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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

परमेश्वर की ’ज़बरदस्ती’?

एक मोटरसाईकिल चालकों का दल अपने राज्य की राजधानी की ओर जा रहा था। उनका उद्देश्य था वहां जाकर अनिवार्यतः हेल्मेट पहनने के नियम के विरोध में प्रदर्शन करना। उन्हें एक नियत स्थान पर जमा होकर कुछ भाष्ण देने थे और अपना विरोध दर्ज करने के लिये अपने हेल्मेट जलाने थे। लेकिन विरोध स्थल पर जाते हुए एक चालक अपनी मोटरसाईकिल का नियंत्रण खो बैठा और उसका गंभीर एक्सीडेंट हो गया। उसके सिर और चेहरे पर काफी गहरी चोटें आईं, जिन से वह बच जाता यदि उसने अपनी हेल्मेट पहनी हुई होती!

कभी कभी हम भी इन्हीं चालकों की तरह व्यवहार करते हैं। परमेश्वर द्वारा हमारे बचाव के लिये दिये गए नियम हमें अनुचित और बाधापूर्ण लगते हैं। यद्यपि हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं और चाहते हैं कि उसकी सुरक्षा हमारे साथ बनी रहे, फिर भी उसके निर्देशों के विरुद्ध हम बलवा करते हैं, उनका पालन नहीं करते तथा परमेश्वर के भले उद्देश्यों का अनुचित अर्थ निकलते हैं; हम इस बात को समझना नहीं चाहते के परमेश्वर ने अपने प्रेम में हमारी भलाई और सुरक्षा के लिये ही ये नियम और निर्देश दिये हैं।

अनुशासन और नियमों के पालन से मुक्त होने से हमें अधिक खुशी, स्वतंत्रता, शांति और सुरक्षा मिल जाएगी - ऐसा भी नहीं है; वरन यह अवश्य है कि हम अपना आदर, अपने जीवन का उद्देश्य और अपनी सुरक्षा खो बैठेंगे। संसार भर में सामाजिक व्यवहार के आंकड़े गवाह हैं कि जिनके जीवनों में परमेश्वर का भय और आदर नहीं है, और जो अपनी मनमानी करने पर उतारू रहते हैं, उनके जीवनों में दुर्व्यवहार, तलाक, हिंसा, अशांति और शारीरिक एवं मान्सिक रोग अधिक पाए जाते हैं।

हम नहीं चाहते कि हमारे जीवन नियमों द्वारा बन्धे हों, परन्तु जब हम इसका विकल्प यशायाह के पहले अध्याय में पढ़ते हैं तो स्पष्ट हो जाता है कि परमेश्वर के नियम सदैव हमारी भलाई ही के लिये हैं। परमेश्वर ज़बरदस्ती का परमेश्वर नहीं, प्रेम का परमेश्वर है। - मार्ट डी हॉन


यदि आप अनुशासन का पालन नहीं करना चाहते तो नियमों को दोषी मत ठहराईये।

यहोवा कहता है, आओ, हम आपस में वादविवाद करें: तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम की नाईं उजले हो जाएंगे और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएंगे। - यशायाह १:१८

बाइबल पाठ: यशायाह १:१-२०
आमोस के पुत्र यशायाह का दर्शन, जिसको उस ने यहूदा और यरूशलेम के विषय में उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नाम यहूदा के राजाओं के दिनों में पाया।
हे स्वर्ग सुन, और हे पृथ्वी कान लगा क्योंकि यहोवा कहता है: मैं ने बाल-बच्चों का पालन पोषण किया, और उनको बढ़ाया भी, परन्तु उन्होंने मुझ से बलवा किया।
बैल तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहिचानता है, परन्तु इस्राएल मुझें नहीं जानता, मेरी प्रजा विचार नहीं करती।
हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है! इस वंश के लोग कैसे कुकर्मी हैं, ये लड़केबाले कैसे बिगड़े हुए हैं! उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया, उन्होंने इस्राएल के पवित्र को तुच्छ जाना है! वे पराए बनकर दूर हो गए हैं।
तुम बलवा कर करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो? तुम्हारा सिर घावों से भर गया, और तुम्हारा ह्रृदय दु:ख से भरा है।
नख से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं, केवल चोट और कोड़े की मार के चिन्ह और सड़े हुए घाव हैं जो न दबाये गए, न बान्धे गए, न तेल लगाकर नरमाये गए हैं।
तुम्हारा देश उजड़ा पड़ा है, तुम्हारे नगर भस्म हो गए हैं तुम्हारे खेतों को परदेशी लोग तुम्हारे देखते ही निगल रहे हैं; वह परदेशियों से नाश किए हुए देश के समान उजाड़ है।
और सिय्योन की बेटी दाख की बारी में की झोंपड़ी की नाईं छोड़ दी गई है, वा ककड़ी के खेत में की छपरिया या घिरे हुए नगर के समान अकेली खड़ी है।
यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता, तो हम सदोम के समान हो जाते, और अमोरा के समान ठहरते।
हे सदोम के न्याइयों, यहोवा का वचन सुनो! हे अमोरा की प्रजा, हमारे परमेश्वर की शिक्षा पर कान लगा।
यहोवा यह कहता है, तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं? मैं तो मेढ़ों के होमबलियों से और पाले हुए पशुओं की चर्बी से अघा गया हूं;
मैं बछड़ों वा भेड़ के बच्चों वा बकरों के लोहू से प्रसन्न नहीं होता। तुम जब अपने मुंह मुझे दिखाने के लिये आते हो, तब यह कौन चाहता है कि तुम मेरे आंगनों को पांव से रौंदो?
व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चांद और विश्रामदिन का मानना, और सभाओं का प्रचार करना, यह मुझे बुरा लगता है। महासभा के साथ ही साथ अनर्थ काम करना मुझ से सहा नहीं जाता।
तुम्हारे नये चांदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूं; वे सब मुझे बोझ से जान पड़ते हैं, मैं उनको सहते सहते उकता गया हूं।
जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुंह फेर लूंगा तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तौभी मैं तुम्हारी न सुनूंगा क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं।
अपने को धोकर पवित्र करो: मेरी आंखों के साम्हने से अपने बुरे कामों को दूर करो भविष्य में बुराई करना छोड़ दो,
भलाई करना सीखो, यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो, अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।
यहोवा कहता है, आओ, हम आपस में वादविवाद करें: तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम की नाईं उजले हो जाएंगे और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएंगे।
यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो,
तो इस देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाओगे और यदि तुम ने मानो और बलवा करो, तो तलवार से मारे जाओगे; यहोवा का यही वचन है।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती २०-२२
  • मरकुस ७:१-१३

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

दासत्व - स्वतंत्र होने के लिये!

अभी भी मेरे मस्तिष्क में उस तीर से बिंधे हुए लेकिन ज़िंदा और उड़ सकने वले कैनेडियन हंस का चित्र ताज़ा है। एक धनुर्धारी शिकरी का निशाना तो सही लगा, लेकिन वह हंस मरा नहीं। वह न केवल उस शिकारी से, परन्तु जानवरों और पक्षियों की रक्षा और देखभाल करने वाले लोगों से भी लगभग एक महीने तक बचता रहा। उसे पकड़ने के लिये उन्होंने उसे नशीले पदार्थ मिले दाने खिलाने की कोशिश करी, छोटी तोप जैसी मशीनों से जाल उस की ओर ऊंचाई तक फेंका, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। आखिरकर उसे मछली पकड़ने के जाल में फांसा गया, फिर पक्षियों के डाक्टरों ने ऑपरेशन द्वारा उसके शरीर में फंसा हुआ वह तीर निकाला, और फिर उसे आज़ाद कर दिया। यदि हंस सोचने की शक्ति रखते होंगे तो वह हंस बाद में सोचता होगा, क्यों वह इतने दिन तक इतनी मेहनत करके, अपने पकड़ने वालों से बचता रहा? उन्होंने तो उसकी भलाई के लिये ही उसे बन्धुआ बनाना चाहा था।

इस बन्धुआ बने हंस के अनुभव ने मुझे उन लोगों की याद दिलाई जिनके बारे में यूहन्ना ८ अध्याय में लिखा गया है। वे लोग भी अपनी गंभीर स्थिति के बारे में समझ नहीं पा रहे थे, और न ही प्रभु यीशु के उनके प्रति उद्देश्यों को समझ पा रहे थे। उन लोगों को लगा कि प्रभु यीशु उन्हें बन्धुआ बनाना चाहता है, क्योंकि प्रभु उनसे अपने जीवन उसे समर्पित करने और प्रभु के चेले बनने को कह रहा था। प्रभु ने उनसे याचना करी कि वे उसके आत्मिक दास बन जाएं, लेकिन वे नहीं समझ पाए कि प्रभु यह उनसे उन्हें उनके पाप के दोष से स्वतंत्र करने के लिये कह रहा था।

कुछ ऐसी ही गलतफहमी में रहकर आज भी लोग प्रभु यीशु मसीह के पास आना नहीं चाहते। वे पाप से बिंधे हुए इधर उधर बचते फिरते हैं, लेकिन जो उन्हें पाप से मुक्ति और उद्धार दे सकता है, उस प्रभु के आधीन नहीं होना चाहते। वे समझ नहीं पाते कि प्रभु का उद्देश्य उन्हें दास बनाना नहीं वरन उन्हें स्वतंत्र करना है - पाप और उसके दण्ड से स्वतंत्र, जो स्वतंत्रता और कहीं नहीं मिल सकती, और वह भी सेंत-मेत, केवल एक साधारण विश्वास से। यह स्वतंत्रता न केवल हमारे अनन्त भविष्य से संबंधित है, वरन पृथ्वी पर हमारे वर्तमान से भी संबंधित है क्योंकि प्रतिदिन मसीह के साथ चलने से हम उसके संरक्षण में बने रहते हैं।

प्रभु के दास होकर ही हम वासत्व में स्वतंत्र होते हैं। - मार्ट डी हॉन


उद्धार द्वारा आया परिवर्तन हमें हमारे पाप के बन्धनों से मुक्त कर देता है।


क्‍योंकि जो दास की दशा में प्रभु में बुलाया गया है, वह प्रभु का स्‍वतंत्र किया हुआ है: - १ कुरिन्थियों ७:२२



बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:३१-४६


तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्‍होंने उस की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे।
और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा।
उन्‍होंने उस को उत्तर दिया कि हम तो इब्राहीम के वंश से हैं और कभी किसी के दास नहीं हुए, फिर तू क्‍योंकर कहता है, कि तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे?
यीशु ने उन को उत्तर दिया मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।
और दास सदा घर में नहीं रहता, पुत्र सदा रहता है।
सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे।
मैं जानता हूं कि तुम इब्राहीम के वंश से हो तौभी मेरा वचन तुम्हारे ह्रृदय में जगह नहीं पाता, इसलिये तुम मुझे मार डालना चाहते हो।
मैं वही कहता हूं, जो अपने पिता के यहां देखा है और तुम वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है।
उन्‍होंने उन को उत्तर दिया, कि हमारा पिता तो इब्राहीम है: यीशु ने उन से कहा, यदि तुम इब्राहीम के सन्‍तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते।
परन्‍तु अब तुम मुझ ऐसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिस ने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो इब्राहीम ने नहीं किया था।
तुम अपने पिता के समान काम करते हो: उन्‍होंने उस से कहा, हम व्यभिचार से नहीं जन्मे, हमारा एक पिता है अर्थात परमेश्वर।
यीशु ने उन से कहा यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्‍योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं मैं आप से नहीं आया, परन्‍तु उसी ने मुझे भेजा।
तुम मेरी बात क्‍यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते।
तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्‍योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है, क्‍योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है।
परन्‍तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते।
तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्‍यों नहीं करते?

