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सोमवार, 31 जनवरी 2011

विश्वासयोग्य वचनदाता

मान लीजिए कि कोई बहुत धनी व्यक्ति आप को आश्वासन दे कि "मैं ने तुम्हारे लिये २५ लाख रुपये अलग रखे हैं और भविष्य में किसी दिन तुम्हें वे मिल जाएंगे" तो उन रुपयों की प्रतीक्षा में आप अधीर तो हो सकते हैं पर आप वायदा करने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा के आधार पर जानते और मानते हैं कि रुपये आपको कभी न कभी अवश्य मिलेंगे। किंतु यदि उसी व्यक्ति ने आप से यह कहा होता कि "यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भविष्य मे शायद मैं तुम्हें कभी २५ लाख रुपये देने का विचार करुंगा" तो आप को वह रुपये पाने की कोई विशेष आशा नहीं होती, क्योंकि रुपयों का मिलना बहुत सी अनिश्चितताओं पर निर्भर हो जाता।

परमेश्वर के विधान में भी ऐसा ही है। उसकी प्रतिज्ञाएं भी स्वर्गीय समयकाल में पूरी हैं, और क्योंकि हम अभी अधूरा ही जानते हैं, इसलिये हमें उनके पूरा होने का सही समय पता नहीं है। लेकिन यह चिंता का विष्य नहीं है क्योंकि हमें पता है कि परमेश्वर अपना वायदा सदा पूरा करता है। उसके वायदे की कीमत कभी कम नहीं होती क्योंकि उन वायदों का आधार उसके चरित्र का असीम धन है। वह कभी बदलता नहीं, कभी भूलता नहीं। हमें उसके वायदों के पूरे होने में विलम्ब तो प्रतीत हो सकता है, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि उसका प्रत्येक वायदा उसके वचन के समान खरा है।

हम में से बहुतों को कभी न कभी यह अनुभव अवश्य हुआ होगा कि किसी बात के लिये हम अपने सभी उपाय और संसाधन आज़्मा कर के निरुपाय हो चुके थे और तभी अचानक अद्भुत रीति से परमेश्वर ने सही समय पर अपनी सही सामर्थ प्रकट करी और हमें उस परिस्थिति से निकाल लिया। वह न धीमा था और न ढीला, सहायता का उसका समय और तरीका है और वह उसी के अन्तर्गत काम करता है।

इसलिये हमें विलम्ब के आभास से हतोसाहित नहीं होना चाहिये। हम बस उसके वायदों को स्मरण करते रहें और वह अपने समय और तरीके से उन्हें पूरा करता रहेगा। वह सम्पूर्ण रीति से विश्वासयोग्य वचनदाता है। - पौल वैन गौर्डर


मसीही विश्वासी का भविष्य परमेश्वर के वचन जैसा ही ज्योतिर्मान है।

और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें, क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है। - इब्रानियों १०:२३


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:१९-२५
सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है।
जो उस ने परदे अर्थात अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकरी है।
तो आओ हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये ह्रृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं।
और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें, क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है।
और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें।
और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २५-२६
  • मत्ती २०:१७-३४

रविवार, 30 जनवरी 2011

सम्पूर्ण वज़न

मुझे बुज़ुर्ग चाचा औस्कर की प्रथम हवाई यात्रा की कहानी बहुत पसन्द है। उन्हें सदा ही हवाई यात्रा से डर लगता था और वे कभी हवाई जहाज़ पर जाने को तैयार नहीं होते थे। बड़ी मुश्किल से आखिरकर वे हवाई यात्रा के लिये मान गए। यात्रा के बाद उनके मित्रों ने पूछा, "क्यों, क्या हवाई यात्रा में मज़ा आया?" तो चाचा ने उत्तर दिया, "चलो, वैसे तो मैं जैसा सोचता था उतनी बुरी तो नहीं थी, लेकिन मैं यह भी बता दूं कि मैंने अपना पूरा भार उस जहाज़ पर नहीं डाला था।"

ऐसे ही हम में से कई मसीही भी हैं। मसीही विश्वासी होने के नाते हम जानते हैं कि हमारे पाप क्षमा हो गए हैं और हमें स्वर्ग जाने के अटल आश्वासन का आनन्द है, लेकिन इससे आगे हम प्रभु पर अपने प्रतिदिन के जीवन के लिये विश्वास नहीं करते। हम अपने प्रतिदिन की आवश्यक्तओं के लिये प्रभु पर निर्भर रहने का विश्वास नहीं जुटा पाते और उन्हें स्वयं अपनी सामर्थ और सूझ-बूझ से ही पूरी करना चाहते हैं - हम अपना पूरा वज़न प्रभु पर नहीं डाल देते। नतीजा होता है हमारे अन्दर भय, शक, अनिश्चितता घर बना लेतीं है, चिंताएं हमें घेरे रहती हैं और हम अपनी मसीही यात्रा का पूरा आनन्द नहीं उठाने पाते। कैसी विचित्र बात है, हमें प्रभु पर अनन्तकाल के लिये तो सम्पूर्ण भरोसा है, लेकिन अभी और यहां के लिये नहीं।

यदि हम प्रभु पर भविष्य की अपनी अनन्त नियति के लिये भरोसा रख सकते हैं, तो वर्तमान पर क्यों नहीं? वर्तमान के लिये भी हमें उसके वचन पर उतना ही भरोसा होना चाहिये, जितना भविष्य के लिये। जैसे अब्राहम अपने विश्वास में खरा रहा और डगमगाया नहीं, वैसे ही हमें भी अपने विश्वास में स्थिर रहना चाहिये।

यदि हम चिंता और भय के बोझ तले दबे हैं तो हम चाचा औस्कर के समान हैं - अपना पूरा बोझ डालने से डरने वाले। इसके बजाए हमें अब्राहम की तरह होना चाहिये जिसने "न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की।" (रोमियों ४:२०)

जी हां, परमेश्वर सम्पूर्ण रीति से हर बात के लिये विश्वास योग्य है। हम निडर होकर उसपर अपना पूरा वज़न डाल सकते हैं। - रिचर्ड डी हॉन


सच्चा विश्वास यह जानता है कि परमेश्वर जो कहता है सदैव वह करता भी है।

और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की। - रोमियों ४:२०


बाइबल पाठ: रोमियों ४:१६-२५

इसी कारण वह विश्वास के द्वारा मिलती है, कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि प्रतिज्ञा सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्था वाला है, वरन उन के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास वाले हैं: वही तो हम सब का पिता है।
जैसा लिखा है, कि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है उस परमश्‍ेवर के साम्हने जिस पर उस ने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं।
उस ने निराशा में भी आशा रख कर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो।
और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जान कर भी विश्वास में निर्बल न हुआ।
और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ हो कर परमेश्वर की महिमा की।
और निश्‍चय जाना, कि जिस बात की उस ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है।
इस कारण, यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
और यह वचन, कि विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना गया, न केवल उसी के लिये लिखा गया,
वरन हमारे लिये भी जिन के लिये विश्वास धामिर्कता गिना जाएगा, अर्थात हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिस ने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया।
वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २३-२४
  • मत्ती २०:१-१६

शनिवार, 29 जनवरी 2011

सृष्टि की पाठशाला, परमेश्वर के अनपहचाने करिशमे

एक इंजीनियर श्री टी. सी. रोडी ने लिखा, "मेरे घर के आंगन में छः विशाल Oak (बांज) वृक्ष हैं जो १०० वर्ष से भी अधिक पुराने होंगे। उनके तले से लेकर चोटी तक के प्रत्येक पत्ते को हरा भरा रखने के लिये प्रतिदिन भारी मात्रा में उन तक पानी पहुंचाने की आवश्यक्ता होती है। एक इंजीनियर होने के नाते मैं जानता हूं कि मनुष्य द्वारा अभिकल्पित अथवा निर्मित ऐसा कोई भी पानी चढ़ाने का पम्प नहीं है जो इतना पानी इन पेड़ों के सघन लकड़ी के तने में से होकर इतनी ऊँचाई तक प्रवाहित कर सके, और वह भी लगातार, अविराम, बिना किसी खराबी या रखरखाव की आवश्यक्ता के। यदि पानी के प्रवाह में तने की लकड़ी के प्रतिरोध को ना भी लिया जाए, तो भी प्रत्येक पेड़ की जड़ों को ज़मीन से चोटी तक पानी चढाने के लिये ३,००० पौंड प्रति वर्ग फुट से अधिक के दबाव को पार करना होगा। लेकिन फिर भी यह परमेश्वर का अद्भुत करिशमा है कि जड़ें इतना पानी जमा भी करतीं हैं और उसे प्रत्येक पत्ते तक भी पहुंचाती हैं, बिल्कुल शांत और सहज रीति से, और हमें पता भी नहीं चलता।"

यह परमेश्वर के अनपहचाने करिशमों का केवल एक उदाहरण है। ऐसे न जाने कितने, और इससे भी न जाने कितने जटिल और कई उदाहरण सृष्टि की पाठशाला में विद्यमान हैं। परमेश्वर के इन्हीं अनपहचाने करिशमों के कारण हमारा जीवन प्रतिदिन पृथ्वी पर संभव है। प्रतिदिन परमेश्वर हमें अनगिनित आशीशों से नवाज़ता है और हम उन्हें ’प्रकृति के कार्य’ कह कर हलके में टाल जाते हैं, परमेश्वर को धन्यवाद देना तो दूर, बहुतेरे तो उसके असतित्व से ही इन्कार कर जाते हैं। लेकिन परमेश्वर का धैर्य और प्रेम फिर भी सबके प्रति बना रहता है और वह जीवन की आवश्यक्ताएं प्रदान करता रहता है।

प्रकृति परमेश्वर में हमारे विश्वास को बढ़ाती है। हज़ारों साल पहले परमेश्वर ने बुज़ुर्ग और निसन्तान अब्राहम से कहा कि आकाश की ओर देख और सितारों की संख्या पर ध्यान दे, जैसे तारे अनगिनित हैं वैसे ही तेरे वंश के लोग भी अनगिनित होंगे। वह बुज़ुर्ग समझ गया कि जो परमेश्वर उन अनगिनित सितारों को बना और चला सकता है, उस परमेश्वर के लिये उसकी बुज़ुर्गी में पुत्र देना कोई कठिन कार्य नहीं है। अब्राहम ने परमेश्वर की बात पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया। अब्राहम और उसकी पत्नि के बुढापे में उन्हें सन्तान हुई और आज उसका वंश इस्त्राएल के रूप में जाना जाता है।

जब कभी अपनी किसी समस्या के समाधान के लिये परमेश्वर पर विश्वास करना कठिन हो रहा हो तो सृष्टि की पाठशाला में जा कर प्रकृति के सृजनकर्ता और संचलाक परमेश्वर के अद्भुत कार्यों पर ध्यान कीजिए। विचार कीजिए कि जो इतना सब इतनी सहजता से बना और चला सकता है, उसके लिये आपकी समस्या क्या कठिन है? फिर अपने बच्चोंके लिये उसके वचन और हमारी पाठ्य पुस्तक - पवित्र शास्त्र बाइबल में दिये गये उसके वायदों और आश्वासनों को स्मरण कीजिए, आपका विश्वास स्वतः ही जाग उठेगा और चिंताएं जाती रहेंगीं। - डेनिस डी हॉन


जो कुछ मैं ने देखा है वह सब मुझे मेरे सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर प्रत्येक अन्देखी बात के लिये भी विश्वास रखने को प्रेरित करता है। - एमरसन

और उस ने उसको बाहर ले जा के कहा, आकाश की ओर दृष्टि कर के तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है ? फिर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा। - उत्पत्ति १५:५


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १५:१-६

इन बातों के पश्चात्‌ यहोवा को यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुंचा, कि हे अब्राम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा फल मैं हूं।
अब्राम ने कहा, हे प्रभु यहोवा मैं तो निर्वंश हूं, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्की एलीएजेर होगा, सो तू मुझे क्या देगा ?
और अब्राम ने कहा, मुझे तो तू ने वंश नहीं दिया, और क्या देखता हूं, कि मेरे घर में उत्पन्न हुआ एक जन मेरा वारिस होगा।
तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि यह तेरा वारिस न होगा, तेरा जो निज पुत्र होगा, वही तेरा वारिस होगा।
और उस ने उसको बाहर ले जा के कहा, आकाश की ओर दृष्टि कर के तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है? फिर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा।
उस ने यहोवा पर विश्वास किया और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २१-२२
  • मत्ती १९

