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शनिवार, 31 जनवरी 2015

बचाए गए



   दक्षिण अमेरिका के चिली देश में सन 2010 में एक गहरी खदान में बड़ा विस्फोट हुआ और 33 खदान मज़दूर धरती की सतह से 2000 फीट नीचे खान के अन्दर फंस गए। उन्हें बचाने के लिए एक बड़ा बचाव अभियान आरंभ हुआ जिसके अन्तर्गत 69 दिनों के अथक दिन-रात प्रयास के बाद उन मज़दूरों तक पहुँचा जा सका और उन्हें बाहर निकाला जा सका। उन मज़दूरों तक पहुँचने वाला पहला व्यक्ति था मैनुएल गोंसालेज़, जो अपनी जान पर बड़ा जोखिम उठाकर उन फंसे हुए मज़दूरों तक पहुँचा और उन्हें ऊपर सतह पर भेजना आरंभ किया। संसार भर में टेलिविज़न के द्वारा बचाए जाना का यह दृश्य दिखाया जा रहा था और संसार आश्चर्य के साथ एक एक कर के खान की गहराईयों से मुक्त होकर सतह पर आने वाले प्रत्येक मज़दूर को देख रहा था। संसार भर में इस बचाए जाने के अभियान से जुड़े सभी लोगों की, विशेषकर उनकी जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर इसे किया, बहुत प्रशंसा हुई।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें इस अभियान से भी अधिक कठिन और खतरनाक बचाए जाने के अभियान के बारे में बताती है - मानव जाति को पाप के विनाश से बचाए जाने के अभियान के बारे में। हमारे आदि माता-पिता द्वारा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता के कारण समस्त मानव जाति पाप के दुष्परिणामों के आधीन आ गई (उत्पत्ति 2:17; 3:6, 19; रोमियों 5:12)। पाप की इस प्रवृति तथा प्रभावों से कोई मनुष्य अपने आप को किसी भी रीति से मुक्त कर पाने में सफल नहीं होने पाया; इस कारण सभी मनुष्य मृत्यु - शारीरिक एवं अनन्त काल की परमेश्वर से दूरी के भागी हैं। लेकिन परमेश्वर सभी मनुष्यों से प्रेम करता है, उन्हें विनाश में जाते नहीं देखना चाहता इसलिए परमेश्वर ने उनकी मुक्ति के लिए मार्ग दिया - प्रभु यीशु जिसने समस्त मनुष्यों के सभी पापों को अपने ऊपर लेकर उनका दण्ड, अर्थात मृत्यु, सभी के बदले सह ली। अब जो कोई स्वेच्छा से प्रभु यीशु के इस कार्य को स्वीकार करके अपने पापों के लिए उससे क्षमा माँग कर अपना जीवन उसके हाथों में समर्पित कर देता है वह पाप के बन्धन तथा दुष्परिणाम से मुक्त हो जाता है (रोमियों 5:8-11; 10:9-11; इफीसियों 2:1-10)।

   प्रभु यीशु मृतकों में से अनन्तकाल के लिए पुनः जी उठने और फिर कभी ना मरने वालों में प्रथम हो गया, और जितने प्रभु यीशु में विश्वास करके उसे अपना मुक्तिदाता ग्रहण करते हैं वे भी उसके समान अनन्त जिवन के भागी हो जाएंगे (रोमियों 8:11)।

   क्या आप अभी भी अपने पापों की गहराईयों में फँसे हैं? प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और अविनाशी उद्धार के उपहार को स्वेच्छा से स्वीकार कर लें, और उसके साथ अनन्तकाल तक रहने का आनन्द प्राप्त कर लें (प्रेरितों 16:31; इफिसियों 2:1; कुलुस्सियों 2:13)। - सी. पी. हिया


अपने क्रूस पर दिए बलिदान के द्वारा प्रभु यीशु अपने सभी विश्वासियों को बचाता एवं मुक्त करता है।

और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा। - रोमियों 8:11

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:1-4; 19-25
1 Corinthians 15:1 हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिस में तुम स्थिर भी हो। 
1 Corinthians 15:2 उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ। 
1 Corinthians 15:3 इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया। 
1 Corinthians 15:4 ओर गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। 
1 Corinthians 15:19 यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं। 
1 Corinthians 15:20 परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ। 
1 Corinthians 15:21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 
1 Corinthians 15:22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे। 
1 Corinthians 15:23 परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग। 
1 Corinthians 15:24 इस के बाद अन्‍त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्‍त कर के राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा। 
1 Corinthians 15:25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 25-26
  • मत्ती 20:17-34



शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

बाधाएं



   मैंने कुछ लोगों को इस रवैये के साथ कार्य करते देखा है कि यदि उन्हें कोई ऐसा विचार आता है जो उनकी दृष्टि में अच्छा है, या कोई ऐसा अवसर दिखाई देता है जो उन्हें लाभप्रद प्रतीत होता है तो वे उसे पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, उस की पूर्ति के लिए अपने सारे साधन लगा देते हैं, और यदि उस पूर्ति में कोई बाधा आए तो उन्हें फिर चाहे बाधा के ऊपर होकर जाना पड़े या फिर उसके नीचे से, चाहे बाधा में होकर जाना पड़े या बाधा के इर्द-गिर्द घूम कर, लेकिन उस पूर्ति के लिए वह बाधा को हर रीति से पार करने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी यह निष्ठा अच्छी तो प्रतीत होती है, लेकिन आवश्यक नहीं कि यह बात हमेशा सही ही हो; और इस बात को प्रमाणित करने के लिए मैं बिलाम नामक एक आदमी तथा उसके गदहे को आपके सामने रखना चाहता हूँ।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में बिलाम नाम के एक व्यक्ति का उल्लेख आता है जो पहली नज़र में परमेश्वर का आज्ञाकारी भक्त दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में परमेश्वर के नाम से अपनी ही लालसाओं और लालचों के आधीन कार्य करने वाला था। जब परमेश्वर इस्त्राएल को मिस्त्र के दासत्व से निकाल कर कनान देश में बसाने के लिए ले कर जा रहा था, तो मार्ग के एक स्थान के राजा ने उन इस्त्राएलियों का नाश करने के लिए बिलाम की सहायता माँगी, और बिलाम को इसके प्रतिफल में अच्छा ईनाम देने का वायदा किया। बिलाम ने परमेश्वर से इस बात के लिए आज्ञा माँगी लेकिन परमेश्वर ने उसे मना कर दिया। तब राजा ने बिलाम को और भी अधिक ईनाम का लालच दिया, और बिलाम फिर से परमेश्वर से इस्त्राएल के विरुद्ध हाथ बढ़ाने की अनुमति माँगने लगा। क्योंकि परमेश्वर बिलाम के हृदय की दशा जानता था, इसलिए उसने बिलाम को आज्ञा तो दे दी लेकिन कुछ सख्त शर्तें साथ जोड़ दीं, लेकिन फिर भी परमेश्वर बिलाम से प्रसन्न नहीं था। इसलिए जब बिलाम इस्त्राएल को श्राप देने के लिए अपने गदहे पर बैठा जा रहा था तो मार्ग में एक बहुत संकरे स्थान पर परमेश्वर ने अपने एक दूत को खड़ा कर दिया जिससे बिलाम का आगे बढ़ना रुक जाए; बिलाम उस दूत को नहीं देख पा रहा था लेकिन वह उसके गदहे को दिखाई दे रहा था और वह जानवर उस दूत को देख कर वहीं रुक गया। बिलाम के बहुत प्रयास करने पर भी जब वह गदहा आगे नहीं बढ़ा तो बिलाम गदहे पर बहुत क्रोधित हुआ और उसे पीटा भी। तब परमेश्वर का दूत उस पर प्रगट हुआ और बिलाम को अपनी गलती का एहसास हुआ।

   बिलाम के साथ हुई यह घटना हमें सिखाती है कि ज़रूरी नहीं कि प्रत्येक बाधा से पार निकलने का प्रयास किया जाए; कभी कभी परमेश्वर हमारे मार्ग अवरुद्ध करता है ताकि हम कुछ मूर्खतापूर्ण या अनुचित ना कर बैठें। इसलिए जब हमारी कुछ योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हों, कुछ प्रयास बारंबार विफल हो रहे हों तो हमें यही नहीं मान लेना चाहिए कि शैतान हमारे रास्ते में बाधा डाल रहा है। हो सकता है कि परमेश्वर ही वह बाधा डाल रहा हो जिससे हम किसी नुकसान में पड़ने से बच जाएं। इसलिए बाधा में भी परमेश्वर की इच्छा जानने और फिर उस इच्छा के अनुसार कार्य करने की प्रवृति रखना लाभप्रद है। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर हर समय अपने बच्चों की रखवाली तथा रक्षा करता रहता है; तब भी जब उन्हें आभास भी नहीं होता कि उन्हें उसकी आवश्यकता है।

और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूंगा, जिन के पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूं। कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं। - प्रेरितों 26:17-18