एक साल में बाइबल:
  • गिनती १७-१९
  • मरकुस ६:३०-५६

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

कठिन परीक्षा की घड़ी

मौसम की जानकारी देने वाले ने अपने नक्शे को दिखाते हुए कहा "मुझे भय है कि स्थिति सुधरने से पहले और कठिन होगी।" उसकी यह भविष्यवाणी इस्त्राएल की प्रजा का चित्रण करती है, जब वे मिस्त्र के दासत्व से निकलने की बाट जोह रहे थे और परमेश्वर ने उनकी रिहाई की योजना बना रखी थी। लेकिन उनके लिये परिस्थितियां तेज़ी से बिगड़ने लगीं थीं। सताव और शोष्ण की तेज़ हवाएं अब भीष्ण तूफान का रूप ले रहीं थीं। कुछ समय पहले वे लोग बड़े उत्साह से अपनी रिहाई की बातें करते थे; परन्तु उनके लिये वही मूसा जो उनकी रिहाई का योजनाकार था, अब उनके दुखों का कारण बन गया था। फिरौन की नज़रों में यदि दासों के पास आज़ादी के स्वपन देखने का समय था, तो उनके पास बहुत अधिक समय था; इसलिये फिरौन ने उनके काम का बोझ बढ़ा दिया और काम के लिये आवश्यक सामग्री देना बन्द कर दिया और उनसे कहा कि अपनी सामग्री आप अर्जित करो, लेकिन काम में कोई कमी नहीं होगी, और उनके अगुवों की पिटाई करवाई। मूसा भी इस्त्राएलियों की इस दुर्दशा से विसमित होकर परमेश्वर के सामने स्पष्टिकरण के लिये विलाप करने लगा।

लेकिन समय ने दिखा दिया कि परमेश्वर की योजना में कोई बाधा नहीं थी। लोगों की वह भीड़ मिस्त्र की दासता से सदा के लिये निकलने के लिये तैयार करी जा रही थी, और सब कुछ समयबद्ध हो रहा था। परमेश्वर ने जान बूझकर हालात को सुधरने से पहले बिगड़ने दिया ताकि वे अपने विश्वास की परीक्षा द्वारा परमेश्वर की सामर्थ को देख सकें और उसपर अपने विश्वास को दृढ़ कर सकें।

यह घटना हमारे लिये एक शिक्षा और सांत्वना का स्त्रोत है। जब संसार हम पर चढ़ा चला आता है, और परिस्थितियां कठिन होती लगती हैं, हम इस बात द्वारा शांति पा सकते हैं कि हमारी स्थिति का निर्देशक संसार नहीं, वरन संसार पर प्रभुता करने वाला परमेश्वर है। - मार्ट डी हॉन


भोर से पहले ही रात सबसे अंधेरी होती है।

जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; और जो बुद्धि से चलता है, वह बचता है। - नीतिवचन २८:२६


बाइबल पाठ: निर्गमन ६:१-८

तब यहोवा ने मूसा से कहा, अब तू देखेगा कि मैं फिरौन से क्या करूंगा; जिस से वह उनको बरबस निकालेगा, वह तो उन्हें अपने देश से बरबस निकाल देगा।
और परमेश्वर ने मूसा से कहा, कि मैं यहोवा हूं।
मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम से इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को दर्शन देता था, परन्तु यहोवा के नाम से मैं उन पर प्रगट न हुआ।
और मैं ने उनके साथ अपनी वाचा दृढ़ की है, अर्थात कनान देश जिस में वे परदेशी होकर रहते थे, उसे उन्हें दे दूं।
और इस्राएली जिन्हें मिस्री लोग दासत्व में रखते हैं उनका कराहना भी सुनकर मैं ने अपनी वाचा को स्मरण किया है।
इस कारण तू इस्राएलियों से कह, कि मैं यहोवा हूं, और तुम को मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकालूंगा, और उनके दासत्व से तुम को छुड़ाऊंगा, और अपनी भुजा बढ़ाकर और भारी दण्ड देकर तुम्हें छुड़ा लूंगा,
और मैं तुम को अपनी प्रजा बनाने के लिये अपना लूंगा, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा और तुम जान लोगे कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम्हें मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकाल ले आया।
और जिस देश के देने की शपथ मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से खाई थी उसी में मैं तुम्हें पहुंचा कर उसे तुम्हारा भाग कर दूंगा। मैं तो यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती १५-१६
  • मरकुस ६:१-२९

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

परमेश्वर की उपासना

परमेश्वर, सिद्ध पवित्र परमेश्वर, सच्ची उपासना के योग्य है। वह ही हमारा सृजनहार, पालनहार, तारणहार है। यदि उसका प्रेम भरा मार्गदर्शन और देख-रेख हमें उपलब्ध न हो तो हमारे जीवन के लिये कोई आशा न रहे। इसलिये हमें सर्वदा उसकी ऐसी उपासना करनी चाहिये जो उसके नाम को आदर और उसे सच्ची महिमा देती हो।

प्रभु यीशु ने सामरी स्त्री से अपनी बातचीत में कहा "परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्‍चाई से भजन करें।" (यूहन्ना ४:२४)

अपनी उत्कृष्ट पुस्तक "The Practice of the Presence of God" में लेखक भाई लौरेन्स इस का अर्थ इस प्रकार समझाते हैं "सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करने का तातपर्य है कि परमेश्वर की वास्तविकता को जानना, उसके संपूर्ण गुणों को पहिचानना, अर्थात यह कि वह अपनी अनन्त संपूर्णता में सिद्ध, हर एक प्रकार कि बुराई से परे और समस्त दिव्यगुणों से परिपूर्ण है। किसी मनुष्य के पास उपासना करने का चाहे कोई बहुत ही छोटा प्रतीत होने वाला कारण ही क्यों न हो, लेकिन जब वह उपासना करे तो ऐसे महान परमेश्वर की उपासना उसे अपनी सारी सामर्थ से करनी चाहिये।"

हमें अपने आप से पूछने की आवश्यक्ता है कि जिस ने हमें बनाया है, क्या उसकी उपासना हम इस प्रकार करते हैं? क्या सदा अपने मन मस्तिष्क कि गहिराईयों से हम उसका आदर और मान बनाए रखते हैं? क्या जब हम उसके सन्मुख आते हैं तो उससे जिससे कोई बात छिपी नहीं है, जो मन की बात और मस्तिष्क के विचारों को भी जानता है, उसके सन्मुख अपने आप को पूरी सच्चाई से प्रस्तुत करते हैं या उससे कुछ छिपाते हुए, कोई बहाने बनाते हुए, अपने आप को सही प्रमाणित करने के प्रयास के साथ आते हैं? क्या वह जो है, हम उसकी हस्ती और उसके गुणों का अंगीकार करते हैं?

यदि उस सर्वसामर्थी, सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी परमेश्वर की सच्ची उपासना करनी है तो यह केवल "आत्मा और सच्चाई" ही में हो सकती है। - डेव एग्नर


यदि जीवन में मसीह सबसे बहुमूल्य नहीं तो फिर उसका कोई मूल्य नहीं।

परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्‍चाई से भजन करें। - यूहन्ना ४:२४



बाइबल पाठ: यूहन्ना ४:९-२६

उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्‍यों मांगता है? (क्‍योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)।
यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
क्‍या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कूआं दिया और आप ही अपने सन्‍तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया?
यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
परन्‍तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्‍तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्‍त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।
यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला।
स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं।
क्‍योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है।
स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है।
हमारे बाप-दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।
यीशु ने उस से कहा, हे नारी, मेरी बात की प्रतीति कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में।
तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो, और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं; क्‍योंकि उद्धार यहूदियों में से है।
परन्‍तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्‍चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे, क्‍योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है।
परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्‍चाई से भजन करें।
स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्‍तुस कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा।
यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती १२-१४
  • मरकुस ५:२१-४३

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

परमेश्वर पवित्र है

परमेश्वर ऐसा कुछ नहीं कर सकता जो उसके पवित्र चरित्र के अनुकूल न हो। क्योंकि परमेश्वर अपने स्वभाव से पवित्र और सिद्ध है, इसलिये उसके सारे गुण उसकी इस पवित्रता और सिद्धता को दर्शाते हैं। कुछ बातों पर ध्यान कीजिए:

१. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी धार्मिकता में सिद्ध है। हम उसकी इच्छा के आधीन बेखटके हो सकते हैं क्योंकि इब्राहिम द्वारा उत्पत्ति १८:२५ में उठाये गये प्रश्न "क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?" का एक ही उत्तर संभव हो सकता है - " हाँ "।

२. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने न्याय में सिद्ध है। पौलुस ने कहा "...हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।" (रोमियों १४:१०); पतरस ने लिखा "क्‍योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्‍या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?" (१ पतरस ४:१७); यूहन्ना, अविश्वासियों के संबंध में कहता है " ...उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।" (प्रकाशितवाक्य २०:१३)।

३. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने सदा सत्य होने में सिद्ध है। इस कारण हम उसके वचन पर सम्पूर्ण विश्वास कर सकते हैं। गिनती २३:१९ में लिखा है " ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह मनुष्य है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उस ने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे?"

४. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी विश्वासयोग्यता में सिद्ध है। यर्मियाह नबी ने लिखा " हम मिट नहीं गए, यह यहोवा की महान करुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।" (विलापगीत ३:२२, २३)

हम अपने धर्मी, न्यायी, सच्चे और विश्वासयोग्य परमेश्वर पर समपूर्ण भरोसा रख सकते हैं क्योंकि वह पवित्र है। - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर की जो पवित्रता पापी को दोषी सिद्ध करती है, वही धर्मी को सांत्वना भी देती है।

...सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। - यशायाह ६:३


बाइबल पाठ: भजन ४८

हमारे परमेश्वर के नगर में, और अपने पवित्र पर्वत पर यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है!
सिय्योन पर्वत ऊंचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है, राजाधिराज का नगर उत्तरीय सिरे पर है।
उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ माना गया है।
क्योंकि देखो, राजा लोग इकट्ठे हुए, वे एक संग आगे बढ़ गए।
उन्होंने आप ही देखा और देखते ही विस्मित हुए, वे घबराकर भाग गए।
वहां कंपकंपी ने उनको आ पकड़ा, और जच्चा की सी पीड़ाएं उन्हें होने लगीं।
तू पूर्वी वायु से तर्शीश के जहाजों को तोड़ डालता है।
सेनाओं के यहोवा के नगर में, अपने परमेश्वर के नगर में, जैसा हम ने सुना था, वैसा देखा भी है; परमेश्वर उसको सदा दृढ़ और स्थिर रखेगा।
हे परमेश्वर हम ने तेरे मन्दिर के भीतर तेरी करूणा पर ध्यान किया है।
हे परमेश्वर तेरे नाम के योग्य तेरी स्तुति पृथ्वी की छोर तक होती है। तेरा दहिना हाथ धर्म से भरा है;
तेरे न्याय के कामों के कारण सिय्योन पर्वत आनन्द करे, और यहूदा के नगर की पुत्रियां मगन हों!
सिय्योन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो,
उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आने वाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।
क्योंकि वह परमेश्वर सदा सर्वदा हमारा परमेश्वर है, वह मृत्यु तक हमारी अगुवाई करेगा।
एक साल में बाइबल:
  • गिनती ९-११
  • मरकुस ५:१-२०

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

आत्मविशलेष्ण

प्रसिद्ध पाश्चात्य संगीत शास्त्री बीथोवेन के घर की देखरेख करने वाला, कुछ पर्यटकों को बीथोवन का घर घुमा रहा था। जब वे एक पुराने और आलीशान प्यानो के पास आए, तो बड़े आदर से उस प्यानो का ढक्कन उठाते हुए कहा, "यही वह प्यानो है जिस पर बैठ कर बीथोवन अपने संगीत की रचना करते थे।" तभी उन पर्यटकों में से एक युवती आगे बढ़ी और प्यानो के आगे बैठ गई तथा बीथोवन द्वारा रचित एक छोटी धुन उस प्यानो पर बजाने लगी। धुन समाप्त करके वह बड़े गर्व से उस ठगे से खड़े और विस्मित देखरेख करने वाले की ओर मुड़ी और बोली, "यहां आने वाले लोगों में से बहुतेरे ऐसे ही बीथोवन के प्यानों को बजाना चाहते होंगे, हैं ना?" उस देखरेख करने वाले ने बड़े सहज भाव से उत्तर दिया, "मैडम, पिछले ग्रीष्म ‌‍ॠतु में विश्व प्रसिद्ध प्यानो वादक श्रीमान पाद्रेवस्की यहां आये थे। उनके कुछ मित्रों ने उनसे इस प्यानो पर कुछ बजाने का निवेदन किया, लेकिन उन्हों ने बड़ी नम्रता से यह कहकर इन्कार कर दिया कि मैं इसके योग्य नहीं हूँ!"