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

ब्लोफिश जैसी पृवर्ती

एक समुद्री मछली - ब्लोफिश, मछुआरों के लिये कोई उपयोगिता नहीं रखती। ब्लोफिश का मुँह तो बड़ा सा होता है लेकिन शरीर जीर्ण चमड़े जैसा दिखने वाला और झुर्रीदार होता है। जब इस उलटा करके उसे ज़रा सा गुदगुदाओ तो वह अपने अन्दर हवा भर कर गेंद की तरह बड़ा सा गोलाकार स्वरूप ले लेती है।

कुछ लोग भी ऐसे ही हो सकते हैं - अपनी बघारने के लिये बड़ा मुँह किंतु अनाकर्षक जीवन। उनकी ज़रा सी प्रशंसा कीजिये, थोड़ा सा उनके अहम को गुदगुदाइये और वे फूल कर कुप्पा हो जाते हैं, घमंड से भर जाते हैं। वे फूली हुई ब्लोफिश के समान ही होते हैं - केवल दिखने में बड़े परन्तु अन्दर से केवल हवा। उनमें कुछ भी सार्थक नहीं होता।

यह व्याधि और भी कई रूप ले लेती है जिनके परिणाम बहुत गंभीर होते हैं। उदाहरण स्वरूप उन मसीही लोगों को देखिये जिन्हें पौलुस प्रेरित ने १ कुरिन्थियों ५ अध्याय में संबोधित किया - वे व्यभिचार से समझौता करे बैठे थे। अपने मध्य में विद्यमान ऐसे पाप पर दुखी होने कि बजाए, वे उसपर घमंड कर रहे थे (१ कुरिन्थियों ५:२)। यह उनकी आत्मिक अपरिपक्क्वता और उनमें विद्यमान शारीरिकता के लक्षण थे - उन बातों के लिये गर्व करना जिनके लिये दुखी होना चाहिये।

परमेश्वर चाहता है कि हम मसीह में बने रहें न कि घमंड में। परमेश्वर की सन्तान का व्यवहार लगातार वैसा होना चाहिये जैसा पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखा था। उसने कहा "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।" (फिलिप्पियों २:३)

यदि हम इस बात को गंभीरता से लेंगे और मानेंगे तो हमारे जीवनों में ब्लोफिश जैसी पृवर्ती नहीं होगी। - पौल वैन गौर्डर


हम अपना आकार जितना छोटा करेंगे, अपना काम करने के लिये परमेश्वर को उतना स्थान अधिक मिलेगा।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। - फिलिप्पियों २:३


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-८

सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।
जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १९-२०
  • मत्ती १८:२१-३५

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

आपका मार्गदर्शक कौन है?

अंग्रज़ी भाषा की एक मशहूर कविता "Invictus" में एक जगह कहा गया है "अपने भाग्य का स्वामी मैं स्वयं हूं; अपनी आत्मा का मर्गदर्शक भी मैं ही हूं।" यह मनोहर कविता तो हो सकती है परन्तु बहुत खतरनाक विचारधारा है। यदि हम अपने जीवनों को स्वयं नियंत्रित करने का प्रयास करेंगे तो अन्त विनाश ही होगा।

एक युवक लड़कपन से ही नाविक बन गया और अपने इस व्यवसाय में बहुत शीघ्र उन्नति भी प्राप्त करता गया, और कुछ समय में ही उसे एक पानी के जहाज़ का कपतान बना दिया गया। एक यात्रा के अन्त में, जब वह तट के निकट पहुंच रहा था तो एक यात्री, जो पानी के जहाज़ के संचालन की विधियों को जानता था, उसके पास आया और उससे कहा कि "क्या यह बेहतर नहीं होगा कि अभी लंगर डाल कर, बन्दरगाह में प्रवेश करने के लिये सहायता ले ली जाए।" उस युवक कपतान ने कहा "मेरे लिये नहीं। मैं स्वयं अपना संचालक हूं। प्रातः के ज्वार के प्रवाह के साथ मैं बन्दरगाह में प्रवेश कर जाऊंगा।" यह जान कर कि अपनी बात को रखने के लिये उसे शेष दूरी जल्दी तय करनी पड़ेगी, उसने बन्दरगाह में प्रवेश के लिये कम दूरी पर स्थित एक संकरा मुहाना चुना। उसके साथ के अनुभवी नाविकों ने अचंभे में अपना सिर हिलाया, साथ के अन्य यात्रियों ने भी चौड़ा मुहाना चुनने की सलाह दी। लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी, वरन उन पर हंस कर प्रातः के ज्वार के साथ तट पर होने के अपने दावे को दोहरया। प्रातः होने पर वह तट पर तो था, लेकिन उस का जहाज़ टूट गया था और उसका अपना जीवन नष्ट हो गया था, पानी में बहकर उसकी लाश ही तट पर पहुंची थी। इस बड़े और दुखदायी विनाश कारण केवल उसका हठीला दंभ ही था।

समय के सागर पर होकर अनन्तकाल के तट की ओर हमारी जीवन यात्रा भी किसी अनुभवी संचालक की सहायता के बिना बहुत जोखिम से भरी है। उसे ही अपना संचालक बनाईये जो मृत्यु के पार होकर वापस आया है। वह ही इस लोक और परलोक का मार्ग जानता है तथा आपको सुरक्षित पार उतार सकता है। यदि प्रभु यीशु आपका मार्गदर्शक नहीं है तो स्वर्गीय तट पर आपका पहुंचना असंभव है। इस सृष्टि के रचियता के हाथों में अपने इस लोक और परलोक की बागडोर देकर सुरक्षित हो जाईये। - पौल वैन गौर्डर


जो अपना मार्गदर्शन स्वयं करते हैं उनका अनुयायी भी एक मूर्ख ही होता है।

नाश होने से पहिले मनुष्य के मन में घमण्ड, और महिमा पाने से पहिले नम्रता होती है। - नीतिवचन १८:१२


बाइबल पाठ: १ शमुएल २:१-१०

और हन्ना ने प्रार्थना करके कहा, मेरा मन यहोवा के कारण मगन है, मेरा सींग यहोवा के कारण ऊंचा, हुआ है। मेरा मुंह मेरे शत्रुओं के विरूद्ध खुल गया, क्योंकि मैं तेरे किए हुए उद्धार से आनन्दित हूं।
यहोवा के तुल्य कोई पवित्र नहीं, क्योंकि तुझ को छोड़ और कोई है ही नहीं; और हमारे परमेश्वर के समान कोई चट्टान नहीं है।
फूल कर अहंकार की और बातें मत करो, और अन्धेर की बातें तुम्हारे मुंह से न निकलें क्योंकि यहोवा ज्ञानी ईश्वर है, और कामों को तौलने वाला है।
शूरवीरों के धनुष टूट गए, और ठोकर खाने वालों की कटि में बल का फेंटा कसा गया।
जो पेट भरते थे उन्हें रोटी के लिये मजदूरी करनी पड़ी, जो भूखे थे वे फिर ऐसे न रहे। वरन जो बांझ थी उसके सात हुए, और अनेक बालकों की माता घुलती जाती है।
यहोवा मारता है और जिलाता भी है, वही अधोलोक में उतारता और उस से निकालता भी है।
यहोवा निर्धन करता है और धनी भी बनाता है, वही नीचा करता और ऊंचा भी करता है।
वह कंगाल को धूलि में से उठाता और दरिद्र को घूरे में से निकाल खड़ा करता है, ताकि उनको अधिपतियों के संग बिठाए, और महिमायुक्त सिंहासन के अधिकारी बनाए। क्योंकि पृथ्वी के खम्भे यहोवा के हैं, और उस ने उन पर जगत को धरा है।
वह अपने भक्तों के पावों को सम्भाले रहेगा, परन्तु दुष्ट अन्धियारे में चुपचाप पड़े रहेंगे क्योंकि कोई मनुष्य अपने बल के कारण प्रबल न होगा।
जो यहोवा से झगड़ते हैं वे चकनाचूर होंगे, वह उनके विरूद्ध आकाश में गरजेगा। यहोवा पृथ्वी की छोर तक न्याय करेगा और अपने राजा को बल देगा, और अपने अभिषिक्त के सींग को ऊंचा करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १६-१८
  • मत्ती १८:१-२०

बुधवार, 26 जनवरी 2011

स्वस्थ नज़रिया

जब कभी भी हम दूसरों को नीचा दिखाकर अपने आप को ऊंचा उठाना चाहते हैं, तो अन्ततः नतीजा हानिकारक ही होता है। यह बात एक नीतिकथा द्वारा स्पष्ट करी गई है: अपने तालाब में से एक बैल को पानी पीते देख कर एक छोटा मेंढक घबरा गया और तुरंत फुदक कर अपने दादा जी के पास उन्हें बताने के लिये पहुंचा। दादा जी ने उसकी बात सुनकर ठान लिया कि उनके पोते की दृष्टि में उसके दादा से बड़ा कोई नहीं होना चाहिये। इसलिये उस बुज़ुर्ग मेंढक ने अपने आप को फुलाया और पोते से पूछा, "क्या वह इससे भी बड़ा था?" पोते ने उत्तर दिया, "जी हां दादा जी, और भी बहुत बड़ा।" दादा जी ने अपने को और फुलाया और फिर वही प्रशन किया, और वही उत्तर मिला। बुजुर्ग मेंढक यह बर्दाशात नहीं कर सका, अपने आप को बड़ा बनाने के लिये वह स्वयं को इतना फूलाता गया कि वह फट गया।

अपने बारे में एक स्वस्थ नज़रिया रखना अच्छा है, लेकिन स्वस्थ और सच्चा नज़रिये और घमंड से फूल जाने में बहुत अन्तर है। परमेश्वर द्वारा जैसा और जितना हमें बनाया गया है, अपने आप को उससे अधिक आंकना खतरनाक साबित हो सकता है। अपने अहम को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम जो कुछ करें, हमारी जो भी उपलबधी हो, हम उसे अपने प्रति परमेश्वर के अनुग्रह का प्रतिफल जाने। ऐसा करने से ही हम व्यर्थ फूलने और अपने अहम को बढ़ाने की मूर्खता से बचे रहेंगे।

पौलुस प्रेरित ने इसे बहुत स्पष्ट रीति से कहा: "क्‍योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।" (रोमियों १२:३)

यदि हम अपने आप को फुलाते ही रहेंगे तो परिमाण से बाहर होकर फट पड़ेंगे। - पौल वैन गौर्डर


उपयोग होने लायक छोटा रहना ही परमेश्वर की दृष्टि में बड़ा होना है।

क्‍योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है। - गलतियों ६:३


बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्‍योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्‍तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
क्‍योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १४-१५
  • मत्ती १७

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

मधु से मीठा

मोनटाना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस धारणा को चुनौती दी कि व्यायाम से पहले शक्कर की अधिक मात्रा वाला नाशता लेने से शरीर को शीघ्र उर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने लम्बी दूरी की दौड़ में भाग लेने वाले धावकों का व्यायाम के लिये उपयोग होने वाली स्थावर साईकिलों पर परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि जिन धावकों ने परीक्षण से पहले शक्कर रहित पेय पिये थे वे, उनके मुकाबले जिन्होंने शक्कर युक्त पेय लिये थे, २५ प्रतिशत अधिक देर तक साईकिल चला सके। उनके परीक्षणों का निष्कर्ष था कि खिलाड़ियों के लिये बेहतर होगा यदि वे व्यायाम से पहले किसी शक्कर युक्त नाशते का उपयोग न करें।

राजा सुलेमान ने भी शहद के अत्याधिक सेवन के उदाहरण को लिया, एक और गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचने के लिये - आत्मप्रशंसा के मधुर स्वाद में रत हो जाना। नीतिवचन के २५वें अध्याय में इस बुद्धिमान राजा ने आत्मप्रशंसा और घमंड के लिये दो चेतावनियां दीं (पद १४, २७)। लोगों में अपनी महिमा के प्रयास में लगे रहना निकट भविष्य के संदर्भ में तो अच्छा लग सकता है, लेकिन दीर्घ कालीन संदर्भ में यह हानिकारक ही होता है।

आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को निरंतर लेते रहने से अधिक किसी अन्य में हमें अन्दर से कमज़ोर करने की क्षमता नहीं। कितना भला हो यदि हम मधु से मीठे इस आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को तज कर परमेश्वर के प्रति विश्वास और अनुशासन में बने रहें। ऐसा करने से ही हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने की सच्ची भीतरी सामर्थ पा सकते हैं। - मार्ट डी हॉन


