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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

एक ही रास्ता

हम जमैका में अपना काम समाप्त कर चुके थे और अब हम अमेरिका में अपने घर वापस जाना चाहते थे। हमने इसके लिये हवाई जहाज़ के टिकिट भी समय रहते ले लिये थे, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि टिकिट बेचने वाली विमान सेवा कंपनी हमें अपने वायदे के अनुसार लेकर भी जाएगी। परन्तु जब जाने का समय आया तो विमान सेवा कंपनी में कुछ समस्याओं के कारण वह कंपनी अपना वायदा पूरा करने में असमर्थ निकली, और हमें बार बार यही घोषणा सुनने को मिल रही थी कि "आपकी उड़ान रद्द हो गई है"। हमारे टिकिट पर चाहे जो लिखा हो, वास्तविकता यह थी कि हम उस विमान सेवा कंपनी द्वारा जमैका से अमेरिका जा पाने में असमर्थ थे। अन्य विकल्प के लिये हमें एक दिन की और प्रतीक्षा करनी पड़ी, तब ही हम अपने घर के लिये रवाना हो सके।

इस स्थिति को संसार से कूच करके स्वर्ग जाने पर लागू कीजिए। कल्पना कीजिए कि जब आप स्वर्ग के द्वार पर पहुंचें तो मालूम पड़े कि आपका प्रवेश संभव नहीं है, क्योंकि आप इसके लिये अयोग्य हैं। संसार में आपने जिन बातों या कार्यों पर भरोसा करके स्वर्ग में प्रवेश के मंसूबे बनाए थे, उनमें से कोई आपके लिये यह द्वार नहीं खोल सकती, उनके सब वायदे गलत साबित हुए और अब आप परमेश्वर के साथ अनन्त काल तक नहीं रह पाएंगे। जमैका से अमेरिका जाने का तो विकल्प मिल गया था, परन्तु एक बार पृथ्वी से कूच करा तो फिर किसी विकल्प की कोई संभावना नहीं है, जो भी संभावना है, वह अभी और इस पृथ्वी पर ही है। अपने "स्वर्गवासी" होने के विकल्पों को भली भांति जांच लीजिये।

प्रेरित पतरस ने, अपनी धार्मिकता के घमंड में मगरूर यहूदी धर्म के अगुवों को, जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह का तिरिस्कार करके उसे क्रूस पर ठुकवा दिया था, प्रभु यीशु मसीह के विषय में कहा: "और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।" (प्रेरितों ४:१२) प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं कहा है "मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।" (यूहन्ना १४:६) स्वर्ग जाने का एक ही रास्ता है - प्रभु यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर संसार के पापों के लिये चुकाई गई कीमत पर विश्वास करके पापों से पश्चताप और उसे समर्पण।

अन्य कोई मार्ग नहीं है, व्यर्थ आश्वासनों पर भरोसा न करें। प्रभु यीशु - केवल वो ही एक रास्ता है। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु ने क्रूस पर मेरा स्थान ले लिया, और मुझे स्वर्ग में स्थान दे दिया।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों ४:१२


बाइबल पाठ: यूहन्ना १४:१-६

तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।
और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपके यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।
और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।
थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू हां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?
यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३७-३९
  • २ पतरस २

सोमवार, 29 नवंबर 2010

गलतिया की मण्डली

मैं खुले ग्रामीण इलाकों से होकर जा रहा था जब मुझे एक चर्च दिखाई दिया जिसके नाम ने मुझे अचंभित किया, उसक नाम था "गलतिया की मण्डली"। मुझे निश्चय था कि कोई भी किसी चर्च को यह नाम नहीं देगा जब तक कि इसका कोई विकल्प ही न हो क्योंकि गलतिया की मण्डली का उदहरण कोई अनुसरण योग्य उदाहरण नहीं था।

बाइबल में गलतिया की मण्डली को लिखी गई पौलुस की पत्री से पता लगता है कि यह पत्री पौलुस की सबसे आवेश भरी पत्री थी। उसे उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार को छोड़कर अपनी वैधानिकता, स्वेच्छा और कर्मों पर आधारित होने के लिये डांटना पड़ा था। पौलुस ने लिखा: "क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे?" (गलतियों ३:३)

जैसे हम परमेश्वर के साथ अपना संबंध किन्ही कर्मों से कमा नहीं सकते, वैसे ही हम अपनी शारीरिक सामर्थ से आत्मिक जीवन में उन्नति भी नहीं कर सकते। पौलुस तब गलतिया की मण्डली को, और आज हमको यह समझाता है कि मसीह के साथ हमारा चलना, हमारा मसीही जीवन, परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ से परमेश्वर पर निर्भर होने के द्वारा ही संभव हो सकता है।

यदि हम सोचते हैं कि हम अपने प्रयत्नों और कर्मों द्वारा मसीह की समानता में आ सकते हैं तो हम गलतिया की मण्डली के समान हैं - निर्बुद्धि! - बिल क्राउडर


परमेश्वर का पवित्र आत्मा ही परमेश्वर की सामर्थ का स्त्रोत है।

क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे? - गलतियों ३:३


बाइबल पाठ: गलतियों ३:१-१२

हे निर्बुद्धि गलतियों, किस ने तुम्हें मोह लिया? तुम्हारी तो मानों आंखों के साम्हने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया!
मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूं, कि तुम ने आत्मा को, क्‍या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया?
क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे?
क्‍या तुम ने इतना दुख यों ही उठाया? परन्‍तु कदाचित व्यर्थ नहीं।
सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्‍या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?
इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धामिर्कता गिनी गई।
तो यह जान लो, कि जो विश्वास करने वाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्‍तान हैं।
और पवित्रशास्‍त्र ने पहिले ही से यह जान कर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले ही से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी।
तो जो विश्वास करने वाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
सो जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के आधीन हैं, क्‍योंकि लिखा है, कि जो कोई व्यवस्था की पुस्‍तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है।
पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्‍योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।
पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्‍ध नहीं, पर जो उन को मानेगा, वह उन के कारण जीवित रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३५-३६
  • २ पतरस १

रविवार, 28 नवंबर 2010

पृथ्वी आगमन का जोखिम

इसाई धर्म के कैलेनडर में प्रभु यीशु के जन्मदिन मनाने से पूर्व का समय ’ऐडवेन्ट’ के दिन माने जाते हैं जिनमें प्रभु यीशु के आगमन की तैयारियां की जातीं हैं। ऐडवेन्ट के दिनों में मोम्बत्तियां जलाई जातीं हैं, पहली मोमबत्ती आशा की सूचक है। परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता यशायाह ने प्रभु यीशु के विष्य में भविष्यवाणी की थी कि संसार की सभी जातियों में से लोग उसपर अपनी आशा और विश्वास रखेंगे (यशायाह ४२:१-४, मत्ती १२:२१)।

ऐडवेन्ट या मसीह के आगमन को लोग अकसर इस नज़रिये से देखते हैं कि जैसे वो किसी बाह्य ग्रह से आने वाला कोई आगन्तुक हो जिसे इस पृथ्वी के बारे में कुछ पता नहीं है। वे इस बात से आनन्दित होते हैं कि इस सुन्दर पृथ्वी पर यीशु, जिसने इसे विशेष रूप से हमारे लिये बनाया है, मेहमान की तरह आया है। लेकिन यह स्मरण रखना आवश्यक है कि यीशु इस पृथ्वी से कहीं बेहतर स्थान - स्वर्ग से आया, जो हमारी कल्पना से भी अधिक सुन्दर और अच्छा है।

जब कभी मैं प्रभु यीशु के पृथ्वी पर आगमन के बारे में सोचती हूँ, मैं यह भी ध्यान करती हूँ कि यहां आने के लिये उसे स्वर्ग को छोड़ना पड़ा। आने से पहले उसे पता था कि पृथ्वी उसके लिये विरोध की जगह है और यहां आना उसके लिये जोखिम भरा है (मत्ती १२:१४)। लेकिन फिर भी वह आया। हमारे न्यायी और करुणामय परमेश्वर ने अपने आप को मनुष्य के अन्याय के आधीन कर दिया, अविनाशी सृष्टिकर्ता नाशमान देह धारण करके आ गया कि पृथ्वी के जीवन को स्वयं अनुभव कर सके।

प्रभु यीशु ने स्मस्त संसार के लोगों के लिये मृत्यु भोगी (पर हम यीशु को जो स्‍वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं, ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्‍वाद चखे। - इब्रानियों २:९) जिससे हम उसकी कृपा को चख सकें (तुम ने प्रभु की कृपा का स्‍वाद चख लिया है। - १ पतरस २:३)।

उसने स्वर्ग का वैभव इसलिये छोड़ा कि हमें स्वर्ग की महिमा में ले जा सके। उसने अपने प्राण देकर हमें अनन्त जीवन दिया है। क्या आपने प्रभु यीशु की यह अनन्त जीवन की भेंट स्वीकार करी है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


अनन्त परमेश्वर मानव इतिहास की सीमाओं में सिमट आया ताकि मानव को इतिहास की सीमाओं से परे का अनन्त जीवन मिल सके।

और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी। - मत्ती १२:२१


बाइबल पाठ: मत्ती १२:११-२१

उस ने उन से कहा तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक भेड़ हो, और वह सब्‍त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़ कर न निकाले?
भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है? इसलिये सब्‍त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा।
उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाई अच्‍छा हो गया।
तब फरीसियों ने बाहर जा कर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें?
यह जान कर यीशु वहां से चला गया, और बहुत लागे उसके पीछे हो लिये और उस ने सब को चंगा किया।
और उन्‍हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना।
कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो।
कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है, मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा।
वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा और न बाजारों में कोई उसका शब्‍द सुनेगा।
वह कुचले हुए सरकण्‍डे को न तोड़ेगा और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए।
और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३३-३४
  • १ पतरस ५

शनिवार, 27 नवंबर 2010

प्रेम के पात्र

हम अपने परिवार के साथ धन्यवादी पर्व के भोजन के लिये एकत्रित थे। भोजन से पहले किसी ने सुझाव दिया कि हम सब अपनी अपनी वह बात बताएं जिसके लिए हम परमेश्वर के धन्यवादी हैं। बारी बारी हम ने अपनी बात कहनी आरंभ करी। तीन वर्षीय जोशुआ "संगीत" के लिये, तो चार वर्षीय नातान "घोड़ों" के लिये धन्यवादी था। परन्तु हम सब चकित रह गए जब स्टीफन जो शीघ्र ही पांच वर्ष का होने वाला था बोला कि "मैं धन्यवादी हूँ कि प्रभु यीशु मुझसे इतना प्रेम करते हैं।" सहज विश्वास से वह प्रभु के प्रेम को समझ पाया और अपने प्रति उनके व्यक्तिगत प्रेम के लिये उनका कृतज्ञ हुआ। उसने हमें बताया कि कैसे प्रभु ने अपना प्रेम क्रूस पर अपना बलिदान देकर प्रगट किया।

प्रेरित पौलुस चाहता था कि इफिसुस के विश्वासी इस बात को समझें कि कैसे वे प्रभु के प्रेम के पात्र हैं। उन लोगों के लिये पौलुस की प्रार्थना थी कि "और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।" (इफिसियों ३:१७-१९)

परमेश्वर के प्रेम के विषय में अपने को दृढ़ करने के लिये भला होगा कि हम इन पदों को कंटस्थ कर लें और बार बार इन्हें दोहराते रहें, और परमेश्वर ने उस दिन जिस विशेष रीति से अपना प्रेम हम पर प्रगट किया है - जैसे किसी कार्य में सहायता, या किसी प्रार्थना के उतर, या किसी कठिनाई में शांति के द्वारा, आदि, उन बातों के लिये प्रतिदिन कुछ मिनिट का समय उसे धन्यवाद देने में लगाएं। इससे हम अपने विश्वास में और बढ़ सकेंगे और स्टीफन के समान धन्यवादी हो सकेंगे कि हम प्रभु के प्रेम के पात्र हैं। - ऐनी सेटास


