सौ बीस किक्कार सोना, बहुत सा सुगन्ध द्रव्य, और मणि दिया; जितना सुगन्ध द्रव्य शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को दिया, उतना फिर कभी नहीं आया।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ४१, ४२
  • १ थिसुलिनिकियों १

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010

छोटी बातों के बड़े प्रभाव

किसी बात का विस्तृत विवरण बहुत फर्क ला सकता है। इसका तातपर्य उस जर्मन व्यक्ति से पूछिये जिसने अपनी क्रिसमस की छुट्टियां अपनी मंगेतर के साथ ऑस्ट्रेलिया के सिडनी (Sydney) शहर में बिताने की योजना बनाई, क्योंकि उन दिनों वहां ग्रीष्म काल होता है, किंतु पहुंच गया अमेरिका के मौन्टना प्रदेश के सिडनी (Sidney) शहर में जो तब बर्फ से ढका रहता है। भाषा की वर्तनी (spelling) में छोटी सी चूक ने उसके लिये इतना बड़ा उलट-फेर कर दिया!

शायद व्याकरण के पूर्वसर्ग (Prepositions) हमें भाषा में महत्वपूर्ण न लगें और हम उन्हें नज़रंदाज़ कर देते हों, परन्तु वे बात के अर्थ में बहुत अन्तर ला सकते हैं। उदाहरण के लिये "में" और "के लिये" को ही लीजिये। पौलुस प्रेरित ने लिखा "हर बात में धन्यवाद करो" (१ थिसुलुनीकियों ५:१८), इसका यह अर्थ नहीं है कि हर बात के लिये धन्यवाद करो। किसी दूसरे के गलत निर्णयों या चुनावों से उत्पन्न परिस्थितियों के लिये हमें धन्यवादी होने की आवश्यक्ता नहीं है, परन्तु उन परिस्थितियों में भी हम परमेश्वर के धन्यवादी रह सकते हैं, क्योंकि वह उनसे होने वाली कठिनाइयों को भी हमारे लिये भलाई में बदल सकता है।

पौलुस द्वारा फिलेमौन को लिखे पत्र में यह दिखता है। पौलुस के साथ बन्दीगृह में एक भगोड़ा दास उनेसिमुस था। पौलुस को इस बुरी परिस्थिति के लिये धन्यवादी होने की आवश्यक्ता नहीं थी: किंतु फिर भी उसका पत्र धन्यवाद से भरा हुआ है, क्योंकि वह देख पा रहा था कि परमेश्वर उसके कष्ट को भलाई के लिये उपयोग कर रहा है। पौलुस के साथ रहकर बन्दीगृह के कष्ट झेलते हुए, उनेसिमुस अब केवल एक भगोड़ा दास नहीं रह गया था, वरन उसके और मण्डली के लिये वह प्रभु में प्रीय भाई बन गया था (पद १६)।

इस बात पर भरोसा रखना कि परमेश्वर हर बात को भले के लिये उपयोग कर सकता है, हर परिस्थिति में उसके प्रति धन्यवादी होने के लिये काफी है।

कठिन और कष्टदायक परिस्थितियों में भी परमेश्वर के प्रति धन्यवादी होना एक छोटी सी बात है जिसके बड़े परिणाम होते हैं। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर ने हमें जीवन की आंधियों से परे रखने का वायदा नहीं किया, वरन उन आंधियों में स्वयं हमारे साथ बने रहकर हमारी रक्षा करने का वायदा अवश्य किया है।

हर बात में धन्यवाद करो - १ थिसुलुनीकियों ५:१८


बाइबल पाठ: फिलेमौन १:४-१६

मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुनकर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।
सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।
कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
क्‍योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्‍द और शान्‍ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं।
इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा हियाव तो है, कि जो बात ठीक है, उस की आज्ञा तुझे दूं।
तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं।
मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं।
वह तो पहिले तेरे कुछ काम का न था, पर अब तेरे और मेरे दोनों के बड़े काम का है।
उसी को अर्थात जो मेरे ह्रृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है।
उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण हैं, मेरी सेवा करे।
पर मैं ने तेरी इच्‍छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्‍द से हो।
क्‍योंकि क्‍या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे।
परन्‍तु अब से दास की नाई नहीं, बरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३९, ४०
  • कुलुस्सियों ४

सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

पठनी और करनी

एक चर्च के पास्टर से उसके चर्च के एक सदस्य ने बड़े गुस्से से पूछा "पास्टर, 'Our Daily Bread' पुस्तिकाएं कहां हैं?" मसीही भक्ति और शिक्षाओं की इन छोटी पुस्तकों का नया संसकरण अभी चर्च के बाहर के हॉल में नहीं रखा गया था, जिसके कारण इस व्यक्ति ने पास्टर से यह दुर्व्यवहार किया, यद्यपि यह पास्टर की ज़िम्मेदारी नहीं थी कि वह इन पुस्तिकाओं को रखे और वितरित करे। उसके इस व्यवहार से पास्टर दुखित हुआ।

जब मुझे इस घटना का पता चला तो परिस्थिति के विरोधाभास से मैं खिन्न हुआ। इन पुस्तिकाओं का उद्देश्य मसीही चरित्र और परमेश्वर के अनुग्रह में लोगों को बढ़ाना है। और जो मसीही विश्वासी इन पुस्तिकाओं को पढ़ते हैं, हम आशा रखते हैं कि वे आत्मिक जीवन की परिपक्वता की ओर अग्रसर हैं, जिससे, जैसे पौलुस कहता है, "इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो" (कुलुस्सियों ३:१२)।

हमारे आत्मिक अनुशासन - परमेश्वर के वचन को और उसके साथ दिये गए सन्देश को पढ़ना, प्रार्थना और आराधना करना, अपने आप में बात का अन्त नहीं होने चाहिये, वरन ये वे माध्यम होने चाहियें जिनके द्वारा हम मसीह की समानता, परमेश्वर की निकटता और आत्मिक जीवन की परिपक्वता में बढ़ते जाते हैं। हम केवल वचन पढ़ने वाले न हों वरन " मसीह के वचन को अपके हृदय में अधिकाई से बसने दो" (कुलुस्सियों ३:१६) और यह वचन हमारे जीवन के हर पहलु और हमारे व्यवहार में संसार को दिखाई दे। - डेव ब्रैनन


बाइबल पढ़ना का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जित करना नहीं है, उसका वास्तविक उद्देश्य हमारे मन का परमेश्वर की ओर परिवर्तन है।

इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। - कुलुस्सियों ३:१२


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१२-१७

इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
मसीह के वचन को अपने ह्रृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३७, ३८
  • कुलुस्सियों ३

रविवार, 10 अक्टूबर 2010

सत्य पर कायम रहना

अमेरिका में बीसवीं सदी के आरंभ में प्रचलित रंगभेद की पृष्ठभूमि पर लिखित उपन्यास "To Kill a Mockingbird" का एक पात्र, एटिकस फिन्च, १९३० के दशक में दक्षिण अमेरिका के एक छोटे शहर में एक प्रतिष्ठित वकील है। उसे एक मुकद्दमा लड़ना होता है जिसमें एक काले रंगे वाले इमान्दार और सीधे साधे व्यक्ति के विरुद्ध दो कुटिल और बेईमान गोरे खड़े होते हैं। एटिकस जानता है कि उसे पंचों से बहुत पक्षपात का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उसका विवेक उसे बाध्य करता है कि कठोर प्रतिरोध के बावजूद वह सत्य को निडरता से साथ प्रस्तुत करे और सत्य पर कायम रहे।

बाइबल के पुराने नियम में भी परमेश्वर ने ढीट और कठोर मन वाली अपनी प्रजा के पास अपने नबी भेजे ताकि वे उन्हें सत्य को बताएं "तौभी उस ने उनके पास नबी भेजे कि उनको यहोवा के पास फेर लाएं, और इन्होंने उन्हें चिता दिया, परन्तु उन्होंने कान न लगाया" (२ इतिहास २४:१९)। सत्य के अपने सन्देश के कारण उन नबीओं को बहुत सताव का सामना करना पड़ा और कई मारे भी गए (इब्रानियों ११:३२-३८)।

प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई के समय भी उसे सत्य पर कायम रहने और सत्य का प्रचार करने के कारण लोगों के क्रोध और बैर का सामना करना पड़ा "ये बातें सुनते ही जितने आराधनालय में थे, सब क्रोध से भर गए। और उठकर उसे नगर से बाहर निकाला, और जिस पहाड़ पर उन का नगर बसा हुआ या, उस की चोटी पर ले चले, कि उसे वहां से नीचे गिरा दें। पर वह उन के बीच में से निकलकर चला गया" (लूका ४:२८-३०)। परन्तु परमेश्वर ने अपनी सार्वभौमिकता में, संसार के हाकिमों द्वारा घोर अन्याय से सत्य पर कायम प्रभु यीशु को क्रूस की मृत्यु दिये जाने को ही समस्त संसार के लिये पापों से मुक्ति पाने और उद्धार का मार्ग बना दिया!