जैसे जैसे हम अपने प्रभु की समानता में बढ़ते जाते हैं, हम उसके समक्ष अपनी औकात के और अपने पापों के प्रति बोझिल भी होते जाते हैं। यह विरोधाभास किसी विकृत आत्मविशलेष्ण का नतीजा नहीं है और न ही यह स्व्यं अपने प्रति किसी हीन भावना का द्योतक है। यह इस बात की सच्ची पहिचान है कि मसीह क्या है और हम क्या हैं और हमारी मसीह की समानता में ढलने की इच्छा कैसी है।

परमेश्वर की पवित्रता की झलक पाने के बाद यशायाह नबी चिल्ला उठा "...हाय! हाय! मैं नाश हूआ। क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है! " (यशायाह ६:५); अपनी तकलीफों और परीक्षाओं के अन्त में परमेश्वर के दर्शन पाने के बाद अय्युब ने विनम्रता सहित स्वीकार किया कि "...मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ।" (अय्युब ४२:६); और यूहन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने प्रभु यीशु के विष्य में कहा "...जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं..."(मत्ती ३:११)।

परमेश्वर के समक्ष अपनी अयोग्यता की स्वस्थ स्वीकृति और पहिचान, हमें प्रभु की योग्यता पर निर्भरता बनाए रखने में सहायक होती है, और यही प्रभु की समानता में ढलते और बढ़ते जाने का राज़ है। - डेनिस डी हॉन


जब लोग सच्चे परमेश्वर की सच्ची पहिचान के साथ उसकी सच्ची उपासना करने लग जाते हैं, तो वे उसकी समानता में भी बढ़ने लग जाते हैं।

...जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं... - मत्ती ३:११


बाइबल पाठ: अय्युब ४२:१-६

तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया;
मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती।
तू कौन है जो ज्ञान रहित होकर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था।
मैं निवेदन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता दे।
मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं;
इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ।
एक साल में बाइबल:
  • गिनती ७-८
  • मरकुस ४:२१-४१

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

श्रद्धा

मेरे पिताजी परमेश्वर के प्रति श्रद्धालु व्यवहार बनाए रखने के लिये बड़े कट्टर थे। उनके समक्ष यदि कोई परमेश्वर को हल्के में संबोधित करता तो वे क्रुद्ध हो जाते। उनका नियम था कि जब वे सबके सामने बाइबल पढ़ें तो उनके परिवार जन सीधे और सतर्क बैठें, जैसे वे किसी उच्च पदाधिकरी के समक्ष बैठे हों। वे जब परमेश्वर को संबोधित करते थे तो उनके हावभाव से उनकी श्रद्धा और आश्चर्य प्रगट होता था कि हम पापी मनुष्य भी परम पवित्र सृष्टिकर्ता से वार्तालाप कर सकते हैं।

हमारा सर्वसामर्थी परमेश्वर चाहता है कि हम उसे "अब्बा, पिता" करके संबोधित करें, और वह हमें बिना किसी घबराहट या हिचकिचाहट के अपने समक्ष आने का निमंत्रण भी देता है। परन्तु बाइबल के सैंकड़ों खण्ड हैं जहां यह बात स्पष्ट करी गई है कि हमें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय का आचरण कभी नज़रांदज़ नहीं करना है।

निर्गमन १९ अध्याय में परमेश्वर का अपने लोगों को अपने निकट आने का निमंत्रण और उसकी उपस्थिति से उत्पन्न पराक्रमी और भय पैदा करने वाली घटनाओं का अद्भुत समागम है, जिससे इस्त्राएली लोग उसके प्रति श्रद्धा और भय को समझ सकें। जब इस्त्राएली प्रजा पर्वत के नीचे परमेश्वर की बात सुनने को जमा हुई और परमेश्वर पर्वत की चोटी पर उतरा तब पर्वत की चोटी से बड़ी आग और धुआं उठा, भीष्ण गड़गड़ाहट की दिल दहला देने वाली ध्वनि हुई और तेज़ बिजली आकाश में कौन्धने लगी। पर्वत कांपने लगा और तुरही का ऊंचा शब्द हुआ और तब इस्त्राएली लोगों ने परमेश्वर को मूसा से बात करते सुना और वे आदर, भय और श्रद्धा से भर गए।

परमेश्वर कितना महान और पवित्र है, उसकी तुलना में हम कितने छोटे और कमज़ोर हैं और हमारी कोई सामर्थ या पवित्रता तो है ही नहीं। लेकिन फिर भी हमारे प्रति वह अपने प्रेम को प्रभु यीशु मसीह में होकर प्रगट करता है और समस्त मानव जाति को, वे चाहे जो भी हों और जैसे भी हों, प्रभु यीशु में होकर अपने पास आने का खुला निमंत्रण देता है।

जब हम परमेश्वर के सन्मुख अपनी औकात का ध्यान रखते हैं तो हम भय के साथ उसकी सेवा और आनन्द के साथ उसकी संगति भी कर सकते हैं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


सच्ची उपासना परमेश्वर की सच्ची पहिचान से होती है।

डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपके हुए मगन हो। - भजन २:११


बाइबल पाठ: निर्गमन १९:१-१९

इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए जिस दिन तीन महीने बीत चुके, उसी दिन वे सीनै के जंगल में आए।
और जब वे रपीदीम से कूच करके सीनै के जंगल में आए, तब उन्होंने जंगल में डेरे खड़े किए; और वहीं पर्वत के आगे इस्त्राएलियों ने छावनी डाली।
तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पर्वत पर से उसको पुकार कर कहा, याकूब के घराने से ऐसा कह, और इस्त्राएलियों को मेरा यह वचन सुना,
कि तुम ने देखा है कि मै ने मिस्रियों से क्या क्या किया, तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ा कर अपने पास ले आया हूं।
इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे, समस्त पृथ्वी तो मेरी है।
और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे। जो बातें तुझे इस्त्राएलियों से कहनी हैं वे ये ही हैं।
तब मूसा ने आकर लोगों के पुरनियों को बुलवाया, और ये सब बातें, जिनके कहने की आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, उनको समझा दीं।
और सब लोग मिल कर बोल उठे, जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे। लोगों की यह बातें मूसा ने यहोवा को सुनाईं।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मैं बादल के अंधियारे में होकर तेरे पास आता हूं, इसलिये कि जब मैं तुझ से बातें करूं तब वे लोग सुनें, और सदा तेरी प्रतीति करें। और मूसा ने यहोवा से लोगों की बातों का वर्णन किया।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल पवित्र करना, और वे अपने वस्त्र धो लें,
और वे तीसरे दिन तक तैयार हो रहें, क्योंकि तीसरे दिन यहोवा सब लोगों के देखते सीनै पर्वत पर उतर आएगा।
और तू लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बान्ध देना, और उन से कहना, कि तुम सचेत रहो कि पर्वत पर न चढ़ो और उसके सिवाने को भी न छूओ और जो कोई पहाड़ को छूए वह निश्चय मार डाला जाए।
उसको कोई हाथ से तो न छूए, परन्तु वह निश्चय पत्थरवाह किया जाए, वा तीर से छेदा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुष्य, वह जीवित न बचे। जब महाशब्द वाले नरसिंगे का शब्द देर तक सुनाई दे, तब लोग पर्वत के पास आएं।
तब मूसा ने पर्वत पर से उतर कर लोगों के पास आकर उनको पवित्र कराया और उन्होंने अपने वस्त्र धो लिए।
और उस ने लोगों से कहा, तीसरे दिन तक तैयार हो रहो, स्त्री के पास न जाना।
जब तीसरा दिन आया तब भोर होते बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और पर्वत पर काली घटा छा गई, फिर नरसिंगे का शब्द बड़ा भरी हुआ, और छावनी में जितने लोग थे सब कांप उठे।
तब मूसा लोगों को परमेश्वर से भेंट करने के लिये छावनी से निकाल ले गया, और वे पर्वत के नीचे खड़े हुए।
और यहोवा जो आग में होकर सीनै पर्वत पर उतरा था, इस कारण समस्त पर्वत धुएं से भर गया, और उसका धुआं भट्टे का सा उठ रहा था, और समस्त पर्वत बहुत कांप रहा था
फिर जब नरसिंगे का शब्द बढ़ता और बहुत भारी होता गया, तब मूसा बोला, और परमेश्वर ने वाणी सुना कर उसको उत्तर दिया।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती ४-६
  • मरकुस ४:१-२०

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

हमारा महान परमेश्वर

अमेरिका के जौर्जिया प्रांत में स्थित "स्टोन माऊंन्टेन" संसार का सबसे बड़ा उघाड़े हुए ग्रेनाईट चट्टान का पहाड़ है। उस १,७०० फुट चौड़े चट्टान के पटल पर दक्षिणी अमेरिका के तीन महान नेताओं के चेहरे तराशे गए हैं। यद्यपि यह पहाड़ और इसपर तराशी गई प्रतिमाएं विशाल हैं, फिर भी दूर से यह उतना आकर्षक नहीं लगता। इसकी महानता इसे देखने वाले को तभी अभिभूत करती है जब दर्शक इसके निकट आकर इसे निहारता है।

भजनकार एथन भजन ८९ में एक ऐसा ही सत्य परमेश्वर को जानने के संबंध में लिखता है। यह प्रेरणादायक भजन परमेश्वर की स्तुति से भरा है। भजनकार परमेश्वर की महानता, उसकी दया और विश्वासयोग्यता का वर्णन करता है। एथन यह सब कर सका क्योंकि वह अपने परमेश्वर को निकट से जानता था और उसके साथ एक निकट का व्यक्तिगत संबंध रखता था। भजन ८९ जैसे दर्शन उन्हीं को प्राप्त होते हैं जो परमेश्वर के निकट आते हैं और उसकी महानता से अभीभूत होते हैं।

हम जितना अपने परमेश्वर के निकट आते हैं उतना अधिक हम उसके प्रेम, सामर्थ और महानता का अनुभव करते हैं। एथन यहोवा के लिये गा सका "तेरी भुजा बलवन्त है; तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दहिना हाथ प्रबल है।" (भजन ८९:१३) और उसका उसके परमेश्वर के संबंध में यही ज्ञान उसके लिये आशीश बना। हम जितना अधिक उसके निकट आते जाएंगे, वह हमारे पक्ष में उतना अधिक महान होता जाएगा। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर किसी का भी स्थान ले सकता है लेकिन परमेश्वर का स्थान कोई नहीं ले सकता।

क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी? - भजन ८९:६


बाइबल पाठ: भजन ८९:५-१७

हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की, और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी।
क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी?
ईश्वर पवित्रों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य, और अपने चारों ओर सब रहने वालों से अधिक भययोग्य है।
हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे याह, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है? तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है!
समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है, जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है।
तू ने रहाब को घात किए हुए के समान कुचल डाला, और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर बितर किया है।
आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है, जगत और जो कुछ उस में है, उसे तू ही ने स्थिर किया है।
उत्तर और दक्खिन को तू ही ने सिरजा; ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं।
तेरी भुजा बलवन्त है, तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है।
तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करूणा और सच्चाई तेरे आगे आगे चलती है।
क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहिचानता है; हे यहोवा वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं,
वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं।
क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊंचा करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • गिनती १-३
  • मरकुस ३

रविवार, 20 फ़रवरी 2011

भय और प्रेम

बच्चों की कहानी "The Mole and the Rat" में लेखक केनेथ ग्राहम ने प्रेम और भय के संबंध को रूपक द्वारा दर्शाया है। दो जानवर, छछुंदर और चूहा, एक और सामर्थी जीव "मित्र तथा सहायक" (- जो परमेश्वर को दर्शता है) से मिलते हैं। उसे देखकर छछुंदर थरथर कांपने लगता है और चूहे से फुसफुसा कर पूछता है "चूहे, क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा?" चूहा, जिसकी आंखें से बयान से बाहर प्रेम से छलक रहा था, "मित्र और सहायक" को निहारते हुए धीमी आवाज़ में उत्तर देता है "डर? इनसे? नहीं, नहीं, कभी नहीं! लेकिन फिर भी ओह छछुंदर, मुझे डर तो है।"

परमेश्वर का दर्शन देखकर दानियल नबी का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ होगा। दानियेल का परमेश्वर के प्रति प्रेम असीम था, लेकिन जब उसने दर्शन में परमेश्वर को अपने समक्ष खड़ा पाया तो वह भय से गिर पड़ा (दानियेल ८:१५-२७)। परमेश्वर की पवित्रता की एक झलक ने उसे अभिभूत कर दिया।

प्रभु यीशु ने परमेश्वर से प्रेम रखने की आज्ञा दी (मत्ती २२:३७), जबकि पौलुस कहता है कि हमें परमेश्वर का भय रखना चाहिये (कुलुस्सियों ३:१८-२५)। लेकिन यदि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं तो क्या हमें डर से मुक्त नहीं हो जाना चाहिये? क्या सच्चा प्रेम डर को दूर नहीं कर देता?