जब घमंड जीवन से बाहर निकलता है, तब ही परमेश्वर पर विश्वास अन्दर आता है।

जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं। - नीतिवचन २५:२७


बाइबल पाठ: नीतिवचन २५:१४-२८

जैसे बादल और पवन बिना वृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।
क्या तू ने मधु पाया? तो जितना तेरे लिये ठीक हो उतना ही खाना, ऐसा न हो कि अधिक खाकर उसे उगल दे।
अपने पड़ोसी के घर में बारम्बार जाने से अपने पांव को रोक ऐसा न हो कि वह खिन्न होकर घृणा करने लगे।
जो किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी देता है, वह मानो हथौड़ा और तलवार और पैना तीर है।
विपत्ति के समय विश्वासघाती का भरोसा टूटे हुए दांत वा उखड़े पांव के समान है।
जैसा जाड़े के दिनों में किसी का वस्त्र उतारना वा सज्जी पर सिरका डालना होता है, वैसा ही उदास मन वाले के साम्हने गीत गाना होता है।
यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना, और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना;
क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा।
जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है।
लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है।
जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।
जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं।
जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १२-१३
  • मत्ती १६

सोमवार, 24 जनवरी 2011

एंड्रोमिडा का दृष्टिकोण

बीसवीं सदी के आरंभिक समय में अमेरिका के राष्ट्रपति थियोडोर रूज़्वेल्ट अपने मित्र के साथ प्रति रात्रि एक नियत कार्य करते थे। लेखक लेस्ली बी. फ्लिन ने इस के बारे में लिखा कि "रात को अपने विचार-विमर्श और बातचीत पूरी करने के बाद, यदि आसमान साफ होता तो वे दोनों बाहर जाते और आकाश के एक विशेष भाग पर अपनी दृष्टि करके खोजते रहते जब तक उन्हें एक धुंधला सा प्रकाश पुंज नहीं दिख जाता। जब वह दिख जाता तो वे दोनो एक साथ यह दोहराते ’वह छोटा सा दिखने वाला प्रकाश बिंदु एंड्रोमिडा नक्षत्र पुंज में स्थित स्पाइरल नक्षत्र समूह है। वह अकेला बिंदु हमारी आकाश गंगा नक्षत्र समूह जितना बड़ा है। वह करोड़ों नक्षत्र समूहों में से एक है और उसमें करोड़ों ऐसे सूर्य हैं जो हमारे सूर्य से कहीं बड़े हैं।’ फिर वे अन्त में कहते, ’अब जब हमने अपनी औकात समझ ली है, तो चलो अब दिन की समाप्ति करके सोने चलते हैं।’"

अहंकार सदा मसीही विश्वासी का शत्रु बना रहता है। उसके मन से गुपचुप भाव निकलते रहते हैं कि "मैं कितना महत्वपूर्ण हूं", या "मैं दूसरों से कितना अच्छा हूं।" हमें ऐसे सुझावों के फेर में आकर घमंड में गिर पड़ने से बचे रहना है, इससे पहले कि ऐसा कोई भी सुझाव मन में घर बनाए, उसे मन से उखाड़ फेंकना चाहिये। लगातार प्रार्थना, सदैव पवित्र आत्मा पर निरभर्ता और बाइबल के निरंतर अध्ययन से ही हम अपने संबंध में सही दृष्टिकोण रखने पाएंगे।

पौलूस एक ऐसा व्यक्ति था जिसके पास घमंड करने के लिये हम सब से अधिक करण थे, लेकिन उसने चिताया कि हम कभी अपने आप को हकीकत से अधिक बढ़ चढ़ कर न समझें (रोमियों १२:३)। राष्ट्रपति रूज़्वेल्ट के उदाहरण का अनुसरण करना अच्छा होगा। ’एंड्रोमिडा का दृष्टिकोण’ रखने से हम घमंड में गिरने से बचे रह सकते हैं। - डेव एगनर


मसीह की परछाईं में खड़े होने से हम अपने सही कद को देख सकते हैं।

विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन १६:१८


बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:१६-२२

बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।
बुराई से हटना सीधे लोगों के लिये राजमार्ग है, जो अपने चालचलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।
घमण्डियों के संग लूट बांट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।
जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ९-११
  • मत्ती १५:२१-३९

रविवार, 23 जनवरी 2011

औकात एवं घमंड

ब्रिटिश संसद के लिये एक नवनिर्वाचित व्यक्ति अपने परिवार को लंडन शहर दिखाने लाया, और बड़े घमंड से उन्हें लंडन का दौरा करवाने लगा। जब वे लंडन की भवय और विशाल वेस्टमिनिस्टर ऐब्बी में पहुंचे तो उसकी ८ वर्षीय पुत्री उस भवन की सुन्दरता और विशाल आकार देखकर भौंचक रह गई। उसकी इस प्रतिक्रिया पर उसके पिता ने गर्व से पूछा, "बेटी, तुम किस सोच में पड़ गईं?" उसने कहा, "पिताजी मैं सोच रही थी कि अपने घर में आप तो आप कितने बड़े लगते हैं लेकिन यहां इस भवन में कितने छोटे लग रहे हैं!"

घमंड अनजाने ही हमारे जीवनों मे घर बना लेता है और हमें पता भी नहीं चलता। जैसा हमें अपने आप को सोचना चाहिये, उस से अधिक कभी न सोचें (रोमियों १२:३)।

जब हम अपने ही दायरों में रहते हैं तो घमंडी हो जाना आसान होता है, लेकिन हमें अपनी औकात का पता तब ही चलता है जब हमें बड़े कामों, बड़ी परिस्थितियों, बड़ी चुनौतियों और बड़ी प्रतियोगिताओं का सामना करना पड़ता है। जैसे छोटे तालाबों में बड़ी बड़ी लगने वाली मछलियां सागर में पहुंच कर अपना असली आकार समझने पाती हैं, वैसे ही ऐसी बड़ी बातों के सम्मुख ही हमें अपनी असली औकात का पता चलता है।

परमेश्वर के वचन में जो एक बात स्पष्ट है वह यह कि उसे घंडियों से घृणा है। भजनकार ने परमेश्वर की अगुवाई में उसके संबंध में लिखा "...जिसकी आंखें चढ़ी हों और जिसका मन घमण्डी है, उसकी मैं न सहूंगा।" (भजन १०१:५); तथा याकूब ने कहा "...इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।" (याकूब ४:६)

यदि हम परमेश्वर के आत्मा के आगे दीन होकर उससे अनुरोध करें, तो वह हमारी वास्तविक स्थिति हमें दिखाने में हमारी सहायता करेगा और हमें घमंड से भी बचाए रखेगा। - रिचर्ड डी हॉन


जो परमेश्वर को जानते हैं वे नम्र रहेंगे, जो स्वयं अपनी हकीकत को जानते पहचानते हैं वे कभी घमंडी नहीं होंगे।

क्‍योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़ कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे। - रोमियों १२:३


बाइबल पाठ: याकूब ४:१-१०

तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्‍या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं, तुम हत्या और डाह करते हो, ओर कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकते, तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्‍छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
हे व्यभिचारिणयों, क्‍या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
क्‍या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्‍त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्‍या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ: तुम्हारी हंसी शोक में और तुम्हारा आनन्‍द उदासी में बदल जाए।
प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ७-८
  • मत्ती १५:१-२०

शनिवार, 22 जनवरी 2011

ऊंचा नाम करने की लालसा

एक साहसी व्यक्ति ने शिकागो शहर में स्थित १,४५४ फुट उंची स्टील और कांच से बनी इमारत ’सीयर्स टावर” पर उसकी बाहरी सतह पर से चढ़कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसे करने के लिये उसे ५० पौंड वज़न चढ़ाई की सामग्री ढोनी पड़ी और ४० किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से चलती हवा का सामना करके भी स्थिर रहना पड़ा। जब तक वह इमारत के शिखर पर पहुंचा, उसका नाम चारों ओर फैल चुका था। लेकिन शिखर पर पहुंचते ही पुलिस ने उसे पकड़ कर अनुचित व्यवहार तथा दूसरे की सम्पत्ति में बिना आज्ञा घुसने और नुकसान पहुंचने के अपराध में पकड़ कर जेल में डाल दिया। उसकी ख्याति कुछ ही पल की थी।

इस घटना ने मुझे बाइबल में उत्पत्ति ११ अध्याय में वर्णित लोगों की याद दिलाई जिन्होंने बेबल की मीनार बनाना आरंभ किया। उन बलवाई लोगों ने अपना नाम ऊंचा करने की ठान रखी थी। वह मीनार प्रतीक थी उनकी महत्वकांक्षाओं और परमेश्वर के विरुद्ध एक जुट होने की। उन्होंने ठाना था कि "...आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।" (उत्पत्ति ११:४) लेकिन परमेश्वर ने उनके स्वार्थी और परमेश्वर विरोधी इरादे सफल नहीं होने दिये। उसने उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दी जिससे उनका आपसी संबंध टुट गया और मीनार का बनना रुक गया।

कई बार मसीही विश्वासी भी अपना नाम ऊंचा करने की महत्वकांक्षा में पड़कर अपने जीवन में से परमेश्वर को उसके उचित स्थान से उतार देते हैं। ऐसा तब होता है जब वे परमेश्वर से अपना ध्यान खींच कर, अपनी सामर्थ पर भरोसा करके अपने व्यवसाय, अपनी धार्मिकता या समाज में अपना स्थान बनाने में संलगन हो जाएं और परमेश्वर के कार्यों को नज़रंदाज़ कर दें। यदि एक विश्ववासी के जीवन में परमेश्वर आदर नहीं पाएगा, तो उसका स्वयं का भी आदर जाता रहेगा।

सदा ध्यान रखिये, जब जब आप अपने जीवन में परमेश्वर को ऊंचा उठाएंगे, वह भी आपको संसार में ऊंचा करेगा; और यदि आपके जीवन में परमेश्वर का सम्मान नहीं रहेगा, तो परमेश्वर द्वारा संसार में आपका सम्मान भी जाता रहेगा। - मार्ट डी हॉन


यदि ऊंचा उठना चाहते हैं तो झुकना और नम्र होना सीखिये।

फिर उन्होंने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े। - उत्पत्ति ११:४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ११:१-९

सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा, और एक ही बोली थी।
उस समय लोग पूर्व की और चलते चलते शिनार देश में एक मैदान पाकर उस में बस गए।
तब वे आपस में कहने लगे, कि आओ हम ईंटें बना बना के भली भांति आग में पकाएं, और उन्होंने पत्थर के स्थान में ईंट से, और चूने के स्थान में मिट्टी के गारे से काम लिया।
फिर उन्होंने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।
जब लोग नगर और गुम्मट बनाने लगे तब इन्हें देखने के लिये यहोवा उतर आया।
और यहोवा ने कहा, मैं क्या देखता हूं, कि सब एक ही दल के हैं और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जितना वे करने का यत्न करेंगे, उस में से कुछ उनके लिये अनहोना न होगा।
इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।
इस प्रकार यहोवा ने उनको, वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया।
इस कारण उस नगर का नाम बाबुल पड़ा क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो गड़बड़ी है, सो यहोवा ने वहीं डाली, और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ४-६
  • मत्ती १४:२२-३६

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

उद्धारकर्ता मेमना और न्यायी सिंह

प्रभु यीशु हमारे पापों के लिये अपने प्राण देने आया, और जो कोई उस पर विश्वास लाता है, वह उसे पाप के दण्ड से बचा लेता है। लेकिन एक समय आएगा जब पृथ्वी के लोगों के लिये पापों से उद्धार के लिये दिया गया यह अवसर जाता रहेगा। तब वह मेमना जो पापों के लिये बलिदान हुआ, फिर सिंह बन कर न्याय सिंहासन पर बैठेगा, और जितनों ने उसके उद्धार के प्रस्ताव को ठुकराया था वे सब उसके न्याय के आधीन होंगे।

बाइबल शिक्षक और लेखक वॉरन रिस्बी ने अपनी एक पुस्तक "Discover Yourself in the Psalms" में एक प्रचारक द्वारा सुनाई गई छोटी कहानी बताई: "एक घोड़ा बिदक गया और उससे जुति हुई बघ्घी लेकर भाग निकला। उस बघ्घी में एक बच्चा बैठा था। बच्चे की जान खतरे में देखकर एक नौजवान ने अपनी जान जोखिम में डाली और घोड़े को पकड़ कर काबू में कर लिया। यह बच्चा आगे चलकर बड़ा अपराधी हो गया। एक दिन वह पकड़ा गया और न्यायाधीश के सामने दण्ड के लिये लाया गया। उस अपराधी ने अपने न्यायाधीश को पहिचान लिया कि वह वही व्यक्ति था जिसने कई साल पहले उसकी जान बचाई थी। अपने उस अनुभव का उल्लेख करके अपराधी ने न्यायाधीश से पुनः अपने प्राणों के रक्षा की याचना करी। लेकिन न्यायाधीश ने उत्तर दिया: "ऐ जवान, उस समय की स्थिति में मैं तुम्हारा रक्षक था और मैंने तुम्हारी रक्षा करी, परन्तु आज मैं तुम्हारा न्यायी हूँ और मुझे तुम्हारी आज की स्थिति के आधार पर ही तुम्हारा न्याय करना है। तुम्हारे अपराधों के लिये मैं तुम्हें मृत्यु दण्ड की आज्ञा देता हूँ।"