प्रभु यीशु के प्रति अपने प्रेम को सजीव रखने के लिये, अपने प्रति प्रभु के प्रेम को स्मरण करते रहो।

और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे ह्रृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ। - इफिसियों ३:१७-१९

बाइबल पाठ: इफिसियों ३:१४-२१

मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
जिस से स्‍वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे ह्रृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३०-३२
  • १ पतरस ४

शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

सेवकाई के इलाके

फ़्रांसिस ऐसबरी लगभग एक अर्धशताबदी तक, घोड़े पर बैठकर, प्रतिवर्ष ६००० मील की यात्रा करता रहा। खराब सेहत के बावजूद वह अपना यह कार्य अथक करता रहा। इस यात्रा के दौरान उसका खाना सूखाई हुई भोजन वस्तुओं का होता था जो जलदी खराब न हो। ऐसबरी को मेथोडिस्ट वर्ग के भ्रमणकारी प्रचारकों के आरंभकर्ता के रूप में स्मरण किया जाता है, जिन्होंने अमेरीका के सीमा प्रांतों में प्रभावी रूप से प्रभु यीशु के सुसमाचार का प्रचार किया। इन सुदूर इलाकों में चर्च स्थापित करना उसकी सेवकाई का प्रमुख अंग था।

अपनी सेवकाई के समापन तक ऐसबरी द्वारा उसके जैसे ७०० भ्रमणकारी प्रचारक तैयार होकर इस सेवकाई को बढ़ाने में लगे थे। सन १७७१ में, जब ऐसबरी इन सीमांत इलाकों मे आया था, अमेरिका में केवल करीब ६०० मेथोडिस्ट मत के मसीही थे। ४५ वर्ष बाद वे बढ़कर २००,००० हो गये थे।

कई रूप में ऐसबरी की मण्डलियां स्थापित करने की कार्यशैली पौलुस प्रेरित की शैली पर आधारित थी। पौलुस द्वारा जो मण्डली थिस्सलुनिके में स्थापित हुई थी, उसे अपने पत्र में पौलुस ने लिखा: "क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं।" (१ थिस्सलुनिकियों १:८)

भले ही अब इस प्रकार के भ्रमणकारी प्रचारकों का समय नहीं रहा, पर मसीह के प्रत्येक विश्वासी के लिये पड़ौसी, रिश्तेदार और मित्र सुसमाचार प्रचार के लिये सेवकाई का इलका अभी भी हैं। ऐसे लोगों का स्मरण कीजिए जिन तक अभी भी सुसमाचार नहीं पहुंचा है और अपनी सेवकाई को पूरा कीजिए। - डेनिस फिशर


जो प्रभु यीशु से प्रेम करते हैं वे पाप में खोए हुओं से भी प्रेम करते हैं।

क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। - १ थिस्सलुनिकियों १:८

बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनिकियों १

पौलुस और सिलवानुस और तीमुयियुस की ओर से थिस्‍सलुनिकियों की कलीसिया के नाम जो परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह में है। अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे।
हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।
और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्र्म, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं।
और हे भाइयो, परमेश्वर के प्रिय लोगों हम जानतें हैं, कि तुम चुने हुए हो।
क्‍योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है, जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे।
और तुम बड़े क्‍लेश में पवित्र आत्मा के आनन्‍द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे।
यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने।
क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं।
क्‍योंकि वे आप ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ, और तुम किस प्रकार मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्‍चे परमेश्वर की सेवा करो।
और उसके पुत्र के स्‍वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उस ने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है।
एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल २७-२९
  • १ पतरस ३

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

पाप अंगीकार और धन्यवाद

एक इतवार की आराधना सभा में हमारी सारी मण्डली ने सामूहिक रूप से पाप अंगीकार की यह प्रार्थना करी: "अनुग्रहकारी परमेश्वर, अन्य कितने ही विश्वासियों के समान हम भी असन्तुष्ट होकर शिकायत करते हैं जब बातें हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होतीं। हम भी, अपनी आवश्यक्ता के अनुसार नहीं वरन हर चीज़ बहुतायत से उप्लब्ध हो, चाहते हैं। हमारी भी इच्छा रहती है कि जिस स्थान पर आपने हमें रखा है, उसे छोड़कर हम कहीं और चले जाएं। जो आपने हमें दिया है वह नहीं परन्तु जो दूसरों को मिला है वह हमें मिले। हमारी इच्छा रहती है कि आप हमारी सेवा करते रहें, न कि यह कि हम आप की सेवा में लगे रहें। जो कुछ आपने हमें दिया और हमारे लिये किया, हमारा उसके लिये धन्यवादी न होने को कृप्या क्षमा करें।"

किसी का संपन्न होना कोई निशचितता नहीं है कि वह उसके लिये आभारी और धन्यवादी भी होगा। कई बार संपन्नता हमारे मन परमेश्वर से विमुख भी कर देती हैं। प्रभु यीशु ने चेलों को चिताया "...चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।" (लूका १२:१५)

जब निशकासित यहूदियों का एक समूह बाबुल की अपनी बन्धुआई से, नेहेमियाह के साथ वापस यरूशलेम का पुनःनिर्माण करने लौटा, तो लौटकर उन्होंने अपने और अपने पूर्वजों के पाप अंगीकार की प्रार्थना करी। उन्होंने प्रार्थना में कहा: "और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों[पुरोहितों] और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उनको चिताया था। उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।" (नेहेमियाह ९:३४, ३५)

परमेश्वर के सन्मुख पापों का अंगीकार और उनके लिये पश्चाताप करने वाले ही खरे और निर्मल मन से फिर उसकी सच्ची आराधाना भी कर सकते है। परमेश्वर ऐसे ही आराधाकओं को ढूंढ़ता है - "परन्‍तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्‍चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे, क्‍योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है। परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्‍चाई से भजन करें।" (यूहन्ना ४:२३, २४)

पापों के लिये पश्चातापी और परमेश्वर के प्रति धन्यवादी तथा आज्ञाकारी मन, जीवन में परमेश्वर की आशीशों के भंडारों को भर देता है। - डेविड मैकैसलैंड


पश्चाताप, धन्यवादी होने के द्वार खोल देता है।

उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया। - नेहेमियाह ९:३५

बाइबल पाठ: नेहेमियाह ९:३२-३७

अब तो हे हमारे परमेश्वर ! हे महान पराक्रमी और भययोग्य ईश्वर ! जो अपनी वाचा पालता और करुणा करता रहा है, जो बड़ा कष्ट, अश्शूर के राजाओं के दिनों से ले आज के दिन तक हमें और हमारे राजाओं, हाकिमों, याजकों, नबियों, पुरखाओं, वरन तेरी समस्त प्रजा को भोगना पड़ा है, वह तेरी दृष्टि में थोड़ा न ठहरे।
तौभी जो कुछ हम पर बीता है उसके विष्य तू तो धमीं है; तू ने तो सच्चाई से काम किया है, परन्तु हम ने दुष्टता की है।
और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उनको चिताया था।
उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
देख, हम आज कल दास हैं, जो देश तू ने हमारे पितरों को दिया था कि उसकी उत्तम उपज खाएं, उसी में हम दास हैं।
इसकी उपज से उन राजाओं को जिन्हें तू ने हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर ठहराया है, बहुत धन मिलता है, और वे हमारे शरीरों और हमारे पशुओं पर अपनी अपनी इच्छा के अनुसार प्रभुता जताते हैं, इसलिये हम बड़े संकट में पड़े हैं।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल २४-२६
  • १ पतरस २

बुधवार, 24 नवंबर 2010

सेवा करने के लिये बुलाये गये

जब जॉर्ज बुश राष्ट्रपति थे तो एक धन्यवादि पर्व के दिन अचानक वह विदेशों में स्थित अमरीकी सैनिकों के पास पहुंचे और उन्हें भोजन परोसने में भाग लिया। एक प्रेस रिपोर्टर ने टिप्पणी करी कि शायद कुछ सैनिक उस भोजन को निशानी के रूप में बचा कर रख लेंगें, क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा परोसा गया भोजन रोज़ रोज़ तो नहीं मिलता।

संसार भर में, सभी निर्वाचित अफसर और नेता, जनता के ’सेवक’ होने के लिये नियुक्त हैं, इसलिये राष्ट्रपति के इस काम के लिये इतना अचंभित होने का कारण क्यों हुआ? क्योंकि चाहे कुछ वास्तव में सेवक बन कर कार्य करने वाले हों, अधिकांशतः तो सेवा लेने वाले ही होते हैं। वे ’सेवक’ केवल अपनी स्वार्थसिद्धी के लिये ही बनते हैं।

जब प्रभु यीशु मसीह अपने चेलों को प्रक्षिशित कर रहे थे तो उनके चेलों में बड़े बनने की होड़ हुई। तब प्रभु ने मसीही सेवक होने का अर्थ चेलों को स्वयं अपने जीवन और उद्देश्य के उदाहरण द्वारा समझाया: "और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।" (मरकुस १०:४२-४५)

सच्चा मसीही और अच्छा अगुवा, सेवा लेना नहीं वरन पहले स्वयं दीन होकर सेवा करने वाला होता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


अच्छा सेवक ही अच्छा अगुवा भी होता है।

क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे - मरकुस १०:४५


बाइबल पाठ: मरकुस १०:३५-४५

तब जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिये करे।
उस ने उन से कहा, तुम क्‍या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं?
उन्‍होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे।
यीशु न उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्‍या मांगते हो; जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्‍या पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, क्‍या ले सकते हो?
उन्‍होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओंगे, और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे।
पर जिन के लिये तैयार किया गया है, उन्‍हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएं बैठाना मेरा काम नहीं।
यह सुन कर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसयाने लगे।
और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं।
पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने।
और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने।
क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल:
यहेजेकेल २२, २३
१ पतरस १

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

टूटे संबंधों का खेद

ब्रिटेन के संगीत दल ’माईक और मैकैनिकस’ ने १९८० में एक बहुत प्रभावशाली और लोकप्रीय गीत The Living Years रिकॉर्ड किया। इस गीत में गीतकार अपने पिता की मृत्यु का शोक मनाता है, क्योंकि उनके संबंध तनाव और खामोशी से भरे थे न कि एक दूसरे के साथ अपने मन की बातें बांटने से। गीतकार बहुत दुखी और खेदित मन से कहता है कि "जो कुछ मैं उनसे कहना चाहता था वह न कह सका; काश मैंने उनके जीते जी अपने मन की बातें उनसे कह दी होतीं।"

राज दाउद भी इसी प्रकार अपने बेटे अबसलोम से टूटे संबंधों के कारण खेदित हुआ। अबसलोम क्रोधित था कि उसकी बहिन तमार के बलात्कारी अमनोन को दाउद ने दंड नही दिया, इसलियेअ अबसलोम अम्नोन की हत्या करके भाग गया (२ शमुएल १३:२१-३४)। दाउद का सेनपति योआब जानता था कि दाउद अपने भगोड़े बेटे के लिये तरसता है, इसलिये उसने योजना बनाई और अबसलोम को वापस राज्य में ले आया। लेकिन दाउद और अबसलोम के संबंध कभी ठीक नहीं हो सके। अबसलोम के मन की कड़ुवाहट ने एक ऐसे संघर्ष को जन्म दिया जिसमें बाप-बेटा एक दूसरे के विरोधी हो गए और युद्ध में अबसलोम की मृत्यु हुई (२ शमुएल १८:१४)। राजा दाउद के लिये यह एक कटु विजय थी, जिसमें उसने अपने मरे हुए बेटे और उससे टूटे हुए संबंध के लिये विलाप किया। लेकिन कोई खेद या विलाप दाउद के दुख को कम नहीं कर सकता था। यदि समय रहते संबंध सुधार लिये होते तो यह उसे अब यह समय न देखना पड़ता।