मेरा अपना अनुभव इसे समझने में सहायता कर सकता है। मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ, लेकिन जब उस दिन के बारे में सोचता हूँ जब मैं उसके समक्ष खड़ा होऊंगा तो डरता भी हूँ। मुझे यह डर नहीं है कि वह मुझे नरक भेज देगा, इसका निर्णय तो उसी क्षण हो चुका जब मैंने प्रभु यीशु पर विश्वास किया, उससे अपने पापों की क्षमा मांगी - क्योंकि मेरे पापों की कीमत चुका कर प्रभु यीशु ने मुझे नरक के दंड से बचा लिया है। लेकिन यह सोचकर कि मैं, हां मैं, मुझ जैसा मनुष्य, उस परम पवित्र परमेश्वर के सामने खड़ा होने पाएगा, मुझे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा पूर्ण भय से भर देता है और मेरे प्राण-देह-आत्मा उसके आगे झुक जाते हैं। यही भय है जो मुझे परमेश्वर को प्रसन्न रखने को प्रेरित करता है, इसलिये नहीं कि मुझे उससे किसी सज़ा का डर है, वरन इसलिये कि उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके उसे प्रसन्न रखना उसके महान प्रेम के कारण उसके प्रति मेरा कर्तव्य है।

परमेश्वर से प्रेम तो करें, लेकिन श्रद्धा सहित उसका भय भी मानें। प्रेम और भय का यही समायोग पवित्रता का जीवन जी सकने की कुंजी है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


जो परमेश्वर से डरता है वह किसी और से नहीं डरेगा; जो परमेश्वर से नहीं डरता उसे अन्य सब का डर रहता है।

हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्‍तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। - कुलुस्सियों ३:२२


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१८-२५

हे पत्‍नियो, जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो।
हे पतियों, अपनी अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।
हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्‍योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।
हे बच्‍चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।
हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्‍तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से।
और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्‍तु प्रभु के लिये करते हो।
क्‍योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।
क्‍योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २६-२७
  • मरकुस २

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

हर भय पर जयवंत भय

जौन हौपकिन्स विश्वविद्यालय के एक डॉकटर के अनुसार, हमारे मस्तिष्क, नाड़ीतंत्र, कोषिकाओं, आत्मा - प्रत्येक चीज़ की रचना ऐसी हुई है कि वह "विश्वास" की स्थिति में ही सबसे बेहतर कार्य करती है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें ऐसा बनाया है कि हम तब ही अपनी सामर्थ की पराकाष्ठता तक पहुंच सकते हैं जब हम भय के विनाशकारी प्रभाव से मुक्त हों। परन्तु हम सब किसी न किसी भय से ग्रसित रहते हैं - दूसरों का भय, अपने आप का भय, भविष्य का भय, अतीत का भय, बेरोज़गारी का भय, लोगों की राय का भय - आदि, आदि कई तरह के भय हमें सताते रहते हैं।

बाइबल में कई तरह के भय मिलते हैं, और इन विभिन्न प्रकार के भय को वर्णित करने के लिये दो दर्जन से अधिक अलग अलग शब्द प्रयोग किये गए हैं। इन शब्दों द्वारा आतंक से लेकर कायरता तक हर प्रकर के भय की विवेचना करी गई है। लेकिन एक भय है जो स्वास्थवर्धक तथा सकारात्मक है - परमेश्वर का भय।

बाइबल इस भय के बारे में कहती है कि यह परमेश्वर का भय :
  • "बुद्धि का मूल है" (नीतिवचन १:७);
  • "पवित्र" है (भजन १९:९);
  • जो "दृढ़ भरोसा" देता है (नीतिवचन १४:२६);
  • जो "जीवन का सोता" है (नीतिवचन १४:२७)
  • और सबसे बढ़कर, यही एक ऐसा भय है जिसके आधीन हम अपने आप को स्वेच्छा से कर सकते हैं (नीतिवचन १:२९)।

परमेश्वर का भय परमेश्वर पर श्रद्धापूर्ण विश्वास करना है। मूसा ने यह भय दिखाया जब जलती झाड़ी से परमेश्वर ने उसे संबोधित किया, "तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता था अपना मुंह ढ़ाप लिया।" - निर्गमन ३:६

"यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है" (नीतिवचन ८:१३)। हम परमेश्वर के सम्मुख उसकी पवित्रता और महानता के भय में आएं, उसके वचन, उसकी प्रतिज्ञाओं और उसकी चेतावनियों का भय मानें और उन पर विश्वास करें।

परमेश्वर का भय मान कर ही हम परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त कर सकते हैं। यही वह भय है जो हर भय पर जयवंत है। - डेनिस डी हॉन


केवल परमेश्वर का भय ही मनुष्यों के भय से मुक्ति दे सकता है।

तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता या अपना मुंह ढ़ाप लिया। - निर्गमन ३:६

बाइबल पाठ: नीतिवचन २३:१५-२२

हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष करके मेरा ही मन आनन्दित होगा।
और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
क्योंकि अन्त में सुफल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;
क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पिनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।
अपने जन्माने वाले की सुनना, और जब तेरी माता बुढिय़ा हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २५
  • मरकुस १:२३-४५

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

यह मेरी ओर से है

एक छोटी लड़की का बड़ा भाई एक पहाड़ी के ऊपर चढ़कर खेल रहा था। उस लड़की ने भी अपने भाई के पास जाकर खेलना चाहा, लेकिन जब पहाड़ी पर चढ़ने के मार्ग को देखा तो निराश होकर पीछे हट गई। उसने विस्मय से कहा, "इस रास्ते में तो कोई भी सीधा और समतल मार्ग नहीं है, सारा मार्ग ढलवां और उबड़-खाबड़ और चट्टानों से भरा हुआ है।" उसके अनुभवी भाई ने उत्तर दिया, "हां, ऐसा ही है; अगर सारा मार्ग सपाट और समतल होता तो हम ऊपर कैसे पहुंचते? केवल इन चट्टानों के सहारे और उबड़-खाबड़ स्थानों में पांव जमाकर ही तो हम ऊपर की ओर चढ़ सकते हैं।" ऐसे ही परमेश्वर हमारे मार्गों में परेशनियां आ लेने देता है। जिन बातों को बहुतेरे लोग अवरोध कहते हैं वे वास्तव में परमेश्वर द्वारा बनाए गए ऊंचाई पर चढ़ने के साधन होते हैं, क्योंकि परमेश्वर हमें निरंतर आत्मिक ऊंचाईयों और आशीशों की ओर बढ़ता हुआ देखना चाहता है।

भजन ११९ के लेखक ने क्लेषों की पाठशाला में कुछ बहुमूल्य पाठ सीखे, और उन शिक्षाओं के सहारे वह इस भजन में परमेश्वर के कुशल मार्गदर्षक होने की गवाही रख सका। लेखक ने जाना कि उसके जीवन की कठिन परिस्थितियों के प्रगट कारण कुछ भी हों, हर बात परमेश्वर की ओर से और उसकी भलाई ही के लिये थी।

परमेश्वर जानता है कि वह क्या कर रहा है, और हम हर बात के लिये उसपर पूरा भरोसा कर सकते हैं। हमारे जीवन में आने या होने वाली हर बात या तो परमेश्वर की अनुमति द्वारा है या उसने भेजी है। उसने उस बात को हमारे अनुशसन और हमारे भले के लिये योजनाबद्ध किया है। हमारी कोई परिस्थिति उसके प्रेम की पहुंच के बाहर नहीं है।

इसलिये हम १ राजा १२:२४ में परमेश्वर के द्वारा कहे गए इन शब्दों से शांत और आश्वस्त रह सकते हैं : "...क्योंकि यह बात मेरी ही ओर से हुई है।" - बौश


क्लेषों द्वारा परमेश्वर हमें वे बातें सिखाता है जिन्हें हम किसी और रीति से नहीं सीख सकते।

हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपनी सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है। - भजन ११९:७५


बाइबल पाठ: भजन ११९:७३-८०

तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूं, मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं।
तेरे डरवैये मुझे देख कर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है।
हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपनी सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है।
मुझे अपनी करूणा से शान्ति दे, क्योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है।
तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।
अभिमानियों की आशा टूटे, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा।
जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।
मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २३-२४
  • मरकुस १:१-२२

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

बुराई में से भलाई

हमें कितना धन्यवादी होना चाहिये कि हम एक ऐसे परमेश्वर की उपासना और सेवा करते हैं जो सर्वसामर्थी, सर्वज्ञानी, प्रेमी और सार्वभौमिक है। उसकी निगरानी से कुछ नहीं छिपता, उसे रोक पाने की सामर्थ किसी में नहीं है। वह हर एक बात को लेकर उससे अपने बच्चों के लिये अन्ततः भला ही उत्पन्न कर देता है। यह यथार्थ न केवल हमें बड़ा हियाव, आनन्द और शांति देता है, वरन हमें हर एक बात के लिये परमेश्वर को धन्यवाद देने को प्रेरित भी करता है - "हर बात में धन्यवाद करो: क्‍योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्‍छा है।" - १ थिसुलिनिकियों ५:१८

अपनी पुस्तक "Vital Union With Christ" में ऐ. टी. पाएरसन ने लिखा : "परमेश्वर की योजना किसी बात को अन्देखा नहीं करती। सब बातें मिलकर भला ही उत्पन्न करती हैं - सब बातें, वे कठिनाईयां और परीक्षाएं भी जिनके लिये हम शिकायत करते हैं, कुड़कुड़ाते हैं। वे तूफान जो पेड़ों को झकझोर देते हैं वास्तव में उन्हें मिट्टी में और मज़बूती से जड़ पकड़ने में सहायक होते हैं। तपाए हुए लोहे पर पड़ने वाले घन की मार उसे टुकड़े टुकड़े नहीं करती वरन उसे और बेहतर और मज़बूत बना देती है। कला के आलोचक जौन रस्किन का कहना है कि जीवन में दुख और तकलीफ, बिमारी और निराशाओं के कारण आने वाली रुकावटें संगीत की लय में आने वाले पल भर के उस ठहराव की तरह हैं जो संगीत को और मधुर बना देता है। हमारा स्वर्गीय संगीतकार हमारे जीवन संगीत की लय का कोई सुर-ताल अधूरा या अकेला नहीं छोड़ता, वह एक से दूसरे को अद्भुत रीति से जोड़कर हमारे जीवन से विलक्षण संगीत उत्पन्न कर देता है।"

जब हम अपने प्रभु से प्रेम करते हैं, तो उसे हर बात के लिये धन्यवाद भी दें, उन बुरी लगने वाली बातों के लिये भी, जिन के द्वारा भी वह हमारी भलाई ही उत्पन्न कर रहा है। - रिचर्ड डी. हॉन


परमेश्वर हमें कई तंग गलियारों से निकलने देता है, क्योंकि वे सही मंज़िल की सही राह होते हैं।

हर बात में धन्यवाद करो: क्‍योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्‍छा है। - १ थिसुलिनिकियों ५:१८


बाइबल पाठ: १ थिसुलिनिकियों ५:१५-२४

सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो।
सदा आनन्‍दित रहो।
निरन्‍तर प्रार्यना मे लगे रहो।
हर बात में धन्यवाद करो: क्‍योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्‍छा है।
आत्मा को न बुझाओ।
भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो।
सब बातों को परखो: जो अच्‍छी हैं उसे पकड़े रहो।
सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।
शान्‍ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरिक्षित रहें।
तुम्हारा बुलाने वाला सच्‍चा है, और वह ऐसा ही करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २१-२२
  • मत्ती २८

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

केवल भलाई ही के लिये

चीन की एक कहानी है - एक मनुष्य अपने जीवनयापन के लिये घोड़े पालता था। एक दिन उसका एक कीमती और बहुत अच्छी नसल का घोड़ा भाग गया। उसके मित्र जन उसके इस नुकसान पर उसके पास शोक व्यक्त करने आए। जब वे अपना शोक व्यक्त कर चुके तो उस मनुष्य ने उनसे पूछा, "मैं कैसे जानूं कि यह मेरे नफे के लिये हुआ या नुकसान के लिये?" दो दिन के बाद उसका घोड़ा लौट आया और उसके साथ, उसके पीछे पीछे कई अन्य लावारिस घोड़े भी आ गए। अब फिर उसके मित्र आनन्द मनाने जमा हो गए। फिर उस मनुष्य ने वही प्रश्न किया, "मैं कैसे जानूं कि यह मेरे नफे के लिये हुआ या नुकसान के लिये?" उसी दोपहर को एक लावारिस घोड़े ने उस मनुष्य के बेटे को दुलत्ती मार कर उसकी टांग तोड़ दी। फिर मित्र शोक करने को जमा हुए, फिर वही सवाल उठा, "मैं कैसे जानूं कि यह मेरे नफे के लिये हुआ या नुकसान के लिये?" इसके कुछ दिन बाद युद्ध छिड़ गया और राजा ने सभी जवानों का फौज में भरती होने का आदेश निकलवा दिया। लेकिन टूटी टांग के कारण उसका पुत्र फौज और युद्ध में जाने से बच गया। फिर मित्र आए, फिर वही सवाल उठा.....