बाइबल पाठ: गिनती 22:10-34
Numbers 22:10 बिलाम ने परमेश्वर से कहा सिप्पोर के पुत्र मोआब के राजा बालाक ने मेरे पास यह कहला भेजा है, 
Numbers 22:11 कि सुन, जो दल मिस्र से निकल आया है उस से भूमि ढंप गई है; इसलिये आकर मेरे लिये उन्हें शाप दे; सम्भव है कि मैं उनसे लड़कर उन को बरबस निकाल सकूंगा। 
Numbers 22:12 परमेश्वर ने बिलाम से कहा, तू इनके संग मत जा; उन लोगों को शाप मत दे, क्योंकि  वे आशीष के भागी हो चुके हैं। 
Numbers 22:13 भोर को बिलाम ने उठ कर बालाक के हाकिमों से कहा, तुम अपने देश को चले जाओ; क्योंकि यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की आज्ञा नहीं देता। 
Numbers 22:14 तब मोआबी हाकिम चले गए और बालाक के पास जा कर कहा, कि बिलाम ने हमारे साथ आने से ना किया है। 
Numbers 22:15 इस पर बालाक ने फिर और हाकिम भेजे, जो पहिलों से प्रतिष्ठित और गिनती में भी अधिक थे। 
Numbers 22:16 उन्होंने बिलाम के पास आकर कहा, कि सिप्पोर का पुत्र बालाक यों कहता है, कि मेरे पास आने से किसी कारण ना न कर; 
Numbers 22:17 क्योंकि मैं निश्चय तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा, और जो कुछ तू मुझ से कहे वही मैं करूंगा; इसलिये आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त शाप दे। 
Numbers 22:18 बिलाम ने बालाक के कर्मचारियों को उत्तर दिया, कि चाहे बालाक अपने घर को सोने चांदी से भरकर मुझे दे दे, तौभी मैं अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को पलट नहीं सकता, कि उसे घटाकर वा बढ़ाकर मानूं। 
Numbers 22:19 इसलिये अब तुम लोग आज रात को यहीं टिके रहो, ताकि मैं जान लूं, कि यहोवा मुझ से और क्या कहता है। 
Numbers 22:20 और परमेश्वर ने रात को बिलाम के पास आकर कहा, यदि वे पुरूष तुझे बुलाने आए हैं, तो तू उठ कर उनके संग जा; परन्तु जो बात मैं तुझ से कहूं उसी के अनुसार करना। 
Numbers 22:21 तब बिलाम भोर को उठा, और अपनी गदही पर काठी बान्धकर मोआबी हाकिमों के संग चल पड़ा। 
Numbers 22:22 और उसके जाने के कारण परमेश्वर का कोप भड़क उठा, और यहोवा का दूत उसका विरोध करने के लिये मार्ग रोककर खड़ा हो गया। वह तो अपनी गदही पर सवार हो कर जा रहा था, और उसके संग उसके दो सेवक भी थे। 
Numbers 22:23 और उस गदही को यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब गदही मार्ग छोड़कर खेत में चली गई; तब बिलाम ने गदही को मारा, कि वह मार्ग पर फिर आ जाए। 
Numbers 22:24 तब यहोवा का दूत दाख की बारियों के बीच की गली में, जिसके दोनों ओर बारी की दीवार थी, खड़ा हुआ। 
Numbers 22:25 यहोवा के दूत को देखकर गदही दीवार से ऐसी सट गई, कि बिलाम का पांव दीवार से दब गया; तब उसने उसको फिर मारा। 
Numbers 22:26 तब यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक सकेत स्थान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी और न बाईं ओर। 
Numbers 22:27 वहां यहोवा के दूत को देखकर गदही बिलाम को लिये दिये बैठ गई; फिर तो बिलाम का कोप भड़क उठा, और उसने गदही को लाठी से मारा। 
Numbers 22:28 तब यहोवा ने गदही का मुंह खोल दिया, और वह बिलाम से कहने लगी, मैं ने तेरा क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार मारा? 
Numbers 22:29 बिलाम ने गदही से कहा, यह कि तू ने मुझ से नटखटी की। यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता। 
Numbers 22:30 गदही ने बिलाम से कहा क्या मैं तेरी वही गदही नहीं जिस पर तू जन्म से आज तक चढ़ता आया है? क्या मैं तुझ से कभी ऐसा करती थी? वह बोला, नहीं। 
Numbers 22:31 तब यहोवा ने बिलाम की आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब वह झुक गया, और मुंह के बल गिरके दण्डवत की। 
Numbers 22:32 यहोवा के दूत ने उस से कहा, तू ने अपनी गदही को तीन बार क्यों मारा? सुन, तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूं, इसलिये कि तू मेरे साम्हने उलटी चाल चलता है; 
Numbers 22:33 और यह गदही मुझे देखकर मेरे साम्हने से तीन बार हट गई। जो वह मेरे साम्हने से हट न जाती, तो नि:सन्देह मैं अब तक तुझ को मार ही डालता, परन्तु उसको जीवित छोड़ देता। 
Numbers 22:34 तब बिलाम ने यहोवा के दूत से कहा, मैं ने पाप किया है; मैं नहीं जानता था कि तू मेरा साम्हना करने को मार्ग में खड़ा है। इसलिये अब यदि तुझे बुरा लगता है, तो मैं लौट जाता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 23-24
  • मत्ती 20:1-16



गुरुवार, 29 जनवरी 2015

लाल फीताशाही


   "लाल फीताशाही" एक वाक्यांश है जो अभिव्यक्त करता है कार्य करने के उस कष्टदायक तरीके को जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की नौकरशाही के द्वारा सामन्य व्यक्तियों के लिए किसी कार्य को किए जाने में बाधाएं डाली जाती हैं। इस वाक्यांश का आरंभ हुआ था सरकारी दस्तावेज़ों को लाल फीते से बांधे जाने के कारण, और यह वाक्यांश प्रसिद्ध हुआ स्कॉटलैण्ड के इतिहासकार थौमस कार्लाइल द्वारा सन 1800 के आरंभिक वर्षों में लिखे गए लेखों के कारण, जब वे धीमी गति से कार्य करने वाली सरकारी कार्यविधि का विरोद्ध कर रहे थे। अमेरीकी गृह-युद्ध के पश्चात "लाल-फीताशाही" की समस्या फिर से व्यापक रूप से सामने आई जब युद्ध से सेवा-निवृत हुए लोगों को उनके मिलने वाले लाभ प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आज भी यह वाक्यांश उन निराशाओं और हताशाओं के लिए प्रयोग होता है जो कार्यों की पूर्ति में लगाई जाने वाली बाधाओं के कारण होती हैं; और यह आज के समय में भी कामकाज की विधियों से जुड़ी बातों की एक ऐसी ज्वलंत समस्या है जिसका सामना प्रायः प्रत्येक स्थान पर, प्रत्येक कार्य के लिए किसी ना किसी रूप में सभी जन-साधारण को करना पड़ता रहता है।

   लेकिन इस सृष्टि में एक स्थान है जहाँ यह लाल फीताशाही किसी भी रूप में लेश-मात्र भी विद्यमान नहीं है - परमेश्वर के सिंहासन के सामने। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने मसीह यीशु के लिए लिखा, "...तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई..." (रोमियों 5:1-2)। जब मन दुखी होते हों, या हृदय टूट रहे हों, और आप परमेश्वर के सामने अपने मन की बात रखना चाहते हों तो स्मरण रखें कि उस तक पहुँचने और उससे बात-चीत करने में अब आपके सामने कोई रुकावट नहीं है। मसीह यीशु ने मनुष्यों के समान जीवन व्यतीत करके तथा उनके पापों के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे के, सभी मनुष्यों के लिए हियाव के साथ परमेश्वर के सम्मुख पहुँच पाने का मार्ग बना कर दे दिया है (इब्रानियों 4:15-16)।

   इसलिए जब भी आपको परमेश्वर के सामने आने और अपने मन की बात कहने की इच्छा हो, तो निश्चिंत रहें के आपको किसी लाल फीताशाही को पार करने, किसी रस्म, किसी विधि-विधान आदि की पूर्ति की कतई आवश्यकता नहीं है। मसीह यीशु में होकर आपके लिए परमेश्वर के सामने तुरंत प्रस्तुत होने और उसे संबोधित करने का मार्ग तैयार है, देरी केवल आपके निर्णय लेने और कदम बढ़ाने मात्र की है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर पिता के सिंहासन तक उसके बच्चों के जाने में कोई बाधा नहीं है।

क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों 4:15-16

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-8
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। 
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। 
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 21-22
  • मत्ती 19



बुधवार, 28 जनवरी 2015

बीते दिन



   कई बार हमारे विचार हमारे बीते हुए समय की ओर चले जाते हैं और हमारे अन्दर एक तीव्र लालसा उठती है उस बीते हुए समय में लौट जाने की क्योंकि हमें लगता है कि वे दिन और स्थान वर्तमान के बजाए अधिक अच्छे थे। लेकिन कुछ लोगों के लिए बीते दिनों की यादें केवल कड़ुवाहट भरी होती हैं। रात के पहरों में वे अपनी असफलताओं पर, अपने भ्रम तथा भ्रान्तियों पर विचार करते रहते हैं और कसमसाते रहते हैं यह सोचकर कि जीवन ने उनके साथ क्रूर बरताव ही किया है।

   मैंने एक वृद्ध महिला की कहानी सुनी थी जो हाथ अपनी गोद में रखे हुए, आँखें किसी दूर स्थान पर लगाए हुए घंटों अपनी कुर्सी शाँत पर बैठी रहती थी। एक दिन उसकी बेटी ने उससे पूछा, "माँ, आप वहाँ कुर्सी पर खामोश बैठी क्या सोचती रहती हो?" उस वृद्धा ने मुस्कुराते हुए, और आँखों में एक चमक के साथ हलकी आवाज़ में उत्तर दिया, "यह मेरे और प्रभु यीशु के बीच की बात है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक, राजा दाऊद ने बीते समय को स्मरण करने के बारे में लिखा: "मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं" (भजन 143:5)। जब हम परमेश्वर पिता के प्रेम और अनुकंपा को स्मरण करते हैं, बीते दिनों में उससे मिली आशीषों के बारे में विचार करते हैं, तो ये वे यादें होती हैं जो हमें और भलाई के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वे हमारे अन्दर परमेश्वर की और भी अधिक संगति, उसकी और भी अधिक प्रेम भरी देख-रेख में बने रहने की लालसा को बढ़ा देती हैं। वे यादें हमारे बीते दिनों को प्रभु के साथ की हमारी घनिष्ठता और संगति के आनन्द का स्थान बना देती हैं।