दाउद के खेद से हम टूटे संबंधों को समय रहते ठीक करने के विष्य में सीख सकते हैं। बिगड़ी बात को बनाने का प्रयास कुछ समय के लिये कष्टदायी हो सकता है, लेकिन समय रहते कुछ न करने का खेद उससे कहीं अधिक दुखदायी और सारे जीवन सताने वाला होगा।

प्रभु यीशु ने सिखाया: "इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहां तू स्मरण करे, कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे और जाकर पहिले अपने भाई से मेल मिलाप कर तब आकर अपनी भेंट चढ़ा।" (मत्ती ५:२३, २४)

जैसे परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह में होकर हमारे पापों को क्षमा किया है, यदि प्रभु यीशु का प्रेम हमारे मनों में हो तो वह हमें भी सामर्थ देता है कि हम भी क्षमा कर सकें "सब में श्रेष्‍ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो, क्‍योंकि प्रेम अनेक पापों को ढ़ांप देता है।" ( १ पतरस ४:८) - बिल क्राउडर


टूटे संबंध ठीक किये जा सकते हैं, यदि प्रयास करने को तैयार हों तो।

तब राजा बहुत घबराया, और फाटक के ऊपर की अटारी पर रोता हुआ चढ़ने लगा और चलते चलते यों कहता गया, कि हाय मेरे बेटे अबसलोम ! मेरे बेटे, हाय ! मेरे बेटे अबसलोम ! भला होता कि मैं आप तेरी सन्ती मरता, हाय ! अबसलोम ! मेरे बेटे, मेरे बेटे !! - २ शमुएल १८:३३

बाइबल पाठ: २ शमुएल १८:३१-१९:४

तब कूशी भी आ गया, और कूशी कहने लगा, मेरे प्रभु राजा के लिये समाचार है। यहोवा ने आज न्याय करके तुझे उन सभों के हाथ से बचाया है जो तेरे विरुद्ध उठे थे।
राजा ने कूशी से पूछा, क्या वह जवान अर्थात अबसलोम कल्याण से है? कूशी ने कहा, मेरे प्रभु राजा के शत्रु, और जितने तेरी हानि के लिये उठे हैं, उनकी दशा उस जवान की सी हो।
तब राजा बहुत घबराया, और फाटक के ऊपर की अटारी पर रोता हुआ चढ़ने लगा? और चलते चलते यों कहता गया, कि हाय मेरे बेटे अबसलोम ! मेरे बेटे, हाय ! मेरे बेटे अबसलोम ! भला होता कि मैं आप तेरी सन्ती मरता, हाय ! अबसलोम ! मेरे बेटे, मेरे बेटे !!
तब योआब को यह समाचार मिला, कि राजा अबसलोम के लिये रो रहा है और विलाप कर रहा है।
इसलिये उस दिन की विजय सब लोगों की समझ में विलाप ही का कारण बन गयी, क्योंकि लोगों ने उस दिन सुना, कि राजा अपके बेटे के लिये खेदित है।
और उस दिन लोग ऐसा मुंह चुरा कर नगर में घुसे, जैसा लोग युद्ध से भाग आने से लज्जित होकर मुंह चुराते हैं।
और राजा मुंह ढांपे हुए चिल्ला चिल्ला कर पुकारता रहा, कि हाय मेरे बेटे अबसलोम ! हाय अबसलोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे !

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल २०, २१
  • याकूब ५

सोमवार, 22 नवंबर 2010

पृथ्वी पर स्वर्ग?

सिंगापुर के एके भवन निर्माता ने अपनी नई गगनचुंबी भवन निर्माण योजना का विज्ञापन दिया: "पृथ्वी पर स्वर्ग अनुभव कीजिए।" शायद उसका तातपर्य था कि उसके बनाए नए मकान इतने आलिशान और ऐश्वर्यपूर्ण होंगे कि उनमें रहने वाले अलौकिक आनन्द की अनुभूति करेंगे।

सभोपदेशक का लेखक राजा सुलेमान असीम संपत्ति का मालिक था (सभोपदेशक १:१२)। उसने अपनी संपति और ऐश्वर्य द्वारा पृथ्वी पर स्वर्गीय आनन्द पाने के प्रयास में, जो संभव हुआ वह किया (सभोपदेशक २:१-१०), तौभी उसे संतुष्टि नहीं मिली। अन्ततः वह सांसारिक जीवन की मिथ्या से इतना निराश हुआ कि उसने अपने सारे प्रयसों और अनुभवों को एक ही शब्द में निचोड़ डाला - "व्यर्थ"। सभोपदेशक के दूसरे अध्याय में "व्यर्थ" शब्द का उपयोग उसने आठ बार किया। जब उसने पृथ्वी पर करी अपनी मेहनत और अपने कार्यों का विशेलेषण किया (सभोपदेशक २:११) तो उसने पाया कि उसमें, और किसी अन्य मनुष्य में कोई अन्तर नहीं है। इस एहसास ने कि जो कुछ वह जमा कर रहा है, उसके बाद किसी और को जाएगा, और न उसे पता है और न उसका कोई नियंत्रण है कि वह दूसरा उसके परिश्रम का उपयोग कैसे करेगा, उसके व्यर्थता के एहसास को और बढ़ा दिया। उसका निष्कर्ष यही था कि "मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्र्म करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है।"(सभोपदेशक २:२४)

प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से सांसारिक वस्तुओं के संबंध में वायदा किया है: " इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे? क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिए। इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।" (मत्ती ६:३१-३३)

पौलुस ने कहा "पृथ्वी पर की नहीं परन्‍तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।" (कुलुस्सियों ३:२२)

पृथ्वी पर स्वर्ग की खोज में न रहें - यह संभव नहीं है, चाहे जैसा और चाहे जितना प्रयास कर लें। सांसारिक वस्तुओं की अभिलाषा छोड़कर परमेश्वर के राज्य और धार्मिकता की खोज करें, उसकी शांति से अपने मन को भर लें; और यथासमय प्रभु आपको स्वर्ग में भी स्थान देगा, जहां वह आपके लिये स्थान तैयार कर रहा है "तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आ कर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।" (यूहन्ना १४:१-३) - सी. पी. हिया


जिन्होंने अपने मन स्वर्गीय वस्तुओं की ओर लगा रखे हैं वे पृथ्वी की वस्तुओं को गौण जानते हैं।

पृथ्वी पर की नहीं परन्‍तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ। - कुलुस्सियों ३:२२


बाइबल पाठ: सभोपदेशक २:१-२६

मैं ने अपने मन से कहा, चल, मैं तुझ को आनन्द के द्वारा जांचूंगा; इसलिये आनन्दित और मगन हो। परन्तु देखो, यह भी व्यर्थ है।
मैं ने हंसी के विषय में कहा, यह तो बावलापन है, और आनन्द के विषय में, उस से क्या प्राप्त होता है?
मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे।
मैं ने बड़े बड़े काम किए, मैं ने अपने लिये घर बनवा लिए और अपने लिये दाख की बारियां लगवाईं;
मैं ने अपने लिये बारियां और बाग लगावा लिए, और उन में भांति भांति के फलदाई वृक्ष लगाए।
मैं ने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिए कि उन से वह वन सींचा जाए जिस में पौधे लगाए जाते थे।
मैं ने दास और दासियां मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए, और जितने मुझ से पहिले यरूशलेम में थे उस ने कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़-बकरियों का मैं स्वामी था।
मैं ने चान्दी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैं ने अपने लिये गवैयों और गाने वालियों को रखा, और बहुत सी कामिनियां भी, जिन से मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं।
इस प्रकार मैं अपने से पहिले के सब यरूशलेम वासियों से अधिक महान और धनाढय हो गया तौभी मेरी बुद्धि ठिकाने रही।
और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका, मैं ने अपना मन को किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्र्म के कारण आनन्दित हुआ और मेरे सब परिश्र्म से मुझे यही भाग मिला।
तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्र्म को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं।
फिर मैं ने अपने मन को फेरा कि बुद्धि और बावलेपन और मूर्खता के कार्यों को देखूं, क्योंकि जो मनुष्य राजा के पीछे आएगा, वह क्या करेगा? केवल वही जो होता चला आया है।
तब मैं ने देखा कि उजियाला अंधियारे से जितना उत्तम है, उतना बुद्धि भी मूर्खता से उत्तम है।
जो बुद्धिमान है, उसके सिर में आंखें रहती हैं, परन्तु मूर्ख अंधियारे में चलता है, तौभी मैं ने जान लिया कि दोनों की दशा एक सी होती है।
तब मैं ने मन में कहा, जैसी मूर्ख की दशा होगी, वैसी ही मेरी भी होगी; फिर मैं क्यों अधिक बुद्धिमान हुआ? और मैं ने मन में कहा, यह भी व्यर्थ ही है।
क्योंकि ने तो बुद्धिमान का और न मूर्ख का स्मरण सर्वदा बना रहेगा, परन्तु भविष्य में सब कुछ बिसर जाएगा।
बुद्धिमान क्योंकर मूर्ख के समान मरता है! इसलिये मैं ने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
मैं ने अपने सारे परिश्र्म के प्रतिफल से जिसे मैं ने धरती पर किया या घृणा की, क्योंकि अवश्य है कि मैं उसका फल उस मनुष्य के लिये छोड़ जाऊं जो मेरे बाद आएगा।
यह कौन जानता है कि वह मनुष्य बुद्धिमान होगा वा मूर्ख? तौभी धरती पर जितना परिश्र्म मैं ने किया, और उसके लिये बुद्धि प्रयोग की, उस सब का वही अधिकारी होगा। यह भी व्यर्थ ही है।
तब मैं अपने मन में उस सारे परिश्र्म के विषय जो मैं ने धरती पर किया था निराश हुआ।
क्योंकि ऐसा मनुष्य भी है, जिसका कार्य परिश्र्म और बुद्धि और ज्ञान से होता है और सफल भी होता है, तौभी उसको ऐसे मनुष्य के लिये छोड़ जाना पड़ता है, जिस ने उस में कुछ भी परिश्र्म न किया हो। यह भी व्यर्थ और बहुत ही बुरा है।
मनुष्य जो धरती पर मन लगा लगा कर परिश्र्म करता है उस से उसको क्या लाभ होता है?
उसके सब दिन तो दु:खों से भरे रहते हैं, और उसका काम खेद के साथ होता हैं; रात को भी उसका मन चैन नहीं पाता। यह भी व्यर्थ ही है।
मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्र्म करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है।
क्योंकि खाने-पीने और सुख भोगने में मुझ से अधिक समर्थ कौन है?
जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है, परन्तु पापी को वह दु:ख भरा काम ही देता है कि वह उसको देने के लिये संचय करके ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल १८, १९
  • याकूब ४

रविवार, 21 नवंबर 2010

स्वर्ग - कल्पना से परे

एक मसीही कॉलेज के प्राध्यापक ने पाया कि उसके विद्यार्थी स्वर्ग के विष्य में सही विचार नहीं रखते और स्वर्ग को एक गतिहीन और उबाने वाला स्थान समझते हैं। तो उनकी कल्पना को उभारने और उनकी गलतफहमी को दूर करने के लिये उसने उनसे यह प्रश्न किये:
कैसे लगे कि आप जब कल सुबह उठें तो - आपको पता लगे कि जिससे आप सबसे अधिक प्रेम करते हैं, वह आपसे आपके प्रेम से भी कहीं अधिक प्रेम करता है? सुबह आप अपने मनपसन्द संगीत को सुनते हुए उठें और आपका रोम रोम आनन्द से भर जाए? हर नया दिन, नए आनन्द के साथ बिताने को मिले? किसी बात के लिये मन में कोई ग्लानि या कड़ुवाहट कभी न हो? हर नए दिन में अपने अन्दर सम्पूर्ण रूप से देख सकें और जो देखें वह सब भला ही हो? परमेश्वर को वायु और श्वास के समान अपने अन्दर बाहर व्याप्त पाएं? परमेश्वर से, और उसमें होकर दूसरों से सच्चे मन से प्रेम करने वाले हों?