अपने सीमित मानवीय दृष्टिकोण के कारण हम जीवन की परिस्थितियों को सही रीति से नहीं आंक सकते। लेकिन मसीही विश्वासी के लिये बात बिलकुल भिन्न है - उसे परमेश्वर का आश्वासन है कि प्रत्येक बात और परिस्थिति के ज़रिये परमेश्वर उसकी भलाई ही का कार्य कर रहा है।

उस चीनी मनुष्य की तरह हमें हर बात के लिये प्रश्न करने कि आवश्यक्ता नहीं है कि "मैं कैसे जानूं कि यह मेरे नफे के लिये हुआ या नुकसान के लिये?" हमारे पास परमेश्वर का कभी न टलने कभी न बदलने वाला वायदा है "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती हैं; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।" (रोमियों ८:२८) - रिचर्ड डी हॉन


जिसे अविश्वासी "सौभाग्य" कहते हैं, मसीही विश्वासी उसे परमेश्वर से मिली परमेश्वर के प्रेम की सौगात जानते हैं।


और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती हैं; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों ८:२८


बाइबल पाठ: रोमियों ८:१८-२८

क्‍योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्‍लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं।
क्‍योंकि सृष्‍टि बड़ी आशाभरी दृष्‍टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।
क्‍योंकि सृष्‍टि अपनी इच्‍छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।
कि सृष्‍टि भी आप ही विनाश के दासत्‍व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्‍तानों की महिमा की स्‍वतंत्रता प्राप्‍त करेगी।
क्‍योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्‍टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं, और लेपालक होने की, अर्थत अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्‍तु जिस वस्‍तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही क्‍योकि जिस वस्‍तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्‍या करेगा?
परन्‍तु जिस वस्‍तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जाहते भी हैं।
इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १९-२०
  • मत्ती २७:५१-६६

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

नियंत्रण

सृष्टि का सृष्टिकर्ता परमेश्वर अपनी सृष्टि पर पूरा नियंत्रण रखता है। संसार इस सत्य को अन्देखा करता है या समझता नहीं; बिरले ही होते हैं जो परमेश्वर की सामर्थ को सही रीति से समझते हैं। अधिकांशतः संसार के लोग नहीं समझते कि मनुष्यों के जीवन और संसार की घटनाओं के पीछे एक नियंत्रित और संचालित करने वाला अदृश्य हाथ है - परमेश्वर का हाथ जो प्रत्येक नियति निर्धारित करता है।

दो ऐतिहासिक घटनाएं इस बात को भली भांति प्रमाणित करतीं हैं। रोमी शासक डोमिशियन ने सोचा कि प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना को पतमोस के टापू पर ’काला पानी’ की सज़ा भोगने के लिये निशकासित करने के द्वारा वह मसीही विश्वास के प्रसार में रोक लगा देगा। लेकिन उस टापू के एकांत में परमेश्वर ने यूहन्ना को स्वर्गीय दर्शन देकर अन्त के दिनों में होने वाली घटनाओं को प्रगट किया जो अब हमारे पास बाइबल की अन्तिम पुस्तक - प्रकाशितवाक्य के रूप में उपलब्ध है। डोमिशियन से पहले के एक और रोमी शासक अगस्तुस ने अपने राज्य की जन्गणना का आदेश दिया, जिस के कारण प्रभु यीशु के माता-पिता को नासरत से बेतेलेहम आना पड़ा, जहां यीशु का जन्म हुआ और परमेश्वर के वचन में उसके जन्म स्थान से संबंधित भविष्यवाणी पूरी हो गई। सब कुछ परमेश्वर के निर्देषानुसार ही पूरा हुआ।

जेम्स रसल लोवल ने अपने एक गीत में लिखा, "चाहे सत्य सदा फांसी के तख्त पर रहा और असत्य सिंहासनों पर विराजमान रहा; लेकिन वह सत्य ही है जो भविष्य को हिलाता है, और अज्ञात अनजाने भविष्य की परछाइयों में परमेश्वर खड़ा अपने लोगों पर पहरा देता रहता है।"

युगों के लिये परमेश्वर की योजना है - योजना जिसे वह पूरा भी करेगा। चाहे वर्तमान की घटनाएं यह आभास दें कि दुष्टता सत्य पर हावी है, अन्तिम निष्कर्ष परमेश्वर का ही होगा - वह पूर्णतः नियंत्रण में है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर की समयसूची चाहे धीमी चले, परन्तु वह अटल है और उसकी योजनाओं के अनुसार अग्रसर है।

निश्चय मनुष्य की जलजलाहट तेरी स्तुति का कारण हो जाएगी, और जो जलजलाहट रह जाए, उसको तू रोकेगा। - भजन ७६:१०


बाइबल पाठ: भजन ७६:७-१२

केवल तू ही भययोग्य है, और जब तू क्रोध करने लगे, तब तेरे साम्हने कौन खड़ा रह सकेगा?
तू ने स्वर्ग से निर्णय सुनाया है, पृथ्वी उस समय सुनकर डर गई, और चुप रही,
जब परमेश्वर न्याय करने को, और पृथ्वी के सब नम्र लोगों का उद्धार करने को उठा।
निश्चय मनुष्य की जलजलाहट तेरी स्तुति का कारण हो जाएगी, और जो जलजलाहट रह जाए, उसको तू रोकेगा।
अपने परमेश्वर यहोवा की मन्नत मानो, और पूरी भी करो, वह जो भय के योग्य है, उसके आस पास के सब उसके लिये भेंट ले आएं।
वह तो प्रधानों का अभिमान मिटा देगा, वह पृथ्वी के राजाओं को भययोग्य जान पड़ता है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १७-१८
  • मत्ती २७:२७-५०

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

उद्देश्य

हमारे जीवनों के लिये परमेश्वर की योजना है जो अपने प्रत्येक पहलू में सिद्ध है और हमारे लाभ के लिये है। सृष्टि का सार्वभौमिक सृष्टिकर्ता कुछ भी "संयोग" या "भाग्य" के लिये नहीं छोड़ता - प्रभु यीशु मसीह का जीवन इसका जीवन्त उदाहरण है। प्रभु यीशु का बेतेलेहम में शिशु के रूप में जन्म लेना, उसका जीवन, संसार में उसकी सेवकाई, उसकी मृत्यु, उसका पुनरुत्थान - सब कुछ परमेश्वर की योजना के अनुसर हुआ। यह दिखाने के लिये कि प्रभु यीशु अपने स्वर्गीय पिता की इच्छा को पूरा करने के लिये पूर्णतः समर्पित था, लूका लिखता है "जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उस ने यरूशलेम को जाने का विचार दृढ़ किया।" (लूक ९:५१) प्रभु यीशु की मृत्यु कोई "दुर्भाग्यवश" घटी हुई घटना नहीं थी - वह परमेश्वर की योजना के अन्तर्गत हुई थी और उसकी आज्ञा का पालन था - वह समस्त संसार के प्रत्येक जन के पापों के लिये अपने प्राण देने आया था।

इसी प्रकार यह भी उतना ही सत्य है कि प्रत्येक मसीही विश्वासी का जीवन परमेश्वर द्वारा किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये बनाया गया है। प्रसिद्ध प्रचारक और बाइबल शिक्षक सी. एच. स्पर्जन ने कहा था, "मैं यह कभी मान नहीं सकता कि परमेश्वर ने कोई मनुष्य, विशेष कर मसीही मनुष्य को निरुद्देश्य बनाया है, और वह अपना जीवन बिना किसी मकसद के व्यतीत करने के लिये है। उसने आप को एक उद्देश्य के अन्तर्गत बनाया है। उस उद्देश्य का पता कीजिए और फिर अपने निर्धारित उद्देश्य को पूरा कीजिए।"

हमें अपने जीवन की घटनाओं को स्वर्गीय दृष्टिकोण से देखना चाहिये। हमारे जीवनों के लिये परमेश्वर की एक योजना है। जब हम यह जान लेंगे तो उस योजना को पूरा करने और उसकी आज्ञाकारिता द्वारा उसकी सेवा और उसकी महिमा करने को भी तत्पर रहेंगे।

हमारा जीवन न तो व्यर्थ है न निरुद्देश्य। हम जहां भी हैं, वहां परमेश्वर ने हमें एक उद्देश्य के अन्तर्गत रखा है - उस उद्देश्य को पहिचानिये और उसकी पूर्ति में संलग्न होकर अपने जीवन को साकार कीजिए। - पौल वैन गौर्डर


कर्तव्य पूर्ति हमारे लिये है, उनके परिणाम देना परमेश्वर के लिये।


....मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्‍द सुनता है। - यूहन्ना १८:३७

बाइबल पाठ: यूहन्ना १८:३३-३७

तब पीलातुस फिर किले के भीतर गया और यीशु को बुलाकर, उस से पूछा, क्‍या तू यहूदियों का राजा है?
यीशु ने उत्तर दिया, क्‍या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या औरों ने मेरे विषय में तुझ से कही?
पीलातुस ने उत्तर दिया, क्‍या मैं यहूदी हूं? तेरी ही जाति और महायाजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा, तू ने क्‍या किया है?
यीशु ने उत्तर दिया, कि मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्‍तु अब मेरा राज्य यहां का नहीं।
पीलातुस ने उस से कहा, तो क्या तू राजा है? यीशु ने उत्तर दिया कि तू कहता है, क्‍योंकि मैं राजा हूं; मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्‍द सुनता है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १५-१६
  • मत्ती २७:१-२६

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

बुद्धिमान योजनाकार

जब प्रसिद्ध चित्रकार और शिल्पकार माईकिलऐंजलो भव्य भवन "St. Peter's Cathedral" पर कार्य कर रहे थे, तो उसके साथ काम करने वाले अन्य लोग उसकी आलोचना करने लगे। उस महान कलाकर ने उन्हें कहा "यदि मैं जो कर रहा हूँ वह तुम्हें समझा भी सकूँ - जो मैं नहीं कर सकता - तौ भी मैं ऐसा करने के लिये बाध्य नहीं हूँ। मैं तुम से केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि मेरी भरसक सहायता करो, और जब काम पूरा हो जाएगा तो तुम्हारी समझ भी आ जाएगा।" इतिहास इस बात का गवाह है कि वह सही था। जो उसके काम की आलोचना कर रहे थे वे अपने अज्ञान के कारण ऐसा कर रहे थे; क्योंकि महान कलाकार के मन की बात वे समझ नहीं पा रहे थे, वे पूरी तस्वीर और उसकी सुन्दरता की कलपना भी नहीं कर पा रहे थे।

कुछ ऐसा ही परमेश्वर की योजनओं के साथ भी है। हमारे सीमित दृष्टिकोण के कारण हमें बहुत सी बातें अनियंत्रित और अनायास प्रतीत होती हैं। जो लोग क्लेष, विरोध और परीक्षाओं से होकर निकलते हैं उनके लिये कई बार परमेश्वर के कार्य और योजनाएं समझ से बाहर होती हैं, लेकिन हमारा स्वर्गीय पिता चाहता है कि चाहे हम उसे और उसके कार्यों को न भी समझ सकें, लेकिन उस पर भरोसा बनाए रखें। क्योंकि परमेश्वर सब कुछ जानता है और आखिरकर उसकी योजना और कार्य का परिणाम भला ही होगा और हम एक दिन परमेश्वर के बुद्धिमान योजनाओं में आनन्दित होंगे।

स्तुति गीतों के लेखक विलियम काउपर ने सर्वज्ञानी और सर्वसामर्थी परमेश्वर की अद्भुत और समझ से परे योजनाओं के लिये अपने एक गीत में लिखा "परमेश्वर रहस्यमय तरीकों से अपने अद्भुत कार्य करता है; वह अपने कदम परिस्थितियों के समुद्र पर स्थिर रखता है और जीवन के तूफानों पर सवारी करता है।"

हमारा परमेश्वर एक बुद्धिमान योजनाकार है, उस पर और उसकी योजनओं पर विश्वास बनाए रखें। - रिचर्ड डी हॉन


जब परमेश्वर कुछ अद्भुत करना चाहता है तो अकसर मुश्किलों से आरंभ करता है।

परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ, और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा। - अय्युब २३:१०



बाइबल पाठ:
अय्युब १:१३-२२, ४२:१२-१७

१:१३-२२

एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे।
तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, हम तो बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास चर रही थीं,
कि शबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला, और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, कि परमेश्वर की आग आकाश से गिरी और उस से भेड़-बकरियां और सेवक जलकर भस्म हो गए, और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, कि कसदी लोग तीन गोल बान्धकर ऊंटों पर धावा करके उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला, और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, तेरे बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे,
कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचणड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुंड़ाकर भूमि पर गिरा और दणडवत करके कहा,
मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।
इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।


४२:१२-१७

और यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी, और उसके चौदह हजार भेंड़ बकरियां, छ:हजार ऊंट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियां हो गईं।
और उसके सात बेटे ओर तीन बेटियां भी उत्पन्न हुई।
इन में से उस ने जेठी बेटी का नाम तो यमीमा, दूसरी का कसीआ और तीसरी का केरेन्हप्पूक रखा।
और उस सारे देश में एंसी स्त्रियां कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों, और उनके पिता ने उनको उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी।
इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया।
निदान अय्यूब वृद्धावस्था में दीर्घायु होकर मर गया।


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १४
  • मत्ती २६:५१-७५

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

सब बातों द्वारा भलाई

युसुफ के भाईयों ने उस की इमानदारी और खराई के कारण उससे बैर रखा और उसे मार डलने की योजना बनाई, फिर उसे दास होने के लिये बेच दिया, और वह दास बनाकर मिस्त्र ले जाया गया। लेकिन मिस्त्र में युसुफ वहां के शासक फिरौन का विश्वासपात्र बना और फिरौन ने उसे अपने बाद देश के दूसरे शासक होने का पद दिया और युसुफ की सूझ बूझ द्वारा मिस्त्र भयंकर अकाल का सामना कर सका और वहां भोजन सामग्री उपलब्ध रही। उस अकाल के समय यूसुफ के भाई मिस्त्र से भोजन लेने आये, वे यह नहीं जानते थे कि यूसुफ जीवित है और वह ही भोजन सामग्री के वितरण को नियंत्रित करता है। उन्होंने उसे नहीं पहचाना, लेकिन बाद में यूसुफ ने अपने आप को उनपर प्रगट किया और उनसे कहा: "अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे आगे से भेज दिया है।" ( उत्पत्ति ४५:५) और बाद में उनहें फिर दिलासा दी: "यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था, परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं।" ( उत्पत्ति ५०:२०)