आज प्रभु यीशु हमारे पापों के लिये मारा गया मेमना है, और उसका उद्धार का अवसर हमारे लिये खुला है। लेकिन अगर हम विश्वास में उसकी ओर नहीं मुड़ते और उसके उद्धार के प्रस्ताव को नहीं अपनाते, तो एक दिन वह हमारा न्यायी होगा जो खराई से हमारे उन पापों के अनुसार हमारा न्याय करेगा, जिनकी क्षमा के अवसर का हमने लाभ नहीं उठाया। वह तब कहेगा : "पृथ्वी पर मैं तुम्हारा उद्धारकर्ता था परन्तु तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया। अब यहां मैं तुम्हारा न्यायी हूँ, और तुम्हारे पापों में बने रहने की दशा के अनुसार, न्याय की मांग है कि अपने पापों के दण्ड के लिये तुम अनन्तकाल के नरक में डाले जाओ।"

जो अभी मेमने पर विश्वास लाएंगे, बाद में उन्हें न्यायासन पर विराजमन सिंह के न्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा। - डेव एगनर


पृथ्वी पर रहकर जो हम मसीह के साथ करते हैं वही निर्धारित करता है कि स्वर्ग में मसीह हमारे साथ क्या करेगा।

तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो, देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्‍तक को खोलने और उसकी सातों मुहर तोड़ने के लिये जयवन्‍त हुआ है। और मैं ने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानों एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा: उसके सात सींग और सात आंखे थीं, ये परमेश्वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं। - प्रकाशितवाक्य ५:५, ६


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ५

और जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्‍तक देखी, जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्‍द की गई थी।
फिर मैं ने एक बलवन्‍त स्‍वर्गदूत को देखा जो ऊंचे शब्‍द से यह प्रचार करता था कि इस पुस्‍तक के खोलने और उस की मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?
और न स्‍वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्‍तक को खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य निकला।
और मैं फूट फूट कर रोने लगा, क्‍योंकि उस पुस्‍तक के खोलने, या उस पर दृष्‍टि करने के योग्य कोई न मिला।
तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो, देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्‍तक को खोलने और उसकी सातों मुहर तोड़ने के लिये जयवन्‍त हुआ है।
और मैं ने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानों एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा: उसके सात सींग और सात आंखे थीं, ये परमेश्वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं।
उस ने आकर उसके दाहिने हाथ से जो सिंहासन पर बैठा था, वह पुस्‍तक ले ली,
और जब उस ने पुस्‍तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े, और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएं हैं।
और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्‍तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है क्‍योंकि तू ने वध होकर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।
और उन्‍हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।
और जब मैं ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों की चारों ओर बहुत से स्‍वर्गदूतों का शब्‍द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी।
और वे ऊंचे शब्‍द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।
फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।
और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्‍डवत किया।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १-३
  • मत्ती १४:१-२१

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

यह मज़ाक नहीं है

भजन २ समाज के उन दुष्ट हाकिमों और नेताओं को संबोधित करता है जो सोचते थे कि वे परमेश्वर और उसके अभिशिक्त का विरोध करने में सफल रहेंगे। भजनकार कहता है कि परमेश्वर उनको ठ्ठों में उड़ाएगा।

W. S. Pulmer ने परमेश्वर के भय से रहित उन पुरुषों और स्त्रियों के बारे में लिखा जिन्हों ने मसीही विश्वासियों को सताया और मार डाला। पुलमर ने ऐसे ३० रोमी अफसरों के संबंध में लिखा कि, "उनमें से एक किसी भयानक ताड़ना के बाद पागल हो गया, एक की उसी के पुत्र ने हत्या कर दी, एक अन्धा हो गया, एक डूबकर मरा, एक को गला घोंट कर मार डाला गया, एक अति कठोर कारावास में तड़प कर मरा, दो ने आत्महत्या कर ली, पाँच को उनके अपने लोगों या नौकरों ने मार डाला, पाँच अन्य को बहुत यातना के साथ दर्दनाक मौत मरे और शेष या तो युद्ध में या बन्दी जाए कर मारे गए। इनमें से एक था जूलियन जो विधर्मी जूलियन के नाम से जाना जाता था। कहते हैं कि अपनी समृद्धि के दिनों में उसने अपनी तलवार आसमान की ओर उठा कर परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह को, जिसे वह निन्दा स्वरुप "गलीली" कहता था, को कोसा था। लेकिन जब वह युद्ध में घायल हुआ और उसने जाना कि अब उसका समय पूरा हो गया है, तो वह पुकार उठा "ऐ गलीली, तू ने आखिर मुझे हरा ही दिया।"

परमेश्वर का, जो यथा संभव, पापियों पर अनुग्रह करना चाहता है, किसी पापी के प्रति ठ्ठा करने की स्थिति तक जाना कोई मज़ाक की नहीं, बलकि अति गंभीर बात है। भजनकार ने लिखा "पुत्रा को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।" (भजन २:१२)

आज मसीह यीशु में परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह आपके लिये उपलब्ध है। इससे पहले कि समय निकल जाए, उसे ग्रहण कर लीजिए। इसे हलके में न लीजिए, यह मज़ाक की बात नहीं है। - रिचर्ड डी हॉन


पाप से खिलवाड़, न्यय से खेलना है

वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हंसेगा, प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा। - भजन २:४


बाइबल पाठ: भजन २

जाति जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्यों सोच रहे हैं?
यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरूद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर, और हाकिम आपस में सम्मति करके कहते हैं, कि
आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियों अपने ऊपर से उतार फेंके।
वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हंसेगा, प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा।
तब वह उन से क्रोध करके बातें करेगा, और क्रोध में कहकर उन्हें घबरा देगा, कि
मैं तो अपने ठहराए हुए राजा को अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर बैठा चुका हूं।
मैं उस वचन का प्रचार करूंगा: जो यहोवा ने मुझ से कहा, तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ।
मुझ से मांग, और मैं जाति जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूंगा।
तू उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े टुकड़े करेगा। तू कुम्हार के बर्तन की नाईं उन्हें चकना चूर कर डालेगा।
इसलिये अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो, हे पृथ्वी के न्यायियों, यह उपदेश ग्रहण करो।
डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपते हुए मगन हो।
पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४९-५०
  • मत्ती १३:३१-५८

बुधवार, 19 जनवरी 2011

अन्तिम न्याय

अमेरिका के तीसरे उप-राष्ट्रपति एरन बर्र की परवरिश एक परमेश्वर का भय रखने वाले परिवार में हुई थी। उनके दादा जौनथन एडवर्ड्स ने उन्हें मसीह को ग्रहण करने को चिताया भी था। लेकिन बर्र परमेश्वर से कोई संबंध नहीं रखना चाहते थे और उनका कहना रहता था कि "मेरी इच्छा है कि परमेश्वर मुझ से दूर ही रहे।"

ऐरन बर्र को कुछ हद तक राजनैतिक सफलता अवश्य मिली, परन्तु वे लगतार परेशानियों में घिरे रहे। उन्होंने ४८ वर्ष की अवस्था में एक जन ऐलिक्ज़ैंडर हैमिलटन की हत्या भी कर दी। इसके बाद वे ३२ वर्ष और जीवित रहे, लेकिन वे वर्ष दुख और असफलताओं से भरे रहे, और उन्होंने दु्खी मन से यह मान लिया कि "साठ साल पहले मैं ने परमेश्वर से सौदा किया था कि यदि वह मुझे अकेला छोड़ देगा तो मैं भी उसे अकेला छोड़ दूंगा, और परमेश्वर ने तब से मेरी कभी कोई चिंता नहीं की।" एरन बर्र को, जो उन्होंने चाहा, वह मिल गया।

वे लोग जो परमेश्वर के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहते, अपने आप को परमेश्वर के न्याय का भागी बना लेते हैं। वे पृथ्वी के अपने दिन परमेश्वर से विमुख रहकर और फिर अनन्त काल उसकी संगति से निर्वासित होकर बिताने के खतरे में हैं, यदि समय रहते पश्चातप नहीं करते।

मित्र, आपके मन में उठने वाला आपके पाप और अपराध के प्रति दोष का एहसास और म्रुत्यु का भय लक्षण हैं कि परमेश्वर का आत्मा आपको पश्चाताप और उद्धार के लिये उकसा रहा है। आप के प्रति उसके धैर्य और उसकी प्रतीक्षा के लिये परमेश्वर का धन्यवाद कीजिए, अपने पापों से पश्चाताप कीजिये और प्रभु यीशु से अपने व्यक्तिगत उद्धार की भेंट को स्वीकार कीजिये। कभी भी परमेश्वर को अपने से दूर रहने के लिये मत कहिये। आपके लिये जो सबसे भयानक बात हो सकती है वह यही है कि परमेश्वर आपकी बात मान ले और आपसे दूर हो जाए।

परमेश्वर द्वारा त्याग दिया जाना ही अन्तिम न्याय है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


नरक के पास से बच निकलने का तो मार्ग है, लेकिन नरक में पड़ कर वहां से बच निकलने का कोई मार्ग नहीं है।

...जब उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्‍हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; - रोमियों १:२८


बाइबल पाठ: रोमियों १:१८-३२

परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उस के अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्‍होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्‍तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।
वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्‍तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
इस कारण परमेश्वर ने उन्‍हें उन के मन के अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्वर की सच्‍चाई को बदल कर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।
इसलिये परमश्‍ेवर ने उन्‍हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहां तक कि उन की स्‍त्रियों ने भी स्‍वाभाविक व्यवहार को, उस से जो स्‍वभाव के विरूद्ध है, बदल डाला।
वैसे ही पुरूष भी स्‍त्रियों के साथ स्‍वाभाविक व्यवहार छोड़ कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरूषों ने पुरूषों के साथ निर्लज्ज़ काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया।
और जब उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्‍हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें।
सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्‍टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या से भरपूर हो गए, और चुगलखोर,
बदनाम करने वाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करने वाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनाने वाले, माता पिता की आज्ञा न मानने वाले,
निर्बुद्धि, विश्वासघाती, दयारिहत और निर्दयी हो गए।
वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले मुत्यु के दण्‍ड के योग्य हैं, तौभी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं, वरन करने वालों से प्रसन्न भी होते हैं।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४६-४८
  • मत्ती १३:१-३०

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

अविश्वास का खतरा

फ्रांस एवं जर्मनी के सन १८७०-७१ में युद्ध के समय एक ग्रहस्थ को अपने घर के निकट दो तोप के गोले मिले जो फटे नहीं थे। उनके खतरे से अन्भिज्ञ, उसने उन्हें उठाकर साफ किया, चमकाया और अपने घर में कमरा गरम करने को आग जलाने के स्थान के ऊपर की ताक पर सजा कर रख लिया। कुछ दिनों पश्चात उसका एक मित्र, जो युद्ध सामग्री का विशेषज्ञ था, उससे मिलने आया और उस ग्रहस्थ ने बड़े गर्व से अपने सजाए हुए उन तोप के गोलों को उसे दिखाया। उस मित्र ने कौतूहलवश उन गोलों की जांच करी और पाया कि वे अभी भी फट सकने के योग्य थे। उसने अपने ग्रहस्थ मित्र से कहा, "इन्हें तुरन्त आग के पास से दूर करो, ये अभी भी उतने ही घातक हैं जितने के अपने निर्माण के दिन थे।" अपने और परिवार के लिये उपस्थित भयानक खतरे से अनभिज्ञ वह ग्रहस्थ, स्वयं द्वारा उत्पन्न बहुत खतरनाक परिस्थिति में, सन्तोष से जी रहा था।

ऐसे ही बहुत से लोग, अपनी अज्ञानता से उत्पन्न इससे भी कहीं अधिक खतरनाक परिस्थिति में जीवन व्यतीत करे जा रहे हैं - नरक में मसीह रहित अनन्तकाल बिताने का खतरा। जान बूझकर अविश्वास के अपने निर्णय से उत्पन्न खतरे को पहचाने बिना, वे अपने ऊपर किसी भी क्षण आने वाले सर्वनाश के प्रति ज़रा भी चिंतित नहीं हैं।