   मेरी यह प्रार्थना है कि हमारे बीते दिनों की यादें और उनका मनन हमें परमेश्वर की और निकटता में लाने वाला बन सके। - डेविड रोपर


प्रभु यीशु के साथ संगति हमारे वर्तमान एवं अनन्त आनन्द की कुँजी है।

मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है। मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं - भजन 77:5-6

बाइबल पाठ: भजन 143:1-6
Psalms 143:1 हे यहोवा मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्चा और धर्मी है, सो मेरी सुन ले, 
Psalms 143:2 और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता।
Psalms 143:3 शत्रु तो मेरे प्राण का ग्राहक हुआ है; उसने मुझे चूर कर के मिट्टी में मिलाया है, और मुझे ढेर दिन के मरे हुओं के समान अन्धेरे स्थान में डाल दिया है। 
Psalms 143:4 मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।
Psalms 143:5 मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं। 
Psalms 143:6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हुए हूं; सूखी भूमि की नाईं मैं तेरा प्यासा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35




मंगलवार, 27 जनवरी 2015

अगुवे



   सर्दियों के एक अति ठंडे दिन में मुझे परड्यू विश्वविद्यालाय जाना पड़ा। विश्वविद्यालय के परिसर में एक छात्रावास के पास से निकलते समय मुझे दो लड़के दिखाई दिए जो छात्रावास के मार्ग पर जमी हुई बर्फ की मोटी परत को हटाने में लगे हुए थे। यह सोचकर कि वे दोनों प्रथम वर्ष के छात्र होंगे जिन्हें छात्रावास के वरिष्ठ छात्रों ने यह कठिन कार्य करने को कहा है, मैंने उनसे कहा, "जब यहाँ दाखिला लिया था तब किसी ने यह नहीं कहा होगा कि ऐसा भी करना पड़ेगा?" उन में से एक ने सिर उठाकर मेरी ओर देखा और मुस्कुरा कर बोला, "ऐसा नहीं है; हम दोनों ही इस छात्रावास के वरिष्ठ छात्र हैं और इस छात्रावास के छात्रसंघ के पदाधिकारी भी - मैं उपाध्यक्ष हूँ और मेरा यह मित्र अध्यक्ष है।" मैंने उन दोनो को उनकी कठिन मेहनत के लिए धन्यवाद किया और अपने कार्य के लिए आगे बढ़ गया; मुझे उन दोनों ने अपने उदाहरण से याद दिला दिया कि सच्चे अगुवे दूसरों के सेवक होते हैं।

   जब प्रभु यीशु के दो चेलों ने प्रभु यीशु से चाहा कि आने वाले उसके स्वर्गीय राज्य में वे दोनों उसके दाहिने और बांए ओर बैठने का आदरणीय स्थान पाएं; तब प्रभु ने अपने बारहों चेलों को पास बुला कर उन सभी से कहा, "पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने" (मरकुस 10:43-44)। यदि किसी के मन में इस बारे में फिर भी कोई भ्रम रह गया हो, तो उस भ्रम को दूर करने के उद्देश्य से प्रभु यीशु ने आगे उनसे अपने बारे में कहा, "क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे" (मरकुस 10:45)।

   परमेश्वर के भय में चलने और कार्य करने वाले सच्चे अगुवे का चिन्ह है कि वह सत्ता-अधिकार तथा विशेषाधिकारों के लिए परन्तु नम्रता से सेवा करने के लिए अगुवे होने की ज़िम्मेदारी ग्रहण करता है और फिर उसे वैसे ही निभाता भी है। प्रत्येक मसीही विश्वासी को परमेश्वर सामर्थ देता है कि वे प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करते हुए उसके गुणों को अपने जीवन से दिखाने पाएं; परमेश्वर द्वारा प्रदान की गई इस सामर्थ से अपनी ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में प्रभु यीशु को महिमा देने वाले बनें। - डेविड मैक्कैसलैंड


एक योग्य अगुवा वह ही है जो सेवा करना सीख चुका है।

क्योंकि हम अपने को नहीं, परन्तु मसीह यीशु को प्रचार करते हैं, कि वह प्रभु है; और अपने विषय में यह कहते हैं, कि हम यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं। - 2 कुरिन्थियों 4:5 

बाइबल पाठ: मरकुस 10:35-45
Mark 10:35 तब जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिये करे। 
Mark 10:36 उसने उन से कहा, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? 
Mark 10:37 उन्होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे। 
Mark 10:38 यीशु ने उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्या मांगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, क्या ले सकते हो? 
Mark 10:39 उन्होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे। 
Mark 10:40 पर जिन के लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएं बिठाना मेरा काम नहीं। 
Mark 10:41 यह सुन कर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसयाने लगे। 
Mark 10:42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। 
Mark 10:43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। 
Mark 10:44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। 
Mark 10:45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 

  • निर्गमन 16-18
  • मत्ती 18:1-20



सोमवार, 26 जनवरी 2015

कथावाचक



   बचपन में जब मेरी माँ मुझे किताब से कहानी पढ़कर सुनाती थीं तो मुझे बहुत अच्छा लगता था; मैं उनकी गोद में बैठकर उनके प्रत्येक शब्द को बड़े ध्यान से सुनता था। वो पढ़कर सुनाती थीं और मैं किताब के हर एक पृष्ठ पर बने चित्रों को बारीकी से देखता रहता था, और बड़ी उत्सुकता से अगले पृष्ठ पर जो था उसकी प्रतीक्षा करता था।

   क्या आपने कभी इस बात के बारे में सोचा है कि आप का जीवन भी एक कहानी सुनाता है? प्रत्येक परिस्थिति में - अच्छी, बुरी या सामान्य - हमारे चारों ओर के लोग हमें देख रहे हैं और जो कहानी हम अपने जीवनों से कह रहे हैं उसे सुन रहे हैं। हमारी यह कहानी ना केवल हमारे शब्दों से वरन हमारे रवैये और जीवन की परिस्थितियों के प्रति हमारी प्रतिक्रीया के द्वारा भी लोगों के सामने बयान होती है। हमारे बच्चे और नाती-पोते, हमारे जीवन साथी, हमारे पड़ौसी, हमारे सहकर्मी या सहपाठी, सभी हमारे द्वारा दिखाई जाने वाली कहानी को देखते हैं और हमारे बारे में अपनी अपनी राय बनाते हैं।

   प्रेरित पौलुस हमें स्मरण दिलाता है कि मसीही विश्वासी होने के नाते, हमारे जीवन पत्रियों के समान हैं जिन्हें लोग पढ़ते हैं, "हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (2 कुरिन्थियों 3:2-3)।

   हमारे चारों ओर के लोग हमारे जीवनों से कैसी कहानियाँ पढ़ रहे हैं? क्षमा की? करुणा की? उदारता की? धैर्य की? प्रेम की? या फिर कहीं कोई ऐसी कहानी भी है जो हमारे मसीही विश्वास में होने के दावे से मेल नहीं खाती?

   यदि आपने प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार को और उसके अनुग्रह को पाया है; यदि परमेश्वर का पवित्र-आत्मा आपके अन्दर निवास करता है; यदि आप परमेश्वर की सेवकाई किसी प्रतिफल के लिए नहीं वरन उसके प्रति प्रेम से वशिभूत होकर करते हैं, तो आप एक ऐसे कथावाचक हैं जिसकी पाप के कारण नाश की ओर बढ़ते इस संसार को बहुत आवश्यकता है। प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास द्वारा आपको सेंत-मेंत में मिले उद्धार और पाप क्षमा की अपनी कथा को अपने आस-पास के लोगों को सुनाते रहिए, अपने वचन, चरित्र और व्यवहार से दिखाते रहिए। - जो स्टोवैल


अपने जीवन से मसीह यीशु के अनुग्रह और प्रेम की कहानी सुनाते रहिए।

क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। - 1 थिस्सुलुनीकियों 1:8

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 3:1-11
2 Corinthians 3:1 क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? या हमें कितनों कि नाईं सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुम से लेनी हैं? 
2 Corinthians 3:2 हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। 
2 Corinthians 3:3 यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। 
2 Corinthians 3:4 हम मसीह के द्वारा परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा रखते हैं। 
2 Corinthians 3:5 यह नहीं, कि हम अपने आप से इस योग्य हैं, कि अपनी ओर से किसी बात का विचार कर सकें; पर हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। 
2 Corinthians 3:6 जिसने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया, शब्द के सेवक नहीं वरन आत्मा के; क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है। 
2 Corinthians 3:7 और यदि मृत्यु की यह वाचा जिस के अक्षर पत्थरों पर खोदे गए थे, यहां तक तेजोमय हुई, कि मूसा के मुंह पर के तेज के कराण जो घटता भी जाता था, इस्त्राएल उसके मुंह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे। 
2 Corinthians 3:8 तो आत्मा की वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:9 क्योंकि जब दोषी ठहराने वाली वाचा तेजोमय थी, तो धर्मी ठहराने वाली वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:10 और जो तेजोमय था, वह भी उस तेज के कारण जो उस से बढ़कर तेजामय था, कुछ तेजोमय न ठहरा। 
2 Corinthians 3:11 क्योंकि जब वह जो घटता जाता था तेजोमय था, तो वह जो स्थिर रहेगा, और भी तेजोमय क्यों न होगा?