प्राध्यापक के इन टटोलने वाले प्रश्नों के उत्तर में स्वर्ग की इस नई अनुभूति को पसन्द करने की सहमति सभी छात्रों ने जताई। यदि स्वर्ग ऐसा हो तो वे अवश्य वहां होना चाहेंगे; वास्तव में स्वर्ग तो इससे भी कहीं अधिक आकर्षक और रोमांचकारी स्थान होगा। हम सब की भी यही लालसा होगी कि ऐसे महिमामय स्थान में हम भी सदा रहने पाएं। वह एक अवर्णनीय आनन्द का स्थान है, जिसकी सबसे बड़ी बात है वहां सदा बनी रहने वाली स्वयं प्रभु यीशु की उपस्थिति। "परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं" (यूहन्ना १:१२) - और सन्तान अपने पिता के साथ पूरे आदर और अधिकार के साथ रहेगी।

प्रभु यीशु मसीह ने अपने चेलों से कहा "...मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपके यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।" (यूहन्ना १४:२, ३)।

क्या आपने प्रभु का निमन्त्रण स्वीकार किया है? क्या आप उसके साथ स्वर्ग में होंगे? - वेर्नन ग्राउंड्स


संसार के सर्वोतम सुखों की तुलना स्वर्ग के आनन्द से नहीं की जा सकती।

परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। - १ कुरिन्थियों २:९


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २१:१-८

फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्‍योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्‍वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्‍द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा।
और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्‍योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा।
जो जय पाए, वही उन वस्‍तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।
पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्‍हों, और मूतिर्पूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्‍धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है।

एक साल में बाइबल:
यहेजेकेल १६-१७
याकूब ३

शनिवार, 20 नवंबर 2010

उभारने को हाथ बढ़ाएं

सारा टयुकोल्स्की ने Soft Ball खेल के महत्वपूर्ण मुकाबले में अपने जीवन में पहली बार गेंद को 'Home Run' के लायक मारा, अर्थात उसने गेंद को पहली बार इतनी दूर मारा कि वह भागकर पूरा रन बनाने के लिये चारों बेसों को छूने की स्थिति में थी। वह इतनी उतेजित हुई कि भागते हुए पहले बेस को छूने से रह गई। अपनी गलती को ठीक करने के लिये वह जैसे ही तेज़ी से पलटी, उसके घुटने में चोट आ गई और वह रोती हुई पहले बेस की ओर रेंगकर आगे बढ़ने लगी। नियम के अनुसार उसे चारों बेसों को अपने आप छूना था तभी वह रन पूरा माना जाता और गिना जाता। उसकी टीम के खिलाड़ी इसमें उसकी कोई सहायता नहीं कर सकते थे।

ऐसे में पहले बेस पर खड़े प्रतिद्वन्दी टीम के खिलाड़ी मैलोरी ने अम्पायर से पूछा, "यदि हम उसे उठा कर चारों बेस पर बारी बारी ले जाएं तो क्या यह रन माना जाएगा?" अम्पायरों ने आपस में मंत्रणा करके अपनी सहमति जताई। तब सारा की प्रतिद्वन्दी टीम के खिलाड़ी मैलोरी और उसके एक और साथी ने अपने हाथ आपस में जोड़ कर सारा के बैठने के लिये ’कुर्सी’ बनाई और उसे उठा कर चारों बेसों पर ले गए जिससे सारा उन्हें छू कर अपना रन पूरा कर सकी और वह रन उसके नाम से गिना गया। इस प्रक्रिया को पूरा होते होते, प्रतिद्वन्दी टीम के इस निस्वार्थ करुणा के कार्य को देख कर बहुत से लोगों की आंखें भर आईं।

इस घटना से मिलने वाली शिक्षा स्पष्ट है। जब हमारे साथ के लोग या हमारे सहविश्वासी किसी बात में ठोकर खाकर गिरते हैं तो हमें इन खिलाड़ीयों के समान, सहायता और उन्हें उभारने के लिये अपने हाथ बढ़ाने चाहियें - " हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। (गलतियों ६:१, २)

जब किसी को गिरा हुआ देखें तो अपने हाथ उसे और दबाने या उस पर उंगली उठाने के लिये नहीं वरन उसे उभारने और खड़ा करने के लिये सहायतार्थ बढ़ाएं; " एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो" (इफिसियों ४:३२)। यह एक अद्भुत अवसर होता है कि "जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए" (१ पतरस ४:१०)। - डेव एगनर


जो इस संसार में दूसरों के बोझों को हलका करने के लिये हाथ बढ़ाते हैं उनके ये प्रयास कभी व्यर्थ नहीं कहलाते।

जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाई एक दूसरे की सेवा में लगाए। - १ पतरस ४:१०


बाइबल पाठ: १ पतरस ४:७-११

सब बातों का अन्‍त तुरन्‍त होने वाला है, इसलिये संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहो।
और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो, क्‍योंकि प्रेम अनेक पापों को ढ़ांप देता है।
बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो।
जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।
यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिस से सब बातों मे यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल १४-१५
  • याकूब २

शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

बहुमूल्य फल

एक फल के लिये आप कितना खर्च करने को तैयार होंगे? जापान में एक व्यक्ति ने देनसुके तरबूज़ के लिये ६००० डौलर से अधिक का दाम दिया। केवल उत्तरी जापान के होकाकाईडो द्वीप पर ही पैदा होने वाले ये देन्सुके तरबूज़, देखने में बहुत सुन्दर गहरे हरे रंग की गेंद के समान होते हैं। १८ पौंड वज़न का यह तरबूज़ उस वर्ष पैदा हुए केवल कुछ हज़ार तरबूज़ों में से एक था। इस फल की विरलता के कारण उस वर्ष यह इतना महंगा बिका।

मसीही विश्वासियों के पास देन्सुके तरबूज़ों से भी अधिक मूल्यवान फल हैं। ये फल हैं ’आत्मा के फल'- "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं" ( गलतियों ५:२२, २३)। इनमें से प्रत्येक प्रभु यीशु मसीह के चरित्र की समानता का एक रूप है। सुसमाचारों में वर्णित प्रभु के जीवन में हम इन में से प्रत्येक गुण को देखते हैं। अब वह इन्हें हमारे जीवन में उत्पन्न करना चाहता है - हमारी बोल-चाल, सोच-विचार और जीवन की विभिन्न बातों के लिये हमारी प्रतिक्रिया में (यूहन्ना १५:१-४)।

एक विरला और स्वादिष्ट फल बाज़ार में ऊंची कीमत तो पा सकता है, लेकिन मसीह के चरित्र की समानता इससे कहीं अधिक बहुमूल्य है। जब हम अपने पापों का अंगीकार करके परमेश्वर के आत्मा के आधीन हो जाते हैं तो वह हमारे जीवन को भी मसीह की समानता में बदलने लगता है। इस आत्मिक फल से हमारे अपने जीवन आनन्द से भर जाते हैं, हमारे संपर्क में आने वालों को आशीश मिलती और इस फल की भलाई अनन्तकाल तक बनी रहती है। - डेनिस फिशर


मसीह के लिये फलवंत होना मसीह के साथ सहभागिता पर निर्भर करता है।

आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं - गलतियों ५:२२, २३

बाइबल पाठ: गलतियों ५:२२ - २६

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,
और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
और जो मसीह यीशु के हैं, उन्‍होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।।
यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।
हम घमण्‍डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ११-१३
  • याकूब १

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

मिट्टी में जान फूंकने वाला परमेश्वर

१९५० के एक उपन्यास में एक दृश्य है जहां गांव में चार जन एक दूसरे के सामने अपने पाप मान लेते हैं। ग्लानि से भर कर उनमें से एक चिल्ला उठता है, "परमेश्वर हमें पृथ्वी पर जीवित कैसे बर्दाशत कर सकता है? वह हमें मार कर अपनी सृष्टि को शुद्ध क्यों नहीं कर लेता?" तब दूसरा उसे उत्तर देता है, "क्योंकि परमेश्वर कुम्हार है; वह मिट्टी को उपयोगी बनाता है।"

संसार के आरंभ में परमेश्वर ने ऐसा ही किया। ’उत्पत्ति’ की पुस्तक बताती है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने मनुष्य जाति को अनूठे रूप में सृजा। उसने ज़मीन की मिट्टी ली, उससे मानव का रूप गढ़ा (- जो शब्द मूल भाषा में इस रचना के कारय लिये उपयोग हुआ है वह एक मंझे हुए श्रेष्ठ कारीगर के कार्य करने को दिखाता है, जैसे कुम्हार मिट्टी लेकर उससे एक सुन्दर और उपयोगी पात्र बना देता है), और फिर उस मिट्टी के मानव में अपनी श्वास फूंक दी जिससे वह मिट्टी का पुतला जीवित प्राणी बन गया, जिसमें न केवल प्राण था वरन आत्मा भी थी और इसलिये वह मानव परमेश्वर के साथ संगति करने और उसकी सेवा करने के योग्य हुआ।

आदम और हव्वा के पाप के कारण मानव जाति की संगति परमेश्वर से टूट गई, लेकिन पाप में गिरे और फंसे मानव के प्रति परमेश्वर का प्रेम कम नहीं हुआ। वह फिर भी उसके हित में कार्य करता रहा और उस टूटी हुई संगति को पुनः स्थापित करने के लिये उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को भेजा ताकि वह उनके पापों के लिये अपना बलिदान दे और समस्त मानव जाति के लिये उद्धार का मार्ग तैयार कर दे।

परमेश्वर आज भी पाप के दलदल में मरे हुए मनुष्यों में नए जीवन की सांस फूंक रहा है - अब जो कोई प्रभु यीशु को और उसके बलिदान को स्वेच्छा से ग्रहण करता है वह पाप के दलदल से निकल कर परमेश्वर की संगति में आ जाता है और परमेश्वर के लिये उपयोगी पात्र बन जाता है।

उसका निमंत्रण सब के लिये है, आपके लिये भी "क्‍योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्‍तु अनन्‍त जीवन पाए। परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्‍तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।" (यूहन्ना ३:१६, १७)

धन्यवाद सहित इस महान उद्धार को स्वीकार कीजिये और परमेश्वर से नए जीवन का उपहार प्राप्त कीजिए। - मारविन विलियम्स


परमेश्वर ही है जो अशुद्ध को शुद्ध बना सकता है।

और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया। - उत्पत्ति २:७


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१४-२१

क्‍योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्‍तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उस को ऐसा नहीं जानेंगे।
सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं, देखो, वे सब नई हो गईं।
और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिस ने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारे मेल मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
अर्थात परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
सो हम मसीह के राजदूत हैं, मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ८-१०
  • इब्रानियों १३

बुधवार, 17 नवंबर 2010

दो दमड़ियां

प्रभु यीशु यरुशलेम के मन्दिर में भण्डार के पास बैठा आते जाते लोगों को मन्दिर के लिये भण्डार में अपना दान डालते हुए देख रहा था (मरकुस १२)। कुछ अपने इस कार्य को प्रदर्शन के साथ कर रहे थे जिससे लोग देख सकें कि उन्होंने कितना दान किया है। इतने में एक बहुत गरीब विधवा स्त्री वहां आई और उसने दो दमड़ियां भण्डार में डाल दीं।

दमड़ी उस समय के प्रचलित सिक्कों में सबसे कम कीमत का सिक्का थी। अर्थात उस विधवा की वह भेंट बहुत ही छोटी थी और लोगों की नज़रों में उसकी कोई कीमत नहीं थी। लेकिन वहां बैठे हमारे प्रभु ने वो देखा जो किसी और ने नहीं देखा - उस निर्धन विधवा ने अपना सब कुछ दे दिया था (मरकुस १२:४)। वह निर्धन विधवा अपनी ओर किसी का ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा नहीं कर रही थी, वह केवल वही कर रही थी जितना वह कर सकती थी, और प्रभु से यह बात छिपी नहीं।

प्रभु यीशु ने कहा "सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। परन्‍तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे, और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।" (मत्ती ६:१-४)