प्रभु यीशु द्वारा मत्ती १३:३६-४३ में कहे गए शब्द, बाइबल में पाई जाने वाली सबसे गंभीर चेतावनियों में से हैं। ये "जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है" (इब्रानियों १०:३१) की सच्चाई को व्यक्त करते हैं। प्रभु यीशु ने नरक को भयानक अंधकार और पीड़ा का बाहरी स्थान (मत्ती २२:१३) और अनन्त आग का स्थान (मत्ती १८:८-९) बताया है।

हम प्रभु द्वारा बताए गए अविश्वास के खतरे और भयानक परिणामों को ज़रा भी हलका करके नहीं आंक सकते। प्रभु और उससे मिलने वाले उद्धार की भेंट के प्रति किया गया हमारा व्यक्तिगत निर्णय ही हमारे अनन्त भविष्य को निर्धारित करता है।

आपका निर्णय क्या है? आप अनन्त कहां बिताएंगे? - हेनरी बौश


प्रभु यीशु से उद्धार ग्रहण करने के विष्य में जो हिचकिचता है, वह अनन्त विनाश के खतरे में है।

और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा। वे प्रभु के साम्हने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्‍त विनाश का दण्‍ड पाएंगे। - २ थिस्सलोनिकियों १:८-९

बाइबल पाठ: मत्ती १३:३६-४३

तब वह भीड़ को छोड़ कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आ कर कहा, खेत के जंगली दाने का दृष्‍टान्‍त हमें समझा दे।
उस ने उन को उत्तर दिया, कि अच्‍छे बीज का बोने वाला मनुष्य का पुत्र है।
खेत संसार है, अच्‍छा बीज राज्य के सन्‍तान, और जंगली बीज दुष्‍ट के सन्‍तान हैं।
जिस बैरी ने उन को बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्‍त है: और काटने वाले स्‍वर्गदूत हैं।
सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्‍त में होगा।
मनुष्य का पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करने वालों को इकट्ठा करेंगे।
और उन्‍हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।
उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४३-४५
  • मत्ती १२:२४-५०

सोमवार, 17 जनवरी 2011

आता तूफान

मैं अपने मित्र के साथ झील में नाव में था और हम मछली पकड़ रहे थे। अचानक दूर हमने बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनी। वह आने वाले तूफान की चेतावनी थी। मुझे लगा कि अभी तूफान के आने में देर है, इसलिये मैं ने अपने अपने मित्र की बात पर ध्यान नहीं दिया कि हमें शीघ्र वापस किनारे पहुंच कर घर की ओर चल देना चाहिये। मैं सोच रहा था कि तूफान दिशा बदल कर हम से दूर निकल जाएगा। तभी परिस्थिति अचानक बदल गई, हवा में तेज़ी आ गई और हमारे ऊपर आकाश में बादल भरने लगे। यह देखकर हमने अपनी नाव के इंजन को चालू करने की कोशिश करी परन्तु वह नहीं चला। मेरा मित्र अपनी पूरी शक्ति से नाव खेने लगा और मैं इंजन चालू करने के प्रयास करता रहा। पानी में ऊंची लहरें उठने लगीं और तेज़ बारिश आरंभ हो गई, और तूफान की तेज़ हवा हमारी नाव को पतझड़ के पत्ते की तरह डगमगाने लगी। बड़ी मुशकिल से हम सही सलामत किनारे पहुंच पाए।

इस अनुभव ने मुझे एक बहुमूल्य शिक्षा और बड़ा सन्देश सिखाया - न्याय का दिन आ रहा है! वह दिन कहीं दूर प्रतीत तो हो सकता है, लेकिन वह अचानक ऊपर आ पड़ेगा और उस समय बचाव का कोई मार्ग नहीं रहेगा। जिन बातों पर हम अपनी सुरक्षा के लिये आज भरोसा करते हैं वे ऐन मौके पर मिथ्या सबित हो जाएंगी और हम गंभीर खतरे में पड़ जाएंगे।

जीवन के अन्त और न्याय के लक्षणों को पहिचन कर उनके प्रति जागृत रहने में ही सच्ची बुद्धिमानी है। अपने काम पर निकलने से पहले आज दर्पण में अपने आप को ग़ौर से देखिये और उन चिन्हों को पहिचानने का प्रयास कीजिए। सफेद होते बाल, चेहरे पर आती झुर्रियां, जोड़ों में बढ़ती अकड़ाहट और दुखन, काम करने से सांस का तेज़ हो जाना, कभी कभी चक्कर आ जाना, ये सब उस आने वाले ’तूफान’ के लक्षण हैं जो एक न एक दिन घेर ही लेगा।

इससे पहले कि बहुत देर हो जाए क्यों न मसीह यीशु में अपना शरणस्थान बना लें और सुरक्षित हो जाएं? अपने ’इंजन’ और अपनी ’नाव खेने’ की शक्ति पर भरोसा न रखें, ये न जाने कब धोखा दे जाएं। - एम. आर. डी हॉन


जब तक हम मृत्यु और मृत्यु के पश्चात के लिये तैयार न हों, हम जीने के लिये भी तैयार नहीं हैं।

...मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। - इब्रानियों ९:२७


बाइबल पाठ: नीतिवचन २९:१-६

जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा।
जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाथ मारती है।
जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है; परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है।
राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है।
जो पुरूष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित हो कर जयजयकार करता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४१-४२
  • मत्ती १२:१-२३

रविवार, 16 जनवरी 2011

अव्श्यंभावी

इटली में स्थित पीसा की झुकती मीनार का गिर जाना तय है। वैज्ञानिकों का कहना है कि १७९ फुट उंची यह मीनार हर साल अधिक और अधिक झुकती जा रही है और अन्ततः इतनी अधिक झुक जाएगी कि वह निकट स्थित उसी रेस्टोरेन्ट पर जा गिरेगी जहां बैठ कर अब वैज्ञानिक उसके संबंध में अपनी शोध के परिणामों पर विचार करते हैं। पीसा शब्द का अर्थ है ’दलदली भूमी’ और इससे पता चलता है कि क्यों अपने निर्माण के पूरा होने से पहले ही वह मीनार झुकना आरंभ हो गई थी।

हम यह तो जानते हैं कि कुछ वस्तुएं, जैसे पीसा की झुकती मीनार का गिर जाना अव्श्यंभावी है, लेकिन उन का क्या जिन्हें हम स्थिरता और अटलता की मिसाल मानते हैं, जैसे अमेरिका का गोल्डेन गेट पुल, मिस्त्र के विशाल पिरामिड, भूमध्य सागर स्थित जिब्रॉलटर की चट्टान और भारत के हिमालय पर्वत श्रंखला? पीसा की मीनार की तरह ये सब भी ’कमज़ोर नींव’ पर टिके हैं और परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित समय पर टूट कर गिर जाएंगे।

परमेश्वर के उस दिन और तब होने वाले विनाश के बारे में संभवतः हम विशेष चिंतित न हों, क्योंकि हमें लगता है कि उस न्याय के दिन के आने से पूर्व ही हम इस पृथ्वी से कूच कर चुके होंगे। परन्तु परमेश्वर के न्याय का सामना तो प्रत्येक को करना ही होगा, उस दिन के आने पर चाहे वे जीवित हों अथवा मृत्युओपरांत।

पतरस की प्रतिक्रिया, इस अव्श्यंभावी विनाश के बारे में जानने के बाद, लापरवाही की नहीं थी। उसने इस बात से प्रेरित होकर एक ऐसे समाज के बारे में सोचा जो अनन्त काल तक न्याय और धार्मिकता की नींव पर स्थिर बना रहेगा, जब ये सब वस्तुएं नाश हो चुकी होंगी। उसने अपना जीवन उस स्थिर चट्टान - प्रभु यीशु मसीह पर अपना जीवन बनाया, जो कभी नहीं टलेगा।

आज आपका दृष्टिकोण आने वाले अव्श्यंभावी न्याय के विष्य में क्या है? आपके जीवन की नींव किस पर है, कहीं किसी अस्थिर बात अथवा विचार पर तो नहीं? - मार्ट डी हॉन


इस संसार में हमारा मुख्य उद्देश्य आने वाले संसार के बारे में रुचि जागृत करना है।

तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए? - २ पतरस ३:११


बाइबल पाठ: २ पतरस ३:१०-१८

परन्‍तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्‍द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।
तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए?
और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए? जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त होकर गल जाएंगे।
पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी।
इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो।
और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।
वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्‍त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधमिर्यों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।
पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ३९-४०
  • मत्ती ११

शनिवार, 15 जनवरी 2011

प्रभु का अप्रत्याशित समय

मेक्सिको देश का एक ज्वालामुखी पर्वत जो सालों से शांत था अचानक ही सक्रीय हो उठा और इतनी ज़ोर से फटा कि संसार का सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी हो गया। ७,३०० फुट ऊंचा एल चिचोन नाम का यह पर्वत सैंकड़ों सालों से निष्क्रीय पड़ा था। १९८० में सेंट हेलेन्स ज्वालामुखी भी अचानक सक्रीय हो उठा और ज्वालामुखी के फटने से उसका बर्फ से ढका सुन्दर शिखर धूल और भाप में बदल गया। इन पर्वतों के समीप रहने वाले लोगों ने इन पर्वतों में कभी इतने उग्र बदलाव की कल्पना भी नहीं की थी।

ये घटनाएं इतिहास में घटने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का एक उदाहरण मात्र हैं, जो नूह के समय से होती आ रही हैं, जब परमेश्वर ने दुष्ट संसार का विनाश किया था। जैसे एल चिचोन और सेंट हेलेंस पर्वतों के समीप रहने वाले लोग निश्चिंत थे, नूह के पड़ौसी भी प्रलय से निश्चिंत थे। लेकिन उनमें विद्यमान दुराचार ने उनकी इस निश्चिंतता को और घातक बना दिया था। वे सोचते थे कि उनके भ्रष्ट और दुराचारी जीवन का कोई हिसाब नहीं लेगा, लेकिन परमेश्वर ने उनसे हिसाब मांगा, अप्रत्याशित रूप से नहीं, वरन उन्हे पूरी चेतावनी और सुधरने का अवसर देकर। किंतु उस चेतावनी और अवसर का उस समय के लोगों ने मज़ाक उड़ाया और मौका गंवा दिया।

कभी कभी हम भी ऐसे ही व्यवहार करते हैं कि जैसे हमें विश्वास हो कि परमेश्वर निष्क्रीय हो गया है, तथा हमें कभी कुछ होने वाला नहीं है, लेकिन यह केवल हमारा भ्रम है। तब, जैसे समय नूह के दिनों में पूरा हुआ और दुष्टता का दुषपरिणाम सामने आ गया, अभी वैसे ही संसार के पाप और दुष्टता के विरुद्ध परमेश्वर की चेतावनी और पश्चताप का अवसर है। प्रभु यीशु ने वायदा किया है कि वह एक दिन अचानक ही आ जाएगा और तब यह अवसर समाप्त हो जाएगा। जैसे नूह के समय में लोगों ने चेतावनी और अवसर का ठठा किया था, आज भी संसार प्रभु की चेतावनी, पश्चाताप के अवसर और प्रभु के दूसरे आगमन का ठठा करते हैं। लेकिन ऐसों को अप्रत्याशित रीति से प्रभु के न्याय का सामना करना पड़ेगा।

यह हमारे ऊपर है कि हम प्रभु और प्रभु की चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं तथा जब आकस्मत उसका दूसरा आगमन हो तब हम अपने पाप में पाए जाते हैं अथवा पापों से पश्चाताप और प्रभु में विश्वास द्वारा प्रभु के साथ हो जाने वालों में। - मार्ट डी हॉन


न्याय में देर हो सकती है, परन्तु न्याय निश्चित है।

और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं। - उत्पत्ति ६:५, ७

बाइबल पाठ: मत्ती २४:३४-४४

मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्‍तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्‍वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्‍तु केवल पिता।
जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
क्‍योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
दो स्‍त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
इसलिये जागते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
परन्‍तु यह जान लो कि यदि घर का स्‍वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने न देता।
इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ३६-३८
  • मत्ती १०:२१-४२

शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

झूठ का धोखा

टेक्सस प्रदेश का एक कॉलेज का छात्र स्थानीय नायक बन गया जब उसके विषय में लोगों को पता चला कि उसने एक महिला को तीन आक्रमणकारियों से बचाया। लेकिन कुछ समय पश्चात सारे देश में उसके नाम की दुषचर्चा हो गई जब ज्ञात हुआ कि उसकी यह कहानी झूठी थी। उस लज्जित छात्र को मानना पड़ा कि, जैसे उसने पहले दावा किया था, उसने किसी महिला की रक्षा करने के लिये कोई लड़ाई नहीं करी, वरन उसके शरीर पर आए चोट के निशान उसकी किसी से अपनी व्यक्तिगत लड़ाई के कारण थे।