अब, इस संसार में, जीवित प्रभु के प्रतिनिधी होने के कारण उसके अनुयाइयों को यह ज़िम्मेवारी सौंपी गई है कि वे संसार को प्रभु के मार्ग का प्रचार करें तथा न्याय, ईमानदारी और आपसी मेल मिलाप को बढ़ावा दें (मती २८:१८-२०, मीका ६:८, २ कुरिन्थियों ५:१८-२१)। ऐसा करने के लिये उन्हें कई दफा कठोर प्रतिरोध के समक्ष सत्य पर कायम रहना पड़ेगा, और उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी (२ तिमुथियुस ३:१२)। सत्य पर कायम रहना और सत्य का प्रचार करना, प्रत्येक मसीही विश्वासी को दी गई ज़िम्मेवारी है, जिसे उन्हें तब तक निभाना है जब तक प्रभु दोबारा आकर सब कुछ ठीक ठाक न कर दे (प्रकाशितवाक्य २०:११-१५)। - डेनिस फिशर


सत्य को दबाकर या छुपाकर संसार में स्थान बनाने की जाने की बजाए, सत्य पर बने रहने के लिये संसार द्वारा तिरिस्कृत होना कहीं बेहतर है।

तौभी उस ने उनके पास नबी भेजे कि उनको यहोवा के पास फेर लाएं, और इन्होंने उन्हें चिता दिया, परन्तु उन्होंने कान न लगाया। - २ इतिहास २४:१९


बाइबल पाठ: २ इतिहास २४:१५-२२

परन्तु यहोयादा बूढ़ा हो गया और दीर्घायु होकर मर गया। जब वह मर गया तब एक सौ तीस वर्ष का था।
और दाऊदपुर में राजाओं के बीच उसको मिट्टी दी गई, क्योंकि उस ने इस्राएल में और परमेश्वर के और उसके भवन के विषय में भला किया था।
यहोयादा के मरने के बाद यहूदा के हाकिमों ने राजा के पास जाकर उसे दणडवत की, और राजा ने उनकी मानी।
तब वे अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा का भवन छोड़कर अशेरों और मूरतों की उपासना करने लगे। सो उनके ऐसे दोषी होने के कारण परमेश्वर का क्रोध यहूदा और यरूशलेम पर भड़का।
तौभी उस ने उनके पास नबी भेजे कि उनको यहोवा के पास फेर लाएं, और इन्होंने उन्हें चिता दिया, परन्तु उन्होंने कान न लगाया।
और परमेश्वर का आत्मा यहोयादा याजक के पुत्र जकर्याह में समा गया, और वह ऊंचे स्थान पर खड़ा होकर लोगों से कहने लगा, परमेश्वर यों कहता है, कि तुम यहोवा की आज्ञाओं को क्यों टालते हो? ऐसा करके तुम भाग्यवान नहीं हो सकते, देखो, तुम ने तो यहोवा को त्याग दिया है, इस कारण उस ने भी तुम को त्याग दिया।
तब लोगों ने उस से द्रोह की गोष्ठी करके, राजा की आज्ञा से यहोवा के भवन के आंगन में उसको पत्थरवाह किया।
यों राजा योआश ने वह प्रीति भूलकर जो यहोयादा ने उस से की थी, उसके पुत्र को घात किया। और मरते समय उस ने कहा यहोवा इस पर दृष्टि करके इसका लेखा ले।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३४-३६
  • कुलुस्सियों २

शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

आँसुओं के लिये खेद?