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17



रविवार, 25 जनवरी 2015

विचार और व्यवहार


   कुमरान प्रथम ईसवीं का एक यहूदी समुदाय था जिसने अपने आप को बाहरी सभी प्रभावों से पृथक कर लिया था जिससे वे भविष्यवाणी करे हुए मसीहा के आगमन के लिए अपने आप को तैयार कर सकें। वे भक्तिमय जीवन व्यतीत करने, अनुष्ठानों और विधि-विधानों का पालन करने तथा कड़ाई से नियमों के अनुसार चलने के द्वारा अपने आप को परमेश्वर की दृष्टि में न्यायसंगत रखने में विश्वास रखते थे। उनसे संबंधित विद्यमान दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वे अपनी सभाओं और समुदायों में किसी भी लंगड़े, अन्धे या अपंग व्यक्ति को नहीं आने देते थे, क्योंकि उनका मानना था कि शारिरिक दोष वाला कोई भी व्यक्ति अनुष्ठानात्मक रीति से ’अपवित्र’ है। जब वे आपस में कोई प्रीति-भोज आयोजित करते थे तो उनकी अतिथि सूची में भी कोई विक्लांग व्यक्ति नहीं होता था।

   कुमरान के यहूदी लोगों के दिनों में ही इस्त्राएल का वही भविष्यवाणी किया हुआ मसीहा जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे - प्रभु यीशु, उस इलाके में कार्यरत था, परमेश्वर पिता के स्वर्गीय राज्य की शिक्षाएं लोगों को दे रहा था, बड़े बड़े आश्चर्यकर्म और चंगाई के कार्य कर रहा था तथा बहुतेरों को उससे राहत तथा शांति मिल रही थी; और एक विचित्र विरोधाभास की बात है कि कुमरान की मान्यताओं के विपरीत प्रभु यीशु लोगों से कह रहा था, "परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा" (लूका 14:13-14)।

   प्रभु यीशु की शिक्षाओं और कुमरान के "आत्मिक विशिष्ट वर्ग" के लोगों की मान्यताओं के बीच का विरोधाभास हमारे लिए शिक्षाप्रद है। हम अकसर बाहरी कर्म-कांडों के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने को मान्यता देते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि परमेश्वर बाहरी स्वरूप नहीं वरन मनों को जाँचने वाला और मन के विचारों के अनुसार प्रतिफल देता है। हम अपने समान दिखाई देने तथा विचार-व्यवहार रखने वाले व्यक्तियों के साथ संगति रखना चाहते हैं, अपनी मान्यताओं और विचारधारों के अनुसार लोगों को ऊँचा-नीचा, सही-गलत, भला-बुरा आँकते हैं; लेकिन प्रभु यीशु ने कभी किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं किया।

   हम मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु ने अपने समान विचार और व्यवहार रखने को कहा है, उसके समान ही हमारे दिल और दरवाज़े सभी के लिए खुले रहें। - डेनिस फिशर


सभी को साथ लेकर चलने वाला सुसमाचार, अपने आप को विशिष्ट वर्ग का मानने वाले लोगों के द्वारा नहीं फैलाया जा सकता - जॉर्ज स्वीटिंग

जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। - नीतिवचन 19:17

बाइबल पाठ: लूका 14:7-14
Luke 14:7 जब उसने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्‍टान्‍त देकर उन से कहा। 
Luke 14:8 जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो। 
Luke 14:9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित हो कर सब से नीची जगह में बैठना पड़े। 
Luke 14:10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी। 
Luke 14:11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।। 
Luke 14:12 तब उसने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए। 
Luke 14:13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। 
Luke 14:14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16



शनिवार, 24 जनवरी 2015

अनुसरण


   बच्चों के लिए आयोजित एक चर्च सभा में उनकी शिक्षिका ने परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए परमेश्वर की दस आज्ञाओं में से प्रथम, "तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना" (निर्गमन 20:3) के बारे में उन्हें बताया, और उन्हें कुछ तरीके भी बताए जिससे वे इस नियम का पालन कर सकें। शिक्षिका ने उन बच्चों को समझाया कि उनके जीवनों में परमेश्वर से बढ़कर और कुछ भी नहीं होना चाहिए - ना तो उनका खेल-कूद और विडियो-गेम्स, ना स्कूल का कार्य और ना ही उनके खान-पीन; तथा परमेश्वर को सर्वप्रथम रखने का अर्थ है प्रतिदिन उसके साथ समय बिताना, जो उससे प्रार्थना करने और उसके वचन बाइबल को पढ़ने तथा उसकी आज्ञाओं के पालन के द्वारा होता है, और ऐसा करने की प्राथमिकता में अन्य किसी भी बात से कोई हस्तक्षेप कभी नहीं होना चाहिए।

   बच्चों के उस समूह में से एक बड़ी बालिका ने इस संदर्भ में एक विचार प्रेरक प्रश्न पूछा - क्या मसीही विश्वास का जीवन केवल आज्ञाओं के पालन मात्र तक सीमित है या फिर परमेश्वर को मसीही विश्वासी के जीवन के प्रत्येक भाग में सम्मिलित होना चाहिए?

   कई बार हम परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमों के सूची-पत्र के रूप में देखने तथा मानने की गलती कर लेते हैं। इसमें कोई संश्य नहीं है कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना (यूहन्ना 14:21) और उसके साथ समय बिताना अति महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसा करना मनोभावना की बात है ना कि वैधानिक आवश्यकता-पूर्ति की - हमारे द्वारा अपने जीवनों में परमेश्वर को दी गई प्राथमिकता तथा उसके प्रति आज्ञाकारिता, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम के कारण होनी चाहिए। प्रभु यीशु और स्वर्गीय परमेश्वर पिता के बीच एक गहरे प्रेम का संबंध था, और प्रभु यीशु सदा परमेश्वर पिता की इच्छापूर्ति, आज्ञाकारिता तथा उसके साथ प्रार्थना में समय बिताने को सर्वोपरि रखते थे। प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण हम मसीही विश्वासियों को भी प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करना है, उसके दिखाए-बताए मार्ग पर चलना है, "सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था" (1 यूहन्ना 2:6)।

   जब भी हमें जीवन की किसी परिस्थिति में मार्गदर्शन की या कुछ समझने की आवश्यकता पड़े तो हम प्रभु यीशु के जीवन को देख कर सीख सकते हैं - चाहे वह नम्र तथा दीन होना हो, विश्वास में दृढ़ तथा समर्पित होना हो, प्रेम दिखाने और निभाने के बारे में जानना हो, अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण करना हो, या अन्य कोई भी बात हो; हम प्रभु यीशु की ओर देखते हुए, उसके उदाहरण का अनुसरण करते हुए अपने मसीही विश्वास के जीवन में आगे बढ़ते रह सकते हैं। - ऐनी सेटास


प्रभु यीशु ने हमें उसका अनुसरण करने के लिए बुलाया है।

जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। - यूहन्ना 14:21

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 2:1-11
1 John 2:1 हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। 
1 John 2:2 और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। 
1 John 2:3 यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो इस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 
1 John 2:4 जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उस में सत्य नहीं। 
1 John 2:5 पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 
1 John 2:6 सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। 
1 John 2:7 हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 
1 John 2:8 फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं; और यह तो उस में और तुम में सच्ची ठहरती है; क्योंकि अन्धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 
1 John 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। 
1 John 2:10 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1 John 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है; और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 9-11
  • मत्ती 15:21-39



शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

शब्द



   कुछ समय पहले की बात है, अमेरीकी टेलिविज़न कार्यक्रमों के कलाकारों को दिए जाने वाले एम्मी पुरुस्कार की विजेता एक अभिनेत्री ने, वार्षिक अमेरिकी संगीत पुरुस्कार समारोह के दौरान साहसिक कदम उठाया और वहाँ से उठ कर चली गई। उसके कार्यक्रम को छोड़कर उठकर चले जाने का कारण था वहाँ पर चल रही टिप्पणियों तथा बात-चीत का स्तर; उस अभिनेत्री ने कहा कि समारोह के प्रस्तुतकर्ताओं, भाग लेने वाले कलाकारों तथा दर्शकों में हो रहे निरंतर अशलील मज़ाक और भद्दी टिप्पणियों से वह परेशान और दुखी हो गई थी; थोड़ा भी आत्म-सम्मान रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए वहाँ का वातावरण तथा उपस्थित लोगों का व्यवहार अपमानजनक था।

   ऐसी भद्देपन और फूहड़पन की स्थिति केवल आज ही की समस्या नहीं है; प्रेरित पौलुस के दिनों में भी यह समस्या विद्यमान थी। पौलुस ने अपने समय के मसीही विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि उन्हें अपने जीवन से अशलीलता, निर्लज्जता, झूठी निन्दा, अभद्र बातचीत एवं व्यवहार को निकाल देना चाहिए (इफिसियों 5:4; कुलुस्सियों 3:8); ऐसी बातचीत और व्यवहार उनके मसीही विश्वास में आने से पूर्व की बात है (1 कुरिन्थियों 6:9-11), और अब मसीह यीशु में होकर उन्हें दी गई नई पहचान में इसका कोई स्थान नहीं है। इन बातों के विपरीत अब उनके जीवनों में ऐसे भले और हितकारी शब्द तथा व्यवहार होने चाहिए जो सुनने वालों को अनुग्रह प्रदान करें (इफिसियों 4:29)। उनके अन्दर बसने वाला परमेश्वर का पवित्र आत्मा उनकी सहायता करता है कि वे ऐसे भले शब्दों का प्रयोग करें जो दूसरों के लिए हितकारी हों (यूहन्ना 16:7-13), तथा जब भी वे किसी अनुचित बातचीत में पड़ें तो वही पवित्र आत्मा उन्हें इस गलती के लिए कायल भी करता है।