हमें कभी नहीं भूलना चाहिये कि हमारा प्रभु हमारी हर बात पर नज़र रखता है, उससे कुछ भी छुपा नहीं रहता, वह हर बात का हिसाब रखता है चाहे हमारी नज़रों में वह कितनी भी महत्त्वहीन क्यों न हो। चाहे यह किसी कठिन परिस्थिति में मुसकुराते रहना हो, या किसी अनजान व्यक्ति के लिये दिखाया गया प्रेम का व्यवहार या उसकी कोई सहायता हो, या अपने किसी पड़ौसी के लिये की गई एक छोटी सी प्रार्थना ही क्यों न हो - वह सब देखता है, और एक दिन सबको सब बातों का प्रतिफल भी देगा। - डेविड रोपर


परमेश्वर देने वाले को देखता है दान को नहीं; देने वाले मन को देखता है, हाथ को नहीं।

...इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है। - मरकुस १२:४४

बाइबल पाठ: मरकुस १२:४१-४४

और वह मन्‍दिर के भण्‍डार के साम्हने बैठकर देख रहा था, कि लोग मन्‍दिर के भण्‍डार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला।
इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर दो दमडिय़ां, जो एक अधेले के बराबर होती है, डालीं।
तब उस ने अपके चेलों को पास बुला कर उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि मन्‍दिर के भण्‍डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है।
क्‍योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्‍तु इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ५-७
  • इब्रानियों १२

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

सही प्राथमिकताएं

मध्यपूर्व एशिया और योरप के बीच स्थित ’एशिया माइनर’ के नाम से जाने जानेवाले भूभाग का एक शहर था लौदीकिया। इस शहर की एक समस्या थी - वहां का पानी। लौदीकिया के निकट का एक शहर अपने गर्म पानी के सोतों के लिये मशहूर था, और दूसरा अपने ठंडे, स्वच्छ और मीठे पानी का लिये जाना जाता था। परन्तु इन दोनो के बीच में स्थित लौदीकिया, न गर्म न ठंडे वरन गुनगुने और खनीज़ों तथा लवणों से भरे बदमज़ा पानी से त्रस्त था।
जब इस पृष्टभूमि के संदर्भ में हम प्रभु यीशु द्वारा प्रकाशितवाक्य ३ अध्याय में लौदीकिया की मण्डली को दी गई चेतावनी को पढ़ते हैं, तो समझ सकते हैं कि प्रभु के वचन उन्हें कैसे तलख़ लगे होंगे। प्रभु ने उस मण्डली के लोगों को न गर्म और न ठंडा होने के लिये डांटा (प्रकाशितवाक्य ३:१५) और कहा कि उनके ऐसे व्यवहार के कारण, उनके बदमज़ा पानी के समान, वह अपने मूँह से उन्हें उगल देना चाहता है (प्रकाशितवाक्य ३:१६)।

उनकी समस्या क्या थी कि प्रभु को उन्हें ऐसा कहना पड़ा? समस्या थी उनका प्रभु से अधिक अपनी संपति पर निर्भर होना परन्तु फिर भी पाखंड में अपने आप को ’प्रभु की मण्डली’ कहना। लौदीकिया के लोग सांसारिक धन संपदा से ऐसे भर गए थे कि उन्हें अपनी आत्मिक कंगाली का बोध ही नहीं रहा गया था (प्रकाशितवाक्य ३:१७)। अपनी धन दौलत की लालसा में वे भूल गए कि प्रभु अपनी मण्डली से सांसारिक नहीं आत्मिक संपन्नता चाहता है, ऐश्वर्य का घमण्ड नहीं धार्मिकता की दीनता चाहता है, और पाखंड से उसे नफरत है। उनकी प्राथमिकताएं बिगड़ गईं थीं, जिन्हें ठीक करना अति आवश्यक था, ताकि वे इस बहकावे में बने रहकर विनाश में न चले जाएं।

प्रभु ने उन्हें सम्मति दी कि वे उससे अपनी आत्मिक कंगाली दूर करने के सभी साधन ले लें; प्रभु द्वारा उन्हें दी गई ताड़ना, उनके प्रति उसके प्रेम का चिन्हः थी (प्रकाशितवाक्य ३:१८, १९)। उसकी यह चेतावनी केवल उस समय की लौदीकिया की मण्डली के लिये ही नहीं थी, यह आज भी उतनी ही संगत है।

यदि आप प्रभु यीशु के अनुयायी होने का दावा करते हैं, किंतु आपकी प्राथमिकता प्रभु की आज्ञाकारिता नहीं वरन संसार की उपलब्धियां और संपदा हैं और आप अपनी स्वार्थसिद्धी को प्रभु के नाम में न्यायसंगत ठहराना चाहते हैं, तो चेत जाईये। इससे पहिले कि प्रभु के न्याय का आप को सामना करना पड़े, प्रभु आपको अवसर दे रहा है। उसका कहना है "मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।" (प्रकाशितवाक्य ३:१९, २०)।

अभी अवसर है, मन फिराईये, प्रभु को अपने जीवन में आमंत्रित कीजिये और उसकी आशीशों से अपने जीवन को भर लीजिए। - जो स्टोवैल


यदि परमेश्वर हमारा दाता है तो हमें किसी वस्तु की घटी नहीं होगी।

...मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। - प्रकाशितवाक्य ३:१५


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२

और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्‍चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्‍तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए, और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३, ४
  • इब्रानियों ११:२०-४०

सोमवार, 15 नवंबर 2010

परमेश्वर से प्रतिफल

लोकप्रीय चित्रकार ऐन्डी वारहोल ने एक बार कहा, "भविष्य में ऐसा समय आएगा ज्ब हर कोई १५ मिनिट के लिये प्रसिद्ध होगा।" परन्तु यह सही नहीं है। ऐसे लाखों लोग हैं जो कभी अपनी प्रसिद्धी पाने के अवसर को थामते नहीं, बस अपनी ज़िम्मेवारी को पूरा करते रहते हैं। उन में से कुछ ऐसे स्त्री और पुरुष हैं जो पूरी लगन और मेहन्त के साथ अपना काम करते रहने में ही अपना जीवन व्यतीत कर देते हैं, या अपने बच्चों को परमेश्वर के भय और धार्मिकता में बड़ा करते हैं, या दूसरों के लिये प्रार्थनाएं करते हैं, या प्रभु यीशु में अपने विश्वास को उनके साथ बांटते हैं जो अभी भी प्रभु यीशु को नहीं जानते। वे लोगों को परमेश्वर के वचन की शिक्षाएं सिखाते हैं, बीमारों को भोजन पहुंचाते हैं, बुज़ुर्गों को डाकटरों के पास ले जाते हैं और प्रेम तथा भलाई के ऐसे ही अनेक कार्य खामोशी और गुमनामी में करते रहते हैं।

ऐसे लोग अपने मित्रों और कुटुमबियों के बाहर सम्भवतः कभी जाने न जाएं। उनके नाम प्रसिद्ध नहीं होंगे। और यद्यपि वे निस्वार्थ भाव से और बहुत त्याग सहित अपने आप को ऐसी सेवा में दे देते हैं, तो भी उनकी प्रशंसा करने या उन्हें धन्यवाद कहने वाला शायद ही कोई होता होगा। लेकिन परमेश्वर उनकी यह विश्वासयोग्यता जानता है और उनकी इस आज्ञाकारिता से प्रसन्न होता है, "तब धर्मी उस को उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया या प्यासा देखा, और पिलाया? हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए? हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए? तब राजा उन्‍हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।" (मती २५:३७-४०)

पौलुस २ कुरिन्थियों ५:९ में कहता है कि हम अपने जीवन का ध्येय बना लें कि हम परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले बनेंगे। जब हम उसमें विश्वास करके अपने जीवन उसे समर्पित कर देते हैं और अपने जीवन उसकी सेवकाई में बिताते हैं, तो वह हमसे प्रसन्न होता है। जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है, वह उसे प्रतिफल भी देता है, और उसका प्रतिफल मनुष्यों द्वारा दी गई किसी भी ख्याति से कहीं बढ़कर और भला होता है।

आप किससे प्रतिफल और ख्याति पाना चाहते हैं - संसार से अथवा परमेश्वर से? - सिंडी हैस कैसपर


जिन कार्यों से परमेश्वर प्रसन्न होता है, वे उसकी आज्ञाकारिता और सेवाकाई में किये जाने वाले कार्य हैं।

मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। - मती २५:४०


बाइबल पाठ : मत्ती २५:३१-४६

जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्‍वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा।
और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी, और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्‍हें एक दूसरे से अलग करेगा।
और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाईं और खड़ी करेगा।
तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।
कयोंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया।
मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए, मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए।
तब धर्मी उस को उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया या पियासा देखा, और पिलाया?
हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए?
हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए?
तब राजा उन्‍हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।
तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे श्रापित लोगों, मेरे साम्हने से उस अनन्‍त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।
क्‍योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया।
मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया, मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए, बीमार और बन्‍दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली।
तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या पियासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्‍दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की?
तब वह उन्‍हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।
और यह अनन्‍त दण्‍ड भोगेंगे परन्‍तु धर्मी अनन्‍त जीवन में प्रवेश करेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल १, २
  • इब्रानियों ११:१-१९

रविवार, 14 नवंबर 2010

सताव और क्लेशों से निकलती मण्डली

अक्तूबर २००६ की एक प्रातः, एक स्त्री और उसके छः बच्चों को मजबूर किया गया कि वे अपने पति/पिता को दी जाने वाली यातनाओं को देखें। यातना देने वाले चाहते थे कि वह आदमी प्रभु यीशु का इन्कार करे, परन्तु वह नहीं माना, और यातना सहते सहते भी यीशु को अपना प्रभु होने की घोषणा करता रहा और अपने परिवार के लिये यीशु से प्रार्थना करता हुआ उनके सामने मर गया। अपने इस दुख में भी वह परिवार प्रभु यीशु का अनुसरण करने को अब भी दृढ़ निश्चित है।

एक अन्य व्यक्ति को ३ वर्ष के कारावास का दण्ड दिया गया, उस पर इल्ज़ाम था कि उसने किसी दूसरे के धर्म का अपमान किया है। दण्ड पाने वाला मसीह के लिये उत्साह रखने वाला और प्रभु यीशु मसीह की गवाही देने वाला व्यक्ति है। वह व्यक्ति, उसकी पत्नी और बच्चे आज भी मसीह के प्रति वफादार हैं और प्रभु का इनकार करने से इनकार करते हैं।

मसीही विश्वास के लिये सताया और प्रताड़ित किया जाना वर्तमान २१वीं सदी के हमारे समाज में उतना ही वास्तविक है जितना पहली सदी के यहूदी विश्वासियों के लिये था, जिन्हें पतरस ने उत्साहित करने के लिये लिखा और प्रार्थना करी "अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्‍त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा। उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।" (१ पतरस ५:१०, ११)

यह सताव केवल उन देशों में ही नहीं है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते जैसे कम्युनिस्ट देश, या जहां किसी अन्य धर्म के अनुयायी बहुमत में हैं, अथवा जो किसी अन्य धर्म को अपने देश का धर्म मानते हैं। यह सताव उन देशों में भी उतना ही व्याप्त है जिन्हें हम ’पाश्चात्य’ देश कहकर संबोधित करते हैं और जिनके विष्य में आम धारणा है कि वे ’इसाई’ देश हैं। मसीही विश्वास किसी धर्म से संबंधित नहीं है - इस विश्वास और धर्म में ज़मीन - आसमान का अन्तर है।