इस छात्र को मिली क्षणिक ख्याति और फिर उससे भी अधिक मिली लज्जा, राजा सुलेमान द्वारा नीतिवचन में कही गई बात का उदाहरण है कि झूठ की उम्र थोड़ी ही होती है। शर्म छिपाने के लिये बोला गया झूठ, और भी अधिक शर्म का कारण बन जाता है। सत्य को न बताना, उस अस्त्य के परिणामों को सामने आने में कुछ समय तो देता है परन्तु साथ ही झूठ बोलने वाले को और भी बुरे झूठ और धोखे के जाल में फंसा भी देता है।

सत्य तो अनततः उजागर हो ही जाता है, नीतिवचन १२ हमें बताता है कि ऐसा क्यों होता है। परमेश्वर झूठ से घृणा करता है (पद २२) और झूठ को हिंसा का कारण मानता है (पद १८)। इस कारण झूठ ज्यादा समय तक बना नहीं रहता (पद १९)। झूठ बुरी युक्ति करने वाले लोगों की कार्यविधि है (पद २०)।

हम परमेश्वर के वचन और उस लज्जित छात्र के अनुभव से शिक्षा ले सकते हैं कि झूठ, किसी परिस्थिति से बच निकलने का आसान तरीका तो प्रतीत हो सकता है, लेकिन वह किसी भी परिस्थिति से बचाता नहीं है, वरन और बुरा फंसा देता है। - मार्ट डी हॉन


झूठ, किसी परिस्थिति से बचने के लिये, कायरों का प्रयास है।

सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है। - नीतिवचन १२:१९

बाइबल पाठ: नीतिवचन १२:१७-२२

जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है।
ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।
सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है।
बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है।
धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं।
झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ३३-३५
  • मत्ती १०:१-२०

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

प्राकृतिक स्वभाव

कई साल पहले हमने एक रैकून (अमेरिका में पाया जाने वाला बड़ी सी गिलहरी जैसा जानवर) को अपने घर में पालतू पशु बनाया और उसका नाम जैसन रखा। वह घंटों हमारे पालतु कुत्ते से, जो नम्र और शांत स्वभाव का था, लड़ता रहता और उसे तंग करता रहता था। जैसन के व्यवहार का बिलकुल भरोसा नहीं किया जा सकता था। एक मिनिट वह हमारी गोदी में आकर लेट जाता तो दूसरे ही मिनिट वह खतरनाक शरारतें करने लगता। वह कबूतरों के अंडे खा जाता, कूड़ेदान को उलट-पुलट कर देता, फूलों की क्यारीयों को तहस-नहस कर देता; उसके यह विनाशकारी कार्य उसके प्राकृतिक स्वभाव के अनुसार थे। जैसन को चाहे कैसा भी पालतु रखने का प्रयास करो, उसका प्राकृतिक स्वभाव उसपर हावी हो ही जाता था।

जैसन के व्यवहार से मुझे मसीहियों में भी विद्यमान उनका पुराना मनुष्यत्व स्मरण आता है, चाहे अब पवित्र आत्मा उन में वास करता है। पौलुस इसे ’शरीर, जिसमें कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती’ (रोमियों ७:१८) कह कर संबोधित करता है। इस ’शरीर’ के स्वभाव को दबाया जा सकता है, नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन यह हमेशा अपनी मनमानी करने के अवसर की ताक में रहता है। यदि हम अपने आप को प्रतिदिन और प्रतिपल नियंत्रित रहने के लिये प्रभु के समर्पित नहीं रखते, तो मौका पाते ही यह ’शरीर’ अपना विनाशकारी, विलासी और स्वार्थी स्वभाव हम में दिखाने लग जाता है।

यद्यपि हम मसीह में एक नई सृष्टि हैं, तो भी आत्मिक जीवन में नए जन्में शिशु से व्यस्क होने तक हमें भी कई चरणों से होकर मसीही परिपक्वता तक पहुंचना होता है। इन चरणों में ’शारीर’ को अपना पुराना स्वभाव दिखाने के कई अवसर मिल सकते हैं और मिलते हैं। ऐसे में हम में जो पाप करने की क्षमता विद्यमामन रहती है, हमें उसे अपने पर हावी नहीं होने देना चाहिये। इसका एक ही उपाय है, परमेश्वर का आत्मा जो मसीह से जुड़ने के बाद हम में निवास करता है, हम उसके आधीन होकर उसी के चलाए चलें। परमेश्वर के वचन का पालन करके और उसके आत्मा के आधीन बने रहकर ही हम अपने ’शरीर’ के प्राकृतिक स्वभाव पर विजयी हो सकते हैं। - मार्ट डी हॉन


आत्मसंयम का भेद है अपना नियंत्रण परमेश्वर के आत्मा के हाथों में दे देना।

क्‍योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्‍छी वस्‍तु वास नहीं करती, इच्‍छा तो मुझ में है, परन्‍तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते। - रोमियों ७:१८

बाइबल पाठ: गलतियों ५:१६-२६

पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।
क्‍योंकि शरीर आत्मा के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ।
और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे।
शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन।
मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।
डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के ऐसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,
और कृपा, भालाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
और जो मसीह यीशु के हैं, उन्‍होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।
हम घमण्‍डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ३१-३२
  • मत्ती ९:१८-३८

बुधवार, 12 जनवरी 2011

आप बच नहीं सकते

डेटरोइट शहर में स्थित एक हाई स्कूल के कुछ छात्र, शहर में हो रहे रॉक संगीत के उत्सव में जाने के लिये बिना अनुमति लिये कक्षा से अनुपस्थित हुए। उन्हें लगा कि उनकी यह बात किसी को पता नहीं चलेगी और वे दण्ड से बच जाएंगे। लेकिन अगले दिन के अखबार में रॉक संगीत उत्सव की जो तसवीरें छपीं उनमें वे छात्र स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। उनका वह चोरी छिपे जाना सब के सामने प्रगट हो गया और स्कूल के उप-प्रधानाध्यापक ने उन्हें बुला कर उनसे सफाई मांगी।

बाइबल बताती है कि हम अपने दुष्कर्म छुपा नहीं सकते। चाहे थोड़े समय के लिये हम उन्हें ढांप दें या कुछ और लंबे समय के लिये उनके परिणामों से बचते रहें, लेकिन एक समय वह आएगा जब हमें उनका सामना करना ही पड़ेगा, चाहे इस जीवन में नहीं तो इस जीवन के बाद। पौलुस ने लिखा "धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्‍योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।" (गलतियों ६:७)

जब कभी हमारे जीवन में कोई ऐसा पाप आए जिसे हम छुपा कर रखना चाहें, तो स्मरण रखें कि बेहतर होगा कि उसे छुपाने की बजाए उसे मान लें और छोड़ दें। या कभी कुछ ऐसा करने का प्रलोभन हो जो हम जानते हों कि गलत है, और हम सोचने लगें कि हम पकड़े नहीं जाएंगे, बात छिपी ही रहेगी, तो निश्चय कर लें कि ऐसी किसी बात की तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाएंगे, क्योंकि कुछ छुपा नहीं है जो प्रकट नहीं किया जाएगा।

चाहे उन छात्रों के समान हमारी तस्वीर अखबारों में न छपे, परन्तु हमारे काम कभी छिपे नहीं रहेंगे, हम उनकी जवाबदेही से बच नहीं सकते। - डेव एगनर


पाप का बीज चाहे छिपा कर बोया जाए, परन्तु उसकी फसल को छिपाया नहीं जा सकता।

क्योंकि हमारे अपराध तेरे साम्हने बहुत हुए हैं, हमारे पाप हमारे विरूद्ध साक्षी दे रहे हैं; हमारे अपराध हमारे संग हैं और हम अपने अधर्म के काम जानते हैं: - यशायाह ५९:१२


बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-९

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्‍योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्‍तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
क्‍योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्‍छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्‍योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
क्‍योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा, और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्‍त जीवन की कटनी काटेगा।
हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २९-३०
  • मत्ती ९:१-१७

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

पाप से उत्पन्न दुख

जब एज़्रा भविष्यद्वक्ता को मालूम चला कि परमेश्वर के निर्देशों के विरुद्ध इस्त्राएलियों में से बहुतेरों ने अन्य जातीय स्त्रीयों से विवाह कर लिये थे तो उसने दुख, ग्लानि और पश्चाताप में अपने वस्त्र फाड़े और अपने सिर और दाढ़ी के बाल नोच डाले। फिर उसने घुटनों के बल गिरकर, रो रो कर परमेश्वर से अपने लोगों के लिये क्षमा की प्रार्थना करी।

पाप बहुत भयानक होता है। पाप से प्रभु को घिन है, आत्मिक लोगों को दुख होता है और पाप करने वाले को अनगिनित कष्टों को भोगना पड़ता है।

एज़्रा के उदहरण में, इस्त्राएल के लोगों ने अपनी अन्य जातीय पत्नियों को वापस उनके लोगों में भेज दिया, निश्चय ही इससे बहुतों को बहुत दुख हुआ होगा। लेकिन यह कठोर कदम इस्त्राएल को, आत्मिक पतन के इससे भी अधिक दुखदाई परिणामों से बचाने के लिये अनिवार्य था।

मुझे अनेक बार ऐसे पत्रों का उत्तर देना पड़ा है जहां परिवार के एक सदस्य के पाप के कारण पूरे परिवार को दुख उठाना पड़ा और परिवार टूटने की कगार पर आ गया था। ऐसे पत्रों का उत्तर देते समय मुझे स्मरण आता है कि अनाज्ञाकारिता कितनी तकलीफ लेकर आती है, और मुझपर इस बात की छाप और गहरी हो जाती है कि अन्ततः हमारे संसार में सभी दुखों का कारण पाप ही है। यद्यपि पाप के प्रभाव के कारण कष्ट हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं, फिर भी बहुत से लोग पाप के प्रति लापरवाही से अनैतिकता और व्यभिचार में धंसते चले जाते हैं तथा अपने कष्टों को कई गुणा बढ़ा लेते हैं।

हमें पाप के प्रति और अधिक संवेदनशील होना चाहिये और पाप के जंजाल में फंसे लोगों के उद्धार के लिये और अधिक बोझिल होना चाहिये। पाप से उत्पन्न दुख और सर्वनाश इतने भयंकर हैं कि हमारे जीवनों में पाप के प्रति ज़रा भी लापरवाही नहीं होनी चाहिये। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


सबसे भयानक बुराईयों में से एक है किसी भी बुराई को हलके में लेना या उसे नज़रांदाज़ करना।

दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। - भजन ३२:१०


बाइबल पाठ: भजन ३२:१-११

क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया हो।
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई।
क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा, और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा, तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
तू मेरे छिपने का स्थान है, तू संकट से मेरी रक्षा करेगा, तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा।
तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा।
हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २७-२८
  • मत्ती ८:१८-३४

सोमवार, 10 जनवरी 2011

पाप का गणित

मैंने कैद में पड़े हुए कैदियों को शोकित होकर अपने सिर हिलाते और यह कहते देखा है कि "मैंने कभी नहीं सोचा था कि बात इस हद तक बिगड़ जाएगी।" जब उन्होंने छोटे छोटे अपराध करने शुरू किये तो बड़े या गंभीर अपराधों में पड़ने का उनका कोई इरादा नहीं था। लेकिन एक के बाद दूसरा अपराध होता गया, वे अपराध के जीवन में फंसते चले गए और अब वे आत्मग्लानि के साथ बन्दीगृह में पड़े हैं।

इन लोगों ने कभी यह नहीं पहचाना कि पाप में सदा पतन ही होता है और उसकी गंभीरता बद से बदतर ही होती है। जब हम जीवन के एक पहलू में परमेश्वर के नियमों को तोड़ते हैं तो जैसे गणित के जोड़ और गुणा के सिद्धांत जीवन में कम करने लग जाते हैं। शीघ्र ही पाप बढ़कर जीवन के अन्य पहलूओं में भी अपने प्रभाव डालने लगता है।

यह सोचना मूर्खता है कि हम बस एक छोटा प्रीय पाप पाल कर रख सकते हैं। वह एक पाप बढ़ता और फैलता रहेगा और हमें पतन की ओर अग्रसर रखेगा जब तक कि हम उसे पूरी तरह अपने से दूर नहीं कर देते। इसीलिये प्रभु यीशु ने पाप करने वाला हाथ काट कर फेंकने और पाप करने वाली आंख निकालने की बात कही (मत्ती १८:८, ९)। ऐसे कठोर शब्द रूपक प्रयोग करने में प्रभु का उद्देश्य यही समझाना था कि पाप को दूर रखने के लिये जो कुछ बन पड़े वह करो।