   हम मसीही विश्वासियों को अपने जीवन की हर बात से अपने परमेश्वर की गवाही देने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है; इसलिए हमें ध्यान रखना है कि हमारे मुँह सदा परमेश्वर के प्रति धन्यवाद और दूसरों के प्रति अनुग्रह करने वाले शब्दों से ही भरे हों। - मार्विन विलियम्स


भले शब्द भले बनाए गए जीवन से ही आते हैं।

और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाए। - इफिसियों 5:3-4

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:20-32
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। 
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए। 
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो। 
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ। 
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है। 
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। 
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। 
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो। 
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। 
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। 
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। 
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। 
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 7-8
  • मत्ती 15:1-20



गुरुवार, 22 जनवरी 2015

चुन लें



   हाल ही में मैंने एक विज्ञापन देखा जो इंटरनैट पर खेले जाने वाले एक ऐसे खेल के बारे में था जो युनानी पौराणिक कथाओं पर आधारित था। वह खेल सेनाओं, पौराणिक देवताओं, नायकों, सैनिक अभियानों आदि को लेकर बनाया गया था। जिस बात ने मेरा ध्यान आकर्षित किया वह था खेल आरंभ करने की विधि का विवरण - खेलने वाले को इंटरनैट पर जाकर अपने आप को खेल के लिए पंजीकृत करना था, और फिर अपना ईश्वर चुनकर अपना सामराज्य बनाने का प्रयास करना था।

   वाह! क्या बात है; "अपना ईश्वर चुन लें।" ये बातें उस विज्ञापन में भले ही बड़े सहज रूप में कही गई थीं, लेकिन उससे मेरा ध्यान इस बात की ओर गया कि यही बात तो हमारे आज के संसार की सबसे खतरनाक बातों में से एक है। एक खेल में चाहे यह महत्वहीन हो कि आप ने किस को ईश्वर चुना है, लेकिन वास्तविक संसार में इस चुनाव के अनन्तकालीन प्रभाव हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक यहोशू ने, जिसे इस्त्राएलियों को कनान देश में बसाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी, इस्त्राएलियों से, जो अनेकों देवताओं की पूजा करने वाले लोगों से घिरे हुए थे, यही बात कही - कि वे चुन लें कि किस की उपासना करेंगे, किंतु उन्हें यह चुनाव लापरवाही से नहीं वरन पूरी गंभीरता से करना था। यहोशु ने इस्त्राएलियों को अपना उदाहरण देते हुए कहा, "और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा" (यहोशु 24:15)।

   जैसे उन इस्त्राएलियों और यहोशु के सामने था, आज हमारे सामने भी अनेकों विकल्प हैं - ना केवल अन्य धर्मों और मतों के अराध्यों के रूप में, वरन हमारी अपनी प्राथमिकताओं के रूप में भी; यदि परमेश्वर हमारे जीवन में हमारी पहली प्राथमिकता नहीं है, तो फिर परमेश्वर का वह सर्वोपरि स्थान किसी अन्य ने ले लिया है - वह हमारी नौकरी या कार्य हो सकता है, हमारा परिवार हो सकता है, हमारे लिए टी.वी. या अन्य मनोरंजन के साधन हो सकते हैं, या ऐसी कोई भी अन्य बात हो सकती है। चुनाव हमारा है, हम किसे अपने जीवन में पहला स्थान देते हैं; लेकिन बुद्धिमानी का चुनाव केवल एक ही है, यहोशु के समान यह कहना, "मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।" - बिल क्राउडर


परमेश्वर को छोड़ और कोई आपके दिल के खाली स्थान को सही रीति से भर नहीं सकता।

सब राज्यों के लोग तो अपने अपने देवता का नाम ले कर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम ले कर सदा सर्वदा चलते रहेंगे। - मीका 4:5

बाइबल पाठ: यहोशु 24:14-18
Joshua 24:14 इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर कर के यहोवा की सेवा करो। 
Joshua 24:15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा। 
Joshua 24:16 तब लोगों ने उत्तर दिया, यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करनी हम से दूर रहे; 
Joshua 24:17 क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा वही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासत्व के घर, अर्थात मिस्र देश से निकाल ले आया, और हमारे देखते बड़े बड़े आश्चर्य कर्म किए, और जिस मार्ग पर और जितनी जातियों के मध्य में से हम चले आते थे उन में हमारी रक्षा की; 
Joshua 24:18 और हमारे साम्हने से इस देश में रहनेवाली एमोरी आदि सब जातियों को निकाल दिया है; इसलिये हम भी यहोवा की सेवा करेंगे, क्योंकि हमारा परमेश्वर वही है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 4-6
  • मत्ती 14:22-36


बुधवार, 21 जनवरी 2015

खुली बाँहें



  भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति की पत्नि बैट्टी फोर्ड के अन्तिम संस्कार के समय उनके पुत्र स्टीवन फोर्ड ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "उन्हीं के पास प्रेम और सान्त्वना थी, और अपनी खुली बाँहों में शरण देने वाली वे पहली हुआ करती थीं। उन्नीस वर्ष पहले जब मैं अपनी शराब की लत से जूझ रहा था, तब मेरी माँ ने मुझे एक महानतम उपहार दिया, और वह था कि मैं परमेश्वर के प्रति समर्पण कैसे करूँ, अपने जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह को कैसे ग्रहण करूँ। और वास्तव में उनकी बाँहों में आकर मुझे लगा जैसे उड़ाऊ-पुत्र लौट कर घर आ गया है, उनमें होकर मैंने परमेश्वर के प्रेम को अनुभव किया - और बिना किसी संदेह के, यह एक सर्वोत्तम उपहार था।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु द्वारा दी गई उड़ाऊ-पुत्र की नीति-कथा एक ऐसे युवक के बारे में है जो अपने पिता से संपत्ति का अपना भाग माँग कर घर छोड़ कर निकल जाता है और उस संपत्ति को दुराचार में उड़ा देता है, फिर शर्मिंदगी के साथ घर लौटता है। घर लौटने पर उस उड़ाऊ-पुत्र के पिता की प्रतिक्रीया असाधारण और चकित कर देने वाली है: "तब वह उठ कर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा" (लूका 15:20)। बजाए इसके कि उसे कोई फटकार या दण्ड मिलता, पिता ने उसके प्रति प्रेम और क्षमा दिखाई, उसे सबके सामने स्वीकार किया, उसके लिए भोज का आयोजन करवाया। जब उस युवक के बड़े भाई ने इस पर एतराज़ किया तो पिता ने उसे समझाया, "परन्तु अब आनन्द करना और मगन होना चाहिए क्योंकि यह तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है; खो गया था, अब मिल गया है" (लूका 15:32)। पिता ने ऐसा क्यों किया - "क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे" (लूका 15:24)।

   स्टीवन फोर्ड ने अपनी श्रद्धांजलि समाप्त करते हुए आगे कहा, "माँ आपको बहुत धन्यवाद कि आपने हमसे, अपने पति से, बच्चों से और अपने देश से परमेश्वर के हृदय के अनुसार प्रेम किया"। परमेश्वर करे कि जैसे परमेश्वर की बाँहें उस की ओर पश्चाताप के साथ लौट आने वाले प्रत्येक पापी के लिए खुली रहती हैं, हमारी बाँहें भी वैसे ही लोगों की सहायता के लिए खुली रहें। - डेविड मैक्कैसलैंड


क्षमा पाए हुए पापी प्रेम को समझते हैं, प्रेम को दर्शाते हैं।

मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है। - लूका 15:10

बाइबल पाठ: लूका 15:11-24
Luke 15:11 फिर उसने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। 
Luke 15:12 उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उसने उन को अपनी संपत्ति बांट दी। 
Luke 15:13 और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा कर के एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी। 
Luke 15:14 जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। 
Luke 15:15 और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा: उसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। 
Luke 15:16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था। 
Luke 15:17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं। 
Luke 15:18 मैं अब उठ कर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। 
Luke 15:19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले। 
Luke 15:20 तब वह उठ कर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा। 
Luke 15:21 पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं। 
Luke 15:22 परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा; फट अच्‍छे से अच्छा वस्‍त्र निकाल कर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ। 
Luke 15:23 और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्द मनावें। 
Luke 15:24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्द करने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-3
  • मत्ती 14:1-21



मंगलवार, 20 जनवरी 2015

स्मरण गीत



   मुझे एक मुफ्त उपहार मिला - एक ऐसी सी.डी. जिसमें परमेश्वर के वचन बाइबल के भाग संगीतबद्ध करके रिकॉर्ड किए गए थे। उस सी.डी. को कई बार सुनने के बाद, उनमें से कुछ भाग मेरे मस्तिषक में बस गए, और कुछ समय के बाद मैं उनमें से कई को बिना उस सी.डी. के बजाए ही गा लेती थी।

   कुछ ऐसी बातों और विचारों को स्मरण रखने में, जिन्हें हम अकसर भूल जाते हैं, संगीत हमारी सहायता करता है, और परमेश्वर भी इस बात को जानता है। जब परमेश्वर इस्त्राएलियों को मिस्त्र के दास्तव से निकालकर ला रहा था तब वह जानता था कि वाचा किए हुए कनान देश में बसने के थोड़े ही समय के बाद वे इस्त्राएली परमेश्वर को भूल जाएंगे, उसे नज़रन्दाज़ कर देंगे; और फिर वे अन्य देवी-देवताओं और मूर्ति-पूजा की ओर मुड़ जाएंगे, जिस कारण वे फिर मुसीबतों में पड़ेंगे (व्यवस्थाविवरण 31:16-20)। इसीलिए परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह इस्त्राएलियों के लिए एक स्मरण-गीत रचे तथा उसे इस्त्राएलियों को सिखाए जिससे वे परमेश्वर के साथ अपने निकट संबंध को स्मरण रख सकें और उस पाप को भी जिसके कारण परमेश्वर से उनका संबंध बाधित हो सकता था। साथ ही उस स्मरण-गीत के द्वारा वे परमेश्वर के चरित्र को भी ध्यान रख सकें, कि "वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा ईश्वर है, उस में कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है" (व्यवस्थाविवरण 32:4)।