मेरी एक सहेली अपने जीवन में एक बड़ा परिवर्तन कर रही थी - ५० वर्ष से जिसके लिये वह कार्य करती रही, उसे छोड़कर अब वह एक नए काम के लिये जा रही थी। अपने सहकर्मियों से विदा लेते समय वह रोती भी जा रही थी और अपने आँसुओं के लिये क्षमा भी मांगती जा रही थी।

अपने आँसुओं के लिये हम कभी कभी खेदित क्यों होते हैं? शायद हम आँसुओं को कमज़ोरी की निशानी और हमारे चरित्र में किसी बात के लिये असहाय होने का सूचक मानते हैं और अपनी कमज़ोरी को लोगों के सामने लाना नहीं चाहते। या, हो सकता हो कि हमें लगता है कि हमारे आँसु दूसरों को दुखी कर रहे हैं इसलिये हम उनसे क्षमा मांगते हैं।

हमें स्मरण रखना चाहिये कि हमारी भावनाएं हमें परमेश्वर द्वारा दी गई हैं, हम उसके स्वरूप में सृजे गए हैं (उत्पत्ति १:२७)। परमेश्वर भी खेदित होता है, दुखी होता है - उत्पत्ति ६:६, ७ में बताया है कि वह अपने लोगों के पापों और उनके कारण जो उसमें और लोगों में विच्छेद आया, उससे वह दुखी और क्रोधित हुआ। देहधारी परमेश्वर, प्रभु यीशु, अपने मित्रों मरियम और मार्था के साथ उनके भाई लाज़र की मृत्यु पर शोकित हुआ, उसकी आत्मा दुखी हुई और इस दुख में वह सबके सामने रोया भी (यूहन्ना ११:२८-४४), किंतु अपने दुख के खुले प्रगटिकरण के लिये उसने किसी से क्षमा नहीं मांगी।

जब अन्ततः हम स्वर्ग पहुंचेंगे, तो वहां कोई दुख, वियोग या दर्द नहीं होगा। परमेश्वर हमारी आँखों से सब आँसु पोंछ डालेगा (प्रकाशितवाक्य २१:४); लेकिन तब तक जो आँसु बहते हैं उनके लिये खेदित होने और क्षमा मांगने की आवश्यक्ता नहीं है। - एनी सेटास


जब मन में सन्देह उठे कि क्या प्रभु यीशु मेरी परवाह करता है, तो उसके आँसुओं को स्मरण करना।

जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ - यूहन्ना ११:३३


बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:३२-४४

जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
उन्‍होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
यीशु के आंसू बहने लगे।
तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
परन्‍तु उन में से कितनों ने कहा, क्‍या यह जिस ने अन्‍धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
यीशु ने कहा पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मार्था उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
यीशु ने उस से कहा, क्‍या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
तब उन्‍होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्‍तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
यह कहकर उस ने बड़े शब्‍द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
जो मर गया या, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था और यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३२, ३३
  • कुलुस्सियों १

शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010

प्रभु की बुलाहट

मैं सोचता हूँ कि उस प्रातः झील के किनारे, अवश्य प्रभु के चेलों ने प्रभु के साथ अपने प्रथम अनुभव को पुनःअनुभव किया होगा। यूहन्ना अध्याय २१ में प्रभु और चेलों की एक घटना दी गई है। अपनी परिस्थितियों और हाल की घटनाओं से निराश और विचिलित होकर कुछ चेलों ने प्रभु के पीछे चलने की बजाए, वापस अपने पुराने जिविका कमाने के तरीके पर लौटने का निर्णय किया। वे पहले मछुआरे थे, और अब फिर मछलीयां पकड़ने निकल पड़े। वे सारी रात मेहनत करते रहे पर कुछ भी हाथ न लगा।

भोर के समय झील के किनारे से किसी ने उन से कहा "नाव की दाहिनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्‍होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके" (यूहन्ना २१:६)। तब उन्होंने पहचान लिया कि बात करने वाल प्रभु यीशु ही था। निसन्देह उनका ध्यान प्रभु यीशु से हुई उनकी पहले की एक मुलाकात की ओर गया होगा; तब भी प्रभु ने रात भर की असफल मेहनत के बाद ऐसे ही मछलियां पकड़ने का आशचर्यकर्म उनके जीवन में किया था, और फिर उन्हें आमंत्रण दिया कि वे अपने जाल और नाव छोड़कर उसके पीछे हो लें (लूका ५:१-११)।