मैं परमेश्वर का बहुत धन्यवादी और उससे आश्वस्त हूँ कि उसकी सामर्थ और बुद्धिमता के कारण उसके कोई भी उद्देश्य कभी विफल नहीं होते; यहां तक की वह लोगों के षड़यंत्रों और नुकसान की योजनाओं से भी भलाई उत्पन्न कर सकता है। मेरे लिये उसकी यह सामर्थ कि चाहे कोई मेरी कैसी भी बुराई करने का प्रयत्न करे, मेरा परमेश्वर मेरे लिये उसमें से भी मेरे लिये भलाई और अपनी महिमा उत्पन्न कर देगा बहुत उत्साहित, आश्वस्त और प्रोत्साहित करने वाली है।

जब हम परिस्थितियों, चुनौतियों और क्लेशों के कारण निराश हों तो हम परमेश्वर की बुद्धिमता, सामर्थ और सार्वभौमिकता में विश्वास रख कर आनन्दित हो सकते हैं - वह हमारे लिये सब बातों द्वारा हमारी भलाई ही करवा रहा है "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती हैं, अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।" (रोमियों ८:२८) - रिचर्ड डी हॉन


ठोकर खाकर अटक जाना परमेश्वर द्वारा किसी नए और उत्तम मार्ग के खोले जाने का सूचक हो सकता है।

यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था, परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति ५०:२०


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ४५:१-८

तब यूसुफ उन सब के साम्हने, जो उसके आस पास खड़े थे, अपने को और रोक न सका और पुकार के कहा, मेरे आस पास से सब लोगों को बाहर कर दो। भाइयों के साम्हने अपने को प्रगट करने के समय यूसुफ के संग और कोई न रहा।
तब वह चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा : और मिस्रियों ने सुना, और फिरौन के घर के लोगों को भी इसका समाचार मिला।
तब यूसुफ अपने भाइयों से कहने लगा, मैं यूसुफ हूं, क्या मेरा पिता अब तब जीवित है? इसका उत्तर उसके भाई न दे सके क्योंकि वे उसके साम्हने घबरा गए थे।
फिर यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, मेरे निकट आओ। यह सुनकर वे निकट गए। फिर उस ने कहा, मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूं, जिसको तुम ने मिस्र आनेहारों के हाथ बेच डाला था।
अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे आगे से भेज दिया है।
क्योंकि अब दो वर्ष से इस देश में अकाल है और अब पांच वर्ष और ऐसे ही होंगे, कि उन में न तो हल चलेगा और न अन्न काटा जाएगा।
सो परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे आगे इसी लिये भेजा, कि तुम पृथ्वी पर जीवित रहो, और तुम्हारे प्राणों के बचने से तुम्हारा वंश बढ़े।
इस रीति अब मुझ को यहां पर भेजने वाले तुम नहीं, परमेश्वर ही ठहरा: और उसी ने मुझे फिरौन का पिता सा, और उसके सारे घर का स्वामी, और सारे मिस्र देश का प्रभु ठहरा दिया है।


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १३
  • मत्ती २६:२६-५०

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

स्त्रोत

इंगलैंड के ब्रिस्टॉल शहर में जौर्ज म्यूलर २००० बच्चों के लिये अनाथालय चलाते थे। एक शाम, यह जानकर कि बच्चों के प्रातः के नाशते तक के लिये अनाथालय में भोजन सामग्री नहीं बची है, उन्होंने अपने सहकर्मियों को बुलाया, और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। उसके बाद वे सब प्रार्थना करने बैठे। जब दो, तीन जन प्रार्थना कर चुके तो जौर्ज म्यूलर ने कहा कि "इतना काफी है, अब आईये उठकर प्रार्थना का उत्तर देने के लिये परमेश्वर का धन्यवाद करें"; इसके बाद वे सब अपने अपने स्थानों को विश्राम के लिये चले गये। प्रातः होने पर जब उन्होंने अनाथालय का प्रवेश द्वार खोलने का प्रयास किया तो किसी चीज़ के दबाव के कारण वे उसे खोलने नहीं पाये। कारण जांचने के लिये वे पिछले दरवाज़े से बाहर निकले और अनाथालय का चक्कर लगा कर प्रवेश द्वार पर पहुंचे और कारण देखा - भोजन से भरे हुए कई टोकरे जो द्वार से सटाकर रखे गए थे, जिससे द्वार खुल नहीं पा रहा था। बाद में अनाथालय के एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम यह तो जानते हैं कि यह सब भोजन किसने भेजा, बस यह नहीं जानते कि यहां तक लेकर कौन आया।"

यदि हम मसीही विश्वासी अपने जीवन में होने वाली अनपेक्षित घटनाओं के पीछे चलने वाली प्रक्रिया को देख सकते तो पाते कि सब कुछ परमेश्वर द्वारा अद्भुत रीति से नियंत्रित और संचालित है। वह अपने प्रत्येक सन्तान की प्रत्येक आवश्यक्ता को जानता भी है और उसे पूरा करने का इंतज़ाम भी करता है। परमेश्वर कई प्रकार के सन्देशवाहक और साधन अपनी आशीशें अपने बच्चों तक पहुंचाने के लिये प्रयोग करता है। चाहे हम उसके छिपे हुए हाथ को कार्य करते नहीं देख पाते, लेकिन वह सदा हमारे लिये कार्यरत रहता है। कभी कभी हमें लगता है कि हम अपने संसाधनों के बिल्कुल अंत पर आ गये हैं, परन्तु आश्वस्त रहिये, आप का स्वर्गीय पिता स्थिति को भली भांति जानता है, और यह भी कि आपको कब किस चीज़ की आवश्यक्ता है।

जब हम स्त्रोत को जानते हैं और उस पर विश्वास रखते हैं, तो हमें उसके द्वारा उपलब्ध कराने के माध्यम, विधि और समय के लिये चिंतित या विचिलित होने की आवश्यक्ता नहीं है। हमारा दिव्य स्त्रोत ही हमारे मसीही विश्वासी जीवन में शांति और सन्तुष्टि का कारण है। - पौल वैन गौर्डर


परमेश्वर अकसर अपनी सहायता मनुष्यों द्वारा ही उपलब्ध कराता है।

...और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं। - मत्ती ६:३२


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२४-३४

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा। तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है, क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं।
इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ११-१२
  • मत्ती २६:१-२५

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

आवश्यक्ताएं या अभिलाषाएं?

लेखक और वक्ता चार्ल्स एलन ने अपनी पुस्तक God's Psychiatry में एक रोचक सत्य कथा लिखी है: जब दूसरा विश्वयुद्ध अपनी समाप्ति के निकट था, तब "मित्र देशों" की सेनाओं ने बहुत से अनाथ और भूखे बच्चों को विशेष कैम्पों में एकत्रित कर लिया, जहां उनकी अच्छे से देखरेख होती थी और भरपूरी से खाने को मिलता था। इतनी अच्छी देखभाल और भोजन के बावजूद भी उनमें से बहुतेरे बेचैन रहते और रात को ठीक से सो नहीं पाते थे। वे घबराये हुए और भयभीत प्रतीत होते थे। एक मनोवैज्ञनिक ने इसका कारण समझा और सुझाव दिया जो बहुत कारगर रहा। उसने कहा कि रात को सोने के लिये लेटते समय प्रत्येक बच्चे को ब्रैड का एक टुकुड़ा पकड़ने को दिया जाए। उन्हें इसे खाना नहीं था, केवल पकड़े रहना था और पकड़े पकड़े ही सो जाना था। हाथ में पकड़ी हुई रोटी के टुकड़े ने अद्भुत नतीजे दिखाए। बच्चे निष्चिंत होकर सो सके क्योंकि उन्हें अब विश्वास था कि उनके पास सवेरे के लिये रोटी है और कल उन्हें भूखा नहीं रहना होगा।

हम में से अधिकांश के पास आज और कल के लिये भी काफी भोजन और जीव्न की सभी आवश्यक्ताएं हैं। फिर भी उन बच्चों की तरह हम मन में बेचैन और परेशान रहते हैं। क्यों? या तो हम परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा नहीं रखते, या हमें लगता है कि जो कुछ हमारे पास है वह हमारी आवश्यक्ताओं के लिये काफी नहीं है।

हमने अभिलषाओं और आवश्यक्ताओं को एक दूसरे से बदल डाला है - अब हमें हमारी अभिलाषाएं ही आवश्यक्ताएं प्रतीत होती हैं, और उनकी पूर्ति की चिंता हमें बेचैन रखती है।

भजन ३७:४ "यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा" का परमेश्वर का वायदा भी इस बात को नहीं सिखाता कि परमेश्वर हमारी हर इच्छा को पूरी करने का आश्वासन देता है। यह वायदा एक सशर्त वायदा है - पहले हमें परमेश्वर यहोवा को अपने सुख का मूल मानना है, अर्थात परमेश्वर पर पूरा विश्वास, उससे पूरा प्रेम, उसकी पूरी आज्ञाकारिता; तब ही वह हमारी इच्छाओं को पूरा भी करेगा, क्योंकि तब हमारी इच्छाएं भी स्वतः ही परमेश्वर की इच्छाओं के अनुरूप हो जाएंगीं। सच्ची सन्तुष्टि इसी से मिलती है। - डेनिस डी हॉन


सच्ची सन्तुष्टी बड़ी दौलत रखने से नहीं अपितु छोटी अभिलाषाएं रखने से मिलती है।

यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। - भजन ३७:४


बाइबल पाठ: लूका १२:२२-३४

फिर उस [प्रभु यीशु] ने अपने चेलों से कहा: इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्‍या खाएंगे? न अपने शरीर की कि क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
कौवों पर ध्यान दो, वे न बोते हैं, न काटते, न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है, तौभी परमेश्वर उन्‍हें पालता है तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो?
सोसनों के पौधों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्र्म करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्‍यों न पहिनाएगा?
और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
क्‍योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
परन्‍तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
हे छोटे झुण्‍ड, मत डर क्‍योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्‍वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
क्‍योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ८-१०
  • मत्ती २५:३१-४६

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

न परमेश्वर है, न आलू!

एक कम्यूनिस्ट देश में एक सामाजिक संसाधन अधिकारी गांव के एक किसान के पास पहुंचा और उसकी आलू की फसल के बारे जानना चाहा। किसान ने कहा "फसल तो बहुत बढ़िया रही।" अधिकरी प्रसन्न होकर बोला, "बहुत अच्छे, बहुत अच्छे - कितनी फसल हुई?" किसान ने बोला, "ओह, फसल तो परमेश्वर जैसी बढ़िया हुई।" अधिकारी की भृकुटि तन गई और वह सखत भाव से बोला, "कॉमरेड, तुम्हें नहीं भूलना चहिये कि हम किसी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते और कोई परमेश्वर नहीं है।" किसान ने कहा, "जनाब आप सही कह रहे हैं, मैं भी वही कह रहा हूँ - न परमेश्वर है, न आलू!"

इस हास्य कथा में एक गहरा अर्थ छुपा है - परमेश्वर ही हर बात का स्त्रोत है - चाहे हम इसे माने या न माने। प्रेरित पौलुस ने अपने अविश्वासी श्रोताओं से कहा "क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" (प्रेरितों १७:२८)। उसने परमेश्वर के सृष्टि की रचना और संचालन के महान कार्यों को परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह में केंद्रित दिखाया (कुलुस्सियों १:१६-१८)। उसके बिना हम एक सांस भी नहीं ले सकते, हमारे शरीर कुछ नहीं कर सकते और हमारी प्रतिदिन की आवश्यक्ताएं पूरी नहीं हो सकतीं; कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन संभव नहीं है।

नास्तिकों ने अपने आप को कायल कर रखा है कि परमेश्वर नहीं है, लेकिन हम जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की संतान हैं, इससे भिन्न जानते हैं। लेकिन मुख्य प्रश्न तो यह है कि क्या हम अपने इस विश्वास को अपने जीवन द्वारा प्रदर्शित भी करते हैं?