हम पाप के साथ खिलवाड़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते। पौलुस ने रोमियों की पत्री के पहले अध्याय में तीन बार लिखा परमेश्वर ने पाप में बने रहने वालों को उनके दुष्कर्मों पर छोड़ दिया। वह पाप के पतन को उसका समय पूरा होने तक छोड़ देता है ताकि न केवल पापी को पश्चाताप का पूरा अवसर मिले, वरन न्याय को भी पूरा अवसर मिले और जब न्याय का समय आए तो उससे बचने का कोई बहाना न रहे।

हम प्रभु यीशु पर विश्वास करके पाप के इस अव्श्यंभावी गणित से बच सकते हैं। आज और अभी हमारे जीवन के किसी भी पाप से बचने के लिये उसकी सामर्थ काफी है। नहीं तो एक समय आएगा जब हमें उसके न्याय का सामना करना पड़ेगा और तब कोई और बचाव का मार्ग या उपाय नहीं होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


कोई भी अचानक ही दुष्ट नहीं हो जाता।

यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। - मत्ती १८:८


बाइबल पाठ: मत्ती १८:६-९

पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।
ठोकरों के कारण संसार पर हाय! ठोकरों का लगना अवश्य है, पर हाय उस मनुष्य पर जिस के द्वारा ठोकर लगती है।
यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। टुण्‍डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्‍त आग में डाला जाए।
और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २५-२६
  • मत्ती ८:१-१७

रविवार, 9 जनवरी 2011

जान बूझ कर "गलती से"

डगलस कौरिगन, १९३८ में, एक उपनाम, ’गलत राह लेने वाले कौरिगन’ के नाम से मशहूर हो गए, जब उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से कैलिफोर्निया शहर के लिये अपने हवाईजहाज़ में उड़ान भरी और २३ घंटे बाद प्रशांत महासागर पार योरप में आयरलेंड के डबलिन शहर में उतर कर उन्होंने वहां के अधिकारियों से पूछा, "क्या यह लॉस एंजिलिस है?" इस बात के लिये, सालों तक लोग उनका मज़ाक उड़ाते रहे, परन्तु १९६३ में उन्हों ने अन्ततः यह मान लिया कि प्रशांत महासागर के पार की उनकी यह उड़ान "गलती से" नहीं हुई थी वरन योजनाबद्ध थी। क्योंकि उन्हें सागर के पार उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, इसलिये उन्होंने जान बूझ कर यह "गलती" करी।

कौरिगन ने जो किया, उसमें और हमारे मसीही जीवन के अनुभवों में बहुत समानान्तर हैं। रोमियों १ में लिखा है कि मनुष्य की स्वभाविक प्रकृति स्वार्थी, पाप करने और परमेश्वर की अवलेहना करने की है। पाप करने की मनशा विश्वासी के जीवन में ज़ोर मारती रहती है (रोमियों७:१५-१९)। यद्यपि विश्वासी मसीह में नई सृष्टि हो जाता है, लेकिन उसमें पाप करने की प्रवृति सिर उठाती रहती है, जिसे लगातार मसीह की सामर्थ से दबा कर काबू में रखना होता है।

कुछ लोग सोचते हैं कि मसीही जान बूझ कर पाप नहीं कर सकते, लेकिन बाइबल स्पष्ट बताती है कि प्रत्येक विश्वासी शरीर की लालसाओं और उस के अन्दर बसने वाली पवित्र आत्मा के बीच के संघर्ष को अनुभव करता है (गलतियों ५:१६, १७)। इसिलिये हमें लगातार अपने आप को परमेश्वर के आधीन करते रहना पड़ता है, क्योंकि वह ही हमें धार्मिकता के सही मार्ग पर चलते रहने की इच्छा और योग्य शक्ति देता है।

इस तरह का जान बूझ कर किया गया परमेश्वर को समर्पण, हमें जान बूझ कर "गलती से" गलत राह पर चल निकलने से बचाए रखेगा। - मार्ट डी हॉन


जो संपूर्ण रीति से परमेश्वर को समर्पित हैं, वे कभी जान बूझ कर शैतान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे।

...उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा... - रोमियों १:२८


बाइबल पाठ: रोमियों १:१८-२५

परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्‍होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्‍तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।
वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्‍तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
इस कारण परमेश्वर ने उन्‍हें उन के मन के अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्वर की सच्‍चाई को बदल कर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २३-२४
  • मत्ती ७

शनिवार, 8 जनवरी 2011

परमेश्वर के लिये घृणित

परमेश्वर पाप से घृणा करता है। नीतिवचन ६ में लेखक ने ७ विशिश्ट पाप गिनाये हैं जिनसे परमेश्वर विशेष घृणा करता है। परमेश्वर के लिये पाप इतना असहनीय है कि क्रूस पर जब उसके सिद्ध पुत्र यीशु मसीह ने संसार के पाप अपने ऊपर ले लिये, तो परमेश्वर पिता ने संसार के पापों को लिये हुए अपने प्रीय पुत्र से मुँह मोड़ लिया। उस घड़ी की तमस और क्रूस की पीड़ा में मसीह पुकार उठा "...हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्‍यों छोड़ दिया?" (मत्ती २७:४६)

यदि पाप परमेश्वर की नज़रों में इतना घृणित है तो हमें भी उससे डरना चाहिये, उससे बचना चाहिये और उससे घृणा करनी चाहिये।

योहन पीटर लैंग ने, जो जर्मनी में १९वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध धर्मशास्त्री थे, एक धार्मिक अगुवे से संबंधित कहानी सुनाई; इस अगुवे से वहां का राजा नफरत करता था। उस राजा के कुछ सलाहकारों ने राजा को सलाह दी कि राजा उस अगुवे को आग में झोंक दें, या उसकी सम्पत्ति ज़ब्त कर लें, या उसे सांकलों में बंध्वा दें, या किसी रीति से मरवा दें। लेकिन कुछ अन्य सलाहकार इन सब बातों से सहमत नहीं थे। उन्होंने राजा से कहा, "ऐसा करके आप कुछ भी लाभ नहीं पाएंगे। देश निकाला देने से भी वह परमेश्वर की संगति में मगन रहेगा; उसे अपनी सांकलों से प्रेम है और मृत्यु उसके लिये स्वर्ग के द्वार खोल देगी। उसे दुख देने का बस एक ही तरीका है, उसे केवल पाप करने से ही डर लगता है, इसलिये किसी तरह उससे पाप करवा दीजिए।"

क्या हम भी उस अगुवे की तरह हैं, जिन्हें संसार में केवल पाप ही से डर लगता हो? परन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि अकसर हम पाप से डरने की बजाए उसमें मज़ा लेते हैं। लेकिन इस बात का सदा ध्यान रखिये कि परमेश्वर पाप के प्रति कैसा नज़रिया रखता है। यदि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं तो उसके समान पाप से घृणा भी करेंगे। - रिचर्ड डी हॉन


बागबानों के लिये केवल फूलों से प्रेम रखना ही काफी नहीं है, उन्हें बगीचा खराब कर देने वाली खर-पतवार से भी घृणा रखनी चाहिये।

हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो। - भजन ९७:१०


बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१२-१९

ओछे और अनर्थकारी को देखो, वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है,
वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अपनी अगुंलियों से संकेत करता है,
उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और झगड़ा रगड़ा उत्पन्न करता है।
इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी, वह पल भर में ऐसा नाश हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।
छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है
अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ,
अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग दौड़ने वाले पांव,
झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २०-२२
  • मत्ती ६:१९-३४

शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

सर्वोत्तम तो अभी आना है

१९वीं सदी के महान अंग्रेज़ी प्रचारक, चार्ल्स सिमियोन, जब बिमारी की अवस्था में अपनी मृत्यु शैया पर पड़े थे, तो अपने आसपास खड़े लोगों से उन्होंने कहा, "आप जानते हैं कि इस समय मुझे क्या चीज़ शान्ति दे रही है? मैं इस बात से बेबयान सांतव्ना पाता हूँ कि आरंभ में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।" उसके मित्रों ने पूछा कि यह बात अब मृत्यु के समक्ष उन्हें कैसे शान्ति दे सकती है? उन्होंने प्रभु से मिलने जाने वाले जन की तरह बड़े आत्मविश्वास से कहा, "क्यों? यदि परमेश्वर शून्य से इतनी अद्भुत सृष्टि बना सकता है, तो अवश्य ही वह मुझसे भी कुछ अच्छा बना सकता है।"

उस महिमा की कलपना भी करना जो परमेश्वर की सन्तानों के लिये रखी गई है - एक परमसिद्ध आत्मा और एक पुनरुत्थान पाई देह जो स्वर्गीय अनन्तता का, उसकी संपूर्णता में आनन्द लेने देने में सक्षम है, हमारे विचार की सामर्थ के परे है।

अभी भी परमेश्वर की परवर्तित करने वाली सामर्थ, उसकी सन्तानों में काम कर रही है। मसीही विश्वास में आने से हम परमेश्वर की सन्तान बने और उसने "हमें मसीह के साथ जिलाया" (इफिसियों २:५)। लेकिन केवल इतना ही नहीं, पौलुस कहता है कि यह इसलिये हुआ जिससे परमेश्वर भविष्य में "अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए" (इफिसियों २:७)। कोई अचंभा नहीं कि प्रेरित यूहन्ना ने कहा "हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।" (१ यूहन्ना ३:२)

परमेश्वर का कार्य अभी हम में पूरा नहीं हुआ है। अनन्त महिमा में अपने में हम जिन परिवर्तनों को अनुभव करेंगे वे हमारी कलपना के परे हैं। कितना रोमांचकारी है यह सोचना कि हमारे लिये हमारा सर्वोत्तम तो अभी आना है! - पौल वैन गौर्डर


प्रभु जब आप हमारे लिये स्थान तैयार कर रहे हैं, तो हमें भी उस स्थान के लिये तैयार कीजिए।

हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। - १ यूहन्ना ३:२


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१-१२

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्‍तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्‍योंकि उस ने उसे भी नहीं जाना।
हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।
जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है और पाप तो व्यवस्था का विरोध है।
और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्‍वभाव में पाप नहीं।
जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उस ने न तो उसे देखा है, और न उस को जाना है।
हे बालको, किसी के भरमाने में न आना, जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्‍योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता, क्‍योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्‍योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
इसी से परमेश्वर की सन्‍तान, और शैतान की सन्‍तान जाने जाते हैं, जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
क्‍योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १८-१९
  • मत्ती ६:१-१८

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

सूर्यास्त में परमेश्वर की वाणी

सूर्यास्त की सुन्दरता पर किसने अचंभा नहीं किया होगा? सूर्य जब पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ता है तो आकाश पर छाई रंगों की छटा से हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कुछ पल को हिचकिचाता सा सूर्य, आकाश पर गुलाबी, नारंगी और लाल रंगों की रंगत बिखेरता हुआ आंखों से ओझल हो जाता है। सूर्यास्त के इस महिमामय दृश्य में परमेश्वर की महिमामयी किंतु शांतिदायक आवाज़ से दिन भर की कुण्ठाएं शान्त हो जाती हैं।

धरती के वायुमण्डल के कारण सूर्य की किरणों की गति कुछ धीमी हो जाती है और वे कुछ मुड़ जाती हैं, इसलिये डूबता सूर्य अंडाकार दिखाई देता है; वायुमण्डल में विद्यमान धूल और धुएं के कारण विभिन्न रंग दिखाई देते हैं, जो हमें इतने सुखद लगते हैं। जितना सुन्दर हमने उसे देखा है, सूर्यास्त का दृश्य उससे भी अधिक सुन्दर हो सकता है। नक्षत्र वैज्ञानिक जौन बी. इरविन "Encyclopedia Science Supplement" में लिखते हैं कि, "जब परिस्थितियां सही हों तो, सूर्यास्त के अंतिम पीले-नारंगी रंग अचानक चमकीले हरे रंग में बदल जाते हैं। यह चमकदार हरा रंग दिन को उत्तेजक विस्मयबोधक चिन्ह के साथ अन्त करता है।"

मसीही विश्वासी के लिये, प्रत्येक सूर्यास्त, दिन के अन्त पर परमेश्वर की ओर से लगा विस्मयबोधक चिन्ह है; जैसे परमेश्वर कह रहा हो, "अपनी चिन्ताएं किनारे कर दो। अपने कार्यों से विश्राम लो। अपनी निराशाओं को भूल जाओ। मैं अभी भी यहीं हूँ, अपनी सृष्टि का ध्यान रख रहा हूँ, उसे नियंत्रित रख रहा हूँ। मैं बदला नहीं हूँ। सूर्य से आगे, मेरी ओर देखो और शान्त हो जाओ।" - डेव एग्नर