उन चेलों के समान, जब हम प्रभु के साथ के अपने सफर में निराशाओं में घिरने लगते हैं और हमें कुछ मार्ग नहीं सूझ पड़ता, तो स्वाभाविक प्रतिक्रीया होती है कि वापस अपनी पुरानी ज़िन्दगी कि ओर लौट चलें और अपने मार्ग खुद तलाश करें। ऐसे में फिर से प्रभु अपना अनुग्रह और क्षमा लिये हमारे समीप आकर हमें बुलाता है, अपनी विश्वासयोग्यता और अपनी सामर्थ को फिर हमारे सम्मुख लाता है, प्रभु के साथ हमारे पिछले अनुभवों को स्मरण दिलाता है और फिर से हमें उस सेवकाई के लिये जिसके लिये उसने हमें बुलाया था तैयार करके खड़ा करता है।

उसकी बुलाहट, सामर्थ और संगति हमारे साथ सदा बनी रहती है। - जो स्टोवैल


प्रभु यीशु हमें अपने साथ चलने के लिये बुलाता है और जब आवश्यक होता है उस बुलाहट को दोहराता है।

इन
बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया। - यूहन्ना २१:१

बाइबल पाठ: यूहन्ना २१:१-१४

इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया।
शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्‍दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे।
शमौन पतरस ने उन से कहा, मैं मछली पकड़ने जाता हूं: उन्‍होंने उस से कहा, हम भी तेरे साथ चलते हैं: सो वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्‍तु उस रात कुछ न पकड़ा।
भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ, तौभी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है।
तब यीशु ने उन से कहा, हे बालको, क्‍या तुम्हारे पास कुछ खाने को है? उन्‍होंने उत्तर दिया कि नहीं।
उस ने उन से कहा, नाव की दाहिनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्‍होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके।
इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है: शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्‍योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा।
परन्‍तु और चेले डोंगी पर मछिलयों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्‍योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे।
जब किनारे पर उतरे, तो उन्‍होंने कोएले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी।
यीशु ने उन से कहा, जो मछिलयां तुम ने अभी पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ।
शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिर्पन बड़ी मछिलयों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछिलयां होने पर भी जाल न फटा।
यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है?
यीशु आया, और रोटी लेकर उन्‍हें दी, और वैसे ही मछली भी।
यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३०, ३१
  • फिलिप्पियों ४

गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010

आपसी समझ

किसी भी आदमी के लिये अपनी पत्नि से प्रेम रखने का सर्वोत्तम तरीका है उसे समझना। पतरस ने कहा, अनिवार्य है कि "...हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्‍नियों के साथ जीवन निर्वाह करो..." (१ पतरस ३:७)।

यह सिद्धांत दोनो पक्षों पर लागू होता है। पति भी चाहते हैं कि पत्नियां उन्हें समझें। वास्तव में हम सब ऐसा चाहते हैं, चाहे हम शादीशुदा हों या नहीं। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उससे संबंधित लोग उसे भली भांति समझ सकें। हम इस इच्छा के साथ पैदा होते हैं और यह जीवन भर हमारे साथ बनी रहती है।

किसी के लिये हमारा यह कहना कि मैं उसे नहीं समझ पा रहा हूँ, बात टालने का सूचक है। अगर चाहें तो हम दूसरे को समझ सकते हैं और हमें समझना भी है। इसके लिये आवश्यक है उस व्यक्ति के प्रति धैर्य और उसके लिये समय निकालना। जब हम समय लगाकर, धैर्य के साथ दूसरे की सुनने को तैयार हों, बातों को स्पष्ट करने के लिये उससे विनम्रता के साथ बात करने और उसकी बातों को महत्व देने को तैयार हों, तो यह संभव हो सकता है - यह बस इतना ही सरल अथवा कठिन है! कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के हृदय की गहराईयों को पूरी तरह चाहे नहीं समझ पाए, परन्तु उसके बारे में प्रतिदिन कुछ नया ज़रूर सीख सकता है। नीतिवचन के ज्ञानी लेखक ने कहा "जिसके पास बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है..." (नीतिवचन १६:२२)।

आज ही परमेश्वर से प्रार्थना में मांगें कि वह आपको यह अनुग्रह दे कि आप अपने जीवन से संबंधित लोगों के लिये समय निकल सकें, उनको समझ सकें। - डेविड रोपर


सुनना, समझने के लिये खुला द्वार है।

मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तौभी समझ वाला मनुष्य उसको निकाल लेता है। - नीतिवचन २०:५


बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:१६-२२

बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।
बुराई से हटना सीधे लोगों के लिये राजमार्ग है, जो अपने चालचलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहले घमण्ड होता है।
घमण्डियों के संग लूट बांट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।
जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
जिसके पास बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २८, २९
  • फिलिप्पियों ३

बुधवार, 6 अक्टूबर 2010

चिरस्थाई और उतम भाग

एक सर्वेक्षण में, जो १३९ देशों और २०,००० से अधिक मसिही विश्वासी कार्यकर्ताओं में किया गया, पाया गया कि विश्व भर में, औसतन ४० प्रतिशत मसीही कहते हैं कि वे एक कार्य से दूसरे कार्य के लिये हमेशा या अकसर भागते रहते हैं; और लगभग ६० प्रतिशत मानते हैं कि कार्य की व्यस्तता हमेशा या अकसर उनके जीवन में परमेश्वर के साथ अच्छा संबंध विकिसित करने में बाधा होती है। स्पष्ट है कि जीवन के कार्यों में व्यस्त होना, परमेश्वर के साथ हमारी संगति करने में एक बाधा है।

मार्था के लिये भी कार्यों में व्यस्त होना प्रभु यीशु के साथ संगति करने में बाधा बना। मार्था ने प्रभु यीशु और उसके चेलों को अपने घर में आमंत्रित किया, जब वे आए तो वह उनके पांव धोने, उनके लिए भोजन बनाने, उन्हें आराम से रखने में व्यस्त हो गई। यह सब करना तो आवश्यक था, परन्तु यह सब उसके लिए प्रभु के साथ बैठने और उसकी बात सुनने से अधिक महत्वपूर्ण हो गया, प्रभु के साथ उसकी संगति में आनन्दमग्न होने में बाधा बन गया। इसके विपरीत उसकी बहन मरियम ने प्रभु के चरणों पर बैठकर प्रभु की बात सुनना पसन्द किया और "प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था, तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्‍तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।" (लूका १०:३८-४२)

आज आपका क्या हाल है? क्या आप भी एक कार्य से दूसरे कार्य की भाग-दौड़ में इतने व्यस्त हैं कि आपका ध्यान प्रभु से हट गया है, और उसके साथ संगति का मधुर आनन्द आपके जीवन में नहीं है? यदि ऐसा है तो परमेश्वर से प्रार्थना में मांगें कि वह आपका ध्यान प्रभु यीशु मसीह पर केंद्रित करने और जीवन की व्यस्तता से निकालने में आपकी सहायता करे, जिससे आप प्रभु की संगति और शांत जीवन के आनन्द का वह उत्तम भाग पा सकें, जो आपसे कभी छीना नहीं जा सकता। - मारविन विलियम्स


यदि आप परमेश्वर के लिये उचित समय नहीं निकल पा रहे हैं तो आप वास्तव में अनआवश्यक तौर पर व्यस्त हैं।

पर मार्था सेवा
करते करते घबरा गई - लूका १०:४२

बाइबल पाठ: लूका १०:३८-४२

फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
और मरियम नाम उस की एक बहिन थी, वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी, हे प्रभु, क्‍या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था, तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है।
परन्‍तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २६, २७
  • फिलिप्पियों २

मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010

मृत्यु के काबिल

१९४० के दशक में कठोर नाट्ज़ी प्रशासन के नियंत्रण द्वारा अपने देश का पतन होते हुए देख सोफी शौल नामक एक जर्मन युवती ठान लिया कि वह देश की दशा सुधारने के लिये कुछ करेगी। वह और उसके भाई और उनके कुछ मित्रों ने मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से नाट्ज़ी प्रशासन के सिद्धांतों और योजनाओं का जो वे देश पर थोप रहे थे, विरोध करना आरंभ किया।

सोफी और उसके साथ के लोग बन्दी बना लिये गए और अपने देश में हो रही बुराई के विरुद्ध आवाज़ उठाने के अपराध में उन्हें मृत्यु दण्ड दिया गया। यद्यपि सोफी मरने के लिये उत्सुक्त नहीं थी फिर भी देश की स्थिति को देखते हुए उसने ठान लिया कि कुछ तो करना है, चाहे इसके लिये मरना ही क्यों न पड़े।

सोफी की कहानी हमारे लिये एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है - क्या हमारे लिये कुछ ऐसा महत्वपूर्ण है जिसके लिये हम मरने को भी तैयार हों?