प्रत्येक मसीही विश्वासी को प्रतिदिन अपनी प्रत्येक आवश्यक्ता के लिये अपने उद्धारकर्ता प्रभु पर आश्रित और आश्वस्त रहना चाहिये, और उसके अनुग्रहकारी हाथों से मिली अपनी प्रत्येक आशीश के लिये निरंतर उसका धन्यवादी और कृतज्ञ रहना चाहिए, और अपने जीवन से इस बात की गवाही संसार के समक्ष रखनी चाहिए। - डेनिस डी हॉन


संसाधनों और आवश्यक्ता पूर्ति की शेष कड़ियां किसी के भी हाथों में प्रतीत हों, पहली कड़ी सदा परमेश्वर ही के हाथ में होती है।

क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" - प्रेरितों १७:२८


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों १:९-१९

इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्‍छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्‍द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्‍त होती है।
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्‍तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है, वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
क्‍योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ६-७
  • मत्ती २५:१-३०

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

हस्ताक्षरित बलैंक चैक

पाद्री विलबर चैपमैन के परिवार में घटी एक त्रासदी के कारण उन्हें बहुत दूर की यात्रा करनी पड़ी। एक बैंक अधिकारी, जो उनके चर्च आया करता था, उनके यात्रा पर प्रस्थान से ठीक पहले उनसे मिला, और बात करते करते उनके हाथ में एक कागज़ पकड़ा दिया। जब चैपमैन ने उसे देखा तो वह उनके नाम पर बनाया गया चैक था जिसमें रकम तो नहीं भरी गई थी पर उस बैंक अधिकारी के हस्ताक्षर हो रखे थे। आश्चर्यचकित चैपमैन ने उस अधिकारी से पूछा, "यानि कि आप मुझे एक हस्ताक्षरित चैक दे रहें हैं जिस में मैं अपनी इच्छानुसर रकम भर कर बैंक से निकाल सकता हूँ?" उस अधिकरी ने कहा, "जी हां, क्योंकि मुझे पता नहीं कि आपको कितनी सहायता की आवश्यक्ता हो सकती है, इसलिये अपनी आवश्यक्ता अनुसार आप रकम भर कर इसे प्रयोग कर सकते हैं।" चैपमैन ने बड़े धन्यवाद सहित उस भेंट को स्वीकार करके अपने पास रख लिया।

बाद में उन्होंने बताया, "मुझे उस चैक से कोई पैसा निकलवाने की ज़रूरत तो नहीं पड़ी, लेकिन उस यात्रा में वह मेरे लिये बहुत सन्तुष्टि का कारण रहा। इस जानकरी ने कि कभी भी, मेरी आवश्यक्तानुसार धन मेरे लिये सहज ही उपलब्ध है, पूरी यात्रा में एक सुखदायक अनुभूति बनाए रखी।"

यद्यपि मनुष्य के संसाधन परमेश्वर के संसधनों के सामने तो कुछ भी नहीं हैं, तौभी यह कथा इस तथ्य को समझने में हमारी सहायता करती है कि प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर के अपार संसाधन उसके लोगों के लिये उपलब्ध हैं। इस विष्य में हमारे मन में यदि कभी कोई संदेह या चिंता आए तो हमें फिलिप्पियों ४:१९ को देख लेना चहिये - परमेश्वर द्वारा हस्ताक्षरित बलैंक चैक, जो उसने अपने विश्वास्योग्य और आज्ञाकरी जन के लिये तैयार करके दे रखा है; जो इस बात की गारंटी है कि परमेश्वर के महिमामय संसाधन कभी कम नहीं होते।

हम मसीही विश्वासी इस बलैंक चैक पर भरोसा रख सकते हैं क्योंकि हस्ताक्षर करने वाला स्वयं परमेश्वर है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वरीय संसाधन कभी क्षय नहीं होते।

और मेरा परमश्‍ेवर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। - फिलिप्पियों ४:१९


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१०-१९

मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है, निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं क्‍योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।
तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए।
और हे फिलप्‍पियों, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहायता नहीं की।
इसी प्रकार जब मैं यिस्‍सलुनीके में था तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्‍या वरन दो बार कुछ भेजा था।
यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्‍तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए।
मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्‍तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्‍हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है।
और मेरा परमश्‍ेवर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ४-५
  • मत्ती २४:२९-५१

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

यहोवा यिरे

एक नवविवाहिता युवती ने अपने कुछ मित्रों को भोजन पर बुलाया। कुछ आवश्यक वस्तुओं की कमी को देखकर वह अपनी पड़ौसिन के पास उन्हें उससे उधार लेने के लिये गई। उसकी मांगी हुई वस्तुओं को देने के बाद पड़ौसन ने, जो मेज़बानी में अनुभवी थी, उससे पूछा "क्या यह काफी होगा, या तुम्हें किसी अन्य चीज़ की भी आवश्यक्ता होगी?" युवती ने कहा "मुझे लगता है कि यह काफी होगा।" तब उसकी पड़ौसन ने कुछ और वस्तुएं भी अपने पास से उसे निकाल कर दीं और कहा कि इन्हें भी रख लो, तुम्हें इनकी भी आवश्यक्ता पड़ेगी। बाद में उस युवती ने बहुत धन्यवादी मन से कहा "भला हुआ कि मैं किसी ऐसे के पास गई जो मेरी आवश्यकता को जानती थी, मेरी सहायता करने को तत्पर थी और उसने मुझे वह दिया जिस की मुझे आवश्यक्ता थी, न कि वह जो मैं चाहती थी।"

यह उदाहरण परमेश्वर का हमारे प्रति बर्ताव का कितना अच्छा चित्रण है। बाइबल के पुराने नियम में परमेश्वर के नाम "यहोवा" के साथ उसके किसी विशेष गुण को दर्शाने वाला शब्द जोड़कर उसके नाम के अर्थ को समझाया गया है। इब्राहिम ने जिस जगह बलिदान का मेढ़ा पाया, उस स्थान का नाम "यहोवा यिरे" अर्थात "परमेश्वर उपलब्ध करायेगा" रखा। यह दर्शाता है कि परमेश्वर हमारी आवश्यक्ताओं को पहले से जानता है और उनका प्रबंध भी करके रखता है।

आज भी, अपने पुत्र के बलिदान के द्वारा, उसने समस्त मानव जाति की सबसे बड़ी आवश्यक्ता - पापों से मुक्ति, का प्रबंध उपलब्ध करा रखा है। उसके पुत्र प्रभु यीशु में विश्वास के द्वारा न केवल हमको पापों से मुक्ति और उद्धार मिलता है, वरन परमेश्वर का आत्मा भी हमारे अन्दर आकर बसता है और हमें परमेश्वर की इच्छा पूरी करने की सामर्थ भी देता है।

"जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा।" - रोमियों ८:३२

यहोवा यिरे - उपलब्ध कराने वाला हमारा परमेश्वर। - पौल वैन गोर्डर


जिस काम के लिये परमेश्वर कहता है, उसकी आवश्यक्ताएं उपलब्ध भी कराता है।

और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। - उत्पत्ति २२:१४


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३४

इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍यों कर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १-३
  • मत्ती २४:१-२८

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

प्रभु संगति का भोज

एक बुज़ुर्ग दम्पति के पास आमदनी का कोई साधन नहीं था। उनका गुज़रा हर सप्ताह उनके चर्च में आने वाले एक व्यक्ति से मिलने वाली पैसों कि मदद से चलता था। एक इतवार की दोपहर को उस मददगार व्यक्ति को, जो वहां से कहीं दूर रहता था, उसी स्थान पर रहने की आवश्यक्ता हुई। उसने उस बुज़ुर्ग दम्पति से पूछा, "क्या आज प्रातः की आराधना सभा के बाद मैं आपके साथ भोजन के लिये आ सकता हूँ?" उस दम्पति ने अपने पास उस दोपहर के भोजन के लिये घर में बची सामग्री के बारे में सोचा - थोड़ी सी बासी ब्रेड, थोड़ा सा मक्खन और एक ज़रा सा पनीर का टुकड़ा। लेकिन उस व्यक्ति ने तुरंत ही उनसे कहा, "चिंता मत कीजिए, मैं अपने साथ भोजन लाया हूँ और वह हम तीनों के लिये काफी होगा।" उस दोपहर उन तीनो ने मिलकर घर की बनी ताज़ी रोटी और मक्खन और कई प्रकार की उत्तम भोजन सामग्री, जो काफी मात्रा में थी, का आनन्द लिया। यह व्यक्ति न केवल उनके साथ भोजन करने आया था, वरन अपने साथ उत्तम भोजन भी लेकर आया था।

यह दर्शाता है हमारे साथ हमारे उद्धरकर्ता प्रभु यीशु के संबंध को। प्रभु यीशु न केवल हमारे संग संगति रखना चाहता है, परन्तु हमारी हर आवश्यक्ता को भी पूरा करना चाहता है। जब हम उसे अपने हृदय में आमंत्रित करके उसके साथ हो जाते हैं तो वह अपनी आशीशें भी हमारे जीवन में भर देता है।

हमारे पास तो सिवाय अपनी आत्मिक बदहाली के, उसके समने रखने को और कुछ भी नहीं है, लेकिन वह अपने अनुग्रह की बहुतायत साथ लेकर आना चाहता है।

कैसा धन्य है उसके साथ हमें संगति करने का सौभाग्य, कितनी धन्य हैं वे बहुतायत की आशीशें जो वह हमारे लिये लेकर हमारे निमंत्रण की प्रतीक्षा में खड़ा है। - पौल वैन गोर्डर


अनुग्रह परमेश्वर की वह बहुतायत है जो वह सर्वथा अयोग्य व्यक्तियों को भी अपने बड़े प्रेम में होकर सेंतमेंत देता है।

...मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ। - प्रकाशितवाक्य ३:२०


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२

और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्‍चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्‍तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३९-४०
  • मत्ती २३:२३-३९

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

हमारा उपलब्ध कराने वाला परमेश्वर

इब्राहिम की मनोस्थिति का अन्दाज़ा कीजिए जब परमेश्वर ने उससे कहा कि अपने पुत्र इसहाक को बलिदान कर दे। ज़रा विचार कीजिए कि इब्राहिम के अन्दर कैसी भावनाएं चल रही होंगी जब वह मोरिय्यह के पर्वत पर अपने पुत्र के साथ, परमेश्वर की आज्ञा अनुसार उसे बलिदान करने को चढ़ रहा था, और जब उसके पुत्र ने उससे पूछा कि बलि का मेढ़ा कहां है? लेकिन परमेश्वर पर इब्राहिम का विश्वास ज़रा नहीं डगमगाया, और उसने अपने पुत्र से कहा, कि परमेश्वर मेढ़ा भी उपलब्ध कराएगा। इब्रहिम सही था। जब इब्राहिम ने अपने पुत्र को वेदी पर रख दिया और उसे बलिदान करने के लिये अपना हाथ उठाया, ऐन मौके पर परमेश्वर ने उसका हाथ रोक कर, वहां झाड़ी में फंसा बलिदान का मेढ़ा उसे दे दिया। इब्राहिम ने उस स्थान का नाम "यहोवा यीरे" रखा, जिसका अर्थ है "परमेश्वर उपलब्ध कराएगा।"

आज भी वह उपलब्ध कराने वाला परमेश्वर है। एक चिकित्सक दम्पति डॉ. रौबर्ट शिंडलर और उनकी पत्नि मेरियन ने लाईबीरिया देश में ELWA रेडियो स्टेशन के साथ मिलकर एक मिशन अस्पताल खोला। उन्होंने लिखा कि, "हमारे लिये यह एक प्रतिदिन निरंतर विश्वास से चलने और काम करने की बात थी कि मरीज़ों के इलाज के लिये हमारी सभी सही आवश्यक्ताएं सही समय पर पूरी भी हो जाएंगी। हमें याद है कि हम अपनी एक्स-रे मशीन पर कितना निर्भर थे, एक ऐसी बुनियादी सुविधा जिसे हम अपने देश में कोई खास महत्व नहीं देते, लेकिन उस स्थान पर हमारे लिये वह बहुत बहुमूल्य थी। जब अमेरीकी दूतावास में चिकित्सक के पद पर कार्य कर रहा हमारा एक मित्र हमें मिलने आया और उसने हमें एक सचल एक्स-रे मशीन भेंट देने का प्रस्ताव किया, तो हम बहुत उत्सहित हुए। लेकिन महीनों बीतने पर भी जब कोई मशीन नहीं आई तो हमारी उम्मीद धूमिल हो गई और हमने सोच लिय कि वह कहीं समुद्र् में खो गई होगी। फिर एक दिन हमारी एकलौती एक्स-रे मशीन ने भी काम करना बन्द कर दिया। लेकिन उस ही दोपहर को ELWA का एक बड़ा सा ट्रक एक बड़े से क्रेट को लेकर हमारे अस्पताल पर आकर रुका। जी हां, आपका अन्दाज़ा सही है, उसमें वह सचल एक्स-रे मशीन थी जिसका हमें महीनों से इंतिज़ार था। हमारे विश्वासयोग्य परमेश्वर ने ऐन मौके पर हमारी आवश्यक्ता को उपलब्ध करवा दिया।"

हे प्रभु आपका धन्यवाद हो कि आप हमारे "उपलब्ध करवाने वाले परमेश्वर" हैं। - डेव एगनर