   थोड़ा विचार कीजिए कि अपने किस गुण के बारे में परमेश्वर चाहता है कि आज आप उसपर मनन करें - उसकी सामर्थ, उसकी पवित्रता, उसका निस्वार्थ प्रेम, उसकी अटल विश्वासयोग्यता, या अन्य कोई गुण। क्या आप किसी ऐसे स्तुति गीत या भजन के बारे में सोच सकते हैं जो परमेश्वर के गुणों पर रचा गया है? ऐसे गीत स्मरण कीजिए और उन्हें उसके चरित्र और गुणों के स्मरण को बनाए रखने के लिए स्मरण-गीत की तरह गाते रहिए, चाहे मन में या फिर खुली आवाज़ में। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर की भलाईयों का स्मरण मन में उसकी स्तुति के गीत जगा देता है।

और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो। - इफिसीयों 5:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 31:16-22
Deuteronomy 31:16 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू तो अपने पुरखाओं के संग सो जाने पर है; और ये लोग उठ कर उस देश के पराये देवताओं के पीछे जिनके मध्य वे जा कर रहेंगे व्यभिचारी हो जाएंगे, और मुझे त्यागकर उस वाचा को जो मैं ने उन से बान्धी है तोडेंगे। 
Deuteronomy 31:17 उस समय मेरा कोप इन पर भड़केगा, और मैं भी इन्हें त्यागकर इन से अपना मुंह छिपा लूंगा, और ये आहार हो जाएंगे; और बहुत सी विपत्तियां और क्लेश इन पर आ पड़ेंगे, यहां तक कि ये उस समय कहेंगे, क्या ये विपत्तियां हम पर इस कारण तो नहीं आ पड़ीं, क्योंकि हमारा परमेश्वर हमारे मध्य में नहीं रहा? 
Deuteronomy 31:18 उस समय मैं उन सब बुराइयों के कारण जो ये पराये देवताओं की ओर फिर कर करेंगे नि:सन्देह उन से अपना मुंह छिपा लूंगा। 
Deuteronomy 31:19 सो अब तुम यह गीत लिख लो, और तू उसे इस्राएलियों को सिखाकर कंठ करा देना, इसलिये कि यह गीत उनके विरुद्ध मेरा साक्षी ठहरे। 
Deuteronomy 31:20 जब मैं इन को उस देश में पहुंचाऊंगा जिसे देने की मैं ने इनके पूर्वजों से शपथ खाईं थी, और जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और खाते-खाते इनका पेट भर जाए, और ये हृष्ट-पुष्ट हो जाएंगे; तब ये पराये देवताओं की ओर फिरकर उनकी उपासना करने लगेंगे, और मेरा तिरस्कार कर के मेरी वाचा को तोड़ देंगे। 
Deuteronomy 31:21 वरन अभी भी जब मैं इन्हें इस देश में जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है पहुंचा नहीं चुका, मुझे मालूम है, कि ये क्या क्या कल्पना कर रहे हैं; इसलिये जब बहुत सी विपत्तियां और क्लेश इन पर आ पड़ेंगे, तब यह गीत इन पर साक्षी देगा, क्योंकि इनकी सन्तान इस को कभी भी नहीं भूलेगी। 
Deuteronomy 31:22 तब मूसा ने उसी दिन यह गीत लिख कर इस्राएलियों को सिखाया।

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 49-50
  • मत्ती 13:31-58



सोमवार, 19 जनवरी 2015

महिमा के लिए तैयार


   मार्च 1, 1981 के दिन प्रचारक और बाइबल के टीकाकार डी. मार्टिन लौयड-जोन्स अपनी मृत्यु-शैया पर थे। उन्होंने सन 1939 से 1968 लंडन के वेस्टमिनस्टर चैपल में पास्टर का कार्य किया था। अब जीवन के अन्त के निकट आकर वे अपनी बोल पाने की क्षमता खो चुके थे। मृत्यु-शैया से उन्होंने इशारा किया कि वे अपने स्वास्थ होने के लिए और प्रार्थनाएं नहीं चाहते, उन्होंने एक कागज़ पर लिखा, "मुझे महिमा में जाने से रोकने के और प्रयास मत करो।"

   क्योंकि जीवन अन्मोल है इसलिए किसी प्रीय जन को पृथ्वी के जीवन को छोड़कर जाते देखना कष्टदायक होता है। लेकिन यह भी निश्चित और सत्य है कि परमेश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति के लिए इस संसार को छोड़कर जाने का एक समय निश्चित किया है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि, "यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है" (भजन 116:15)। जब प्रेरित पौलुस ने देखा कि उसकी मृत्यु का समय निकट है तब वह निराश नहीं हुआ, वरन जो उसके लिए स्वर्ग में रखा हुआ था, उसे लेकर प्रसन्न था, और दूसरों को भी मसीही विश्वास में बने रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था; उसने अपनी अन्तिम पत्री में लिखा, "क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं" (2 तिमुथियुस 4:6-8)।

   जीवन यात्रा में एक मसीही विश्वासी चाहे किसी भी स्थान पर पहुँचा हो, उसका अन्तिम गन्तव्य है मसीह यीशु के साथ जा रहना, क्योंकि यह अच्छा है (फिलिप्पियों 1:23)। यह आशा हमें उत्साहित करती है, जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस देती है और जब हमारे साथी मसीही विश्वासी संसार से कूच करते हैं तब सान्तवना भी देती है।

   क्या आज आपके पास यह आशा, यह निश्चय है? क्या आप महिमा के लिए तैयार हैं? - डेनिस फिशर


जीवन का सबसे बड़ा आनन्द स्वर्ग की आशा है।

धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिये जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली आपत्ति से बच जाए, - यशायाह 57:1

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:12-23
Philippians 1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है। 
Philippians 1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं। 
Philippians 1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं। 
Philippians 1:15 कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से। 
Philippians 1:16 कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं। 
Philippians 1:17 और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं, यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्‍लेश उत्पन्न करें। 
Philippians 1:18 सो क्या हुआ? केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्‍दित हूं, और आनन्‍दित रहूंगा भी। 
Philippians 1:19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा। 
Philippians 1:20 मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं। 
Philippians 1:21 क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है। 
Philippians 1:22 पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं। 
Philippians 1:23 क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 46-48
  • मत्ती 13:1-30



रविवार, 18 जनवरी 2015

आवश्यक


   एक कहानी है: संगीत सभा के लिए वाद्य-वृंद का अभ्यास चल रहा था, संचालक सभी वाद्य-वादकों को निर्देश देते हुए उन्हें संचालित कर रहा था, ऑरगन से मधुर धुन आ रही थी, ड्रम्स बज रहे थे, तुरही अपना स्वर दे रही थी तथा वायलिनों से मधुर संगीत-ध्वनि आ रही थी; लेकिन संचालक को कुछ कमी का आभास हुआ, और उसने अभ्यास रोक दिया - बाँसुरी का स्वर उसे सुनाई नहीं दे रहा था! बाँसुरी वादक का ध्यान भटक गया था और वह अपनी लय खो बैठा था, यह सोचकर कि इतने सारे अन्य बड़े-बड़े वाद्यों के स्वर में उस छोटी सी अकेली बाँसुरी के स्वर की कमी किसी को पता नहीं चलेगी, वह शाँत हो गया था। लेकिन संचालक को तुरंत ही उसकी कमी का आभास हो गया, और उसने बाँसुरी वादक से कहा, "यहाँ सभी आवश्यक हैं।"

   प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मसीही विश्वासियों की मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में उन्हें भी यही बात समझाने का प्रयास किया - मण्डली में प्रत्येक की आवश्यकता है, मण्डली में प्रत्येक का उद्देश्य है (1 कुरिन्थियों 12:4-7)। मसीही विश्वासी मण्डली, जिसे प्रभु यीशु की देह भी कहा गया है, के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए प्रत्येक सदस्य की अपनी भूमिका है, आवश्यकता है। पौलुस ने इस बात को समझाने के लिए मसीही विश्वासियों को परमेश्वर से मिलने वाले आत्मा के वरदानों की सूची दी और उनके उपयोग की तुलना मानव देह के विभिन्न अंगों के कार्यों से करी। पौलुस, पवित्र आत्मा की अगुवाई में होकर कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को समझा रहा था कि चाहे उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, उनके वरदान, उनके व्यक्तित्व अलग-अलग हों लेकिन वे परमेश्वर के उस एक ही आत्मा से परिपूर्ण हैं और मसीह यीशु की उसी एक देह के अंग हैं। पौलुस ने विशेष रीति से समझाया कि शरीर के दुर्बल और शोभाहीन अंगों का भी महत्व है। वह सिखा रहा था कि मसीही विश्वासियों की मण्डलियों में प्रत्येक सदस्य आवश्यक है, उसकी अपनी भूमिका है, और कोई ऐसा नहीं है जो किसी अन्य से अधिक या कम आवश्यक हो; देह सभी के एक साथ होने और मिलजुलकर, एक दूसरे का पूरक होकर कार्य करने से ही सुचारू रीति से कार्य कर सकती है।

   सदा स्मरण रखें, प्रभु यीशु के दृष्टि में कोई भी छोटा, तुच्छ या अनावश्यक नहीं है। उसने सभी के उद्धार के लिए अपने प्राण बलिदान किए, सभी ने उस पर लाए विश्वास और पापों की क्षमा द्वारा ही उद्धार और उसकी देह का अंग होने के आदर को पाया है, और वह प्रत्येक को अपनी देह के अन्य सदस्यों को बनाने बढ़ाने के लिए प्रयोग करता है। - मार्विन विलियम्स