जिम इलियट, नेट सैंट, पीट फ्लेमिंग, रौजर युडेरिअन, एड मैक्कुल्ली - पांच जवान व्यक्ति, जिन्होंने अपने घरों, परिवारों और प्रीय जनों को छोड़ दक्षिण अमेरिका के जंगलों में सुसमाचार पहुंचाने की ठान ली, उसके लिये जान का जोखिम उठाया और अपने निर्ण्य को निभाते हुए सुसमाचार के लिये बलिदान हो गए। इलियट के एक लेख से ऐसे बलिदान होने का ठान लेने वालों के मन का अन्दाज़ा होता है; उसने लिखा "जो व्यक्ति, उस चीज़ को जिसे वह कभी अपने पास रख नहीं सकता, दे कर बदले में ऐसी चीज़ कमा लेता है जिसे वह कभी खो नहीं सकता, वह कदापि मूर्ख नहीं है।"

पौलुस प्रेरित ने इस भाव को दूसरे शब्दों में बयान किया - "क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।" (फिलिप्पियों १:२१)

कुछ बातें हैं जो वास्तव में ज़िन्दगी की कीमत पर भी करने के योग्य हैं, इस जीवन में भी और मरणोपरांत भी, और परमेश्वर की ओर से उनका प्रतिफल अति महान है - "पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।" ( २ तिमुथियुस ४:५, ८) - बिल क्राउडर


जो इस जीवन में विश्वासयोग्यता के साथ अपना क्रूस उठाकर चलते हैं, वे आते जीवन में प्रभु से जीवन का मुकुट पहनेंगे।

क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है। - फिलिप्पियों १:२१


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१९-२६

क्‍योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।
मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो, चाहे मैं जीवित रहूं अथवा मर जाऊं।
क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।
पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।
क्‍योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं, क्‍योंकि यह बहुत ही अच्‍छा है।
परन्‍तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।
और इसलिये कि मुझे इस का भरोसा है सो मैं जानता हूं कि मैं जीवित रहूंगा, वरन तुम सब के साथ रहूंगा जिस से तुम विश्वास में दृढ़ होते जाओ और उस में आनन्‍दित रहो।
और जो घमण्‍ड तुम मेरे विषय में करते हो, वह मेरे फिर तुम्हारे पास आने से मसीह यीशु में अधिक बढ़ जाए।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २३-२५
  • फिलिप्पियों १

सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

प्रभु की सेवा में

जब डेव और जॉय म्युलर को परमेश्वर की बुलाहट सुडान देश में मिशनरी बनकर जाने के लिये हुई, तो उन्हें अपने भविष्य का कुछ पता नहीं था। वे बस इतना जानते थे कि गृहयुद्ध से बरबाद हुए उस देश में वे एक अस्पताल बनाने में सहायता करने के लिये जा रहे हैं। उन्हें क्या पता था कि उनका भविष्य बकरियों में है!

सुडान में जब जॉय वहां कि स्त्रियों के बीच में काम करने लगी तो उसने पाया कि बहुत सी स्त्रियां वहां के विनाशकारी गृहयुद्ध के कारण विधवाएं थीं और उनके पास आमदनी का कोई स्त्रोत नहीं था। तब जॉय को एक उपाय सूझा - यदि वह एक गर्भवति बकरी एक विधवा स्त्री को दे तो उसे अपने पोष्ण के लिये दूध भी मिलेगा और आमदनी का स्त्रोत भी। इस कार्यक्रम को जारी रखने के लिये यह ज़रूरी था कि जिसे बकरी मिले, वह उस बकरी का बच्चा जॉय को लौट देगी, उस बकरी से मिलने वाला बाकी सब कुछ उस स्त्री का ही रहेगा। वह बच्चा कुछ समय बाद ऐसे ही किसी दूसरे ज़रूरतमंद परिवार को इसी शर्त के साथ दे दिया जाता। प्रभु यीशु के नाम में प्रेम से दी गई यह भेंट बहुतेरी सुडानी विधवाओं के जीवन को बदलने, और जॉय के लिये उद्धार के सुसमाचार को उनके पास लाने का माध्यम बनीं।

आज आपके पास ऐसे देने के लिये क्या है? अपने किसी पड़ौसी, मित्र या किसी अजनबी को भी आप प्रभु के नाम से क्या दे सकते हैं - अपनी कार में सवारी, उसके लिये कोई काम, उसकी सहायता के लिये अपनी कोई वस्तु?