प्रभु यीशु मसीह न तो कोई धर्म देने आया, न किसी धर्म के अनुयायी बनाने आया। वह पाप के बन्धन में जकड़े संसार के प्रत्येक जन को मुक्ति का मार्ग देने और परमेश्वर की सन्तान होने का दर्जा देने आया। वह किसी का धर्म बदलने नहीं, वरन सबका मन बदलने आया। उसका अनुसरण करना, किसी धर्म का पालन करना कदापि नहीं है, न ही यह किन्ही धार्मिक कर्तव्यों और अनुष्ठानों को पूरा करना है; और न ही किसी धर्म को मानने वाले परिवार में जन्म लेने से कोई स्वतः ही उसका अनुयायी बन जाता है। जो कोई सच्चे विश्वास और सम्पूर्ण मन से अपने पापों की क्षमा के लिये उससे एक छोटी सी प्रार्थना कर लेता है "हे प्रभु यीशु मैं मान लेता हूँ कि आपने मेरे पापों के लिये अपने प्राण दिये, कृप्या मेरे पाप क्षमा कर मुझे अपनी शरण में ले लीजिए" वह उसी क्षण से प्रभु यीशु का अनुयायी हो जाता है, चाहे वह किसी धर्म, जाति या भूभाग से संबंध रखता हो।

आज सताव और क्लेशों से निकलती प्रभु यीशु की विश्वव्यापी विश्वासी मण्डली के लिये प्रार्थना का दिन है। आप भी अपनी प्रार्थनाओं द्वारा सहयोग दे सकते हैं। प्रार्थना कीजिये कि:
१. जिन देशों में मसीही विश्वास की गवाही देना प्रतिबंधित है, वहाँ के गुप्त विश्वसी अपने विश्वास में दृढ़ रहें और सुरक्षित रहें।
२. जो मसीही विश्वासी अपने विश्वास के कारण बन्दीगृहों में पड़े हैं वे उत्साहित रहें, विश्वास में दृढ़ रहें और उनकी सेहत भी ठीक रहे।
३. जिन के प्रीय जन अपने विश्वास के कारण शहीद हो गए हैं, वे परमेश्वर पर अपने विश्वास में बने रहें और उससे सामर्थ पाकर आगे बढ़ सकें।

आज एक साथ मिलकर हम अपने सहविश्वासियों को प्रभु के सन्मुख प्रार्थना में लाएं। - ऐनी सेटास


मसीही शहीदों का बहाया गया लहू और नए विश्वासियों की फसल को उत्पन्न करने वाला बीज है।

पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे। - १ पतरस ४:१६


बाइबल पाठ: १ पतरस ४:१२-१९

हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्‍द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो।
फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो, क्‍योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए;
पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
क्‍योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्‍या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्‍या ठिकाना?
इसलिये जो परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें।

एक साल में बाइबल:
  • विलापगीत ३-५
  • इब्रानियों १०:१९-३९

शनिवार, 13 नवंबर 2010

हानि के सौदे

हम सब ने ऐसे विज्ञापन देखे और सुने हैं जो कुछ प्राप्त करने के आसान रास्तों का प्रलोभन देते हैं - "हमारे द्वारा उत्पादित वस्तु खरीदिये और उसके लिये साल भर तक कोई पैसा देने की आवश्यक्ता नहीं है" - अति सहज और त्वरित सन्तुष्टि के प्रलोभन!

जब शैतान ने प्रभु यीशु कि परीक्षा करी (लूका ४:१-१३), तो प्रभु को भी ऐसी ही सहज और त्वरित सन्तुष्टि के प्रलोभन दिये। शैतान का प्रयास था कि वह प्रभु को उकसाए कि वह परमेश्वर पिता पर भरोसा छोड़ कर, बात को अपने हाथ में ले ले और अपने मन की करे।

जब प्रभु यीशु ४० दिन के उपवास के बाद भूखा था (लूका ४:२) तो शैतान ने उसे सुझाया कि वह अपनी शक्ति का उपयोग करके पत्थरों को रोटी में बदल दे। यदि प्रभु ऐसा करते तो वह अपनी शक्ति का उपयोग अपनी स्वार्थसिद्धी के लिये करते, इसलिये उन्होंने लिये मना कर दिया।

प्रभु यीशु ने शैतान द्वारा संसार के सभी राज्यों के अधिकार को क्यों नकार दिया (लूका ४:५-७)? यदि वह मान जाते तो क्रूस की पीड़ा से बच सकते थे। परन्तु यह करना, उनके लिये परमेश्वर द्वारा बनाई गई योजना के विरुद्ध जाता, जिसका उद्देश्य केवल उन्हें पृथ्वी के समस्त राज्य देना नहीं था वरन स्वर्ग और पथ्वी का सारा अधिकार देना और क्रूस के बलिदान तथा मृत्कों में से पुनुरुत्थान के द्वारा समस्त संसार के प्रत्येक जन के लिये मुक्ती का मार्ग खोलकर परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर के दाहिने बैठना था। इस योजना के सामने शैतान का अति सहज और त्वरित सन्तुष्टि का प्रलोभन हानि का सौदा था।

जब तीसरी परीक्षा में भी प्रभु शैतान के प्रलोभन में नहीं फंसा, तो शैतान "तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया" (लूका ४:१३)। शैतान जल्दी से हार नहीं मानता, यदि वह पीछे भी हटता है तो केवल इसलिये कि मौका पा कर फिर वार कर सके।

ऐसे सौदों से सावधान रहें जो वर्तमान में बिना कोई खास कीमत दिये बड़े लाभ का प्रलोभन लिये होते हैं। ऐसे सौदे अकसर आपके लिये हानि के और सौदे का प्रलोभन देने वाले के लाभ के सौदे होते हैं। शैतान भी ऐसे कई प्रलोभन आपके समक्ष लाकर आपको सहजता से यश, धन और सामर्थ प्राप्ति के लिये उकसाता है। उसका उद्देश्य आपका लाभ नहीं है, वह आपको अपनी मर्ज़ी पूरी करने को उकसा कर और परमेश्वर के हाथों से अपने जीवन की बागडोर वापस लेकर, आपके विश्वास को नाश करना और आपकी आशीशों में सेंध लगाना चाहता है। उसका सदा प्रयत्न रहता है कि वह विश्वासी के जीवन में परेशानी पैदा कर सके।

जब कभी कोई किसी अति सहज और त्वरित सन्तुष्टि का प्रलोभन आपको दे, तो परख लीजिये कि देने वाले की मनशा क्या है। जल्दबाज़ी के सौदे हानि के सौदे होते हैं। - सी. पी. हिया


प्रलोभन से बचने का सबसे आसान तरीका है प्रलोभन के समक्ष परमेश्वर की ओर भागना।

...लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्‍तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। - मत्ती ४:४


बाइबल पाठ: लूका ४:१-१३

फिर यीशु पवित्रआत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा, और शैतान उस की परीक्षा करता रहा।
उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी।
और शैतान ने उस से कहा - यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए।
यीशु ने उसे उत्तर दिया कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।
तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए।
और उस से कहा, मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्‍योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं।
इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।
यीशु ने उसे उत्तर दिया, लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।
तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे।
क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें।
और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे।
यीशु ने उस को उत्तर दिया यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।
जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल:
  • विलापगीत १, २
  • इब्रानियों १०

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

सुरक्षा का बाड़ा

अमेरिका का Yellowstone National Park बहुत सुन्दर पर्यटक स्थल है जो अद्भुत और मनमोहक प्राकृतिक विशेषताओं से भरा है। उसमें विचरण करते और उसकी प्राकृतिक विविधताओं का आनन्द लेते समय पर्यटक भूल जाते हैं कि वे संसार के सबसे बड़े और सक्रीय ज्वालामुखीयों में से एक पर चल फिर रहे हैं, और विनाशकारी खतरे के कितना समीप हैं।

जब मैं बाइबल में अय्युब की पुस्तक पढ़ता हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं Yellowstone में चल फिर रही हूँ - ऐसे दिन में जिसमें ज्वालामुखी फट कर पृथ्वी की सतह की कमज़ोर पपड़ी को फाड़ डालता है और विनाश मुँह बाए खड़ा होता है।

जैसे पर्यटक Yellowstone का आनन्द लेते हैं, अय्युब भी जीवन का आनन्द ले रहा था, इस बात से अनभिज्ञ कि विनाश और उसके बीच केवल एक बाड़ है (अय्युब १:९, १०)। जब परमेश्वर ने शैतान को अनुमति दी कि वह बाड़ तोड़ कर अय्युब की परीक्षा कर सके, तब अय्युब के जीवन में तबाही आ गयी (अय्युब १:१३, १९)।

बहुत से विश्वासी ऐसी परिस्थितियों में जीवन बिताते हैं जहाँ लगता है कि किसी कारणवश परमेश्वर ने अपनी सुरक्षा का बाड़ा उन पर से हटा लिया है। फिर कुछ ऐसे भी हैं जो अपने क्षण्भंगुर जीवन के खतरों से कतई अनभिज्ञ होकर बिल्कुल निशचिंत जीवन बिताते हैं। अय्युब के मित्रों के समान, शायद वे भी सोचते हैं कि उनके साथ कुछ बुरा नहीं होगा जब तक वे कुछ ऐसा न करें जिसका प्रतिफल बुरा हो। लेकिन जैसे हम अय्युब के जीवन से सीखते हैं, कभी कभी परमेश्वर भले लोगों को भी परीक्षाओं से होकर निकलने देता है, जिससे उनके चरित्र में और निखार आये और उनके जीवन की व्यर्थ बातें छांटी जा सकें ताकि वे परमेश्वर के लिये और अधिक फलवन्त हो सकें। यह प्रक्रिया दुखद तो होती है, किंतु इसका दीर्घकालीन परिणाम परमेश्वर की उत्तम आशीशों से परिपूर्ण जीवन होता है।

यद्यपि विनाश किसी भी क्षण आ सकता है, किंतु जो मसीह यीशु पर विश्वास रखते हैं, उन्हें कुछ भी नाश नहीं कर सकता (२ कुरिन्थियों ४:९); परमेश्वर के प्रेम से उन्हें कोई संकट या विनाश पृथक नहीं कर सकता (रोमियों ८:३५-३९)। उसकी यह सुरक्षा उसपर विश्वास रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिये सदैव उपलब्ध है।

क्या आपने अविनाशी परमेश्वर, प्रभु यीशु, को अपनी सुरक्षा का बाड़ा बना लिया है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी परमेश्वर का प्रेम स्थिर बना रहता है।

...हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। - २ कुरिन्थियों १:९


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १:८-१० ; रोमियों ८:३५-३९

हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
बरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।
उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।


कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं।
परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं।
क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ५१, ५२
  • इब्रानियों ९

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

निस्वार्थ वीरता का प्रोत्साहन

अमेरिका के एक अखबार Chicago Tribune में एक रिपोर्ट छपी जिसमें बताया गया कि बहुत से ऐसे अमेरिकी नागरिक है, पादरियों से लेकर वकीलों और कंपनियों के उच्च संचालकों तक जो ऐसे शौर्य के कार्यों के लिये पदकों का दावा कर रहे हैं जो उन्होंने कभी किये ही नहीं! युद्ध के रिकार्डों में हेरा-फेरी और पराक्रम के झूठे दावे हमारी कल्पना से कहीं अधिक प्रचलित हैं। एक व्यक्ति, जिसने जल सेना के शौर्य पदक का झूठा दावा किया, बाद में इस बात के लिये शर्मिंदा हुआ, और कहा कि वास्तविक शूरवीर कभी अपने कार्यों का स्वयं बखान नहीं करते।

वीरता की निशानी होती है दूसरों की भलाई के लिये निस्वार्थ रीति से अपनी जान भी जोखिम में डाल देने की पृवर्ति।