परमेश्वर की देने की क्षमता हमारी आव्श्यक्ताओं से सदा बड़ी रहती है।

इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा। - उत्पत्ति २२:८


बाइबल पाठ: उत्पत्ति २२:१-१४

इन बातों के पश्चात्‌ ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि हे इब्राहीम, उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
उस ने कहा, अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा।
सो इब्राहीम बिहान को तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली, तब कूच करके उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उस से की थी।
तीसरे दिन इब्राहीम ने आंखें उठाकर उस स्थान को दूर से देखा।
और उस ने अपने सेवकों से कहा गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहां तक जाकर, और दण्डवत करके, फिर तुम्हारे पास लौट आएंगे।
सो इब्राहीम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपने हाथ में लिया, और वे दोनों एक साथ चल पड़े।
इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, हे मेरे पिता, उस ने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है? उस ने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं, पर होमबलि के लिये भेड़ कहां है?
इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा।
सो वे दोनों संग संग आगे चलते गए। और वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया या पहुंचे; तब इब्राहीम ने वहां वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बान्ध के वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया।
और इब्राहीम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे।
तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे इब्राहीम, हे इब्राहीम; उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
उस ने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर : क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।
तब इब्राहीम ने आंखे उठाई, और क्या देखा, कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में फंसा हुआ है : सो इब्राहीम ने जाके उस मेंढ़े को लिया, और अपने पुत्र की सन्ती होमबलि करके चढ़ाया।
और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३६-३८
  • मत्ती २३:१-२२

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

ईमानदारी की ज़िम्मेवारी

काश यह संभव होता कि मैं सच्चे मन से कह पाता कि मैंने सदा अपना कहा हर वचन सच्चाई से निभाया है। मैं चाहता हूं कि मैं यह दावा कर सकूं कि मैंने अपने जीवन में और कुछ चाहे किया हो या न किया हो, परन्तु अपने वचन का पालन अवश्य किया है। लेकिन सच्चाई यही है कि मैं यह दावा नहीं कर सकता। न केवल मैंने उन को दुख दिया है जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया, लेकिन अपने वायदे न निभा के अपने परमेश्वर को भी दुखी किया है।

परमेश्वर चाहता है कि मैं जो करने का वायदा करता हूं, वह करूं भी। भजन १५ इस विष्य में सन्देह का कोई स्थान नहीं छोड़ता। इस भजन में लिखा है कि परमेश्वर जिस मनुष्य के साथ रहना चाहता है उसका चरित्र और व्यवहार कैसा होता है: वह अपने चाल चलन में खरा, पूरे मन से ईमानदार, दूसरों के विष्य में झूठा नहीं, और जो कहे उसको सम्पूर्णतः निभाने वाला - चाहे इसके लिये उसे पीड़ा अथवा हानि ही क्यों न उठानी पड़े।

परमेश्वर ने अपने बड़े प्रेम में होकर मेरे पाप क्षमा किये हैं, और आज तक मेरे प्रति अपने प्रत्येक वायदे में पूर्णतः ईमानदार और विश्वासयोग्य रहा है। समय और परिस्थिति के कारण कभी उसे अपने वायदे टालने या बदलने का प्रयास नहीं किया, यहां तक कि मेरे उद्धार के लिये उसने अपने एकलौते पुत्र को भी बलिदान कर दिया।

परमेश्वर ने पाप को दण्डित करने, लेकिन फिर भी जिस किसी ने भी उस पर विश्वास करके उससे क्षमा मांगी, उसके प्रति दयावन्त होकर उसे क्षमा करने की अपनी वचबध्दता सदा निभाई है, चाहे उस व्यक्ति के पाप कैसे भी जघन्य क्यों न रहे हों, चाहे वह व्यक्ति अपनी दृष्टि में भी क्षमा के योग्य न रहा हो।

क्योंकि मेरा परमेश्वर ईमानदार है और अपने वचन का पूर्णतः पालन करता है, मुझे भी उसका पुत्र और अनुयायी होने के नाते, ऐसा ही जीवन बिताना है। उसमें किये गए अपने विश्वास और उससे मिली पापों की क्षमा को यदि मैं अपने ईमानदार जीवन और खरे चरित्र द्वारा संसार के समक्ष न रखूं, तो मेरा उसका पुत्र और अनुयायी होने का दावा करना व्यर्थ है।

जिसने इतनी दया और करुणा मेरे प्रति दिखाई कि मेरे लिये अपने आप को ही दे दिया उसके प्रति यह मेरी ईमानदारी की ज़िम्मेवरी है। - मार्ट डी हॉन


एक चीज़ है जिसे मसीही विश्वासी देकर भी रख सकता है - अपना वचन।

हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा?...जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठाना पड़े। - भजन १५:१, ४

बाइबल पाठ: भजन १५

हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?
वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है;
जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्र की बुराई करता, और न अपने पड़ोसी की निन्दा सुनता है;
वह जिसकी दृष्टि में निकम्मा मनुष्य तुच्छ है, और जो यहोवा के डरवैयों का आदर करता है, जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठाना पड़े;
जो अपना रूपया ब्याज पर नहीं देता, और निर्दोष की हानि करने के लिये घूस नहीं लेता है। जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३४-३५ मत्ती
  • २२:२३-४६

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

सम्पूर्ण्तः विश्वासयोग्य

एक अधेड़ दम्पत्ति अपने शहर से बाहर छुट्टियां बिताने के लिये निकले। उनके नवविवाहित पुत्र और पुत्रवधु ने उनसे वायदा किया कि उनके पीछे वे दोनो उनके घर का ध्यान रखेंगे। उस अधेड़ दम्पत्ति को बाहर गए कुछ ज़्यादा समय नहीं बीता था कि उन्हें अपने घर की चिंता सताने लगी - यदि उनके पुत्र और पुत्रवधु लापरवाह रहे और घर का ध्यान नहीं रखा तो? यदि उन्होंने समय से डाक नहीं देखी और उनके कुछ चैक खो गए तो? यदि बच्चों ने समय से और ठीक से बगीचे की घास नहीं काटी तो पड़ौसी क्या सोचेंगे - आदि आदि कई चिंताएं सारी छुट्टी उनके मन में घर करे रहीं, और वे अपनी छुट्टी का ज़रा भी आनन्द नहीं लेने पाए।

जब वे घर लौटे तो पाया कि उनकी हर चिंता व्यर्थ थी, उनके पुत्र और पुत्रवधु ने अपना वायदा निभाया था और उनके पीछे घर की देखभाल बहुत अच्छे से की थी। तब उन्हें एहसास हुआ कि वे कितने मूर्ख थे और कैसे व्यर्थ ही चिंता करके अपनी सारी छुट्टियां खराब करते रहे।

कितनी ही बार हम मसीही विश्वासी भी परमेश्वर के वायदों पर पूरा भरोसा न करके, अपने जीवन को नाहक चिंताओं में व्यर्थ गंवाते रहते हैं। परमेश्वर अवश्य ही अपना प्रत्येक वायदा पूरा करता है।

यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा: "घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।" (यशायाह ४०:८)

जो वायदे परमेश्वर ने अपने बच्चों, अपने विश्वासियों से किये और जिनसे हम विश्वासियों का ढाढ़स बन्धता है, उनमें से कुछ ये हैं:
  • मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह ४१:१०
  • जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है। - यशायाह ५४:१७
  • धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्त यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है। - भजन ३४:१९
  • क्योंकि यहोवा परमेश्वर सूर्य और ढाल है, यहोवा अनुग्रह करेगा, और महिमा देगा; और जो लोग खरी चाल चलते हैं उन से वह कोई अच्छा पदार्थ रख न छोड़ेगा। - भजन ८४:११

जिन्हें व्यर्थ शक करने और घबराए रहने की व्याधि है, वे परमेश्वर के किसी एक वायदे को थाम कर तो देखें कि परमेश्वर कैसा विश्वासयोग्य है। - डेव एगनर


हमारा चिंता करना इस बात का प्रमाण है कि हम अपनी समस्याओं पर अधिक और परमेश्वर के वायदों पर भरोसा कम रखते हैं।

मैं अपनी वाचा न तोडूंगा, और जो मेरे मुंह से निकल चुका है, उसे न बदलूंगा। - भजन ८९:३४


बाइबल पाठ: भजन ८९:३०-३७

यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें और मेरे नियमों के अनुसार न चलें,
यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, और मेरी आज्ञाओं को न मानें,
तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से, और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूंगा।
परन्तु मैं अपनी करूणा उस पर से न हटाऊंगा, और न सच्चाई त्यागकर झूठा ठहरूंगा।
मैं अपनी वाचा न तोडूंगा, और जो मेरे मुंह से निकल चुका है, उसे न बदलूंगा।
एक बार मैं अपनी पवित्राता की शपथ खा चुका हूं मैं दाऊद को कभी धोखा न दूंगा।
उसका वंश सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी।
वह चन्द्रमा की नाईं, और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी की नाईं सदा बना रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३१-३३
  • मत्ती २२:१-२२

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

कुछ भी असंभव नहीं

परमेश्वर हमारी प्रत्येक आवश्यक्ता को पूरी कर सकता है। उसके लिये कुछ भी असंभव नहीं है। सारा को यह सत्य सीखना था।

परमेश्वर द्वारा इब्राहीम से उसकी सन्तान के लिये किया गया वायदा उत्पत्ति १७:२१ में लिखा है। इससे अगले अध्याय में, यही वायदा उससे फिर से दोहराया गया जब इब्राहीम अपने डेरे के बाहर परमेश्वर के तीन दूतों से बात कर रहा था। उस समय सारा डेरे के अन्दर इस वार्तालाप को सुन रही थी। उसे अपने बुढ़ापे की अवस्था में पुत्र होने की बात असंभव लगी, "सो सारा मन में हंस कर कहने लगी, मैं तो बूढ़ी हूं, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा? तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, सारा यह कह कर क्यों हंसी, कि क्या मेरे, जो ऐसी बुढिय़ा हो गई हूं, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा? क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? नियत समय में, अर्थात वसन्त ऋतु में, मैं तेरे पास फिर आऊंगा, और सारा के पुत्र उत्पन्न होगा। " (उत्पत्ति १८:१२-१४)

मसीही विश्वासी होने के नाते हमें भी परमेश्वर की ओर से यही आश्वासन है - "क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है?" इब्राहिम का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर है और वह सर्वशक्तिमान है। वह सृष्टि का सृष्टिकर्ता है, उसकी सामर्थ से बढ़कर कोई और सामर्थ नहीं है। कोई समस्या उसे विसमित नहीं कर सकती, कोई अवरोध उसे रोक नहीं सकता। हमारा स्वर्गीय पिता प्रत्येक परिस्थिति को नियंत्रित करता है। इस सत्य से हमें कैसा अद्भुत विश्वास और कैसी अद्भुत दिलासा मिलती है।

हमारा सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता परमेश्वर सार्वभौमिक है और सब कुछ कर सकता है। जब हम अपनी आवश्यक्ताएं, प्रार्थना में अपने स्वर्गीय पिता के सामने रखते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे उसकी इच्छा के अनुरूप हैं, तो उसका आश्वासन हमारे साथ है कि उसका हमारे लिये कुछ भी करना असंभव नहीं है। - रिचर्ड डी हॉन


असंभव के लिये भी परमेश्वर पर भरोसा रखकर ही हम परमेश्वर की सामर्थ को आंक सकते हैं।

क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? - उत्पत्ति १८:१४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १८:१-१४

इब्राहीम मम्रे के बांजो के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया:
और उस ने आंख उठाकर दृष्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरूष उसके साम्हने खड़े हैं: जब उस ने उन्हें देखा तब वह उन से भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिर कर दण्डवत की और कहने लगा,
हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है तो मैं बिनती करता हूं, कि अपने दास के पास से चले न जाना।
मैं थोड़ा सा जल लाता हूं और आप अपने पांव धोकर इस वृक्ष के तले विश्राम करें।
फिर मैं एक टुकड़ा रोटी ले आऊं और उस से आप अपने जीव को तृप्त करें, तब उसके पश्चात्‌ आगे बढें: क्योंकि आप अपने दास के पास इसी लिये पधारे हैं। उन्होंने कहा, जैसा तू कहता है वैसा ही कर।
सो इब्राहीम ने तम्बू में सारा के पास फुर्ती से जाकर कहा, तीन सआ मैदा फुर्ती से गून्ध, और फुलके बना।
फिर इब्राहीम गाय बैल के झुण्ड में दौड़ा, और एक कोमल और अच्छा बछड़ा लेकर अपने सेवक को दिया, और उसने फुर्ती से उसको पकाया।
तब उस ने मक्खन, और दूध, और वह बछड़ा, जो उस ने पकवाया था, लेकर उनके आगे परोस दिया, और आप वृझ के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे।
उन्होंने उस से पूछा, तेरी पत्नी सारा कहां है? उस ने कहा, वह तो तम्बू में है।
उस ने कहा मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊंगा, और तब तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा। और सारा तम्बू के द्वार पर जो इब्राहीम के पीछे था सुन रही थी।
इब्राहीम और सारा दोनो बहुत बूढ़े थे, और सारा का स्त्रीधर्म बन्द हो गया था;
सो सारा मन में हंस कर कहने लगी, मैं तो बूढ़ी हूं, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?
तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, सारा यह कह कर क्यों हंसी, कि क्या मेरे, जो ऐसी बुढिय़ा हो गई हूं, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा?
क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? नियत समय में, अर्थात वसन्त ऋतु में, मैं तेरे पास फिर आऊंगा, और सारा के पुत्र उत्पन्न होगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २९-३०
  • मत्ती २१:२३-४६