प्रभु यीशु की देह का अंग होने के कारण आप संपूर्ण का एक अनिवार्य भाग हैं।

हे भाइयो, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं, कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत हो कर मिले रहो। - 1 कुरिन्थियों 1:10

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-27
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। 
1 Corinthians 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति 43-45
  • मत्ती 12:24-50



शनिवार, 17 जनवरी 2015

संकट


   मुझे खुशी थी कि वर्ष के अन्तिम दिन भी समाप्त होने लगे हैं, क्योंकि इस वर्ष में मैंने बहुत दुख, बिमारी और उदासी को देखा था। इसलिए मैं नव-वर्ष का स्वागत पूरे ज़ोर-शोर के साथ करने को तैयार थी। लेकिन नए वर्ष के पहले महीने के साथ ही एक के बाद एक उदासी बढ़ाने वाले समचारों ने भी आना आरंभ कर दिया। मेरे कई मित्रों के माता-पिता में से कोई जाता रहा; मेरे पिता के भाई निद्रा में ही जाते रहे; कुछ मित्रों को पता चला कि उन्हें कैंसर है; एक सहकर्मी का भाई, तथा एक मित्र का पुत्र, अनापक्षित दुर्घटनाओं में जाते रहे। बीते वर्ष के साथ दुख भरे समयों का अन्त तो नहीं हुआ, वरन नया वर्ष और भी दुखों की बाढ़ ले आया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 16:33 में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "संसार में तुम्हें क्लेष होता है", अर्थात क्लेषों का आना अवश्यंभावी हैं। हम मसीही विश्वासी जो परमेश्वर की सनतान हैं, हम भी क्लेषों से बचे हुए नहीं हैं; परमेश्वर ने हमारे लिए भी आरामदेह जीवन, समृद्धि एवं संपन्नता और अच्छे स्वास्थ्य की प्रतिज्ञा नहीं करी है। लेकिन जो प्रतिज्ञा परमेश्वर ने हम से करी है वह यह है कि हमारे प्रत्येक संकट और क्लेष में वह हमारे साथ होगा। यशायाह 43:2 में परमेश्वर ने कहा कि "जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी"; अर्थात प्रत्येक खतरनाक परिस्थिति में वह हमारी रक्षा करेगा, हमारे साथ बना रहेगा। जिन संकटों और क्लेषों से होकर हम निकलते हैं, उनमें पूरे होने वाले परमेश्वर के उद्देश्यों को चाहे हम ठीक से समझने ना पाएं, लेकिन परमेश्वर सदा हमारे साथ है, और क्योंकि हम उसके प्रेम तथा हृदय को जानते हैं इसलिए उस पर भरोसा रख सकते हैं।

   क्योंकि हमारा परमेश्वर अत्यन्त प्रेमी परमेश्वर है, और "...न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों 8:38-39) इसलिए जब संकट और क्लेष आएं तो वह भी उनमें हमारे साथ रहेगा, और उनमें होकर भी हमारे लिए भला ही उत्पन्न करेगा (रोमियों 8:28)। - सिंडी हैस 
कैस्पर


विश्वास का अर्थ है चाहे हमें कुछ सुनाई या दिखाई ना भी दे, तो भी भरोसा बनाए रखना कि परमेश्वर हमारे साथ ही है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ:  यूहन्ना 16:25-33
John 16:25 मैं ने ये बातें तुम से दृष्‍टान्‍तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्‍टान्‍तों में और फिर नहीं कहूंगा परन्तु खोल कर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा। 
John 16:26 उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से बिनती करूंगा। 
John 16:27 क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रीति रखता है, इसलिये कि तुम ने मुझ से प्रीति रखी है, और यह भी प्रतीति की है, कि मैं पिता कि ओर से निकल आया। 
John 16:28 मैं पिता से निकलकर जगत में आया हूं, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूं। 
John 16:29 उसके चेलों ने कहा, देख, अब तो तू खोल कर कहता है, और कोई दृष्‍टान्‍त नहीं कहता। 
John 16:30 अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और तुझे प्रयोजन नहीं, कि कोई तुझ से पूछे, इस से हम प्रतीति करते हैं, कि तू परमेश्वर से निकला है। 
John 16:31 यह सुन यीशु ने उन से कहा, क्या तुम अब प्रतीति करते हो? 
John 16:32 देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर हो कर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है। 
John 16:33 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 41-42
  • मत्ती 12:1-23



शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

उल्टी शिक्षाएं


   प्रभु यीशु से संबंधित ऐसी अनेक बातें हैं जो मेरे अन्दर कौतूहल उत्पन्न करती हैं। प्रभु यीशु की सेवकाई की एक बात जो सदा लोगों को चकित और उन्हें सोचने के लिए विवश करती रही है, वह है उनकी सांसारिक व्यवहार और समझ से उल्ट लगने वाली शिक्षाएं।

   हमारी जीवन यात्रा में ऐसा समय भी आता है जब हम यह समझने लगते हैं कि हम सब कुछ जानने लग गए हैं, सब बातों की समझ अब हम में है, और हम अब जीवन के मार्गों पर सही रीति से चलना सीख चुके हैं। लेकिन प्रभु यीशु हमारे जीवन में हस्तक्षेप करके हमें एक नए और बेहतर मार्ग पर चलने के लिए बुलाता है। किंतु सावधान! प्रभु यीशु के मार्गों पर चलना चुनौती भरा है। संसार के व्यवहार और मान्यताओं के परिपेक्ष में उल्ट लगने वाली तथा विरोधाभास से भरी प्रभु यीशु की कुछ शिक्षाओं पर विचार कीजिए:
  • जीने के लिए मरना पड़ेगा (मरकुस 8:35);
  • पाने के लिए देना होगा (मत्ती 19:21);
  • "धन्य हैं वे जो विलाप करते हैं" (मत्ती 5:4);
  • प्रधान बनने के लिए सेवक बनना होगा (लूका 22:26);
  • दुख एवं कष्टों का भी उद्देश्य है (मत्ती 5:10-11)।

   ऐसी शिक्षाओं को सुनकर लोग सोचते हैं कि प्रभु यीशु संसार की वास्तविकताओं तथा उनके अनुरूप आवश्यक व्यवहार से अनभिज्ञ हैं। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि अनभिज्ञ प्रभु यीशु नहीं हम हैं; वह उल्टा नहीं है, उल्टे हम हैं! हम उन छोटे बच्चों के समान हैं जो यह मानकर चलते हैं के वे अपने माता-पिता से बेहतर जानते हैं, बेहतर समझ रखते हैं। इसीलिए परमेश्वर ने कहा है, "...मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है" (यशायाह 55:8)।

   आखिरकर हम और यह स्मस्त सृष्टि प्रभु यीशु ही की बनाई हुई है (कुलुस्सियों 1:15-17), इसीलिए वह बेहतर जानता है कि इसमें कार्य तथा इसका संचालन सही रीति से किस प्रकार हो सकता है। इसलिए अपनी उल्टे नैसर्गिक गुणों, सहजज्ञान और सांसारिक मान्यताओं पर भरोसा रखकर चलते रहने और कार्य करने की बजाए, हमारे लिए भला होगा कि हम प्रभु यीशु की शिक्षाओं को अपना लें और उनका पालन करें। - जो स्टोवैल


जो हमें उल्टा लगता है, वह परमेश्वर की दृष्टि में सही है।

वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है। क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं। - कुलुस्सियों 1:15-17

बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; 
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा। 
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, 
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे। 
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 39-40
  • मत्ती 11



गुरुवार, 15 जनवरी 2015

प्रार्थना


   जब मुझे ज्ञात हुआ कि मेरी बहन को कैंसर है तब मैंने अपने मित्रों से उसके लिए प्रार्थना करने को कहा। जब इलाज के लिए उसका ऑपरेशन किया गया तब हम ने प्रार्थना करी कि सर्जन सारे कैंसर को निकालने पाए, कुछ भी अन्दर ना रहने पाए जिससे मेरी बहन को कीमोथैरपी या विकिरण चिकित्सा से होकर ना निकलना पड़े - और परमेश्वर ने हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, हाँ! जब मैंने यह समाचार अपने मित्रों को बताया, तो एक मित्र ने कहा, "मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि प्रार्थना में सामर्थ है"; और मैंने कहा, "मैं बहुत धन्यवादी हूँ कि इस बार परमेश्वर ने हमें ’हाँ’ में उत्तर दिया है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने कहा, "...धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है" (याकूब 5:16)। लेकिन क्या इसका यह तात्पर्य है कि हम जितने अधिक ज़ोर से, या जितने अधिक लोगों को साथ लेकर प्रार्थना करेंगे, प्रार्थना का उत्तर ’हाँ’ में पाने की संभावना उतनी अधिक बढ़ जाएगी? मुझे अनेकों प्राथनाओं के उत्तर ’नहीं’ में, या फिर ’अभी प्रतीक्षा करो’ में मिल चुके हैं इसलिए मैं उस संभावना बढ़ाने वाले तर्क से सहमत नहीं हूँ।

   यह निश्चित है कि प्रार्थना में सामर्थ है, लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि प्रार्थना में बड़ा भेद भी है। बाइबल हमें सिखाती है कि हमें विश्वास के साथ, दृढ़तापूर्वक, निर्भीक होकर, धैर्य के साथ अपनी इच्छा प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख रखनी चाहिए किंतु साथ ही हमें परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित भी रहना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर अपनी इच्छा और बुद्धिमता में होकर जो भी देता है वही सर्वोत्तम तथा सबसे उपयुक्त होता है। मुझे इस बात से शांति है कि परमेश्वर हमारे दिल की बात सुनना चाहता है, और उसका उत्तर जो भी हो, वह भला ही करता है।