मसीही विश्वासी होने के नाते दूसरों की आवश्यक्ताओं की चिंता करना हमारी ज़िम्मेदारी है - "पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?" (१ यूहन्ना ३:१७)। प्रेम में होकर किये गए हमारे कार्य दिखाते हैं कि प्रभु यीशु हमारे हृदयों मे निवास करता है, और दुसरों की आवश्यक्ताओं में उनकी सहायता करना हमें उनके साथ सुसमाचार बांटने का अवसर प्रदान करता है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर हमें हमारी आवश्यक्ता की हर चीज़ देता है जिससे हम भी दुसरों की आवश्यक्ताओं में उनकी सहायता करें।

पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है? - १ यूहन्ना ३:१७


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१६-२०

हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए, और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?
हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं, और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
क्‍योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है, और सब कुछ जानता है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २०-२२
  • इफिसियों ६

रविवार, 3 अक्टूबर 2010

सही समझ

नक्शे बनाने वालों को गोलाकार धरती को सपाट नक्शे पर दिखाने के लिये विकृतियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस समस्या का कोई सिद्ध उपाय नहीं है, इसलिये कुछ नक्शों में ग्रीनलैंड औस्ट्रेलिया से बड़ा दिखता है।

मसीही विश्वासियों को भी ऐसे ही कुछ बातों में बिगड़े स्वरूपों का सामना करना पड़ता है। जब हम भौतिक संसार की सीमाओं में बंधे, आत्मिक बातों को समझने का प्रयास करते हैं तो हो सकता है कि हम छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर और प्रधान बातों के महत्व को कम आंक कर देखते हों।

नए नियम में बहुत बार लोकप्रीय उपदेशकों की शिक्षाओं को परमेश्वर के वचन की शिक्षा से अधिक महत्व देने की विकृत प्रवृति के बारे में सिखाया गया है। पौलुस प्रेरित ने बताया कि परमेश्वर की "आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्‍छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्‍पन्न हो। इन को छोड़कर कितने लोग फिरकर बकवाद की ओर भटक गए हैं" ( १ तिमुथियुस १:५, ६)। सही उपदेश परमेश्वर के वचन को विकृत नहीं करता और न ही परमेश्वर की मण्डली में फूट डालता है। इसके विपरीत, सही शिक्षा द्वारा विश्वासियों की एकता बढ़ती है और मसीह की देह अर्थात मण्डली की उन्नति होती है, जिससे मण्डली का प्रत्येक सदस्य एक दुसरे की देख रेख करने (१ कुरिन्थियों १२:२५) और संसार में परमेश्वर के कार्य को बढ़ाने में उपयोगी होता है।

परमेश्वर को समझ पाने के सभी मानवीय प्रयास अपर्याप्त हैं और मानवीय समझ के सहारे परमेश्वर को समझना हमारी प्राथमिकताओं को बिगाड़ सकता है, हमें असमंजस में डाल सकता है और हमारी आत्मिक बातों की समझ को टेढ़ा कर सकता है। परमेश्वर के सत्य को विकृत करने से बचने के लिये हमें किसी मनुष्य की समझ पर नहीं वरन परमेश्वर ही पर आधारित रहना चाहिये - "इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो" (१ कुरिन्थियों २:५)। उसका वायदा है कि "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है, और उस को दी जाएगी" (याकूब १:५), "मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुनकर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता" (यर्मियाह ३३:३)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सही गलत की उचित पहचान करने के लिये हर बात को परमेश्वर के सत्य की ज्योति के सम्मुख लाईये।

इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो। - १ कुरिन्थियों २:५


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-१६

और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।
और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथरता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं, परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था।
इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया।
जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखा, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपनेके प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं।
परन्‍तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्‍योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता, केवल मनुष्य की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेवर का आत्मा।
परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्‍तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।
परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्‍योंकि वे उस की दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्‍हें जान सकता है क्‍योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्‍तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।
क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए परन्‍तु हम में मसीह का मन है।
एक साल में बाइबल:
  • यशायाह १७-१९
  • इफिसियों ५:१७-३३