सृष्टि में परमेश्वर की आवाज़ हमें उसके पराक्रम का आश्वासन देती है।

ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है। - भजन ५०:१


बाइबल पाठ: भजन ५०:१-६

ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है।
सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है।
हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी।
वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर से आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा:
मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बान्धी है!
और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १६-१७
  • मत्ती ५:२७-४८

बुधवार, 5 जनवरी 2011

हमारी सुनने वाला परमेश्वर

कुछ वैज्ञानिक अपना ध्यान आकाश की ओर लगा रहे हैं, परन्तु यह स्वर्ग और परमेश्वर की ओर नहीं है। उन्होंने अनुमन लगाया है कि अंतरिक्ष में लगभग ५ करोड़ सभ्यताएं विद्यमान हो सकती हैं, और उनका यह भी विश्वास है कि उनमें से कुछ ने जीवन को सुधारने और मृत्यु के समय को नियंत्रित करने के उपाय भी खोज लिये होंगे। नवम्बर १९७४ में इन वैज्ञानिकों ने एके सन्देश हमारी आकाशगंगा के छोर की ओर भेजा। समस्या यह है कि यदि वह सन्देश किसी को मिल भी जाए, और वे उसका उत्तर भी दें, तो भी उस उत्तर पृथ्वी तक आने में ४८००० वर्ष लग सकते हैं।

मसीही विश्वासियों को ये प्रयास चाहे बेतुके लगें, लेकिन वे वैज्ञानिक अपने इन प्रयासों को लेकर बहुत गंभीर हैं, जबकि हम विश्वासी, जो वास्तव में एक अलौकिक संसार से संबंध बना कर रखते हैं कभी कभी ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे हमारी प्रार्थनाएं कोई नहीं सुनता। परमेश्वर के हर सन्तान को यह अधिकार और अवसर है कि वह परमेश्वर से कभी भी संपर्क कर सके। जिसने इस सृष्टि को बनाया और नक्षत्रसमूहों (galaxies) को आकार देकर स्थापित किया, हमें उसके साथ क्षण भर में संपर्क स्थापित करने का अधिकार और विधि है। जिस क्षण हम प्रार्थना में उसके पास आते हैं, वह हमारी सुनता है और अपनी इच्छा में उसका उत्तर भी देता है। प्रार्थना की अद्भुत सुविधा के माध्यम से प्रत्येक मसीही विश्वासी सर्वश्क्तिमान के सन्मुख आ सकता है, उसके जो स्वर्ग में होकर भी उनकी सुनता है और जो मनुष्यों की परिस्थितियों को बदलने की सामर्थ रखता है और उन्हें बदलता भी है।

परमेश्वर के साथ हमारे संबंध के अनुसार हम स्वर्ग को अपने सन्देश पूरे विश्वास के साथ भेज सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि वह हमारी सुनता भी है और उत्तर भी देता है। - मार्ट डी हॉन


जब हम प्रार्थना में अपने घुटने झुकाते हैं तो परमेश्वर हमारी सुनने के लिये अपने कान हमारी ओर झुकाता है।

...तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्‍या क्‍या आवश्यक्ता है। - मत्ती ६:८


बाइबल पाठ: मत्ती ६:५-८

और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्‍योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उन को अच्‍छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
परन्‍तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर, और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाई बक बक न करो क्‍योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
सो तुम उन की नाई न बनो, क्‍योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्‍या क्‍या आवश्यक्ता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १३-१५
  • मत्ती ५:१-२६

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

तरबूज़ की गवाही

विलियम जैनिंग ब्रायन्स को यह जानकर अचंभा हुआ कि १ पौंड (आधा किलो से कुछ कम) वज़न पूरा करने के लिये तरबूज़ के लगभग ५००० बीज चाहिये होते हैं। उसने लिखा, "हाल ही में किसी ने तरबूज़ का एक छोटा बीज बो दिया। पानी और धूप के प्रभाव से, उस बीज ने अपना बाहरी छिलका उतार दिया और अपना काम करना आरंभ कर दिया। उसने अपने वज़न से २००,००० गुणा वज़न का सामान धरती और आकाश से जमा किया, उसे पतले से तने और डालियों में प्रवाहित किया और फिर उस बेल की डालियों में नये तरबूज़ बना दिये। हर तरबूज़ का हरे रंग का सख्त बाहरी खोल था, उसके अन्दर सफेद रंग की मोटी और कुछ कम सख्त रक्षा देने वाली परन्तु स्वाद में फीकी परत थी और फिर उसके अन्दर लाल रंग का नरम, मीठे रस से भरा गूदा था जिसमें ढेर सारे बीज जगह जगह रखे हुए थे, और हर बीज इसी प्रक्रिया को दोहराने की क्षमता रखता था। किस योजनाकार ने यह सब सिसिलेवार इतनी निपुणता से करने की योजना बनाई? उस छोटे से बीज में इतनी सामर्थ कैसे आई? उसे कैसे पता चला कि भिन्न रंग, सखती और स्वाद देने के लिये किस चीज़ को कितनी मात्रा में, कहां से लेकर, कब और कैसे औरों के साथ मिश्र्ति करना है कि हर तरबूज़ में यही नतीजा निकले, तथा हर तरबूज़ लगभग एक सी आकृति और आकार का ही हो?"

ब्रायन्स ने कहा कि यदि हम एक तरबूज़ की रचना को नहीं समझ और समझा पाते तो हम परमेश्वर को और उसकी असीम सामर्थ और कार्यविधी को कैसे समझ पाएंगे! इस तरह के अनेक और अद्भुत उदाहरण सृष्टि के प्रत्येक पहलू में रखकर परमेश्वर ने अपनी असीम सामर्थ और ज्ञान का उदाहरण दिया है जिसे हम अपने सीमित बुद्धि से कभी समझ नहीं सकते।

एक तरबूज़ की रचना में विदित परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि हमें अचंभित कर सकती है। उसके अवर्णनीय आश्चर्यकर्मों को देखकर हम भजनकार के साथ नम्रता और विस्मय सहित उसके सन्मुख झुककर इतना ही कह सकते हैं "हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।" - भजन १०४:२४ - हेनरी बौश


परमेश्वर की सृष्टि पर उसके हस्ताक्षर उसकी महिमा की घोषणा करते हैं।

हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है? पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है। - भजन १०४:२४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १:९-१३

फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे, और वैसा ही हो गया।
और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें, और वैसा ही हो गया।
तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १०-१२
  • मत्ती ४

सोमवार, 3 जनवरी 2011

कहीं नहीं, या, अभी यहीं!

एक नास्तिक वकील ने अपने दफतर की दीवार पर एक पट्टी लगा रखी थी जिसपर लिखा था "GOD IS NOWHERE" - परमेश्वर कहीं नहीं है। एक दिन उसकी प्रतीक्षा में बैठी उसकी छोटी बेटी, समय बिताने के लिये कागज़ पर इस पंक्ति को बार बार लिखने लगी। लिखते लिखते, अन्जाने में उसने NOWHERE के W और H के बीच में अन्तर डाल दिया और वाक्य का अर्थ पूर्णत्या बदल गया, क्योंकि अब वह हो गया "GOD IS NOW HERE" - परमेश्वर अभी यहीं है!

यह छोटी कहानी दर्शाती है कि वास्तविक जीवन में क्या होता है। अविश्वासी कहते हैं कि यह संसार एक दीर्घकालीन क्रमिक विकास (evolution) का नतीजा है और उन्हें सृष्टि में कहीं भी परमेश्वर के होने का कोई प्रमाण नहीं दीख पड़ता, जबकि सृष्टि परमेश्वर के कार्यकौशल से भरी पड़ी है। वे मूर्खतापूर्वक कहते और मानते हैं कि सृष्टि बिना सृष्टिकर्ता के अस्तित्व में आ गई। लेकिन मसीही विश्वासी, सृष्टि में परमेश्वर की अद्भुत कला, योजना और सुन्दरता देखते हैं और उसपर विश्वास करके उसकी इस विलक्षण सृष्टि के लिये महिमा करते हैं। हम भजनकार के साथ कहते हैं "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।" (भजन १९:१)

उस वकील के दफतर की पट्टी पर लिखे अक्षर दो अलग तरह से पढ़े जा सकते हैं, लेकिन उन दोनो में से केवल एक ही सत्य है। बहुत से लोग सृष्टि में परमेश्वर की महान हस्तकला को देख कर उसे ’केवल संयोग’ मानकर दरकिनार कर देते हैं, परन्तु कुछ हैं जो उसमें ’महान सृष्टिकर्ता’ को देखते हैं, जो यथार्त है। बाइबल हमें इस यथार्त को समझने और मानने की समझ देती है।

जो उस पट्टी पर लिखे वाक्य को "GOD IS NOW HERE" करके पढ़ते हैं, वे ही वास्तव में सत्य को जानते हैं। - रिचर्ड डी हॉन


’प्रकृति’ परमेश्वर की हस्तकला का एक नाम है।

मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं। - भजन १४:१


बाइबल पाठ: भजन १९:१-६

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उस ने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,
जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाई अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है।
वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है, और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ७-९
  • मत्ती ३

रविवार, 2 जनवरी 2011

विश्वास का आधार

पत्रकार सिडनी जे. हैरिस कहते हैं: " ’मान लीजिए आप वर्तमान के ज्ञान के साथ समय में पीछे जाकर एक मध्यकालीन सन्यासी से कहें कि इस सृष्टि में करोड़ों नक्षत्रसमूह (galaxies) हैं, प्रत्येक नक्षत्रसमूह करोड़ों नक्षत्रों से मिल कर बना है और करोड़ों मील के आकार का है, और प्रत्येक नक्षत्रसमूह एक दूसरे से तीव्र गति से दूर होता जा रहा है; हर समूह जितना दूर होता जाता है, उतनी उसकी गति बढ़ती जाती है।’ आपसे वर्तमान का यह ज्ञान सुनकर वह मध्यकालीन सन्यासी, अपने संसामयिक ज्ञान के संदर्भ में, क्या आपको पागल नहीं समझेगा?"

जो बात श्रीमान हैरिस उजागर करना मांग रहे हैं वह यह है: आप जिस भी मत को माने - चाहे परंपरागत धार्मिक मत को अथवा प्रचलित वैज्ञानिक मत को, बिना ’विश्वास’ को आधार बनाए आप किसी को भी स्वीकार नहीं कर सकते। उनका निष्कर्ष है कि जिस व्यक्ति को "ब्लैक होल" के अस्तित्व को स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है, उसे "स्वर्ग" के अस्तित्व को स्वीकर करने में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये - दोनो के अस्तित्व की स्वीकृति केवल ’विश्वास’ पर है।

कुछ लोग हमें मूर्ख समझते हैं क्योंकि हम बाइबल में उत्पति की पुस्तक में वर्णित सृष्टि की रचना के इतिहास को सत्य मानते हैं, उसपर विश्वास करते हैं। किंतु वे भी जिन बातों को मानते हैं, उनको अपने विश्वास के आधार पर ही मानते हैं; फर्क केवल इतना है कि उनका विश्वास सीमित अवलोकनों और ऐसे निष्कर्षों पर आधारित है जो गलत भी हो सकते हैं - और विज्ञान के कई सिद्धांत और निष्कर्ष गलत प्रमाणित होकर बदले गए हैं, जबकि हमारा विश्वास परमेश्वर के कभी न झुठलाए जाने और कभी न बदलने वाले अटल वचन पर आधारित है - आज तक बाइबल की एक भी बात, अनेक प्रयासों के बावजूद, गलत प्रमाणित नहीं हुई है।

इस कारण जो परमेश्वर के अस्तित्व से इन्कार करके, विज्ञान को अपने विश्वास का आधार बनाते हैं वे घाटे में हैं क्योंकि उनके विश्वास का आधार नई खोजों के साथ बदल भी सकता है और जो आज सत्य माना जाता है, कल वो उसी विज्ञान के आधार पर असत्य भी घोषित हो सकता है।

परन्तु हम मसीही विश्वासियों के लिये ऐसी कोई अनिश्चितता नहीं है, हमारा विश्वास सृष्टि के सृष्टिकर्ता के अटल वचन पर आधारित है। परमेश्वर का वचन हमें सच्चा ज्ञान और समझ देता है और उसपर विश्वास करना हमारे लिये लज्जा की नहीं गर्व की बात है। - रिचर्ड डी हॉन


सृष्टि को हमने जितना जटिल जाना है, वह उससे कहीं कहीं अधिक जटिल है।

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। - उतपत्ति १:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-६

अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
क्‍योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्‍छी गवाही दी गई।
विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है, और अपके खोजने वालों को प्रतिफल देता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४-६
  • मत्ती २