   मुझे ओले हैल्सबी का कथन पसन्द है, उन्होंने कहा, "प्रार्थना और सांसारिक रीति से असहाय होना एक दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते। जो सांसारिक रीति से असहाय होते हैं वे ही वास्तव में प्रार्थना कर सकते हैं। आपका सांसारिक रीति से असहाय होना ही आपकी प्रार्थना के सफल होने की कुँजी है।"

   प्रार्थना में लगे रहें! - ऐनी सेटास


असहाय सन्तान द्वारा प्रेमी सामर्थी पिता को भेजी गई पुकार ही प्रार्थना है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: याकूब 5:13-18
James 5:13 यदि तुम में कोई दुखी हो तो वह प्रार्थना करे: यदि आनन्‍दित हो, तो वह स्‍तुति के भजन गाए। 
James 5:14 यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें। 
James 5:15 और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उसको उठा कर खड़ा करेगा; और यदि उसने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी। 
James 5:16 इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। 
James 5:17 एलिय्याह भी तो हमारे समान दुख-सुख भोगी मनुष्य था; और उसने गिड़िगड़ा कर प्रार्थना की; कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा। 
James 5:18 फिर उसने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्‍त हुई।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 36-38
  • मत्ती 10:21-42



बुधवार, 14 जनवरी 2015

प्रोत्साहक


   कठिन मंदी के दौर में मैंने अपने साथी मसीही विश्वासियों के साथ अन्य बेरोज़गार मसीही विश्वासियों की सहायता और प्रोत्साहन के लिए एक सहायता समूह बनाया। हम उन बेरोज़गार लोगों के नौकरी पाने में सहायता के लिए उनकी अर्ज़ियों, शैक्षिक एवं कार्य अनुभव आदि को अच्छी रीति से लिखने में सहायता करते, लोगों के साथ संपर्क करके उनके रोज़गार के अवसर तलाशते और उनके लिए प्रार्थनाएं किया करते थे। लेकिन एक समस्या बार-बार सामने आने लगी, जब किसी को नौकरी मिल जाती तो विरला ही कोई होगा जो समूह के लोगों को प्रोत्साहित करने लौटा होगा। इससे समूह में शेष रह गए लोगों में एकाकीपन और निराशा बढ़ जाती थी।

   लेकिन इस से भी बदतर थीं वे टिप्पणियाँ जो उन लोगों से सुनने को मिलती थीं जिन्होंने कभी बेरोज़गारी का कष्ट अनुभव नहीं करा था। उन लोगों की बातें अय्युब के मित्रों द्वारा उसके कष्ट के समय में उस पर लगाए जाने वाले लांछनों के समान ही होते थे; जैसा अय्युब के मित्रों ने उससे कहा: "और यदि तू निर्मल और धमीं रहता, तो निश्चय वह तेरे लिये जागता; और तेरी धमिर्कता का निवास फिर ज्यों का त्यों कर देता" (अय्युब 8:6)। जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब और उसके मित्रों के बीच हो रहे इस संवाद को पढ़ते हैं तो अय्युब की पुस्तक के बारहवें अध्याय में पहुँचने तक अय्युब उनसे कहना आरंभ कर देता है कि जिन लोगों का जीवन सरल रहा है, वह उन से उपेक्षित अनुभव कर रहा है (पद 5)।

   जब हमारे लिए सब कुछ अच्छा चल रहा हो तब कभी-कभी हम यह सोचना आरंभ कर देते हैं कि या तो हम उन लोगों से जो कष्ट में होकर निकल रहे हैं भले हैं, या फिर परमेश्वर उनसे तो कम और हम से अधिक प्रेम रखता है। हम यह नज़रन्दाज़ कर बैठते हैं कि परमेश्वर तो सभी से समान ही प्रेम रखता है, और सब का ही भला चाहता है, इसीलिए तो उसने सारे संसार के सभी लोगों के उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु को इस संसार में बलिदान होने के लिए भेजा। साथ ही हम यह भी भूल जाते हैं कि इस पतित संसार के दुषप्रभाव किसी को भी, कभी भी और किसी भी सीमा तक प्रभावित कर सकते हैं; जो स्थिति आज किसी और की है, वही या उससे भी बुरी कल हमारी भी हो सकती है।

   हम चाहे अच्छे समय से होकर निकल रहे हों या फिर बुरे, हमें परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता सदा ही रहती है। परमेश्वर हम से यह भी आशा रखता है कि उसके द्वारा हमें प्रदान करी गई सफलता, समृद्धि और सामर्थ को हम दूसरों की भलाई और प्रोत्साहन में उपयोग करें। वह हमें आलोचक नहीं प्रोत्साहक देखना चाहता है। - रैन्डी किलगोर


परमेश्वर के प्रति दीनता हमें दूसरों के प्रति नम्रता प्रदान करती है।

हम पर अनुग्रह कर, हे यहोवा, हम पर अनुग्रह कर, क्योंकि हम अपमान से बहुत ही भर गए हैं। हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है। - भजन 123:3-4

बाइबल पाठ: अय्युब 12:1-10
Job 12:1 तब अय्यूब ने कहा; 
Job 12:2 नि:सन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी। 
Job 12:3 परन्तु तुम्हारी नाईं मुझ में भी समझ है, मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो? 
Job 12:4 मैं ईश्वर से प्रार्थना करता था, और वह मेरी सुन लिया करता था; परन्तु अब मेरे पड़ोसी मुझ पर हंसते हैं; जो धमीं और खरा मनुष्य है, वह हंसी का कारण हो गया है। 
Job 12:5 दु:खी लोग तो सुखियों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; और जिनके पांव फिसला चाहते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है। 
Job 12:6 डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो ईश्वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; और उनके हाथ में ईश्वर बहुत देता है। 
Job 12:7 पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। 
Job 12:8 पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी। 
Job 12:9 कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है। 
Job 12:10 उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 33-35
  • मत्ती 10:1-20


मंगलवार, 13 जनवरी 2015

सुनिश्चित भविष्य


   मुझे फुटबॉल का खेल बहुत पसन्द है, और मैं इंगलैण्ड के लिवरपूल फुटबॉल क्लब का प्रशंसक हूँ। जब वे खेल रहे होते हैं तो वह मेरे लिए बहुत उत्सुकता से भरा समय होता है, क्योंकि एक गोल या एक चूक खेल के परिणाम को बदल सकती है। इसलिए जब तक वह खेल चल रहा होता है मैं तनाव में बना रहता हूँ, और यही रोमांच खेल को आनन्दपूर्ण भी बनाता है। लेकिन हाल ही में मैंने लिवरपूल द्वारा खेली गई एक प्रतिस्पर्धा की रिकॉर्डिंग देखी, और मुझे आश्चर्य हुआ कि मैं उस खेल को देखते हुए कितना शांत था। ऐसा क्यों? क्योंकि मुझे उस खेल का परिणाम पहले ही पता था! इस कारण मैं शान्त मन और शरीर से उस खेल को देख सका, भाग ले रहे खिलाड़ियों के खेल की बारीकियों पर ध्यान देने पाया और खेल का एक अलग ही आनन्द उठाने पाया।

   जीवन भी रोमांचक खेलों के सीधे प्रसारण के समान ही होता है। कब कुछ अनेपक्षित हो जाए, कुछ अन्होना घट जाए, कब कोई निराशा की स्थिति आ जाए या कोई भय हावी हो जाए, कुछ पता नहीं होता; भविष्य को लेकर तनाव बना रहता है। क्योंकि हम परिणाम से अनभिज्ञ होते हैं इसलिए चिंतित और व्याकुल रहते हैं। लेकिन मसीही विश्वासी इस बात के द्वारा शान्ति प्राप्त कर सकते हैं कि हमारे प्रभु यीशु द्वारा क्रूस पर पूरे किए गए कार्य के द्वारा हमारा भविष्य अनन्तकाल के लिए सुनिश्चित हो चुका है।

   प्रभु यीशु के अनुयायी प्रेरित यूहन्ना ने अपनी पत्री में लिखा, "मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है" (1 यूहन्ना 5:13)। जीवन हमारे सामने चाहे कैसी भी और कितनी भी अनेपक्षित बातें और परिस्थितियाँ लेकर आए, लेकिन प्रभु यीशु के कार्य के द्वारा हमारा भविष्य सुनिश्चित किया जा चुका है, इसलिए हम मसीही विश्वासियों के लिए कोई चिंता का विषय शेष नहीं रहा है; अनन्त शांति और आनन्द हमारे लिए तैयार हैं। - बिल क्राउडर


जब मसीह यीशु हृदय में राज्य करेगा तो उसकी शान्ति हमारे जीवन में राज्य करेगी।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। - यूहन्ना 1:12

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 5:10-15
1 John 5:10 जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिसने परमेश्वर को प्रतीति नहीं की, उसने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। 
1 John 5:11 और वह गवाही यह है, कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है: और यह जीवन उसके पुत्र में है।
1 John 5:12 जिस के पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिस के पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है।
1 John 5:13 मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है। 
1 John 5:14 और हमें उसके साम्हने जो हियाव होता है, वह यह है; कि यदि हम उस की इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो हमारी सुनता है। 
1 John 5:15 और जब हम जानते हैं, कि जो कुछ हम मांगते हैं वह हमारी सुनता है, तो यह भी जानते हैं, कि जो कुछ हम ने उस से मांगा, वह पाया है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 31-32
  • मत्ती 9:18-38