फिलिप्पियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस अपने दो ऐसे साथियों की, उनके विश्वास के सच्चे नायक होने के लिये सराहना करता है, जो समाज में बहुत ही साधारण सा जीवन और स्थान रखते थे किंतु विश्वास में उनकी कर्मठता ने उन्हें परमेश्वर के वचन में सदा काल के लिये उदाहरण बना दिया और असाधारण स्थान दे दिया। तिमुथियुस को, उसके निस्वार्थ और परखे हुआ चरित्र के कारण, पौलुस अपने ऐसे पुत्र की संज्ञा देता है जिसने सुसमाचार प्रचार में उसकी सेवा करी (फिलिप्पियों २:२२)। पौलुस एपाफ्रुदितुस की भी सराहना करता है क्योंकि मसीह के कार्य के लिये उसने अपनी जान जोखिम में डाली, और उसे अपना भाई, सहकर्मी और संगी योद्धा करके संबोधित करता है (फिलिप्पियों २:२५, ३०)। फिलिप्पियों के विश्वासियों को पौलुस ने समझाया कि ऐसे लोगों का बहुत आदर करें (फिलिप्पियों २:२९)।

अपने सहविश्वासियों का, परमेश्वर के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा के लिये आदर करना बाइबल की शिक्षा है। इसका तात्पर्य ऐसे वीरों की पूजा करना नहीं है, वरन एक भला जीवन जीने के लिये उनके प्रति आदर का भाव रखना है।

आज हमारा यह कर्तव्य है कि हम परमेश्वर के लिये निस्वार्थ कार्य करने वालों और उसके नाम की खातिर दूसरों की सहयतार्थ अपना जीवन बिताने वालों का आदर करें और अपने शब्दों द्वारा अथवा किसी ठोस कार्य के द्वारा उन्हें प्रोत्साहित करें। - डेविड मैककैसलैंड


मसीह में विश्वास द्वारा साधारण मनुष्य भी असाधारण नायक बन जाते हैं।

इसलिये तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्‍द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना। - फिलिप्पियों २:२९


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१९-३०

मुझे प्रभु यीशु में आशा है, कि मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास तुरन्‍त भेजूंगा, ताकि तुम्हारी दशा सुन कर मुझे शान्‍ति मिले।
क्‍योंकि मेरे पास ऐसे स्‍वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्‍ता करे।
क्‍योंकि सब अपने स्‍वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की।
पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया।
सो मुझे आशा है, कि ज्योंही मुझे जान पड़ेगा कि मेरी क्‍या दशा होगी, त्योंही मैं उसे तुरन्‍त भेज दूंगा।
और मुझे प्रभु में भरोसा है, कि मैं आप भी शीघ्र आऊंगा।
पर मैं ने एपाफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा।
क्‍योंकि उसका मन तुम सब में लगा हुआ था, इस कारण वह व्याकुल रहता था क्‍योंकि तुम ने उस की बीमारी का हाल सुना था।
और निश्‍चय वह बीमार तो हो गया था, यहां तक कि मरने पर था, परन्‍तु परमेश्वर ने उस पर दया की, और केवल उस ही पर नहीं, पर मुझ पर भी, कि मुझे शोक पर शोक न हो।
इसलिये मैं ने उसे भेजने का और भी यत्‍न किया कि तुम उस से फिर भेंट कर के आनन्‍दित हो जाओ और मेरा शोक घट जाए।
इसलिये तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्‍द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना।
क्‍योंकि वही मसीह के काम के लिये अपने प्राणों पर जोखिम उठा कर मरने के निकट हो गया था, ताकि जो घटी तुम्हारी ओर से मेरी सेवा में हुई, उसे पूरा करे।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ५०
  • इब्रानियों ८

बुधवार, 10 नवंबर 2010

परमेश्वर का आलिंगन

शाम को जब उसके परिवार के सदस्य घर वापस चले गए, तो कैरल को लगने लगा कि अस्पताल का उसका कमरा संसार का सबसे अधिक अकेलेपन का स्थान है। रात हो चुकी थी, उसकी बीमारी से संबंधित भय उसे सताने लगे और वह अपने आप को बहुत हताश अनुभव करने लगी थी। ऐसे में उसने अपनी आंखें बन्द करी और वह परमेश्वर से बात करने लगी: "हे प्रभु, मैं जानती हूँ कि यहां भी मैं वास्तव में अकेली नहीं हूँ। आप मेरे साथ यहां उपस्थित हैं। कृप्या मेरे मन को अपनी शांति से भर दीजिये। कृप्या, मैं आपकी बाहों के आलिंगन को, आपके द्वार अपने थामे जाने को अनुभव कर सकूँ।"

प्रार्थना करते करते कैरल को उसके भय जाते अनुभव हुए और जब उसने अपनी आंखें खोलीं तो उसकी सहेली मार्ज की चमकती आखें और मुस्कुराहट की गर्मी बिखेरता चेहरा उसके सामने था, और मार्ज ने कस कर उसे अपने आलिंगन में भर लिया। कैरल को लगा जैसे परमेश्वर ने स्वयं उसे अपने आलिंगन में भर लिया हो।

परमेश्वर अपने प्रेम को प्रगट करने के लिये अक्सर अपने विश्वासियों को उपयोग करता है, उसके द्वारा दिये गए वरदानों को एक दुसरे की भलाई के लिये उपयोग करने के द्वारा (रोमियों १२:४-८) और एक दूसरे की सहायता के द्वारा : "तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो" (गलतियों ६:२)।

जैसे प्रभु यीशु ने हमारे प्रति किया, जब हम भी दूसरों के प्रति प्रेम और अनुकम्पा दिखाते हैं, तो संसार के लिये परमेश्वर की सेवाकाई को पूरा करते हैं : "और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया।" (इफिसियों ५:२); "और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो, जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।" (कुलुस्सियों ३:१३)


जब हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम करते हैं, हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं।

भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। रोमियों १२:१०


बाइबल पाठ : रोमियों १२:३-११

क्‍योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़ कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे।
जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देने वाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्‍साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।
प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो।
भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४८-४९
  • इब्रानियों ७

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

परमेश्वर से संगति की सच्ची लालसा

पास्टर टोज़र (१८९७ - १९६३) ने मसीही धर्मशास्त्रियों की जीवनीओं और लेखों का ऐसा गहन अध्ययन किया कि वह उनके बारे में सहजता से लेख लिखने के योग्य हो गया। अपने इन अध्ययनों के आधार पर उसने कहा: "बीते समय के इन पवित्र स्त्री और पुरुषों के निकट आईये और आप उनके अन्दर लगी हुई परमेश्वर की संगति के प्रति लालसा की आग की गर्मी को महसूस कर पाएंगे। ये लोग परमेश्वर की निकटता के लिये रोते थे, प्रार्थनाएं करते थे, दिन और रात उसकी उपस्थिति में रहने के लिये अन्तर्द्वन्द में रहते थे। उनकी इस लालसा पूरती, उनकी उस प्रचण्ड खोज के कारण, उसकी संगति के एहसास को और भी मधुर बना देती थी।"

भजन ४२ का लेखक पास्टर टोज़र द्वारा कही गई प्रचण्ड लालसा जैसी भावना रखता था। अपनी परमेश्वर की निकटता में आने की तीव्र लालसा को लेखक प्यासे हिरन द्वारा पानी की खोज की समानता के रूपक से व्यक्त करता है: "जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा?" (भजन ४२:१, २) उसकी यह लालसा इतनी तीव्र थी और उसका दुख इतना गहरा कि वह भोजन करने से अधिक आंसू पीता था (भजन ४२:३)। भजन के लेखक की लालसा की संतुष्टि, उसके परमेश्वर पर रखे गए भरोसे और उसकी उपस्थिति और सहायता के लिये करी गई उसकी आराधना में व्यक्त हुई (भजन ४२:५-८)।

परमेश्वर का वायदा है कि जो भी उसे सम्पूर्ण मन से खोजते हैं वह उन्हें कभी निराश नहीं करता "तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूंगा। तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे" (यर्मियाह २९:१२, १३)। उसे केवल सच्चे मन से निकली सच्ची प्रार्थना चाहिये और वह उत्तर देगा, अन्य किसी चीज़ की उसे आवश्यक्ता नहीं है - न कोई धर्म, न कोई रीति-रिवाज़, न कोई अनुष्ठान, न कोई सांसारिक वस्तु की भेंट, न अपने शरीर को दुख देकर उसे रिझाने का प्रयत्न; केवल एक सच्ची पुकार, क्योंकि "टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।" (भजन ५१:१७)।

जिनकी लालसा की पूर्ति हो जाती है, उनकी तृप्ति भी हो जाती है: "यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा (यूहन्ना ६:३५, ३७)।

क्या आप में परमेश्वर की संगति की सच्ची लालसा है? क्या उस लालसा की पूर्ति के लिये आपने उस सच्चे परमेश्वर को सच्चे और टूटे मन से पुकारा है? उसे आपकी टूटे मन से निकली सच्ची प्रार्थना का इंतिज़ार है।


केवल यीशु, जो जीवते जल का स्त्रोत है, परमेश्वर के लिये प्यासी आत्मा को तृप्त कर सकता है।

जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। - भजन ४२:१

बाइबल पाठ : भजन ४२

जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं।
जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा?
मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है?
मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह स्मरण करके मेरा प्राण शोकित हो जाता है।
हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह, क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा।
हे मेरे परमेश्वर, मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, इसलिये मैं यर्दन के पास के देश से और हर्मोन के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर से तुझे स्मरण करता हूं।
तेरी जलधाराओं का शब्द सुन कर जल, जल को पुकारता है, तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूं।
तौभी दिन को यहोवा अपनी शक्ति और करूणा प्रगट करेगा, और रात को भी मैं उसका गीत गाऊंगा, और अपने जीवनदाता ईश्वर से प्रार्थना करूंगा।
मैं ईश्वर से जो मेरी चट्टान है कहूंगा, तू मुझे क्यों भूल गया? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे क्यों शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं?
मेरे सताने वाले जो मेरी निन्दा करते हैं मानो उस में मेरी हडि्डयां चूर चूर होती हैं, मानो कटार से छिदी जाती हैं, क्योंकि वे दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है?
हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४६-४७
  • इब्रानियों ६

सोमवार, 8 नवंबर 2010

दुख में आनन्द

चित्रकला के थोड़े से ही सबक सीखने के बाद १० वर्षीय जोएल ने एक फूल का चित्र बनाने में अपना हाथ आज़माया। शारोन के गुलाब की रंगीन फोटो को देख कर उसने एक सुंदर चित्र बना लिया। जिस फोटो को देख कर जोएल ने चित्र बनाया था वह उसकी आन्टी के मृत्यु के दिन ली गई थी। जोएल की चित्रकला द्वारा वह फूल और उससे जुड़ी यादें परिवार के लोगों के लिये सजीव हो उठीं। एक तरफ तो जोएल का चित्र अपने निकट कुटुम्बी को खोने की याद दिला रहा था तो दूसरी तरफ जोएल की नयी प्रतिभा की पहिचान होने से परिवार को हर्ष भी था। यह परिवार के लिये दुख-सुख का मिला जुला अनुभव था, दुख में भी आनन्द की अनुभूति थी।

जब यहूदा के लोग ७० वर्ष की बाबुल की बन्धुआई से वापस यरुशलेम को लौटे तो उन्हों ने युद्ध मे ध्वस्त हो चुके मन्दिर के पुनः निर्माण का कार्य आरंभ किया। जब मन्दिर बन कर तैयार हो गया और उसके परमेश्वर को समर्पण का समय आया तो यह उपस्थित लोगों के लिये दुख और आनन्द दोनो ही की बात थी। कुछ तो आनन्द के गीत गा रहे थे तो कुछ, जिन्होंने पुराने मन्दिर, उसकी भव्यता और उसकी सुन्दरता को देखा था, पुरानी यादों के कारण ऊंची आवाज़ में विलप कर रहे थे। ऐसा माहौल हो गया था कि "... लोग, आनन्द के जय जयकार का शब्द, लोगों के रोने के शब्द से अलग पहिचान न सके..." (एज़रा ३:१३)।

मारथा, मरियम और लाज़र का अनुभव (यूहन्ना ११) दुख में भी भविष्य के आनन्द को दिखाता है। लाज़र की मृत्यु के कारण उसकी बहिनें मार्था और मरियम दुखी थीं, परन्तु "यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा" (यूहन्ना ११:२५, २६)।

भारी दुख में भी हमारे प्रभु यीशु का अपने लोगों को दिया गया आश्वासन और उसकी शांति उसमें मिलने वाले अनन्त आनन्द की ओर हमारा ध्यान खींच कर हमें दुख पर विजयी करती है और निराश या हताश नहीं होने देती।

क्या आप के पास प्रत्येक परिस्थिति में उपलब्ध प्रभु यीशु की वह शांति है जो भारी दुख में भी अनन्त आनन्द को स्मरण दिलाती है? - डेनिस फिशर


जीवन के सबसे कठिन और अन्धकारमय समय में भी मसीही विश्वासी के पास सबसे स्थायी और उत्तम शांति होती है।

यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा। - यूहन्ना ११:२५, २६

बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:१९-२७

और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्‍ति देने के लिये आए थे।
सो मार्था यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्‍तु मरियम घर में बैठी रही।
मार्था ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।
यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
मार्था ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्‍तिम दिन में पुनरूत्थान के समय वह जी उठेगा।
यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा, क्‍या तू इस बात पर विश्वास करती है?
उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४३-४५
  • इब्रानियों ५

रविवार, 7 नवंबर 2010

अनाज्ञाकरिता के बहाने

स्कूल में संगीत आयोजनों का समय था और संगीत के विद्यार्थियों ने आती सभाओं के लिये अभ्यास की तैयारी आरंभ कर दी थी। संगीत शिक्षिका ने इस विष्य में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को दो बार, अलग अलग समय पर स्पष्ट सूचना और संबंधित निर्देश दे दिये थे, जिनमें अभ्यास का अनिवार्य होना और अभ्यास का समय भी साफ साफ बता दिया गया था।

फिर भी अभ्यास के दिन एक बच्चे की घबराई हुई माँ ने फोन करके जानना चाहा कि अभ्यास कब होना है और उसके बच्चे को कब पहुंचना है? एक और मां ने फोन करके कहा कि "हम बच्चे को उसके दादी के पास ले जा रहे हैं, इसलिये यदि वह अभ्यास में ना आ सका तो कोई फरक तो नहीं पड़ेगा?" शिक्षिका ने उन्हें याद दिलाया कि अभ्यास अनिवार्य है और आरंभ हो चुका है, बच्चों का अभ्यास में होना आवश्यक है। उसे उत्तर मिला "किसी ने मुझे इसके बारे में पहले क्यों नहीं बताया? मुझे यह सब अपने आप कैसे पता चलता?"

जैसे अपने स्पष्ट और समय से दिये गए निर्देशों और सूचनाओं के नज़रंदाज़ किये जाने से वह शिक्षिका दुःखी और परेशान हुई, क्या परमेश्वर भी उसकी स्पष्ट आज्ञाओं को नज़रंदाज़ करने वाले हमारे रवैये से दुःखी होता है?

१ थिस्सलुनिकियों में पौलुस हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की ओर से उसे मिला सन्देश हमें सिखाने के लिये है कि परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन कैसे जीएं और उसके इन सन्देशों पर प्रभु यीशु की मुहर है (१ थिस्सलुनिकियों १:१, २)। अन्य पत्री में पौलुस समझता है कि हमारी अनआज्ञाकारिता और मनमाने रवैये से परमेश्वर दुःखी होता है (इफिसियों ४:३० - ५:२)।

हम यह ठान लें कि हम परमेश्वर के वचन को ध्यान से पढ़ेंगे और उसका पालन करेंगे - बिना कोई बहाना बनाए। - डेव ब्रैनन


हमारा, परमेश्वर और उसके वचन की उपेक्षा करने को समझा सकने के लिये, कोई उचित बहना है ही नहीं।

और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। - इफिसियों ४:३०


बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनिकियों ४:१-१२

निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
क्‍योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई।
क्‍योंकि परमेश्वर की इच्‍छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो।
और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्‍त करना जाने।
और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं।
कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्‍योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था।
क्‍योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्‍तु पवित्र होने के लिये बुलाया है।
इस कारण जो तुच्‍छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्‍तु परमेश्वर को तुच्‍छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।
किन्‍तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं, क्‍योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
और सारे मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि और भी बढ़ते जाओ।
और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्‍न करो।
कि बाहर वालों के साथ सभ्यता से बर्ताव करो, और तुम्हें किसी वस्‍तु की घटी न हो।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४०-४२
  • इब्रानियों ४

शनिवार, 6 नवंबर 2010

बाइबल का सजीव इतिहास

एक सिनेमा "Night at the Museum" एक अजायबघर के चौकीदार के रोमांचक अनुभवों का चित्रण है। उसका यह रोमांच आरंभ होता है जब रात में अजायबघर में प्रदर्शन के लिये रखे ऐतिहासिक लोगों के पुतले सजीव हो उठते हैं और अपनी मनमानी करने लगते हैं।

इस सिनेमा से प्रेरित होकर एक वास्तविक अजायबघर के निर्देशकों ने उस अजायबघर में ऐसा अनुभव उत्पन्न किया। उन्होंने अपने कर्मचारियों को अलग अलग काल के ऐतिहासिक लोगों की वेष भूषा में खड़ा किया, और वहां आने वाले बच्चों को कहा कि ऐतिहासिक पुतले सजीव होकर इधर उधर हो गये हैं, अब उन्हें उनके ऐतिहासिक क्रम में सही स्थान पर ले जाना है जिसमें बच्चों की सहायता चाहिये। बच्चों के लिये यह इतिहास सीखने का सजीव और कभी न भुलाए जाने वाला अनुभव बन गया।

बाइबल भी उसके पात्रों के रोमांचकारी अनुभवों की कहानियों से भरी हुई है। बच्चों को बाइबल की कहानियां याद कराना कोई उन्हें उबाने वाला काम नहीं है। मूसा के जीवन का ही उदाहरण लीजिये, शिशुकाल में बड़े नाटकीय ढंग से वह मृत्यु से बचा और राजमहल में पहुंचाया गया जहां एक राजकुमार की तरह उसकी परवरिश हुई। फिर अद्भुत रीति से वह परमेश्वर द्वारा बुलाया गया, सामर्थी किया गया और उसने अद्भुत आश्चर्यकर्म किये। परमेश्वर से उसकी दस आज्ञाओं और व्यवस्था को वह इस्त्रालियों के लिये लेकर आया और उन्हें उनके देश तक लेकर गया। उसके जीवन का एक एक भाग दिलचस्प है और बच्चों के लिये रोमांचकारी कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। बाइबल ऐसे ही अद्भुत जीवनों की कहानियों से भरी पड़ी है।

बाइबल की शिक्षा भी है कि माँ-बाप अपने बच्चों को बीते इतिहास की बातें सिखाएं जिससे बच्चे परमेश्वर और उसके सामर्थ और उसकी बातों को जान सकें (निर्गमन १२, १३; व्यवस्थाविवरण ६)। बाइबल के पात्रों का इतिहास सजीव इतिहास है, उनके जीवन आज भी अपने पढ़ने और सीखने वालों से बातें करते हैं और ऐसी शिक्षाएं देते हैं जो संसार में उन्हें कहीं नहीं मिल सकतीं - शिक्षाएं जो उन्हें परमेश्वर के बारे में सिखातीं हैं।

बाइबल का पालन करके उसके इतिहास को अपने जीवन में सजीव कीजिये, आपके जीवन में परमेश्वर का कार्य सजीव हो उठेगा, क्योंकि यह वचन ही परमेश्वर है जो हमारे लिये प्रभु यीशु के रूप में देहधारी हुआ "आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। और वचन देहधारी हुआ, और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहना १:१, १२)। - डेनिस फिशर



बाइबल के खज़ाने उन्हें ही मिलते हैं जो सच्चे मन से उनको खोजते हैं।

और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बाल बच्चों को समझा कर सिखाया करना... - व्यवस्थाविवरण ६:६, ७


बाइबल पाठ: निर्गमन १३:१४-१६

और आगे के दिनों में जब तुम्हारे पुत्र तुम से पूछें, कि यह क्या है? तो उन से कहना, कि यहोवा हम लोगों को दासत्व के घर से, अर्थात मिस्र देश से अपने हाथों के बल से निकाल लाया है।
उस समय जब फिरौन ने कठोर होकर हम को जाने देना न चाहा, तब यहोवा ने मिस्र देश में मनुष्य से लेकर पशु तक सब के पहिलौठों को मार डाला। इसी कारण पशुओं में से तो जितने अपनी अपनी मां के पहिलौठे नर हैं, उन्हें हम यहोवा के लिये बलि करते हैं; पर अपने सब जेठे पुत्रों को हम बदला देकर छुड़ा लेते हैं।
और यह तुम्हारे हाथों पर एक चिन्ह सा और तुम्हारी भौहों के बीच टीका सा ठहरे, क्योंकि यहोवा हम लोगों को मिस्र से अपने हाथों के बल से निकाल लाया है।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३७-३९
  • इब्रानियों ३

शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

भली सफाई

हमारी पालतु कुतिया डौली को मिट्टी खोदना और उसमें लोटना बहुत पसंद है, जिस के कारण उसके बालों में मिट्टी भर जाती है और हमें उसे हर सप्ताह घर ही में स्नान कराना पड़ता है। लेकिन कभी कभी मिट्टी और कीचड़ उसके बालों में ऐसा जम जाता है कि हमें उसे एक पेशेवर सफाई करने वाले के पास ले जान पड़ता है। डौली को उस सफाई करने वाली स्त्री के पास जाना बिल्कुल पसंद नहीं है, क्योंकि वह हमेशा जल्दबाज़ी में रहती है, गुस्सेवाली है और कठोरता से व्यवहार करती है। उसकी दुकान के पास पहुंचते ही डौली निकल भागने का प्रयास करने लगती है और उसे दुकान के दरवाज़े से अन्दर ले जाना मुश्किल हो जाता है।

पिछले साल हमने निर्णय लिया कि हम किसी दूसरे सफाई करने वाले के पास डौली को ले जाकर देखते हैं और हमने पाया कि डौली चाहे इस बदलाव से आनन्दित तो नहीं थी, कुछ हद तक उसका प्रतिरोध फिर भी था, लेकिन वह पहले वाले के पास जाने की तरह दिक्कत भी नहीं देती थी। इसका कारण था कि नई सफाई करने वाली को उसकी गन्दगी निकलने के लिये डौली को कुछ कष्ट अवश्य देना पड़ता था, लेकिन इस प्रक्रिया में वह डौली से नरमी और प्रेम से व्यवहार करती थी।

जब पाप और गन्दगी हमारे हृदय में जमा हो जाती है, तो हमें भी सफाई की आवश्यक्ता होती है। भजनकार राजा दाऊद की तरह हमें भी परमेश्वर से आग्रह करना चाहिये कि वह हमारे मन और हृदय को जांचे और हमारे बुरे विचारों, रवैये और मार्गों को प्रगट करे (भजन १३९:२३, २४)। जब हमारी अन्तःस्थिति खुलेगी तो हमें कष्ट तो होगा, लेकिन उस सफाई और कष्ट में भी हमारे परमेश्वर का व्यवहार सदा प्रेम और नरमी का रहता है "देख, शान्ति ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहट मिली; परन्तु तू ने स्नेह करके मुझे विनाश के गड़हे से निकाला है, क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है" (यशायाह ३८:१७)। इसलिये हम बिना भय के उसके पास आ सकते हैं।

परमेश्वर द्वारा हमारा जांचा जाना और साफ किया जाना, चाहे कुछ कष्टदायक हो, लेकिन हमारे भले के लिये यह आवश्यक है, और अनिवार्य है "उस से पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं; मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:६७, ७१)।


पश्चताप का दर्द चंगाई का आनन्द देता है।

हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख। क्योंकि तेरी करूणा तो मेरी आंखों के साम्हने है, और मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूं। - भजन २६:२, ३


बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१०, २३, २४

हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।।
तू मेरा उठना बैठना जानता है, और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले!
और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३४-३६
  • इब्रानियों २